सत्यमेव जयते!
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कानून से जुड़ी ख़बर!
- क्या संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी सम्पति को मालिक की बिना जानकारी के बेच सकता है?
- बिना विवाह किये भी साथ रह सकते हैं। जानिए क्या है इस संबंध में कानून। क्या होते हैं एक कपल के अधिकार।
- महिला सम्मान की पैरवी करने वाले देश में मैरिटल रेप अपराध नहीं!
- तो अब किससे पास कितनी ज़मीन है पता चल सकेगा यूनीक लैंड कोड से, जानिए कैसे?
- जमानत क्या है और किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं?
- पोर्न देखकर किशोर ने किया 3 साल की बच्ची से रेप!
- शादी के बाद शादी का प्रमाण पत्र कैसे बनेगा? यहाँ पूरी जानकारी दी गई है!
- वसीयत करने से पहले संपत्ति धारक की मृत्यु हो जाने पर संपत्ति पर किसका अधिकार होगा है?
- हिन्दू धर्म में न दूसरी शादी की जा सकती है ना पहली से तलाक़ होगा
- क्या एक विवाहित बेटी अपने पिता की संपत्ति में हिस्से का दावा कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैतृक संपत्ति में बेटियों का होगा इतना अधिकार?
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- जानिए, अगर पति तलाक चाहता है और पत्नी नहीं चाहती तो क्या करें? क्या तलाक के बाद पति पत्नी साथ रह सकते हैं? पत्नी मायके से नहीं आए तो क्या करें?
- जानिए, कोर्ट मैरिज की फीस कितनी है? कोर्ट मैरिज में के लिए आवेदन कहाँ करना होता है? कोर्ट मैरिज में कितने दिन लगते हैं?
- क्या आपके मन में भी हैं ये सवाल कि गाड़ी कौन सी खरीदें? पुरानी गाड़ी खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? कार खरीदना है तो कैसे खरीदें?
जानिए, कोर्ट मैरिज की फीस कितनी है? कोर्ट मैरिज में के लिए आवेदन कहाँ करना होता है? कोर्ट मैरिज में कितने दिन लगते हैं?
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विशेष विवाह अधिनियम के तहत कोर्ट मैरिज करने के इच्छुक लड़के लड़कियों के लिए आज की यह क़ानूनी जानकारी काम आ सकती है।
कोर्ट मैरिज करने के लिए क्या-क्या ज़रुरी कागज़ात लगते हैं और कितने दिन में कोर्ट मैरिज की जा सकती है?
कोर्ट मैरिज करने जा रहे कपल के मन में ढेरों ऐसे सवाल होते है कि-
- कोर्ट मैरिज के लिए क्या प्रक्रिया होती है?
- वर्ष 2023 में कोर्ट मैरिज कैसे होगी?
- कोर्ट मैरिज में कितने दिन लगते हैं?
- कोर्ट मैरिज के लिए कितने गवाह होने चाहिए?
- कोर्ट मैरिज में के लिए आवेदन कहाँ करना होता है?
- कोर्ट मैरिज के लिए किस वकील से बात करें?
कपल के मन में उठ रहे ऐसे ढेरों सवालों के जवाब जानने के लिए आज अधिवक्ता आशुतोष कुमार के इस लेख को विस्तार से पढ़िए और जानिए अपने सभी सवालों के जवाब-
कोर्ट मैरिज करने जा रहे कपल को कोर्ट मैरिज करने से पहले कुछ ज़रूरी जानकारी इक्कठा कर लेनी चाहिए।
कोर्ट मैरिज आवेदन कैसे करना है? किसके दफ्तर में करना है? कौन मदद करेगा आदि?
