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Showing posts from June, 2020
सत्यमेव जयते!

ऑनलाइन होगा जमीनों का आवंटन, जल्द तैयार होगा लैंड बैंक

ऑनलाइन होगा जमीनों का आवंटन, जल्द तैयार होगा लैंड बैंक उत्तर प्रदेश में निवेश करने वाले निवेशकों को आसानी से जमीन उपलब्ध हो सके। इसके लिए जमीन आवंटन से लेकर अन्य व्यवस्थाएं ऑनलाइन होंगी। इंडस्ट्री विभाग एक ऐसा सिस्टम तैयार कर रहा है। जिसके माध्यम से निवेशकों को कहां जमीन खाली है, जमीन की क्या कीमत है, उस इलाके में जमीन लेने पर राज्य सरकार की तरफ से क्या सुविधाएं दी जाएंगी। इन सभी बातों की जानकारी एक क्लिक पर ऑनलाइन मिल सकेगी। यह सिस्टम रियल टाइम डाटा के साथ होगा। जल्द ही इंडस्ट्री विभाग के द्वारा इस नई व्यवस्था का शासनादेश जारी कर दिया जाएगा। इसमें इंडस्ट्री विभाग के हर एक लैंडबैंक की जानकारी होगी। इंडस्ट्री विभाग, जो सिस्टम बनाने जा रहा है उसमें हर एक औद्योगिक विकास प्राधिकरण में खाली जमीनों की जानकारी होगी। साइट पर जमीनों से संबंधित जानकारी और जीआईएस मैपिंग और रियल टाइम डेटा पर आधारित होगी। इसका फायदा यह होगा कि अगर कोई निवेशक किसी औद्योगिक विकास प्राधिकरण की कोई जमीन खरीदता है, तो वह अपने आप उस साइट से हट जाएगी। ताकि किसी दूसरे निवेशकको वह जमीन न दिखाई दे। जमीन की उपलब्धत

कोर्ट ने भी माना देश के लिए खतरा है टिक-टॉक, इस पर तुरंत नियंत्रण की जरूरत।

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उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक जमानत आवेदन पर विचार करते हुए कहा कि अब समय है कि टिक-टॉक मोबाइल एप्लीकेशन को पूरी तरह से नियंत्रित किया जाए। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एसके परीक राय ने कहा कि यह एप्लीकेशन अक्सर अपमानजनक और अश्लील कल्चर को प्रदर्शित करता है और स्पष्ट रूप से परेशान करने वाली सामग्री के अलावा पोर्नोग्राफी को भी बढ़ावा देता है। इस तरह के एप्लीकेशन को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। जिससे किशोरों को इससे नकारात्मक प्रभाव से बचाया जा सके। इस मामले में आरोपी ने मृतक की पत्नी के साथ मिलकर निजी (इंटीमेट) वीडियो टिक-टॉक पर पोस्ट किए थे जिसके बाद मृतक ने आत्महत्या कर ली थी। दोनों आरोपियों पर आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप लगाए गए थे। हालांकि अदालत ने दोनों आरोपियों को जमानत दे दी। लेकिन टिक-टॉक का युवाओं व किशोरों पर प्रभाव का उल्लेख किया और कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसे मामले दुखद अंत का कारण बनते जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि पोस्ट की गई सामग्री को अपडेट द्वारा छुआ नहीं जा सकता है। इस तरह किसी के निजी पल को प्रसारित करना पीड़ित को प्रताड़ित करने के साथ अपमानजनक भी हो रहा है।

NIL लायबिलिटी है तो GST SMS से फ़ाइल करें!

