सत्यमेव जयते!

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लॉकडाउन में ज़िन्दगी | Lockdown की नज़र बंदी में हुआ जीना मुहाल!

दिनांक 24 मार्च 2020 को रात 8 बजे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के नाम संबोधन किया। इस संबोधन में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने की घोषणा की। प्रधानमत्री जी ने घोषणा की है कि 25 मार्च 2020 रात 12 बजे से संपूर्ण भारत में  पूर्ण रूप से लॉकडाउन होना है। लॉकडाउन जिसे इमरजेंसी या कर्फ्यू के नाम से भी हम जानते हैं आज ही रात 12 बजे से लागू हो जाएगा। यह लॉक डाउन  21 दिनों का होगा।  इसके तहत किसी भी व्यक्ति को 21 दिनों तक अपने घर से निकलने की अनुमति नहीं होगी। किसी भी स्थान पर सार्वजनिक भीड़ लगाना या इक्कठा होना दंडनीय अपराध होगा। अत्यंत आवश्यक या जीवन रक्षा से जुड़ी कोई समस्या होने पर अस्पताल जाने की अनुमति होगी। पुलिस नर्स डॉक्टर सफाईकर्मी के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति को घर से बाहर निकलने  की अनुमति नहीं होगी।  !

  • कुछ लोगों  के लिए सवाल यह है कि 21 दिनों तक घर में करें तो करें क्या?
  • देश में बहुत से लोगों की यही समस्या है कि आखिर 21 दिनों तक घरों में रहकर करेंगे क्या?
  • समय कैसे कटेगा?

किन्तु अगर सोंच सकारात्मक हो और कुछ करने का हौंसला हो तो इस इक्कीस दिनों में कमाल कर सकते हैं। यह इक्कीस दिन आपके जीवन में फिर नहीं मिलने वाले और अगर यूँ ही बीत गए तो वापस नहीं आने वाले हैं।
इस इक्कीस दिनों में हमारा जीवन एक अहम् मोड़ लेने जा रहा है।
इस इक्कीस दिन तक न तो आपको कहीं समय पर पहुंचने की जल्दी होगी न ही आपके पास बॉस, प्रोफेसर, अधिकारी, या किसी और के टास्क या टारगेट को समय पर पूरा करने का प्रेशर। यह इक्कीस दिन सिर्फ आपके है आपके अपने लिए आप के अपनों के लिए। तो चलिए जानते की क्या-क्या कर सकते है आप इन इक्कीस दिनों में

1 ) शक्ति

आज से नवरात्र का पर्व प्रारंभ हो रहा है। ऐसे में शक्ति उपासकों के लिए उपासना का अनुकूल समय रहेगा। चूँकि इन इक्कीस दिनों तक आपको न तो ऑफिस जाने की जल्दी होगी न ही बस, टैम्पो या ट्रेन पकड़ने की होड़। आप पूर्ण विधि विधान से शक्तिरुपेण माँ दुर्गा की उपासना कर सकेंगे।
यह समय शक्ति उपासना के साथ-साथ अपनी आंतरिक ऊर्जा को जाग्रत करने का भी है। आत्मज्ञान, आत्ममंथन के माध्यम से अपने भीतर छुपी ऊर्जा को जाग्रत कर सकते हैं।

  •  एकाग्र मन के साथ मेडिटेशन करें और अपने अंदर मौजूद ऊर्जा को संचय करने का प्रयास करें जो आप अब तक रोज की भाग दौड़ के कारण नहीं कर पा रहे थे।
  • यह अहसास करें कि आपके अंदर एक असीमित ऊर्जा का केंद्र है जो इस बुरे वक्त में आपको और आपके परिवार को सुरक्षित रखने का साहस प्रदान करती है।

