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जानिए आईपीसी की धारा 496, 493, 495 क्या है? बगैर तलाक के किसी स्त्री की शादी करने पर क्या कहता है क़ानून? दो शादी करने पर कौन सी धारा लगती है?

दम्पति के मध्य विवाद सम्बन्ध के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है तो वहीँ विवाहित महिला के साथ ऐसे अपराध तलाक का कारण हो सकते हैं?

इसके अतिरिक्त अक्सर ऐसे प्रश्न लोगों के मन में आते हैं कि- 

  • विवाहित दम्पति के बीच कौन-कौन से ऐसे अपराध हैं जो तलाक़ का कारण बन सकता है? 
  • विवाह संबंधी अपराध क्या है?
  • बगैर तलाक के किसी स्त्री की शादी का अधिकार क्या कहता है?
  • आईपीसी की धारा 496 क्या है?
  • धारा 493 में क्या होता है?
  • धारा 495 क्या है?
  • शादी ना करने पर कौन सी धारा लगती है?
  • दो शादी करने पर कौन सी धारा लगती है?
  • बिना तलाक दूसरी शादी करने पर क्या होगा?
  • हिन्दू कितनी शादी कर सकते है?

विवाह संबंधी अपराध क्या है?

विवाह के विरुद्ध (Offences against Marriage) अपराध क्या होता है? विवाह से सम्बन्धित दो मुख्य अपराध है -

  1. द्विविवाह (बिना तलाक़ लिए दूसरी शादी करना या एक साथ दो लोगों के साथ विवाह करना)
  2. जारकर्म (अवैध संबध)

1. द्विविवाह (Bigamy) -भारतीय दंड सहिंता की धारा 494 के अनुसार- जो व्यक्ति, पति या पत्नी के जीवित रहते हुये किसी अन्य से विवाह करेगा। किसी ऐसी दशा में विवाह करना जिसमें ऐसा विवाह शून्य हो तो वह ऐसे पति या पत्नी के जीवित रहते हुआ हो तो यह कहा जायेगा कि वह द्विविवाह का अपराध करता है। यह अपराध भारतीय दंड सहिंता की धारा 494 के अनुसार दंडनीय है। जिसके लिए 7 वर्ष की जेल या जुर्माना या फिर दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

अपवाद (Exception)- ऊपर दी गई परिस्थित के अलावा किसी व्यक्ति द्वारा दूसरा विवाह करना कुछ केस में अपराध नहीं होता लेकिन कब ऐसा नहीं होता है इसके यह कारण हो सकते हैं।

  1. जब पहला विवाह किसी सक्षम क्षेत्राधिकार रखने वाले न्यायालय ने शून्य (Void) घोषित कर दिया हो, या 
  2. जब पति या पत्नी 7 वर्ष लगातार गायब रहा हो या उसके जीवित रहने के बारे में कुछ न सुना गया हो लेकिन यह धारा केवल हिन्दुओं पर लागू होती है।

नोट: मुसलमानों को अपने व्यक्तिगत कानून (मुस्लिम विधि) के अनुसार 4 पत्नियों को एक साथ रखने का अधिकार प्राप्त है।

2. जारकर्म (Adultery)- भारतीय दंड सहिंता की धारा 497 के अनुसार- यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसी महिला के साथ जो किसी और की पत्नी है और यह बात जानते हुए उस महिला को विश्वास में लेकर उस पुरुष की अनुमति के बिना चुपके से सम्भोग करेगा जो बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता तो वह जारकर्म (जारता) के अपराध का दोषी माना जायेगा।

ऐसे व्यक्ति को भारतीय दंड सहिंता की धारा 497 के अधीन पाँच वर्ष तक की जेल या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जायेगा। ऐसे मामले में पत्नी को किसी प्रकार का दण्ड नहीं दिया जाएगा। 

विवाह से सम्बन्धित अन्य अपराध (Other Offences relating to Marriage) क्या है?