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NIL GST लायबिलिटी वाले 30 लाख से ज्यादा कारोबारियों को राहत देते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें एसएमएस के जरिए भी रिटर्न भरने की सुविधा दे दी है। इसके लिए जीएसटी पोर्टल पर NIL फॉर्म GSTR-3B की सुविधा शुरू की गई है। कारोबारी फोन के जरिए ही रिटर्न का फाइलिंग स्टेटस भी ट्रैक कर सकेंगे। सेंट्रल बोर्ड आफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स ने इसके लिए नंबर जारी किया है।इसके लिए कारोबारियों को NIL-SPACE-3B-SPACE-GST NUMBER-SPACE-TAX का मैसेज टाइप करना होगा और इसे 14409 पर भेजना होगा। इसके बाद एक कोड आएगा जो 6 नंबर का होगा। अब आपको फाइलिंग के लिए कंफर्म करना है जिसमें यह कोड लगेगा और CNF-3B का मैसेज टाइप करना होगा। इसके बाद रिटर्न भरने का कंफर्मेशन आएगा। अगर कोई मदद चाहिए तो भी आप एसएमएस के जरिए ले सकते हैं। उसके लिए HELP 3B टाइप करके भेजना होगा, आपके मोबाइल फोन पर हेल्प प्रोसेस की पूरी प्रक्रिया आ जाएगी। एक टैक्स एक्सपर्ट ने कहा कि कई ऐसे कारोबारी हैं, जिनकी बिक्री नहीं होती। कई ऐसे होते हैं जिनकी जितनी बिक्री होती उससे अधिक ऑर्डर कैंसिल हो जाते हैं ऐसे में उनका जीएसटी शून्य हो जाता है,

भारत में इंसानों पर नहीं होगा कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल | भारत में क्लीनिकल ट्रायल के कानून विकसित देशों से जुदा

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आज पूरा विश्व कोरोना  वैक्सीन की खोज में  लगा हुआ है लेकिन अब तक किसी भी देश में इसका पूर्णतयः सफल परीक्षण नहीं हो सका है। वहीं कई संपन्न देश की नज़रें भारत पर टिकी हैं। इंसानो दवा परीक्षण के नियमों के चलते कई संपन्न देशों की तुलना में भारत में परीक्षण आसान और सस्ता है। लेकिन परिजनों की अनुमति के बिना किसी भी व्यक्ति पर क्लीनिकल ट्रायल नहीं हो सकता। पूर्व में हुए ऐसी घटनाओं के चलते सुप्रीम कोर्ट भी इस पर प्रतिबंध लगा चुका है- क्लीनिकल ट्रायल:- स्वास्थ्य संबंधी किसी विशिष्ट समस्या का इलाज तलाशने के लिए मानव पर किए जाने वाले शोध अध्ययन को चिकित्सकीय परीक्षण (क्लिनिकल ट्रायल) कहते हैं। इस प्रक्रिया में लोग खुद से अपने ऊपर शोध करवाने कराने के लिए तैयार होते हैं। सावधानी पूर्वक किए गए चिकित्सकीय परीक्षण लोगों का इलाज करने और उनके स्वास्थ्य में सुधार करने का सबसे सुरक्षित और तेज तरीका है। हालांकि, गैर कानूनी रूप से इंसानों पर किए जाने वाले परीक्षणों में जान का खतरा भी रहता है। प्रकार:- क्लीनिकल ट्रायल  मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं।  बचाव के विकल्प के रूप में।  मौजूद

अब से यातायात पुलिस नो पार्किंग में खड़े वाहन का चालान नहीं करेगी, बदल गया कानून, यहाँ पढ़े पूरी रिपोर्ट।

अब से यातायात पुलिस नो पार्किंग में खड़े वाहन का चालान नहीं करेगी, बदल गया कानून, यहाँ पढ़े पूरी रिपोर्ट। कोरोना महामारी की वजह से सभी विभागों की आर्थिक स्थिति काफी बदहाल हो चुकी है। नगर निगम भी इससे अछूता नहीं है। इसी बदहाली के चलते नगर निगम लखनऊ ने अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए प्लानिंग करना शुरू कर दिया है। नगर निगम ने अपनी इनकम बढ़ाने के लिए यातायात पुलिस को दी गई ज़िम्मेदारी को वापस लेने का मन बना लिया है। दरअसल नगर निगम अब नो पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को उठाने का चार्ज जो यातायात पुलिस विभाग को दे चुका था उसे पुनः वापस लेने की तैयारी कर रहा है। नगर निगम यातायात पुलिस से अपने अधिकार वापस लेगा दरअसल बीते लगभग डेढ़ साल पहले नो पार्किंग से गाड़ी उठाने का अधिकार यातायात पुलिस ने नगर निगम से अपने पास ले लिया था। उससे पहले यह अवैध पार्किंग से वाहनों को उठाना उसे जुर्माना वसूलने का अधिकार नगर निगम के पास ही हुआ करता था। लेकिन कुछ समय पश्चात यातायात पुलिस ने साल 2009 में मंडलायुक्त की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में फैसले का हवाला दिया और कहा कि इस काम को अपने अधिकार क्षेत्