उस शक्ति को पहचाने और शक्ति का उपयोग अपना व अपने परिवार की सुरक्षा के लिए करें।

2) उपासना 

अब वक्त आ गया है यह बात समझने का  कि हमारे पास जो भौतिक चीजें हैं वह क्षणिक हैं। जो कुछ हमारे पास है धन, सम्पदा, भौतिक सुख के साधन सब ईश्वर ने ही हमें दिया है। हम सभी इस धरा पर मौजूद समस्त साधन और संसाधन के उपभोक्ता मात्र हैं।
तो यही समय है घमंड त्यागने का कि हम अकूत सम्पति के मालिक हैं। इस भ्रम से उबारिये।
जरा सोचिये की एक महामारी ने सम्पूर्ण मानव जाति को कैसे बैकफुट पर ला दिया।
यह प्रकृति के साथ किये गए खिलवाड़ का ही परिणाम है। प्रकृति के साथ किये गए खिलवाड़ सज़ा खुद प्रकृति ने ही दे दी।

अब यही समय है उपासना का उस सर्वोच्च ताकत की जिसने हमें जीवन दिया है।
ईश्वर के समक्ष नतमस्तक होकर इस बात को समझ लें कि ईश्वर ने जो कुछ हमें दिया वह छीन भी सकता है।


3) संयम

इस भाग दौड़ भरी भरी जिंदगी में हम सभी ने जो एक चीज खोई है वह है संयम। 
आज हमें हर चीज़ एक क्लिक पर चाहिए और तुरंत चाहिए। यही वजह है की इस कोरोना जैसी भयानक महामारी को ख़त्म करने के लिए इक्कीस दिनों का लॉकडाउन सुनते ही कुछ लोग मुँह बनाने लगे। ध्यान रखिये किसी भी बीमारी का इलाज़ होने से लेकर उसके सही होने तक में समय लगता है। आप संयम और धैर्य के साथ यह इक्कीस दिन अपने घर पर बिताएं। साथ ही आप निम्न बातों में भी संयम रखकर कुछ नया करें।
  • नशा - यदि आप पान-मसाला, शराब, खैनी, भांग इत्यादि का नशा करते हैं और इसे अब छोड़ना चाहते हैं तो यह इक्कीस दिनों का वक्त न चाहते हुए भी आपके लिए एक अच्छा संकेत लेकर आया है कि आप इस आदत से मुक्ति पा सकें। मनोविज्ञान के अनुसार यदि किसी व्यवहार को हम लगातार इक्कीस दिनों तक अपनाते हैं तो वह हमारी आदत बन जाता है।तो जब इक्कीस दिनों तक आप को पान मसाला नहीं मिलेगा तो आप यह आदत नहीं आसानी से छोड़ पाएंगे।  
  • सामंजस्य - बहुत से परिवारों में ऐसा होता है कि परिवार के कुछ सदस्य खास कर भाई-बहन, भाई-भाई, बहन-बहन, पति-पत्नी  या अन्य कोई  रिश्तेदार जब साथ होते है तो कभी न कभी आपस में झगड़ जाते हैं। तो इन इक्कीस दिनों में आप उन रिश्तों  में मिठास घोलने के लिए परिवार के साथ सामंजस्य बनायें और एक साथ ख़ुशी ख़ुशी रहने का हुनर सींखे। 
  • फ़ास्ट-फ़ूड - रिसर्च के अनुसार फ़ास्ट फ़ूड हम सभी की सेहत पर बुरा असर डालता है। रोज़ कुछ न कुछ बाहर का खाने की आदत को इस बहाने ही सही छोड़ने की शुरुआत करें। 
  • सावधानी -  इस वक्त आप को घर में रह कर सावधानी भी बरतनी है कि भाग दौड़ कर  या जल्द बाजी में काम करने से चोट न लगे। चूँकि इस वक्त यदि आपको अगर अस्पताल की जरूरत पड़ी तो आसानी से इलाज़ मिलना संभव नहीं हो पायेगा साथ ही अस्पतालों में कोरोना का डर अलग सताएगा।  

