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सत्यमेव जयते!

RERA के तहत शिकायत कैसे दर्ज करें? और अगर कोई बिल्डर RERA के साथ पंजीकृत नहीं है तो क्या होगा?

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अगर आपने कोई मकान, दुकान, फ़्लैट या प्लाट ख़रीदा है और आपके बिल्डर या प्रमोटर ने उसे समय पर आपको नहीं दिया है तो ऐसे में आपके पास क्या उपाय हैं। RERA आपको आपके अधिकार दिलवाने में मद्दद कर सकता है। RERA ट्रिब्यूनल अधिवक्ता आशुतोष कुमार जी से जानिए कि अपने अधिकार को समय पर कैसे हासिल करें। RERA के कानून कब लागू नहीं होते हैं? ध्यान रखें कि निम्नलिखित स्थितियों में RERA एक्ट के प्रावधान लागू नहीं होते है- अगर निर्माणाधीन बिल्डिंग में अपार्टमेंटों की संख्या 8 से कम हो, अगर निर्माणाधीन भूमि का क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर से कम हो, यदि प्रमोटर को RERA एक्ट आने से पहले ही संपत्ति के लिए पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया गया हो, जब किसी संपत्ति का पुनर्विकास या नवीनीकरण किया जा रहा हो और उसके लिए मार्केटिंग या विज्ञापन की आवश्यकता न हो। RERA में प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या होते हैं? रियल स्टेट बिज़नस में बिल्डरों को खुद को RERA के साथ पंजीकृत करना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेजों की एक विस्तृत सूची नीचे दी गई है- फॉर्म REA-I पिछले 3 वर्षों की आयकर रिटर्न (ITR) बिल्

Indian Penal Code 1860 | Model Question Paper With Answer In Hindi For Civil Judge (PCSJ) 2023

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PCS J की परीक्षा में  भारतीय दंड संहिता  से काफी प्रश्न पूछे जाते है। इसलिए यह सेक्शन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। परीक्षा में क्या पूछा जायेगा?  भारतीय दंड संहिता  के पुराने पेपर? Indian Penal Code 1860 | Model Question Paper With Answer In Hindi For Civil Judge (PCSJ) 2023 इन सभी सवालों के जवाब के लिए  भारतीय दंड संहिता  के संभावित प्रश्नों का संकलन दिया जा रहा है जो आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।  भारतीय दंड संहिता  के मॉडल पेपर और गत वर्ष के पेपर के लिए वेबसाइट को कर लें और हमारे YouTube चैनल @judicialguru को सब्सक्राइब करें। प्रश्न1- भारतीय दंड संहिता प्रवत हुई- 6 अक्टूबर 1860 से 6 दिसंबर 1860 से 1 जनवरी 1861 से 1 जनवरी 1862 से उत्तर- 1 जनवरी 1862 से प्रश्न2- निम्नलिखित में से सही कथन को इंगित कीजिए- अपराध अनिवार्यता एक अनैतिक कृत्य है अपराध एक अवैधानिक कृत्य है अपराध अनिवार्यता एक समाज विरोधी कृत्य है अपराध अनिवार्यता एक धर्म विरोधी कृत्य है उत्तर- अपराध एक अवैधानिक कृत्य है प्रश्न3-  एक अपकार जिसमें पैरवी शासन या उसके अधीनस्थ व्यक्तियों द्वारा की जाती हो ।   यह कथन है- पैटर्न क

पत्नी मानसिक रूप से परेशान करे या धारा 498A का मुकदमा करने की धमकी दे तो पति क्या करे?