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि किसी का मेहनताना न रोकें।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि किसी का मेहनताना न रोकें। कोरोना संकट के बीच डॉक्टरों को सैलरी ना मिलने की खबरों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की। कोर्ट ने सरकार से कहा कि युद्ध के दौरान आप सैनिकों को नाराज मत कीजिए बल्कि थोड़ा आगे बढ़कर उनकी शिकायतों और समस्यायों के समाधान के लिए प्रयास करें तथा कुछ अतिरक्त धन का इंतजाम करें। कोरोना महामारी के खिलाफ चल रहे इस युद्ध में देश सैनिकों की नाराजगी सहन नहीं कर सकता है। सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि हेल्थ केयर से जुड़े लोगों को सैलरी ना मिलने जैसे मामलों में अदालतों को शामिल नहीं करना चाहिए सरकार को ही इससे हल करना चाहिए। इलाज में लापरवाही पर जताई नाराजगी  कोरोना मरीजों के इलाज में लापरवाही और शवों को ठीक से ना रखने की खबरों पर शीर्ष अदालत ने दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और गुजरात को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने अस्पतालों की नाजुक स्थिति पर केंद्र को भी नोटिस दिया और कहा कि खबरों से पता चला है कि परिवार वालों को अपनी अपनों की मौत की जानकारी भी कई दिनों तक नहीं मिल पा रही है।

पराठा कोई रोटी नहीं है | अब से रोटी पर 5% और पराठे पर 18% की दर से लगेगा GST

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अब आप खाने को लेकर अगर बहुत ज्यादा शौकीन नहीं है तो आपके लिए रोटी और पराठे में कितना अंतर हो सकता है? शायद ज्यादा नहीं होगा। लेकिन मामला अगर जीएसटी (GST) लगाने का हो तो सरकार की नज़र में रोटी पराठे से बहुत ज्यादा अलग है। इतना अलग की रोटी पर टैक्स 5% लगेगा लेकिन पराठे पर 18% आमतौर पर हम पराठे को रोटी का ही एक प्रकार मानते हैं लेकिन अथॉरिटी आफ एडवांस रूलिंग पार्टी कर्नाटक बेंच ने इसके अलग ही व्याख्या की है। अथॉरिटी ने पराठे को 18% के जीएसटी स्लैब में रखा है। मतलब यह है कि भोजनालय में रोटी पर लगने वाला जीएसटी (GST) पांच फ़ीसदी होगा लेकिन पराठे पर 18 फ़ीसदी टैक्स देना होगा। GST स्लैब के इस दृष्टिकोण पर लोगो ने आपत्ति जताई है। दरअसल एक प्राइवेट फूड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने अपील की थी कि पराठा को खाखरा प्लेन चपाती या रोटी की कैटेगरी में रखा जाना चाहिए लेकिन AARP ने इसे काफी जुदा राय रखी। AARP ने कहा रोटी 1905 शीर्षक के अंतर्गत आने वाले प्रोडक्ट पहले से तैयार और पूरी तरह से पकाए गए फूड होते हैं। पराठा को खाने से पहले गर्म करना होता है पराठा को 1905 के अंतर्गत वर्गीकृत नहीं कर सकते।

आधार में बायोमेट्रिक अपडेट करवाना भी पड़ेगा महंगा : UIDAI

आधार में बायोमेट्रिक अपडेट करवाना भी पड़ेगा महंगा : UIDAI आधार में बायोमेट्रिक यानी फोटो अंगुलियों के निशान और आयरिश (आँखों की पुतली) अपडेट करवाने के लिए लोगों को अब ज्यादा जेब ढीली करनी होगी। UIDAI के नए आदेश के मुताबिक बायोमेट्रिक अपडेट का शुल्क दोगुना कर दिया गया है। अब इसके लिए ₹50 के रुपए के बजाय ₹100 देने होंगे।  सूत्रों के मुताबिक नाम पता, जन्म, तिथि और मोबाइल नंबर यानि डेमोग्राफिक अपडेट के शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है वह पहले की दरों पर ही होगा। इसके लिए लोगों को पहले की तरह ₹50 ही देने होंगे।  UIDAI के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अगर कोई फोटो अंगुलियों के निशान और आयरिश के साथ नाम पता जन्म तिथि और मोबाइल नंबर भी बदलना चाहता है तो उसे ₹100 शुल्क देना होगा यानी बायोमेट्रिक के साथ डेमोग्राफिक अपडेट मुफ्त में करवा सकेंगे। दो बार होता है बायोमेट्रिक अपडेट UIDAI के अधिकारियों के मुताबिक जीवन में दो बार बायोमेट्रिक अपडेट जरूरी है।पहला 5 साल और दूसरा 15 साल की उम्र में किया जाता है। यह अपडेट आधार पंजीकरण और सुधार केंद्रों पर पूरी तरह निशुल्क है। 