 4 ) भोजन

सामान्य दिनों में बहुत से लोंगो की थाली में खाना छोड़ने की आदत रही है और फिर वह खाना कूड़े में फेंक दिया जाता है। मगर अब यह इक्कीस दिनों का समय हमारे लिए महत्वपूर्ण होने वाला है कि हम अपने भोजन की कद्र करना सींखे। अब आप में से बहुत से लोग सोंचेंगे की आप ने तो अपने और अपने परिवार के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था  ली है तो जरा सोंचिये की यदि यह लॉकडाउन इक्कीस दिनों के बाद भी जारी रहा और आपके आस पास इस कारण से जरूरी सामान की आपूर्ति न हो पाई तब क्या करेंगे? हालाँकि सरकार ने इसकी पर्याप्त व्यवस्था कर रखी है कि आम जनता को किसी चीज़ की कमी न होने पाए। फिर भी हमें अपने स्तर से सावधानी बरतनी ही होगी।
और यदि आप को लगता है कि आप के पास अधिक है तो
हमारे आस-पास सैकड़ो ऐसे गरीब, लाचार, मजदूर, अनाथ  मौजूद है जिन्हे सामान्य दिनों में एक वक्त खाना नसीब सही होता है आप इन इक्कीस दिनों तक उनकी मदद कर सकते हैं।
अन्न के एक-एक दाने की कद्र एक भूखा ही समझ सकता है। आप थाली में मौजूद अन्न का एक-एक दाना आपके जीवन लिए महत्वपूर्ण है।

क्या करें -
  • केक को मुँह पर पोतने की प्रथा को छोड़े। 
  • रात का खाना फेंकने की आदत को छोड़े। 
  • थाली में जूठन छोड़ने की आदत को छोड़े।
  • यदि आप सक्षम है तो किसी गरीब को कुछ वक्त का राशन देने का पुण्य भी करें। 
  • ओवरडाइट से बचें। 
याद रखें अन्न का एक-एक दाना पूजनीय है।

5 )पानी

हम सभी ने जाने-अनजाने में ही सही प्रकृति के साथ बहुत खिलवाड़ कर लिया।
अब वक्त है इस प्रकृतिक के जरूरतों को समझने की। जब एक साथ हम सभी पूरे परिवार के साथ अपने-अपने घरों में रहेंगे तो पानी का सदुपयोग के साथ दुरुपोग भी करेंगे।
हम सभी ने एक भयानक उदाहरण देख भी लिए और समझ भी लिया कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने का क्या नतीजा हो सकता है। प्राकृतिक ने हम सभी को ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है जहाँ सम्पूर्ण मानव जाति पूरी तरह से असहाय हो गई है। ऐसे में पानी का दुरुपयोग करना हम पर और भारी पड़ सकता है। इस इक्कीस  दिनों के लिए आप यह भी कर सकते हैं कि पानी का सदुपयोग सीखें। आपके पास जो भी संचित पानी है उसका सही उपयोग करें। पानी बेवजह न बहायें क्योंकि जहां कहीं से भी सप्लाई होता है तो हो सकता है कि आने वाले दिनों में सप्लाई करने के लिए जो कर्मचारी लगे हैं वह भी वहाँ न पहुंच सके।
इसलिए पानी का सही उपयोग और सही तरह से उपयोग करना सीखे साथ ही साथ अपने परिवार और पड़ोसियों को भी सिखाए।
यदि भूगर्भजल समाप्त हो गया तो हम सभी को एक दिन भी काटना असंभव होगा।
अब SAVE WATER के जुमले को अमल में लाने का वक्त है। सिर्फ SAVE WATER कहने से कार्य नहीं पूरा होगा। अब हम सभी को  WATER SAVE करने की आदत भी इन इक्कीस दिनों में सीखनी होगी।

क्या करें
  • कार या बाइक को बार-बार न धुलें। 
  • घर के चबूतरे की धुलाई, पूरे घर की धुलाई बेवजह न करें।
  • शॉवर से नहाने कि बाजए बाल्टी-मग का उपयोग करें। 
  • बेवज़ह सड़क की धुलाई न करें।  