कोर्ट मैरिज करने जा रहे कपल को कोर्ट के समक्ष जाने से पहले कुछ दस्तावेज़ तैयार रखने चाहिए। यदि कोई लड़का और लड़की आपस में रजामंदी के साथ कोर्ट में जाकर विवाह करना चाहते हैं तो क़ानून ने इसके लिए भी कुछ आधार तय किए हैं। यह है कि आपके माता-पिता का की सहमति है अथवा नहीं। लड़का लड़की दोनों बालिग है कि नहीं? दोनों कोई सगे संबधी तो नहीं? इत्यादि
इस नियम के तहत-
- लड़का और लड़की की उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक होनी चाहिए।
- लड़का लड़की में कोई पागल, सनकी या किसी लाइलाज़ बीमारी से ग्रसित नहीं होना चाहिए
- दोनों के बीच कोई खून का रिश्ता नहीं होना चाहिए
- माता-पिता का की सहमति है हो या विकल्प हो
- दोनों में कोई पहले से विवाहित न हो यदि हो तो तलाक़शुदा होना चाहिए
अब सवाल यह है की कोर्ट में शादी होगी कैसे? तो प्रत्येक प्रदेश में इसका अलग विकल्प हो सकता है
- एक एप्लीकेशन फॉर्म जिसे लड़का और लड़की दोनों ने साइन किया हो
- दोनों के बर्थ सर्टिफिकेट्स
- दोनों के रेजिडेंशियल प्रूफ
- दोनों की दो पासपोर्ट साइज फोटो
- रजिस्टरार ऑफिस में एप्लीकेशन भरते वक्त दी गई फीस की स्लिप
- दोनों के पैन कार्ड
- दोनों के आधार कार्ड
- कोर्ट मैरिज करने से पूर्व आपके पास संबंधित यह दस्तावेज होना आवश्यक है।
- जब कोर्ट में मैरिज लिए फाइल करते हैं तो आपको एक शपथ पत्र देना होता है।
- इस शपथ पत्र आप यह कथन देना होगा कि आप अपनी सहमति से इस विवाह को कर रहे हैं।
- आपके ऊपर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं बनाया गया।
- आपको यह सहमती देनी होती है की आज स्वेच्छा से विवाह कर रहें हैं।
एक दिन में कोर्ट मैरिज कैसे करें 2023?
अगर आप केवल एक दिन में शादी करना चाहते हैं, तो भारत के पर्सनल लॉ आपकी मदद कर सकते है। आप पहले आर्य समाज में शादी करके, फिर उसी शादी का कोर्ट से हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत रजिस्ट्रेशन करा सकते है। यह एक्ट हिन्दू, बौद्ध, सिख या जैन लोगों पर ही लागू होता है।
यदि आप पहले से विवाहित हैं तो कैसे होगा कोर्ट मैरिज?
यदि आप पहले से विवाहित हैं तो पहली पत्नी या पति से तलाक़ लेने के बाद ही कोर्ट में विवाह कर सकते हैं। अन्यथा पहली पत्नी या पति की मृत्यु हो गई हो तभी पुनः विवाह कर सकते हैं-
कोर्ट में विवाह के लिए क्या-क्या सबूत पेश करने होते हैं?
कोर्ट में विवाह के लिए पेश किये गये सबूत में निम्न बातों का प्रमाण देना होता है?
- उम्र से सम्बंधित प्रमाण
- जाति से सम्बंधित प्रमाण
- पूर्व में कोई विवाह किया है अथवा नहीं इसका शपथ पत्र
- निवास प्रमाण पत्र
अलग-अलग जाति के लड़का-लड़की विवाह कैसे कर सकते हैं?
विवाह करने के लिए अलग-अलग जाति का होना कोई बाध्यता नहीं है। अलग-अलग जाति के होने के बावजूद क़ानूनन विवाह कर सकते हैं किन्तु विवाह के समय लड़का व लड़की की उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक होनी चाहिए अर्थात कानूनन जो उम्र विवाह के लिए तय की गई है लड़का और लड़की उम्र उतनी होनी चाहिए।
यदि माता-पिता की रजामंदी नहीं है तो क्या होगा?
