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Showing posts from March, 2020
सत्यमेव जयते!

पुलिस क्या करती है? पुलिस को लोग क्यों बदनाम करते हैं?

पुलिस का नाम सुनते ही हमारे मन में एक अजीब सा डर व घबराहट का माहौल बन जाता है। लोग कहते हैं कि अब वो पुलिस नहीं रही जिसका नाम सुनते ही सुरक्षा का आभास होता था। कुछ लोग तो पुलिस को देखते ही अपने घरों में दुबक जाते हैं तो कहीं कुछ लोग पुलिस से भिड़ भी जाते हैं। लोगो का कहना है कि पुलिस का नाम समाज में इतना बदनाम नाम हो चुका है कि पुलिस का नाम लेते ही एक डर का अहसास होता है। लोग कहावत कहने लगे हैं, "पुलिस की न दोस्ती अच्छी न दुश्मनी।" हमारी भारतीय फिल्मों में भी पुलिस का जो चेहरा देखने को मिला वह भी अधिकतर नकारात्मक ही रहा है। नेताओ की जी हुजूरी करने वाली लालच और गुस्से से भरी पुलिस ही फिल्मों में दिखी जो वारदात की जगह पर हमेशा देर से पहुँचती है। इक्का-दुक्का फिल्में ही रही जिसमें पुलिस का सकारात्मक रूप देखने को मिला हो?पुलिस की ताकत और सुरक्षात्मक समझ को दर्शाती फिल्में गिनी चुनी ही हैं। अब सवाल यह है कि पुलिस का जो चेहरा हम देखते हैं क्या वाकई पुलिस ऐसी ही है? क्या पुलिस सिर्फ घूसखोरी, दबंगई, चाटुकारिता के लिए जानी जाती है? क्या आप भी ऐसा सोचते हैं? यदि हाँ, तो

लॉकडाउन में ज़िन्दगी | Lockdown की नज़र बंदी में हुआ जीना मुहाल!

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दिनांक 24 मार्च 2020 को रात 8 बजे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के नाम संबोधन किया। इस संबोधन में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने की घोषणा की। प्रधानमत्री जी ने घोषणा की है कि 25 मार्च 2020 रात 12 बजे से संपूर्ण भारत में  पूर्ण रूप से लॉकडाउन होना है। लॉकडाउन जिसे इमरजेंसी या कर्फ्यू के नाम से भी हम जानते हैं आज ही रात 12 बजे से लागू हो जाएगा। यह लॉक डाउन  21 दिनों का होगा।  इसके तहत किसी भी व्यक्ति को 21 दिनों तक अपने घर से निकलने की अनुमति नहीं होगी। किसी भी स्थान पर सार्वजनिक भीड़ लगाना या इक्कठा होना दंडनीय अपराध होगा। अत्यंत आवश्यक या जीवन रक्षा से जुड़ी कोई समस्या होने पर अस्पताल जाने की अनुमति होगी। पुलिस नर्स डॉक्टर सफाईकर्मी के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति को घर से बाहर निकलने  की अनुमति नहीं होगी।  ! कुछ लोगों  के लिए सवाल यह है कि 21 दिनों तक घर में करें तो करें क्या? देश में बहुत से लोगों की यही समस्या है कि आखिर 21 दिनों तक घरों में रहकर करेंगे क्या? समय कैसे कटेगा? किन्तु अगर सोंच सकारात्मक हो और कुछ करने का हौंसला हो तो इस इक्

खाने में मिलावट होने पर क्या करें? | Food Safety and Standards Authority of India 2020

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आज कल बाजार में बहुत सी मिलावट वाली चीजें आ रही हैं। जैसे खोया, दूध (सिंथेटिक) नमकीन, बिस्कुट आदि। कोई भी खाने-पीने की चीज लीजिये कुछ ना कुछ ऐसा पदार्थ मिला हुआ होता है जिसे खाने से आपकी सेहत बिगड़ सकती है। आप सरसों का तेल खरीदें, कोल्ड ड्रिंक या कोई पैक्ड प्रोडक्ट सभी में मिलावट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। बिस्किट हो या नमकीन या फिर कोई अन्य खाने-पीने की चीज़। मिलावट खोर मुनाफे के लिए किसी हद तक जा सकते है आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। दाल में कंकर मिलाना, आटे में भूसी मिलाना, हल्दी में रंग, जीरा में भूसी जैसी तो आम बाते हैं। मिलावटखोर तो इससे भी आगे निकल चुके हैं। फ़ास्ट फ़ूड और स्ट्रीट फ़ूड के नाम पर ये जाने क्या-क्या बेच लेते हैं। सभी में ऐसी चीजें मिला दी जाती है जिसे खाने से हमारी सेहत बिगड़ सकती है और इन्हे मोटा मुनाफा होता है। अब ऐसे में आप क्या करे अगर आप अपना पैसा खर्च कर कोई प्रोडक्ट खरीदें और वह मिलावटी निकले। सावधानी- खरीदते वक्त जांच परख कर ही खाने-पीने वाली चीजें खरीदें।  खरीदते वक्त क़्वालिटी पर ध्यान अवश्य दें।  खाद्य पदार्थ खरीदते के बाद दुकानदार से प

JUDICIAL GURU

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We are: JUDICIAL GURU begins its journey in 2014 with the mission of making legal education more accurate, transparent and accessible to common man. It is our team belief that more information about judiciary will make it more transparent and accountable, thereby strengthening its role in a constitutional democracy. JUDICIAL GURU is a comprehensive legal information channel which is committed to providing accurate and honest news, Act, amendments, about legal developments. We are guided by the values enshrined in the Preamble of the Constitution of India. We want to create more legal awareness in society by acting as a trustworthy source of accurate legal education. We also intend to act as a tool to aid legal reforms by offering a space for constructive criticism of the judiciary. Legal Statement: The contents of this channel are meant to inform the reader about the general legal procedures and laws of Country. They are not intended to be, nor is, a form of pub

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