6 ) संचय 

आप 21 दिनों तक संचय करने की आदत भी डालें।
संचय का अर्थ यह नहीं है कि आप आवश्यक वस्तुओं जमाखोरी करें बल्कि संचय का अर्थ यह है की आप सीमित संसाधनों के साथ 21 दिनों तक उपयोग में लाई जाने वाली चीजों को मैनेज करें। यह सीखें कि किस तरह से वह चीज 21 दिनों किस तरह से पैसा, राशन या अन्य वस्तुयें पूरा परिवार मिलकर उपयोग कर सके। अगर आप या आपके माता-पिता प्राइवेट नौकरी करते हैं तो ऐसे मुश्किल वक्त में उनके लिए रोजगार का संकट भी पैदा हो सकता है। तो संचय करने की बात आप को बेहतर समझ में आ सकती है।
हमें सीखना होगा कि घर में मौजूद राशन या अन्य वस्तुएँ पूरे परिवार को २१ दिनों तक उपयोग करना है यदि व समय पूर्व खत्म हुआ तो उतनी आसानी से नहीं मिल सकेगा जितनी आसानी से अभी तक मिल जाता था।
अतः संचय की आदत खुद भी सीखें और घर के सदस्यों को भी सिखाएं।

क्या करें
  •  बेवजह पार्टी करने से बचें
  • थाली में खाना उतना ही जितना खा सकें ताकि बचा हुआ खाना फेकना न पड़े चूँकि राशन के लिए पैसों की जरूरत तो होगी ही। 
  • बिजली का उपयोग सीमित करें। 
  • टीवी, फ्रीज़, पंखा, वाशिंग मशीन आदि का उपयोग सावधानी से करें।
  • किसी घरेलू वस्तुओं पर गुस्सा न दिखायें। 
7 ) स्वार्थ
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अधिक कमाने व अमीर बनने की होड़ में हम सभी कुछ रिश्तों को पीछे छोड़ दिया था।  मतलबी स्वाभाव के कारण जिससे काम पड़ सकता है बस उन्ही लोगो से बात करने की आदत बना चुके थे। अब स्वार्थ से ऊपर उठकर सोचने का भी समय है। रिश्तेदारों और पड़ोसियों से खराब हो चुके रिश्तों को फिर से ख़ुशनुमा बनाने की जरूरत है। सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए फोन कॉल या वीडियो कॉल की मदद से अपने रिश्तों को एक नया आयाम दीजिये।
विनम्र स्वभाव के साथ पहल करें जो साथ थे उन्हें फिर से साथ लायें और बोलचाल शुरू करें।

8 ) व्यवहार

आधुनिकता की दौड़ में हम सभी ने कहीं न कहीं अपने व्यवहार को भी विकृत कर लिया है। भाषा में उट-पटांग शब्दों का प्रयोग ,चिड़चिड़ापन, खीझ व चिल्ला कर जवाब देना, एटीट्यूड में रहना कहीं न कहीं हमारे स्वाभाव में शामिल होता गया।
जिसे अब दूर करने जरूरत है। इन दिनों आप अपने व्यवहार व वाणी को मधुर बनाने का प्रयास करें।
आपका परिवार आपके भाई-बहन, माता-पिता, पत्नी या पति या और बच्चे आपके आसपास जो भी रिश्ता मौजूद है उन्हें आपकी मधुर वाणी सुनने की आदत है उसे बनाये रखें। आत्ममंथन करें की आपके किस बर्ताव से किसे ठेस लगती थी। आप इन व्यवहार को समझिए आप अपने व्यवहार में एक बदलाव लाइए।

क्या करें
  • बच्चों को बेवजह डांटे नहीं 
  • बात-बात बच्चों पर हाथ न उठाएं चूँकि इन दिनों वो भी बाहर की दुनिया से दूर अपने परिवार की दुनिया में हैं। उन्हें  भी प्यार और सम्मान की जरूरत है।
  • परिवार के किसी सदस्य को चिल्ला कर जवाब नहीं दें।  
  • वाणी को मधुर रखें। 
  • घर में हंसी का माहौल बनायें रखें। 
  • सभी सदस्यों  की भावनाओं रखें।
  • थोड़ा फोन से दूरी बना कर परिवार को समय दे। 
  • बॉयफ्रेंड, गर्लफ्रेंड, क्लासमेट, साथी कर्मचारी से ही फोन पर न लगे रहें परिवार की अहमियत को भी समझे।  
अब तक आप रोज सुबह उठते ही भागदौड़ भरी जिंदगी में निकलने के लिए कई बार इन लोगों से उस तरह से व्यवहार नहीं कर पाते जैसा उन्हें उम्मीद होती थी। अब जब आपको मौका मिला ही है तो ऐसा व्यवहार करें जिससे उनके दिल में अपनी जगह फिर से बना पाए।