यदि विवाह के लिए माता-पिता की रजामंदी नहीं है तो पुलिस रिपोर्ट में यह बात दर्ज़ की जाएगी जिसके चलते कोर्ट फैसला करेगा की कि मैरिज की अनुमति दी जाये अथवा नहीं
कोर्ट मैरिज के लिए ज़रूरी दस्तावेज़
लड़के की तरफ से
- High School की मार्कशीट
- आधार कार्ड की फोटोकॉपी
- निवास प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट साइज 4 फोटो
- पैन कार्ड की फ़ोटोकॉपी या ड्राइविंग लाइसेंस की फ़ोटोकॉपी
- फ़ोन नंबर
- ई मेल आईडी
लड़की की तरफ से
- High School की मार्कशीट
- आधार कार्ड की फोटोकॉपी
- निवास प्रमाण पत्र की फोटोकॉपी
- पासपोर्ट साइज 5 फोटो
- पैन कार्ड की फ़ोटोकॉपी या ड्राइविंग लाइसेंस की फ़ोटोकॉपी
- फ़ोन नंबर
- ई मेल आईडी
कोर्ट मैरिज के लिए कितने गवाह चाहिए?
कोर्ट मैरिज के लिए कुल तीन गवाह होने चाहिए जिसमें एक लड़के की तरफ से तथा दूसरा लड़की की तरफ से हो सकता है तथा एक अन्य तीनो गवाह को शादी के लिए आवेदन करते समय तथा विवाह के समय होना अनिवार्य होता है।
कोर्ट मैरिज के लिए एक गवाह वर अर्थात लड़के की तरफ से होना चाहिए। जो गवाह वर यानि लड़के की तरफ से होगा उसके लिए कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ नीचे दिए गये हैं-
- आधार कार्ड
- ड्राइविंग लाइसेंस
- वोटर कार्ड
- दो फोटो पासपोर्ट साइज
- फोन नंबर
इसी तरह एक गवाह वधु अर्थात लड़की की तरफ से होना चाहिए। जो गवाह वधु यानि लड़की की तरफ से होगा उसके लिए कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ नीचे दिए गये हैं-
- आधार कार्ड
- ड्राइविंग लाइसेंस
- वोटर कार्ड
- दो फोटो पासपोर्ट साइज
- फोन नंबर
कोर्ट मैरिज करने में कितना खर्चा होता है?
कोर्ट मैरिज के लिए सरकारी फ़ीस राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकती है इसके अतिरिक्त काउंसिल फीस अलग से होती है जो बहुत ज्यादा नहीं है अधिक जानकारी के लिए हेल्प लाइन नंबर 8318437152 पर कॉल कर सकते हैं
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तलाक लेने में कितना खर्च आयेगा और यह खर्च कौन देगा? तलाक लेने से पहले यह कानून जान लें!
तलाक में कितना खर्चा आता है? तलाक लेने की प्रक्रिया और इस पर खर्च होने वाली धनराशि क्या होगी इस पर कोई विशेषज्ञ राय दे पाना लगभग असंभव है। इसके वास्तविक खर्च का अनुमान लगाने से पूर्व कुछ ऐसे तथ्य हैं जिसपर चर्चा करना आवश्यक है हालांकि फिर भी इस जटिल सवाल का जवाब देना असंभव है कि तलाक लेने का या देने का वास्तविक खर्च क्या होगा। इस निर्णय से पहले यहां कुछ कारक हैं जो तलाक की कुल लागत को प्रभावित करते हैं पहले इसे जान लें। आपसी सहमति के तहत तलाक लेने में एक विवादास्पद तलाक से कम खर्च होगा। विस्थापित (अलगाव) दंपत्ति का रिश्ता एक प्रमुख कारक होता है। ऐसे रिश्ते में दंपत्ति जितना अधिक मुख्य मुद्दों पर असहमत होता है, उतना अधिक महंगा तलाक होगा, लेकिन बिना बच्चों या वयस्क (बालिग) बच्चों वाले दम्पति का तलाक नाबालिग बच्चों के साथ तलाक से अधिक महंगा होगा। सामुदायिक संपत्ति के विभाजन की असहमति तलाक की लागत में वृद्धि करेगी। निर्वाह (जीवन यापन) धन शामिल तलाक अधिक महंगा है। तलाक की कानूनी लागत का आकलन करना। वकील का शुल्क: एक वकील घंटे के हिसाब से या किए गये कानूनी कार्य के लिए एक मुश्
पति तलाक लेना चाहता और पत्नी नहीं तो क्या किया जाना चाहिए?