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भारतीय दण्ड सहिंता 1860 (Indian Penal Code 1860) की धारा 498A का उपयोग के साथ दुरुपयोग भी बढ़ता जा रहा है। पहले लोग घरेलु मामलों को कोर्ट ले जाने की बात पर अक्सर कहते थे कि- "लोग क्या कहेंगे" लेकिन अब यह आम बात हो चली है। लेकिन फिर भी कुह लोग जब बात पुलिस शिकायत दर्ज करने या मुकदमा लड़ने की बात आती है तो कुछ लोग संतोष कर लेते हैं। जिसकी वजह के किसी एक पक्ष के साथ अन्याय होता है और जो लोग किसी को झूठा मुक़दमा करने के लिए उकसाते हैं वह यही कहते हैं की "ये आदमी इसी लायक है" जिसकी वजह से कभी कभी कोई ठोस वजह न होते हुए भी धारा 498A का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है। अब सवाल यह उठता है की पत्नी के पास यह क़ानूनी अधिकार है किन्तु यदि किसी पुरुष के साथ अन्याय हो रहा हो तो उसके पास क्या क़ानूनी अधिकार है। अधिवक्ता आशुतोष कुमार आज इसी क़ानूनी समस्या का निदान बता रहें है IPC 1860 की धारा 498A में क्या कहा गया है? भारतीय दण्ड सहिंता 1860 (Indian Penal Code 1860) की धारा 498A के अनुसार-  पति या पति के रिश्तेदार के द्वारा किसी विवाहित महिला के साथ क्रूरता, मारपीट या अन्य अत्याचार करने पर पत

जानिए, अपना केस खुद कैसे लड़ें? मुकदमे में जीत के लिए क्या करें? एक सफल मुकदमा कब बनता है?

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किसी भी सिविल अथवा क्रिमिनल केस में आपका केस काफी लंबा चल रहा है या आपका वकील अच्छे से आप के केस की पैरवी नहीं कर रहा है तो आप किस प्रावधान के तहत अपना मुकदमा स्वयं लड़ सकते हैं? अधिवक्ता आशुतोष कुमार से इसी नियम के बारे में बात करेंगे कि कैसे आप बड़ी आसानी से अपने केस को खुद लड़ सकते हैं और तय समय में उसे जीत भी सकते हैं। अपना केस खुद कैसे लड़ें? अगर आप किसी मुकदमें में वकील नहीं करना चाहते हैं और आपके केस की पैरवी खुद करना चाहते हैं तो क़ानूनी प्रावधान और कुछ अन्य जानकारियां आपको पता होना चाहिए। जैसे आप अपना केस कब और कैसे लड़ सकतें हैं? आपको क़ानून की जानकारी कैसे इक्कठा करनी है? कब आप अपना केस लड़ सकते हैं? अगर आप पर कोई क्रिमिनल या सिविल केस चल रहा है तो आप उस मामले में शिकायतकर्ता हैं तो आप बिना किसी अधिवक्ता को हायर किए केस को स्वयं लड़ सकते हैं। लेकिन इससे पहले अधिवक्ता का अर्थ समझ लें। अधिवक्ता का अर्थ होता है, आधिकारिक वक्ता यानी जिस व्यक्ति को यह अधिकार दिया गया है कि वह आपकी तरफ से आपके केस की पैरवी कोर्ट के समक्ष करे। यदि आप खुद यह काम करने में सक्षम है तो आप खुद ही कोरम से स

Indian Evidence act 1872 questions and answers in Hindi 2022 | Solved Question Paper for PCS J

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भारतीय साक्ष्य अधिनियम पूछे जाने वाले वो महत्वपूर्ण प्रश्न जो PCSJ परीक्षा 2022 के लिए उपयोगी है! भारतीय  साक्ष्य अधिनियम    प्रश्न1- प्रलोभन, धमकी या वचन से पैदा हुए मन पर प्रभाव के दूर हो जाने के पश्चात की गई संस्वीकृति किस धारा के अंतर्गत सुसंगत है? धारा 28 में सुसंगत है धारा 24 में सुसंगत है धारा 29 में सुसंगत है धारा 30 में सुसंगत है उत्तर- धारा 28 में सुसंगत है प्रश्न2- गुप्त रखने के वचन के अधीन या उसे प्राप्त करने के लिए की गई प्रवचना के परिणाम स्वरूप इस बात की जानकारी दिए बिना की  संस्वीकृति   का साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जाएगा यह किस धारा में सुसंगत है? धारा 24 में धारा 25 में धारा 27 व 28 में धारा 29 में उत्तर- धारा 29 में प्रश्न3- जब किसी अभियुक्त की संस्वीकृति IPC की धारा 164 में मौजूद रीति से रिकॉर्ड नहीं की गई है तथा वहाँ मजिस्ट्रेट का मौखिक साक्ष्य यह सिद्ध करने के लिए कि इस प्रकार से स्वीकृति की गई है की ग्राह्य नहीं है,  यह किस वाद में अभिनिर्धारित किया गया है? उत्तर प्रदेश राज्य बनाम सिंघाड़ा सिंह में राजस्थान राज्य बनाम रहमान में अमिनी बनाम केरल राज्य में धनंजय र