स्वास्थ

कोई बॉस आर्डर देगा ना हमसे कोई टारगेट पूरा करने की बात करेगा।
हमारे पास यह इक्कीस दिनों का समय सिर्फ और सिर्फ स्वयं के लिए है।
कोरोना से संक्रमण रोकने के लिए अगर देश का प्रधानमंत्री नागरिकों के स्वास्थ्य की चिंता कर सकता है तो हम स्वयं क्यों नहीं।
अब तक की भाग दौड़ से आपका शरीर थकान में रहा कई प्रकार से आप उलझनों के शिकार रहे। भाग दौड़ में कई बार शरीर को पूर्ण-आराम नहीं मिला था।
अगर आपको वाकई अपने स्वास्थ्य की चिंता है तो तीन हफ्तों तक आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।

इन दिनों योगा करके अपने स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त करें । आपको कुछ छोटी-मोटी समस्याएं थी आप उनको योगा करके दूर कर सकते हैं। घर में व्यायाम कर सकते हैं। अच्छे खान-पान के साथ अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।

क्या करें
  • योगा, जिमनास्ट, प्राणायाम आदि करें 
  • मेडिटेशन करें 
  • पौष्टिक आहार लें 
  • ज्यादा तेल मसाला युक्त भोजन करने से बचें। 
9 ) सेवा 

नौकरी और भागदौड़ भरी जिंदगी की वजह से। रोज सुबह ऑफिस, कॉलेज, दुकान, पहुंचने  के चक्कर में हम न तो अपने बड़े-बुजुर्गों को समय नहीं दे सके न ही बच्चों को। अब एक अच्छा समय है 21 दिनों तक अपने बड़े-बुजुर्गों की अपने उन प्रिय जनों की सेवा करने का जिन्हें आपके साथ की आवश्यकता है। ऐसे समय में आप अपने माता-पिता की सेवा कर सकते हैं।

क्या करें
  • घर साफ-सफाई में साथ दे सकते हैं। 
  • कपड़े धुलने में साथ दे सकते हैं। 
  • माता-पिता की सेवा करें। 
  • घर की ग्रहणी का भी हाथ बटाएं। 
  • किचन के कामों में साथ दे सकते हैं। 
  • घर के छोटे-मोटे कामों में साथ दे सकते हैं।

घर के कार्यों को अगर आप साथ मिलकर करेंगे तो घर के सदस्यों के साथ आपका जुड़ाव तो होगा ही और परिवार के साथ आपका अलग बंधन बनेगा। यह हमारे लिए एक अच्छा अनुभव होगा।

10) परिवार


जिस परिवार के लिए आप कमाई करते हैं। जिस परिवार के लिए आप दिन-रात बाहर रहते हैं। गली, देश ,मुहल्ला, सारी दुनिया घूम कर उसके लिए कमा कर लाते हैं।
अब मौका है इक्कीस दिनों तक उस परिवार के साथ रहने का।
उस परिवार को समय जिसे आपके सुरक्षित घर लौटने की चिंता हमेशा रहती हैं।

क्या करें
  • छोटे-छोटे झगड़ों में न उलझें। 
  • बात-बात पर तुनके नहीं। 
  • हर बात का विरोध न करें। 
  • सबका मान रखें। 
  • मुस्कुरा कर जवाब दें। 
11 ) सुरक्षा

घर पर रहकर आप अपनी सुरक्षा तो करेंगे ही लेकिन साथ ही साथ पूरे परिवार की सुरक्षा भी करें। अगर आप घर बड़े हैं तो यह जिम्मेदारी दुगनी हो जाती है.