क्या सहमति से तलाक़ लिया जा सकता है? पति पत्नी के बीच यदि बन नहीं रही है तो सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। सहमति से तलाक लेने के लिए पहले दोनों ही पक्षों को कोर्ट में एक याचिका दायर करनी होती है। फिर दूसरे चरण में कोर्ट द्वारा दोनों पक्षों के अलग-अलग बयान लिए जाते हैं और दस्तखत की औपचारिकता होती है। तीसरे चरण में कोर्ट दोनों को 6 महीने का वक्त देता है ताकि वह अपने फैसले को लेकर दोबारा सोच सकें। और फिर यदि दोनों ही पक्ष तलाक के फैसले पर कायम रहते हैं तो 6 महीने के बाद कोर्ट द्वारा उनके फैसले के अनुरूप उन्हें तलाक़ की अनुमति दे दी जाती है। क्या केवल लड़का तलाक ले सकता है? आपसी समझौते के आधार पर तलाक लेने की कुछ शर्तें होती हैं। यदि पति और पत्नी शादी के बाद 1 साल या उससे ज्यादा समय से अलग रह रहे हो और दोनों में पारस्परिक रूप से तलाक़ लेने को सहमत हैं। एक दूसरे के साथ रहने पर कोई भी राजी नहीं है या दोनों पक्षों में सुलह की कोई स्थिति नजर नहीं आती है तो ऐसे में सहमति के आधार पर तलाक के लिए आवेदन करने का हक होता है। इसे मैचुअल कंसेंट डायवोर्स कहा जाता है यानी आपसी सहमति से तल
अब चेक बाउंस के मामले में जेल जाना तय है! लेकिन बच भी सकते हैं अगर यह क़ानूनी तरीका अपनाया तो!
एक चेक बाउंस के मामले में क्या करें और क्या न करें? चेक क्या है? एक चेक एक निर्दिष्ट बैंकर पर आहरित एक्सचेंज का बिल है और केवल मांग पर देय है। कानूनी तौर पर, जिस व्यक्ति ने चेक जारी किया है, उसे ‘आहर्ता’ कहा जाता है और जिस व्यक्ति के पक्ष में चेक जारी किया जाता है उसे‘अदाकर्ता’ कहा जाता है। चेक लेते समय यह जांच करें- यह लिखित रूप में होना चाहिए। यह एक बिना शर्त आदेश होना चाहिए। बैंकर को निर्दिष्ट करना है। भुगतान एक निर्दिष्ट व्यक्ति को निर्देशित किया जाना चाहिए। यह मांग पर देय होना चाहिए। यह एक विशिष्ट राशि के लिए होना चाहिए। आहर्ता’ के हस्ताक्षर होना चाहिए। चेक बाउंस / चेक की अस्वीकृति क्या है? एक चेक को अस्वीकृत या बाउंस तब कहा जाता है, जब वह किसी बैंक को भुगतान के लिए प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन किसी कारण या दूसरे अन्य कारणवश भुगतान नहीं किया जाता है। निम्नलिखित में से कुछ कारणों से एक चेक आम तौर पर बाउंस हो जाता है:- हस्ताक्षर मेल मिलान नहीं है चेक में उपरी लेखन किया गया हो तीन महीनों की समाप्ति के बाद चेक प्रस्तुत किया गया था, यानी चेक की समय सीमा समाप्ति के बाद खाता बंद किया ग
तलाक़ के बाद बच्चे पर ज्यादा अधिकार किसका होगा माँ का या पिता का?