द्विविवाह (Bigamy) और जारकर्म (Adultery) दो मुख्य अपराधों के अलावा विवाह से सम्बन्धित कुछ अन्य अपराध भी हैं जो निम्नलिखित हैं-

1.धोखे से कानूनी विवाह का विश्वास कराके अर्थात शादी का वादा करके किसी पुरुष द्वारा सम्बन्ध बनाना (Cohabitation caused by a man deceitfully inducing a belief of Lawful Marriage)- धारा 493 के अनुसार, प्रत्येक पुरुष, जो किसी स्त्री को, जिससे वह कानूनी रूप से विवाहित नहीं हो, धोखा देकर या यह विश्वास कराके कि वह उससे विधिवत विवाहित है और इस विश्वास में उस स्त्री के साथ सहवास या मैथुन करेगा तो इस अपराध के लिए उसे दस साल की जेल या जुर्माना या फिर दोनों से दण्डित किया जायेगा

2. पहली शादी छिपाकर दूसरी शादी करना (Concealing the former marriage from person with whom subsequent marriage is contracted)- धारा 495 के अनुसार, जो व्यक्ति धारा 494 में परिभाषित अपराध अपने विवाह की बात उस व्यक्ति से छिपाकर करेगा जिससे पश्चात्वर्ती विवाह किया जाये तो उसे 10 वर्ष की अवधि तक के कारावास या जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।

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3. कानूनी विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कार्य पूरा कर लेना (Marriage ceremony fraudulently gone through without Lawful Marriage)- धारा 496 के अनुसार, जो व्यक्ति बेईमानी से या कपटपूर्वक आशय से विवाहित होने का कर्म यह जानते हुये करेगा कि उसके द्वारा वह कानूनी विवाह नहीं हुआ है तो उसे सात वर्ष तक की अवधि के कारावास और जुर्माने से भी दण्डित किया जा सकेगा।

4. विवाहित स्त्री को अपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना या निरुद्ध रखना (Enticing or taking away or detaining with criminal intent a married woman)- धारा 498 के अनुसार, जो व्यक्ति किसी स्त्री को जो किसी अन्य पुरुष की पत्नी है और जिसका अन्य पुरुष की पत्नी होना उसे पता है या, होने का कारण रखता है उस पुरुष से या किसी ऐसे व्यक्ति के पास जो उस पुरुष की देख रेख करता है, इस आशय से ले जायेगा या फुसला कर ले जायेगा कि वह किसी व्यक्ति के साथ अनुचित सम्भोग करे या इस आशय से ऐसी स्त्री को छिपायेगा या ऐसे रखेगा तो उसे 2 वर्ष की अवधि तक के कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जायेगा। इसे 'अपराधिक सह-पलायन' (Criminal elopement) भी कहते हैं।

द्विविवाह और जरकर्म में अन्तर

द्विविवाह (Bigamy S. 494)

  1. द्विविवाह का अपराध धारा 494 में परिभाषित है।
  2. यह विवाह से सम्बन्धित मुख्य अपराध।
  3. इसमें पीड़ित पक्ष पति या पत्नी में से कोई भी हो सकता है।
  4. द्विविवाह के अपराध के लिये पत्नी की सहमति होना महत्वहीन है।
  5. द्विविवाह का आरोप स्त्री और पुरुष दोनों पर समान रूप से लगाया जाता है।
  6. द्विविवाह का अपराध जारता की अपेक्षा अधिक गम्भीर है।

जारकर्म (Adultery S. 497) 

  1. जारकर्म का अपराध धारा 497 में परिभाषित है।
  2. यह भी विवाह से सम्बन्धित मुख्य अपराध है। 
  3. इसमें पीड़ित पक्ष हमेशा पति ही होता।
  4. जारकर्म के अपराध के लिये पत्नी की सहमति होना आवश्यक है ।
  5. जारता का आरोप केवल पुरुष पर लगाया जाता है । स्त्री की सामाजिक स्थिति और उसकी परिस्थितियों को दृष्टि में रखते हुये यह आरोप स्त्री पर नहीं लगाया जाता।
  6. जारता का अपराध द्विविवाह के मुकाबले में कम गम्भीर है।
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