टू फिंगर टेस्ट संविधान के खिलाफ : हाई कोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि बलात्कार के मामले में पीड़िता के कौमार्य सहमति के निर्धारण के लिए किया जाने वाला टू फिंगर टेस्ट पुरातन और अप्रचलित तरीका है। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया है। कोर्ट ने कहा कि टू फिंगर टेस्ट पीड़िता की निजता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। अदालत ने कहा हमारा प्रयास है कि ट्रायल कोर्ट के साथ-साथ चिकित्सा जगत को याद दिलाया जाए कि टू फिंगर टेस्ट असंवैधानिक है। क्योंकि यह बलात्कार पीड़िता के निजता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने कहा टू फिंगर टेस्ट भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 146 के प्रत्यक्ष विरोध में है, जिसका कहना है कि रेप या रेप की कोशिश के मामले में पीड़िता के चरित्र पर सवाल उठाने की अनुमति नहीं होगी। बेंच ने कहा यौन उत्पीड़न के मामले में यह खुद परीक्षण के सबसे अधिक ज्ञानिक तरीकों में से एक है और इसका कोई फॉरेंसिक महत्व नहीं है। पहले से शारीरिक संबंध में पीड़िता के शामिल होने का इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि उसने यौन उत्पीड़न के मामले में सहमति दी थी या नहीं। कोर्ट ने यह टिप्पणी रेप के एक मामले में बरी किए जाने की एक अनो

ग्राम विकास विभाग में महिलाओं के लिए 58000 पदों पर भर्ती | 11 जून से शुरू होंगे आवेदन

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ग्राम विकास विभाग कल यानि 11 जून को एक ऐप लांच करेगा। इस ऐप के माध्यम से 11 जुलाई तक आवेदन किए जा सकेंगे। उत्तर प्रदेश सरकार ग्राम विकास विभाग की तरफ से प्रदेश की 58000 ग्राम पंचायतों में बैंकिंग कॉरस्पॉडेंट सखी यानि बैंकिंग सखी की नियुक्ति करने जा रहा है। यह नियुक्तियां महिला स्वयं सहायता समूह के जरिए की जाएगीं। इसमें खास बात यह है की प्रत्येक बैंकिंग सखी को ₹4000 प्रति माह का वेतन दिया जाएगा। यही नहीं हार्डवेयर जैसे लैपटॉप या टैबलट खरीदने के लिए बैंकिंग सखियों को ₹75000 का काम ब्याजदर पर आसान कर्ज दिया जाएगा। इस योजना में चयन का आरक्षण के आधार पर होगा। ग्राम विकास विभाग ने बैंकिंग में सखियों की नियुक्ति के लिए शासनादेश मंगलवार को जारी कर दिया है। बैंकिंग सखी योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल लेन देन को बढ़ावा मिलेगा और लोगों को बैंकों की सेवाएं आसानी मिल सकेंगी। इस की नियुक्ति कैसे होगी इस बारे में विभाग ने स्पष्ट किया है कि बैंकिंग सखियां की नियुक्ति स्वयं सहायता समूह के जरिये की जाएगी। समूह के सबसे वरिष्ठ सदस्य और संचालन में अहम भूमिका निभाने वाले को चुना जाएगा। वह

दया याचिका का तुरंत निपटारा जुडिशल रिव्यु का आधार नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट

