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क्या है मानवाधिकार के हक़ और पुलिस का व्यवहार | Human Rights and Police
मानवाधिकार और पुलिस
"मानवाधिकार (Human Rights) सभी मनुष्यों को प्राप्त वे अधिकार हैं, जो सम्मानजनक जीवन जीने हेतु आवश्यक हैं।"
मानवाधिकार (Human Rights) मानव मात्र को प्राप्त ऐसे अधिकार हैं जो मनुष्य की गरिमा और स्वतंत्रतामय जीवन के लिये आवश्यक हैं। इन अधिकारों को प्रायः मौलिक अधिकार, नैसर्गिक अधिकार, जन्म से अधिकार आदि नामों से जाना जाता है।
अनेक प्राचीन दस्तावेजों में ऐसी अनेक अवधारणायें मिलती हैं जिन्हें मानवाधिकारों के रूप में चिंहित किया जा सकता है। आधुनिक मानवाधिकार कानून तथा मानवाधिकार की अधिकांश अवधारणायें समसामयिक इतिहास से सम्बन्धित हैं।
‘द टवैल्व आर्टिकल्स ऑफ दि ब्लैक फॉरेस्ट’ (1525) को यूरोप में मानवाधिकारों का सर्वप्रथम दस्तावेज माना जाता है। यह जर्मनी के किसान विद्रोह स्वाबियन संघ के समक्ष उठायी गई किसानों की मांग का एक हिस्सा है।
1776 में संयुक्त राज्य अमेरिका 1789 में फ्रांस में दो प्रमुख क्रान्तियां घटी जिसके फलस्वरूप क्रमशः संयुक्त राज्य की स्वतंत्रता की घोषणा एवं फ्रांसीसी लोगों की मानव तथा नागरिकों के अधिकारों का अभिग्रहण हुआ।
मानवाधिकार (Human Rights) की सुरक्षा निश्चित करना किसी भी सभ्य समाज के लिए अनिवार्य है। दूसरे शब्दों में, मानवाधिकारों का संरक्षण अथवा उल्लंघन किसी भी देश, राष्ट्र अथवा समाज की प्रगति, विकास एवं प्रगति का मापदण्ड है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के तत्वावधान में 10 दिसम्बर 1948 को मानवाधिकारों की सर्वमान्य घोषणा की गयी थी। इस उपलक्ष्य में 10 दिसम्बर का दिन प्रति वर्ष मानवाधिकार दिवस के रूप में विश्वभर में मनाया जाता है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में स्वयं ही संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर में वर्णित मानवाधिकार (Human Rights) सम्बन्धी सभी विचारों, आदर्शों, मूल्यों, मानकों तथा शब्दावली का समुचित रूप से वर्णन किया गया है। मानवाधिकारों की यह घोषणा सभी राष्ट्रों के लिये अनुकरणीय है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा-पत्र में प्रस्तावना का उद्देश्य विश्व समुदाय में स्वतंत्रता, न्याय और शांति की स्थापना है। अनुच्छेद प्रथम और द्वितीय के अन्तर्गत मानव की गरिमा, स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व की भावना पर बल दिया गया है। इनमें जाति, वर्ण, लिंग, धर्म, भाषा, राजनीतिक विचार, आर्थिक स्थिति, जन्म, जन्म-स्थान अथवा किसी अन्य स्थिति के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव अथवा पक्षपात वर्जित माना गया है। अनुच्छेद 3, 4 और 5 के अनुसार दासता को वर्जित किया गया है और इस बात का प्रावधान किया गया है कि किसी को भी किसी के प्रति क्रूर, अमानवीय अथवा अपमानजनक व्यवहार करने का अधिकार नहीं है। अनुच्छेद 18, 19 और 20 में निजी विचारों की अभिव्यक्ति की तथा धार्मिक स्वतंत्रता के अतिरिक्त शान्तिपूर्ण संघ और संगठन के विषय में उल्लेख किया गया है।
पुलिस के विरुद्ध मानवाधिकार (Human Rights) :-
पुलिस कार्यवाही के विरुद्ध आम आदमी को निम्नलिखित मानवाधिकार प्राप्त हैं –
1) गिरफ्तारी के समय पुलिस क्या-क्या नहीं कर सकती :-
• अनावश्यक बल का प्रयोग नहीं कर सकती।
• गिरफ्तारी के दौरान अभियुक्त तथा उसके परिवारजनों के साथ गली-गलौज नहीं कर सकती।
• मारपीट व अन्य अमानवीय व्यवहार नहीं कर सकती।
• निराधार गिरफ्तारी नहीं कर सकती।
• गिरफ्तार व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने का कार्य नहीं कर सकती।
2) तलाशी के दौरान पुलिस क्या नहीं कर सकती:-
• तलाशी के समय किसी व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार नहीं कर सकती।
• सामान्य स्तिथियों में रात्रि कल में तलाशी नहीं कर सकती।
• किसी भी जगह अनधिकृत प्रवेश नहीं कर सकती।
• महिला एवं बच्चो के साथ दुर्व्वाहर नहीं कर सकती।
• किसी भी संदिग्ध या वांछित वास्तु के आलावा उस जगह की अन्य वस्तुओं के साथ छेड़-छाड़ नहीं कर सकती।
• ज़ब्ती सूची में दर्ज किये बगैर कोई सामग्री नहीं उठा सकती।
3) गिरफ्तारी के दौरान पुलिस को निम्न लिखित कार्य करना होता है
• गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को गिरफ्तारी का कारण बताना चाहिए।
• गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत सम्बन्धी सुचना देना चाहिए।
• गिरफ्तारी के बाद अपराधी का मेडिकल टेस्ट कराना चाहिए।
• गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को चौबीस घंटे के भीतर निकटतम मजिस्ट्रेट के सामने ले जाना चाहिए।
• महिला, बच्चों बीमार तथा वृद्ध व्यक्तियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
• जब तक आवश्यक प्रतीत न हो गिरफ्तार व्यक्ति को हथकड़ी नहीं लगाना चाहिए।
अतः हम कह सकते हैं कि मानवाधिकार (Human Rights) सभी मनुष्यों को प्राप्त वे अधिकार हैं, जो अंतर्निहित हैं, अहस्तान्तरणीय हैं, अपरिवर्तनीय हैं और मनुष्य के गरीमामय जीवन के लिय आवश्यक हैं. इन अधिकारों को कोई नहीं छीन सकता. मूल अधिकारों के रूप में भारतीय संविधान इनका संरक्षक है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व मानवाधिकार (Human Rights) परिषद तथा भारत में राष्ट्रीय एवं राज्य मानवाधिकार (Human Rights) आयोग मानवाधिकारों के संरक्षण हेतु सतत् प्रयासरत हैं आवश्यकता है तो केवल मानव मात्र को इन अधिकारों के प्रति जागरूक होने की हैं।
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