तलाक़ के बाद बच्चे पर किसका अधिकार होगा? तलाक़ ले रहे दम्पति के बीच बच्चे की कस्टडी को लेकर अक्सर विवाद उत्पन्न हो जाता है। बच्चे की कस्टडी किसे मिलेगी किसे नहीं यह कई बातों पर निर्भर करता है। मसलन बच्चे की उम्र, लिंग, परिस्थिति आदि। इसके साथ ही यह निर्णय पूरी तरह कोर्ट पर निर्भर है कि बच्चे कि कस्टडी किसको दी जाये। बच्चे का पिता अमीर है इसलिए बच्चा उसी को मिलना चाहिए? माता-पिता की आय व बेहतर शिक्षा की उम्मींद ही कस्टडी देने का मापदंड नहीं हो सकता। चूँकि बच्चा कोई सामान नहीं है जो बिना उचित तर्क के किसी एक को सौंप दिया जाये। माता-पिता की आय तो क्या बच्चे की परवरिश अच्छी ही होगी। कस्टडी की समस्या को मानवीय तरीके से हल किया जाना चाहिएः हाईकोर्ट बिलासपुर में दाखिल एक याचिका की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की बेंच ने बच्चे की कस्टडी को लेकर पेश किए गए मामले में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि "बच्चा कोई सामान नहीं है" बच्चे का कल्याण ही फैसले का आधार होना चाहिए। माता- पिता की इनकम अच्छी है और बच्चे की बेहतर शिक्षा की व्
जानिए, पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? लड़कियों को परेशान करने पर कौन सी धारा लगती है?
पॉक्सो एक्ट (POCSO) एक केंद्रीय कानून है? इस अधिनियम (कानून) को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 पोक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया था। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। इस कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित की गई है। पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? किसी विवाद की विषयवस्तु तथा मुख्य मुद्दे को जानने के लिए पॉक्सो अधिनियम, 2012 का संक्षिप्त अवलोकन करना आवश्यक है। पॉक्सो एक्ट 2012 यौन उत्पीड़न और अश्लीलता (पोर्नोग्राफी) के अपराधों से बच्चों को बचाने के लिए लागू किया गया था। यह एक जेंडर न्यूट्रल लॉ है जो 18 वर्ष से कम उम्र के बालक और बालिकाओं दोनों पर सामना रूप से लागू होता है। पॉक्सो एक्ट (POCSO) की परिभाषा के अनुसार कितने वर्ष से कम आयु का व्यक्ति नाबालिग है? भारतीय कानून में बालिग तथा नाबालिग की परिभाषा प्रस्तुत की गई है इसके अतिरिक्त पॉक्सो अधिनियम की परिभाषा के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को नाबालिग माना जाता है। यह 18 वर्ष से कम आयु के व्य
बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?
बाल विवाह कुप्रथा क्यों है? बाल विवाह से होने वाली हानियां कौन-कौन सी हैं? भारत जैसे देश में लड़कियों के विवाह के लिए लड़कियों की मर्ज़ी और सहमति की परवाह नहीं की जाती है। लगभग 93% लड़कियों का विवाह उनकी मर्ज़ी के बिना ही किये जाते हैं। कई राज्यों में लड़कियों का विवाह बचपन में ही कर दिया जाता है। जल्दी शादी होने से लड़कियों पर बच्चे पैदा करने का दबाव भी दिया जाने लगता है। कम उम्र में माँ बनने पर लड़कियों को कई तरह से शारीरिक कष्ट झेलने पडतें है। इन्हीं कारणों से भारत में बाल विवाह निषेध किया गया है। बाल विवाह में असली दोषी कौन होता है? बाल विवाह करवाने वाले परिजन, पुरुष-महिला, रिश्तेदार, बालिग पति इत्यादि। बाल विवाह निषेध अधिनियम में बालिग अथवा नाबालिग लड़की को दोषी नहीं माना गया है। बालिग लड़का नाबालिग लड़की से शादी करता है तो क्या होगा? यदि बालिग लड़का जिसकी उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक हो और नाबालिग लड़की जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम हो से शादी करता है तो बाल विवाह अधिनयम के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। वास्तव में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की धारा 9 में बाल विवाह करने वाले बालिग पुरुष के लिए सजा क
जमानत क्या है और किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं?