क्या करें।
  • बच्चो को चोट लगने से बचाएं। 
  • बीमार होने वाले कारणों से दूर रहे। 
  • बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई न खाएं। 
अफवाह 

देश ही नहीं कोरोना पूरी दुनिया में आतंक मचाए हुए हैं। ऐसे में सही खबरों के साथ कुछ फर्जी खबरें भी प्रचारित होती हैं। लेकिन कुछ लोग बिना जाने-समझे बिना किसी खबर की पड़ताल किये उन खबरों को शेयर देते हैं। आजकल बड़ा आसान भी हो गया फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सअप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर करना। फ़र्ज़ी खबर शेयर करने से आतंक, दंगा, डर, फैलने के आसार तो होते ही हैं साथ ही आप की इमेज भी प्रभावित होती है।
ऐसे वक्त में इस बात को समझने की आवश्यकता है कि आप के द्वारा फैलाये गए एक अफवाह से कई मुसीबतें आ सकती हैं। कोई भी मैसेज आये तो पहले उसकी जांच पड़ताल करें और जब आप आश्वस्त हों  कि खबर सच है और आधिकारिक है तभी आप उसे दूसरों को बतायें। अगर ऐसा नहीं है तो उसके खिलाफ शिकायत करें या फिर आप उसे वहीं समाप्त कर दें।

क्या करें
  • अफवाहों का हिस्सा न बने
  • लोगों को जागरूक करें और खुद भी जागरूकता का हिस्सा बने
  • किसी फ़र्ज़ी खबर को किसी को शेयर न करें 
  • किसी लालच में आकर खबर को न फैलाएं 
जागरूकता

कोरोनावायरस को फैले हुए आज कई महीने हो चुके हैं। इस महामारी से पूरे विश्व में कोहराम मचा हुआ है। आज 190 से अधिक देश इसके चपेट में हैं। पूरे विश्व में सभी सरकारें इसके रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठा रही हैं। लोगों को जागरूक कर रही हैं। ऑनलाइन कैंपेन चलाया जा रहे हैं।  न्यूज़, सोशल मीडिया, मैसेज के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
लेकिन इसके बावजूद एक बड़ी संख्या में लोग अभी भी हैं जिनके पास जागरूकता का अभाव है। वे लॉकडाउन के बावजूद घरों से बाहर निकलने की जुगत लगा रहें है।
तो हम अपने घरों में रहकर अलग रहकर एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं।
लोगों को मैसेज दें कि


क्या करें
  • कोरोना वायरस कैसे फैलता है
  • इसकी रोकथाम कैसे की जा सकती है
  • लोगों को सही जानकारी शेयर करें जिससे कि वे अपने स्वास्थ्य को बचा सकें
  • किस तरह से इस बीमारी को फैलने से अधिक से अधिक रोक सकते हैं
  • मैसेज दें की कैसे अपने घरों में रहकर कोरोना को मात दे सकते हैं। 
12 ) तर्क 

इस बात पर मन में तर्क भी करें अगर सरकार ने यह फैसला लिया है तो आखिर क्यों?
  • आखिरकार यह बीमारी क्यों भयवाहक होती जा रही है?
  • इसको रोकने का और क्या तरीका हो सकता है ?
  • घर में रहना किस प्रकार से सुरक्षित हैं?
  • आपका जीवन किस प्रकार से देश के लिए आवश्यक है?
  • आपका परिवार किस प्रकार से देश के लिए आवश्यक है?
इन तर्कों का सार यदि आप समझेंगे तो आप इसके पीछे छुपे हुए एक अद्वितीय फैसले का कारण समझ आएगा और आप सरकार प्रशासन के फैसलों का विरोध नहीं करेंगे।

13 ) विचार 

विचार हमें कुछ नया करने की शक्ति देता है। इसलिए आप प्रश्नों पर तर्क कीजिए।
  • पॉजिटिव सोचिए कि किस प्रकार से आप इस जागरूकता का हिस्सा बन सकते हैं। 
  • देश की इस मुश्किल घड़ी से उबारने के लिए आप किस प्रकार से देश का सहयोग कर सकते हैं। 
  • किस प्रकार से इस को रोका जा सकता है  इस पर विचार करें। 
  • यदि आप के पास कोई बेहतर उपाय है तो प्रशासन को सुझाव दें। 
  • यदि आप डॉक्टर, पुलिस, व्यापारी, शिक्षक आदि है तो देश सेवा में अपना योगदान दें।
14 ) ज्ञान

