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Showing posts from April, 2022
सत्यमेव जयते!
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कानून से जुड़ी ख़बर!
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- हिन्दू धर्म में न दूसरी शादी की जा सकती है ना पहली से तलाक़ होगा
- क्या एक विवाहित बेटी अपने पिता की संपत्ति में हिस्से का दावा कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैतृक संपत्ति में बेटियों का होगा इतना अधिकार?
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- जानिए, अगर पति तलाक चाहता है और पत्नी नहीं चाहती तो क्या करें? क्या तलाक के बाद पति पत्नी साथ रह सकते हैं? पत्नी मायके से नहीं आए तो क्या करें?
- जानिए, कोर्ट मैरिज की फीस कितनी है? कोर्ट मैरिज में के लिए आवेदन कहाँ करना होता है? कोर्ट मैरिज में कितने दिन लगते हैं?
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मुस्लिम में निकाह एक कॉन्ट्रैक्ट है, हिंदू विवाह के तरह संस्कार नहीं- कर्नाटक हाईकोर्ट
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कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court ) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान माना है कि मुस्लिम निकाह (Muslim Marriage) अर्थ के कई रंगों के साथ एक अनुबंध है! यह हिंदू विवाह (Hindu Marriage) से पूरी तरह अलग है और यह हिंदू विवाह की तरह एक संस्कार नहीं है. हिंदू विवाह की संरचना भिन्न है यह विवाह विच्छेद से उत्पन्न होने वाले कुछ अधिकारों और दायित्वों से पीछे नहीं धकेलता है. क्या है पूरा मामला? दरअसल, यह मामला बेंगलुरु (कर्नाटक) के भुवनेश्वरी नगर में एज़ाज़ुर रहमान (52) नाम के एक शख्स की ओर से दाखिल की गई एक याचिका से संबंधित है. इस मामले में 12 अगस्त 2011 को बेंगलुरु की फैमिली कोर्ट के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को रद्द करने की याचना की गई थी. रहमान ने शादी के कुछ महीनों बाद ही 25 नवंबर 1991 को 5000 रुपये की ‘मेहर’ से तलाक बोलकर अपनी पत्नी सायरा बानो को तलाक दे दिया था. तलाक के बाद रहमान ने दूसरी शादी की और एक बच्चे के पिता बना. इस बीच बानो ने 24 अगस्त 2002 को भरण-पोषण के लिए दीवानी न्यायालय में वाद दायर किया. जहां फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया कि पीड़िता केस फाइल होने की तारीख से
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