दया याचिका का तुरंत निपटारा जुडिशल रिव्यु का आधार नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने एक दुष्कर्म के गुनाहगार की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि मामले में जो भी ग्राउंड दिए गए हैं वह जुडिशल रिव्यु के लिए काफी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि दया याचिका के निपटारे में देरी जुडिशल रिव्यु का आधार हो सकती है लेकिन तुरंत निपटारा होना रिव्यू का आधार नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में यह सवाल उसके सामने था कि दया याचिका के निपटारे की प्रक्रिया में कोई खामी है इसलिए फैसले का जुडिशल रिव्यु किया जाना है। कोर्ट के सामने यह सवाल भी था कि 1) क्या फैसला लेने के लिए संबंधित दस्तावेज पेश नहीं किए गए और क्या उस पर विचार नहीं हुआ? 2) क्या फैसला जल्दी में लिया गया और विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया और पूर्व सोच के आधार पर फैसला लिया गया? 3) तीसरा सवाल यह था कि क्या दोषी को काल कोठरी में रखा गया और क्या कोर्ट के फैसले की गाइडलाइंस का पालन नहीं हुआ ? सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में मारु राम से संबंधित एक वाद का हवाला दिया और कहा कि अगर सारे दस्तावेज सामने रखे गए हैं और उस पर विचार कर

स्कूलों ने दी सरकार के आदेश को चुनौती, न फीस कम करेंगे और न माफ़?

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। वहीँ निजी स्कूलों ने राज्य सरकार के आदेश को दी चुनौती। कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में फीस ना बढ़ने के राज्य सरकार के आदेश को प्राइवेट स्कूल प्राइवेट स्कूलों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष चुनौती दी है। साथ ही उत्तर प्रदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 को असंवैधानिक घोषित करने की भी मांग की गई है। न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 3 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। वह अधिक महाधिवक्ता को भी नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अनिल कुमार और न्यायमूर्ति सौरव लवानिया के खंडपीठ ने एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। याचिका में प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा के 27 अप्रैल 2020 के मुख्य सचिव के एक मई 2020 के आदेशों को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि उक्त आदेशों को जारी करते हुए गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के इस वर्ष फीस वृद्धि पर रोक लगा दी गई है। ज्ञात हो उत्तर प्रदेश इंडिपेंडेंस स्कूल रेगुलेशन एक्ट 2018 के तहत फीस वृद्धि की ज

पत्नी के चरित्र पर शक है फिर भी कॉल रेकार्डिंग करना गैर क़ानूनी

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यदि आप सोंचते है आप पत्नी के मालिक हैं।  तो यह खबर पढ़ लें। पत्नी के किसी काम में टांग अड़ाना या किसी काम की अड़चन बनना भारी पड़ सकता है। क्या है पूरा मामला जानिए। जानकारी के बिना पत्नी की किसी भी व्यक्ति से बातचीत की रिकॉर्डिंग निजता का उलंघन है। कोर्ट ने कहा की पत्नी के चरित्र पर शक को फिर भी कॉल रेकार्डिंग करना गैर क़ानूनी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि एक दूसरे को जानकारी दिए बिना जीवन साथी की किसी अन्य से निजी बातचीत की रिकॉर्डिंग करना निजता का उल्लंघन है। इसका समर्थन नहीं किया जा सकता। दरअसल एक प्रकरण में जस्टिस अरुण मूंगा की पीठ के समक्ष याचिका दायर करने वाली महिला के पति ने उसका चरित्रहीन साबित करने के लिए ऑडियो क्लिप पेश की थी। इस पर पीठ ने याची के पति को फटकार लगाई। जानकारी के बिना पत्नी की किसी भी व्यक्ति से बातचीत की रिकॉर्डिंग निजता का उलंघन है। कोर्ट ने कहा की पत्नी के चरित्र पर शक को फिर भी कॉल रेकार्डिंग करना गैर क़ानूनी। यह एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका थी। जिसे पंचकूला में रहने वाली एक महिला ने दायर किया था। याची ने आरोप लगाया थ

लीगल एडवाइस | तलाक लेने से पहले अपना हक़ भी जान लें | Divorce and Rights of a woman

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तलाक लेने से पहले अपना हक़ भी जान लें। तलाक लेने का फैसला किया है तो जान ले अपने हक़ भी  "मीनाक्षी 40 साल की उम्र में अपने पति से अलग हो गई थी जबकि 50 साल की उम्र में उन्हें तलाक मिला था। अलग होते वक्त उनके पास केवल 1700 रुपए थे और सारी संपत्ति और सारा निवेश पति के नाम पर ही था। ऐसे में मीनाक्षी ने अपने पति से गुजारा भत्ता भी नहीं मांगा और 40 लाख की संपत्ति और सेविंग्स से भी हाथ धो बैठीं।"  इसी तरह से एक केस और था जिसमें 32 साल की सीमा ने अपने पति से तलाक के वक्त 24 लाख का घाटा उठाया और अब तक फाइनेंसियल परेशानियों से जूझ रही हैं। आज देश भर में तमाम लड़कियां तलाक के बाद सिर्फ इसलिए पहले फाइनैंशली परेशान रहती हैं क्योंकि उन्हें ना तो अपने वित्तीय अधिकारों के बारे में पता होता है और ना ही उन्हें अपने ही लीगल राइट्स के बारे में जानकारी होती है। ये हम सभी जानते हैं की ज़िन्दगी चलाने के लिए अपने हक़ की संपत्ति आपकी होगी तभी आप आगे की जिंदगी आसानी से जी पाएंगी। लीगल एक्सपर्ट्स के मुताबिक कई महिलाएं सिर्फ इसलिए संपत्ति पर अपना दावा नहीं कर पाती हैं क्योंकि उन्हें पता