आज कल हम सभी का अधिकतर समय मोबाइल, टीवी, रेडियो या लैपटॉप पर बीतता है।
लेकिन अब समय मिला है हमें तो  इस 21 दिनों  हम इन सब से थोड़ा ध्यान हटाकर पुस्तकों पर भी ध्यान लगाएं।


अपनी रूचि के अनुसार किताबें पढ़ें ऐसी किताबें जिनसे हमारा ज्ञानवर्धक हो। अपनी इंटरेस्ट की किताबें पढ़ने से हमारा ज्ञान कई गुना बढ़ सकेगा। एक अच्छा समय है कि हमें ना तो बाहर निकलने की जरूरत है न ही थककर घर वापस लौटने की परेशानी। ऐसे में हम घर पर रहकर अपने ज्ञान को बढ़ा सकते हैं।

क्या करें
  • अपने रूचि के अनुसार किताबें पढ़ें। 
  • कुछ नया ज्ञान हासिल करें। 
  • किसी कला को सीखें जैसे कंप्यूटर, गिटार,  हारमोनियम, कारपेंटर, इलेक्ट्रॉनिक, आदि  में अपना हुनर बढ़ा सकते हैं।
  • कविता या कहानी लिखने की कला को विकसित कर सकते हैं। 
  • संगीत की  कला को विकसित करें। 

15 ) प्रसन्नता
कोई भी विपत्ति अनन्त समय के लिए नहीं होती है। मुश्किल जरूर है पर नामुमकिन किन्तु बिलकुल नहीं। यदि हम और आप इस 21 दिनों का समुचित उपयोग कर सके तो
यह निश्चित है की जल्द ही हम सभी लोग इस कोरोना वायरस जैसी घातक व जानलेवा महामारी को हरा ही देंगे। जल्द ही यह पूरी तरह हमारे भारत से समाप्त हो जाएगा।
लेकिन इसके साथ हमें जो एक चीज हासिल होगी वह है प्रसन्नता
यह 21 दिन अपने परिवार के साथ बिता पाएंगे। इन 21 दिनों तक हम वह चीजें कर पाएंगे जो शायद हमने अब तक केवल करने के लिए सोंच रखा था लेकिन करने का समय नहीं मिल पा रहा था। जिंदगी की भाग दौड़ में हमारे सबके चेहरों से हंसी कहीं गायब सी हो गई थी। अब हमारे पास समय है कि हम अपनी वह हंसी अपने परिवार के साथ, अपने बच्चों के साथ, और माँ-पिता के साथ समय बिता कर वापस ला सकें।

16 ) अनुपालन -

यदि आप घर के बड़े हैं तो आप छोटो को लॉकडाउन का पालन करना सिखाएं और यदि आप घर में छोटे हैं तो बड़ो की बात मानना सीखें। इसके साथ खुद भी सरकार के निर्देशों का अनुपालन करें।

देश के माननीय प्रधानमंत्री जी  ने हम सभी को 21 दिनों तक घरों में रहने का निवेदन किया है। हमारे और आपके जीवन को सुरक्षित रखने के लिए कर्फ्यू का ऐलान किया है।
तो हमारा भी कर्तव्य बनता है कि देशहित में हम अपना योगदान दें।
देश के करोड़ों लोगों के जीवन को सुरक्षित रखने को देश के कदम के साथ कदम मिलाकर चलें। देश तभी मजबूत और अखंड बनेगा जब हम और आप मिलकर इस मुहीम का साथ अपने-अपने घर से देंगे। एक साथ मिलकर एक जैसा सोचेंगे एक जैसा विचार रखेंगे तभी यह सफल होगा।

Comments

Unknown said…
Bahoot khoob 👌👌

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