हर व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की घटनाएं घटित होती रहती है। जाने अनजाने में कभी कभी व्यक्ति से अपराध भी हो जाता है और कभी-कभी आपसी रंजिश के कारण अन्य व्यक्ति के द्वारा भी किसी व्यक्ति को झूठे मामले में फसाया जाता है। किसी केस में नाम आने से पुलिस द्वारा संबंधित व्यक्ति की गिरफ्तारी कर ली जाती है। ऐसे में बिना कोई अपराध किये ही केवल आपसी रंजिश के कारण संबंधित व्यक्ति को काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है। लेकिन ऐसे व्यक्ति के लिए कानून में जमानत लेने का अधिकार प्रदान किया गया है और इस अधिकार का उपयोग करके कोई भी व्यक्ति जमानत प्राप्त कर सकता है लेकिन अपराध की गंभीरता को देखते हुए कई ऐसे अपराध है। जिनके लिए कानून में जमानत की व्यवस्था नहीं की गई है। इसलिए आज आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बेल यानि ज़मानत के बारे में पूरी जानकारी देंगे जिससे आपको काफ़ी मदद भी मिल सकती है। इस आर्टिकल के माध्यम से आप जानेंगे की- जमानत क्या है? किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं? ज़मानत लेने पर क्या रिस्क है? किसी अपराधी की जमानत का विरोध कैसे करें? जमानत ना मिलाने की स्थिति में क्या करें? जमानत क्या है? जब क
जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?
ऑनलाइन आवेदन दाखिल-खारिज करते समय आवश्यक कागजात क्या है? यदि आप दाखिल-खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ज़मीन के सम्बन्ध जानकारियों को ऑनलाइन आवेदन करते समय भरना होगा। जैसे ज़मीन का बैनामा किस तिथि को कराया गया था। किस निबंधन कार्यालय में कराया गया था। किस क्रम संख्या व प्रपत्र पर आपका बैनामा दर्ज है। इसके बाद आप जरूरी जानकारी ऑनलाइन फॉर्म में भरने के बाद सबमिट कर देंगे। लेकिन याद रखें अगर उत्तर प्रदेश में दाखिल-खारिज का आवेदन करना चाहते हैं तो 2012 के बाद कराए गए बैनामों का ही दाखिल खारिज ऑनलाइन संभव है। इसके पहले के दाखिल खारिज कराने के लिए आपको संबंधित तहसील में जाकर आवेदन करना होगा। ज़मीन खरीदने के कितने दिन बाद दाखिल-खारिज करवाना होता है? अमूमन दाखिल खारिज कराने की प्रक्रिया बैनामा के तुरंत बाद कराई जा सकती है। लेकिन दाखिल खारिज होने में लगभग 45 दिन का समय लग जाता है। यह संबंधित कार्यालयों में अलग-अलग हो सकते हैं। क्योंकि दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में लेखपाल व राजस्व निरीक्षक के रिपोर्ट दाखिल होने के बाद ही नामांतरण का आदेश किया जाता है। इसलिए इस प्रक्रिया
नया आवेदन करें-
- आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन करें
- ई श्रम कार्ड के लिए आवेदन करें
- किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करें
- दाखिल ख़ारिज के लिए आवेदन करें
- निःशुल्क क़ानूनी सहायता के लिए संपर्क करें
- प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन करें
- मातृत्व लाभ योजना के लिए आवेदन करें
- विवाह प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करें
- सोसाइटी पंजीकरण के लिए आवेदन करें
- स्टार्ट-अप इंडिया के लिए आवेदन करें
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