मंगल सूत्र बाद में पहले मास्क पहनाइए | नहीं तो होगा ₹10000 का जुर्माना

मंगल सूत्र बाद में पहले मास्क पहनाइए | नहीं तो होगा ₹10000 का जुर्माना कोनोना संकट काल के बाद यदि आप शादी करने की सोंच रहे हैं, तो शादी की शॉपिंग में मास्क पहले खरीदें।  अब तो बाजार में दूल्हा दुल्हन से लेके लड़की वालों और लड़के वालो के लिए डिज़ाइनर मास्क उपलब्ध हैं। अब मास्क केवल कोरोना संक्रमण से ही बचने के लिए नहीं है। बल्कि यह जुर्माना लगाने से भी बचाएगा। ऐसा ही एक वाक्या पंजाब में हुआ जहाँ शादी में मास्क न पहनने पर पंजाब हाई कोर्ट ने दूल्हा दुल्हन को जुर्माने की सजा सुनाई। शादी के दौरान मास्क ना पहनना पहनना दूल्हा-दुल्हन को भारी पड़ गया। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस नवविवाहित जोड़े पर ₹10000 का जुर्माना लगाया है। दूल्हा-दुल्हन को 15 दिन के अंदर जुर्माना उपायुक्त होशियारपुर को जमा करवाना होगा। हाईकोर्ट ने कहा है कि इन पैसों से मास्क खरीदकर लोगों में बटवाया जाए। कोर्ट ने एसएसपी को नवविवाहित जोड़े को सुरक्षा देने का भी आदेश दिया।  दरअसल होशियारपुर (पंजाब) के रहने वाले नवविवाहित जोड़े ने परिवार की इच्छा के खिलाफ जाकर शादी की है। उन्हें डर था कि दोनों के परिवार वाले उन्ह

LOCKDOWN SECURITY | मास्क में कैसे पहचाने ग्राहक या लुटेरा।

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LOCKDOWN SECURITY | मास्क में कैसे पहचाने ग्राहक या लुटेरा। देश भर में लॉक डाउन की वजह से सैकड़ो लोगों की नौकरी चली गई। कइयों के काम धंधे बंद हो गए तो ऐसे में कुछ शरारती तत्वों के द्वारा लूट-पाट की घटनायें बढ़ सकती हैं। तो लोगों को अब पहले से अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। लोग ज़्यदातर मास्क लगा कर निकालेंगे जिससे किसी की पहचान कर पाना मुश्किल होगा। लॉकडाउन से बढ़ी बेरोजगारी से लूट की वारदात भी बढ़ने का खतरा पैदा हो गया। इस समस्या से खासकर सर्राफा कारोबारियों को यह दर सत्ता रहा है। इस से डरे सर्राफा कारोबारियों ने सुरक्षा को लेकर कुछ सुझाव जारी किए हैं। प्रदेश पुलिस ने भी लोगों को सतर्क रहने और घरों के सामने लगे सीसीटीवी कैमरे सही रखने की सलाह दी है। सर्राफा एसोसिएशन के महामंत्री ने बताया कि अपनी सुरक्षा को लेकर कुछ रूपरेखा तैयार की गई है। इसके मुताबिक व्यापारियों को सुझाव दिया गया है कि वे अपने यहां आने वाले कस्टमर की फोटो मास्को तरवा कर लें। इससे पहचानने में आसानी होगी। दुकान में एक समय में दो से ज्यादा कस्टमर एक साथ ना आने दे। तय समय सीमा से पहले ही दुकान बंद करने और निकलने

क्या कर मुक्त है चैरिटेबल संस्थाएं?