जानिए- भारतीय दंड सहिंता की धारा 5 से 18 तक में किन अपराधों का वर्णन है?

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भारतीय दंड सहिंता की धारा 5 से 18 तक में किन अपराधों का वर्णन है? जानिए अधिवक्ता आशुतोष कुमार के इस लेख में- भारतीय दंड सहिंता की धारा 5 धारा 5-  कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना- इस अधिनियम में की कोई बात भारत सरकार की सेवा के अफसरों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायु सैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्योजन को दंडित करने वाले किसी अधिनियम के उपबंधों या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबंधुों, पर प्रभाव नहीं डालेगी। भारतीय दंड सहिंता की धारा 6 धारा 6-  स्पष्टीकरण संहिता में की परिभाषाओं का अपरवादों के अध्यधीन समझा जाना- इस संहिता में सर्वत्र अपराध की हर परिभाषा, हर दंड उपबंध और, हर ऐसी परिभाषा या दंड उपबंध का हर दृष्टांत, “साधारण अपवाद” शीर्षक वाले अध्याय में अंतरविष्ट अपवादों के अध्यधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, उपबंध या दृष्टांत में दोहराया न गया हो। दृष्टांत (क)  इस संहिता की वे धाराएं, जिनमें अपराधों की परिभाषाएं अंतरबिष्ट है, यह अभिव्यक्त नहीं करती कि 7 वर्ष से कम आयु का शिशु ऐसे अपराध नहीं कर सकता, किंतु परिभाषाएं उस साधारण अपवाद के अध्यधीन समझी जानी है ज

Indian Contract Question Papers in Hindi | Indian Contract Paper Set | PCSJ for APO | Solved Questions

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प्रश्न1- निम्नलिखित में से कौन सा वाद कपट से संबंधित नहीं है? व्याख्या – दियाला राम बनाम सरगा ए.आई. आर.  1927  लाहौर  536  का वाद असम्यक असर  धारा 16  से संबंधित है। प्रश्न2- यदि कोई अवयस्क अपनी आयु का दुर्व्यपदेशन करते हुए कोई संपत्ति या वस्तु प्राप्त कर लेता है तो उसको वापस करने के लिए बाध्य किया जा सकता है- व्याख्या-  भारतीय संविदा अधिनियम  1872 की धारा 18  में दुर्व्यपदेशन को परिभाषित किया गया है।  धारा 19  में दुर्व्यपदेशन के प्रभाव के बारे में प्रावधान है। जब कोई अवयस्क जानबूझकर अपनी आयु का छिपाव या दुर्व्यपदेशन करके, कोई माल या संपत्ति खरीदना है, तो जब तक ऐसी वस्तुएं उसके कब्जे में है, उससे वापस ली जा सकती है इसे ही प्रतिस्थापन का सिद्धांत कहते हैं। संविदा शून्य होने के कारण स्वामित्व अंतरण नहीं होता इसलिए माल उससे वापस लिया जा सकता है। प्रश्न3- एक गुरु अध्यात्मिक सलाहकार ने अपने चेले भक्त से कहा कि वह अपनी सारी संपत्ति उसे दान कर दें ताकि दूसरे लोक में उसकी आत्मा को लाभ मिले यह दान क्या होगा- व्याख्या-  दान शून्य करणीय है।  धारा 19  के अनुसार जबकि किसी करार के लिए सम्मति, प्रपी

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