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क्या कर मुक्त है चैरिटेबल संस्थाएं? यदि कोई NGO या कोई अन्य धार्मिक अथवा जनकल्याणी संस्था 1 करोड़ सालान आय है तो ऐसी संथाओं को यह नियम जान लेना चाहिए। सामाजिक धर्मार्थ कार्य या जनकल्याण कार्य कर रही संस्थाएं टैक्स फ़्री होती है अर्थात ऐसे संथाओं को टैक्स नही भरना होता है। ऐसी संस्थाएं जिनकी कुल सालाना आय एक करोड़ रुपए से कम हैं तथा वे शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में कार्यरत हैं उनकी संपूर्ण आय कर मुक्त है। ऐसी संस्थाओं को आयकर अधिनियम की धारा 10 (23) में कर ना देने की छूट है तथा किसी भी प्रकार के रजिस्ट्रेशन एवं मान्यता की भी आवश्यकता नहीं है। उन्हें केवल आयकर की धारा 139 (4A) में रिटर्न फाइल करना आवश्यक होता है । द सिटी ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की इलाहाबाद शाखा द्वारा एवं सेवा कर विषय पर आयोजित सेमिनार में सीए आशुतोष कुमार ने व्यक्त किए हैं। प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा है कि यदि शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में काम कर रही ऐसी संस्थाएं रिटर्न फाइल नहीं करती तो उन्हें ₹100 प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देना होगा। संस्थाओं की प्राप्ति एक करोड़ के ऊपर

इण्डिया या भारत ? क्या है सही | India Vs Bharat

इण्डिया या भारत | India Vs Bharat आज पूरे विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसका नाम हिंदी में भारत और अंग्रेजी में इण्डिया कहा जाता है। अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इसे अंग्रेजी नाम इण्डिया से बदलकर भारत करने की मांग की गई है। संविधान में इंडिया की जगह भारत नाम रखने के लिए संविधान में संशोधन करने का आदेश देने का निर्णय करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका को संबंधित मंत्रालय के सामने भेजा जाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता इसके लिए सरकार के सामने ही प्रतिवेदन रखना चाहिए। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता ने इस मामले में कोर्ट को क्यों अप्रोच किया जबकि संविधान में साफ लिखा है कि "इंडिया जो कि भारत है" यह प्रावधान भारतीय सविंधान में दिया हुआ है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी है कि इंडिया ग्रीक शब्द इंडिका से आया है और इस नाम को हटाया जाना चाहिए। जब याचिकाकर्ता ने लगातार यह दलील और याचिका सुनने के लिए नहीं दिखा याचिकाकर्ता ने कहा कि इस याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर संबंधित मंत्रालय के सामने भेजने की इजाजत दी जाए तब सुप्री

इस कोड को अपने बैंक से पूछ के अपने पास रखो, नहीं तो बैंक में जमा अपना पैसा भूल जाओ

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क्या होता है Swift Code? इस कोड को अपने बैंक से पूछ के रखो अपने पास, नहीं तो भूल जाओ बैंक में जमा अपना पैसा भूल जाओ। इस कोड के माध्यम से हम उस ब्रांच के विषय में जान पाते हैं कि वह ब्रांच कहां पर है और उसे लोकेट करता है। इसी तरह से स्विफ्ट कोड भी होता है। जिसे हम लोग सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन कोड के नाम से जानते हैं। यह 8 से 11 अंकों का एक अल्फा न्यूमैरिक कोड होता है जो यूनिकली किसी बैंक को आईडेंटिफाई करता है। किसी फाइनैंशल इंस्टिट्यूशन को स्विफ्ट कोड हमें तब काम आता है। जब किसी भारतीय बैंक अकाउंट में किसी दूसरे देश से पैसा ट्रांसफर करवाना होता है तब एक ब्रांच कोड की ज़रूरत होती है इसी कोड को swift कोड कहा जाता है। जब कोई ऐसा अकाउंट है जिसमें विदेश से पैसा आता है, तो जिस बैंक में पैसा आएगा उस बैंक का पंजीकरण भारत सरकार के पास एक विनिमय (विदेशी लेन-देन) संस्था के रूप में होता है जो विश्व स्तर पर व्यवसाय करने के लिए नामित होता है तो ऐसे बैंक की पहचान swift code  के माध्यम से निर्धारित की जाती है। यह स्विफ्ट कोड सभी ब्रांच का नहीं होता है

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