सत्यमेव जयते!

Today's News

Indian Contract Question Papers in Hindi | Indian Contract Paper Set | PCSJ for APO | Solved Questions

प्रश्न1- निम्नलिखित में से कौन सा वाद कपट से संबंधित नहीं है?

व्याख्या– दियाला राम बनाम सरगा ए.आई. आर. 1927 लाहौर 536 का वाद असम्यक असर धारा 16 से संबंधित है।

प्रश्न2- यदि कोई अवयस्क अपनी आयु का दुर्व्यपदेशन करते हुए कोई संपत्ति या वस्तु प्राप्त कर लेता है तो उसको वापस करने के लिए बाध्य किया जा सकता है-

व्याख्या- भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 18 में दुर्व्यपदेशन को परिभाषित किया गया है। धारा 19 में दुर्व्यपदेशन के प्रभाव के बारे में प्रावधान है। जब कोई अवयस्क जानबूझकर अपनी आयु का छिपाव या दुर्व्यपदेशन करके, कोई माल या संपत्ति खरीदना है, तो जब तक ऐसी वस्तुएं उसके कब्जे में है, उससे वापस ली जा सकती है इसे ही प्रतिस्थापन का सिद्धांत कहते हैं। संविदा शून्य होने के कारण स्वामित्व अंतरण नहीं होता इसलिए माल उससे वापस लिया जा सकता है।

प्रश्न3- एक गुरु अध्यात्मिक सलाहकार ने अपने चेले भक्त से कहा कि वह अपनी सारी संपत्ति उसे दान कर दें ताकि दूसरे लोक में उसकी आत्मा को लाभ मिले यह दान क्या होगा-

व्याख्या- दान शून्य करणीय है। धारा 19 के अनुसार जबकि किसी करार के लिए सम्मति, प्रपीड़न, अस्मयक असर कपट या दुर्व्यपदेशनसे कारित हो तब वह करार ऐसी संविदा है जो उस पक्ष कार के विकल्प पर शून्य करणीय है जिसकी संपत्ति ऐसे कारित हुई थी। उक्त समस्या में चेले की सम्मति, अस्मयक असर द्वारा प्राप्त की गई है।

प्रश्न4- निम्न में से कौन संविदा को एक पक्ष कार की इच्छा पर शून्य करणी नहीं बनाता है यदि-

व्याख्या– जब सम्मति, प्रपीड़न, असम्यक् असर और कपट द्वारा कारित हो तो संविदा उस पक्ष कार की इच्छा पर शून्य करणीय है जिसकी सम्मति इस प्रकार प्राप्त की गई है जबकि यदि सम्मति में दोनों पक्ष कार भूल में हो तो संविदा शून्य है।

प्रश्न5- स्वतंत्र सहमति के अभाव में किए गए करार होते हैं-

व्याख्या– भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 19 और 19 (क) के अनुसार स्वतंत्र समिति के अभाव में किया गया करार उस पक्ष कार के विकल्प पर शून्य करणी होता है जिसकी सम्मति ऐसे में प्राप्त की गई है।

प्रश्न6- स्वतंत्र समिति के बिना किया गया करार होता है।

व्याख्या– स्वतंत्र समिति की परिभाषा भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 14 में दी गई है। इस धारा के अनुसार स्वतंत्र सम्मति तब कहीं जाती है जबकि वह प्रपीड़न धारा 15, असम्यक् असर धारा 16, कपट धारा 17, दुर्व्यपदेशन धारा 18, तथा भूल धारा 20 के अधीन नहीं दी जाती है। धारा 19 के अनुसार प्रपीड़न, कपट, दुर्व्यपदेशन के अधीन प्राप्त की गई सम्मति के आधार पर किया गया करार उस पक्ष कार के विकल्प पर शून्य करणी होगा जिसकी सम्मति इस प्रकार प्राप्त की गई है जबकि धारा 20 के अधीन दोनों पक्षकारों की भूल के कारण की गई संविदा स्वतंत्र सम्मति से संपादित न होने के कारण शून्य होती है।

प्रश्न7- भारतीय संविदा अधिनियम की कौन सी धारा उपबन्धित करती है कि जहां करार के दोनों पक्ष कार तथ्य संबंधी भूल में हो तब करार शून्य होता है-

व्याख्या-भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 20 के अनुसार दोनों पक्षकारों द्वारा किसी तथ्य संबंधी भूल के अधीन किया गया करार शून्य होगा। कि किसी एक पक्षकार की तथ्य संबंधी भूल करार के शून्य होने के लिए पर्याप्त नहीं होती हैं। धारा 13 में सम्मति परिभाषित है। धारा 21 के अनुसार भारत में प्रवृत्त किसी विधि की भूल के आधार पर संविदा शून्य या शून्यकरणी नहीं होगी।

प्रश्न8- जहां किसी करार के दोनों पक्षकार तथ्य की भूल करते हैं जो तत्व करार के लिए आवश्यक है, वहां ऐसा करार होगा।

व्याख्या- भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 20 के अनुसार जहां की किसी करार के दोनों पक्षकार, ऐसे तथ्य के बाद के बारे में जो करार के लिए अत्यावश्यक हैं, भूल करते हैं, वहां करार शून्य होगा। परंतु किसी एक पक्षकार की तथ्य संबंधी भूल से करार शून्य या शून्यकरणीय नहीं होगा।

प्रश्न9- भूल के आधार पर संविदा शून्य होती है, यदि भूल है-

व्याख्या- भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 20 के अनुसार जहां कि किसी करार के दोनों पक्ष कार ऐसे तथ्य के बारे में जो करार के लिए मर्म भूत हैं, भूल में हो वहां करार शून्य होता है। अतः यदि भूल है तथ्य की विधि नहीं, तो करार शून्य होगा।

प्रश्न10- किसी करार को शून्य घोषित करने के लिए तथ्य की भूल केवल तब ही एक आधार हो सकती है।

व्याख्या– भारतीय संविधान अधिनियम 1872 की धारा 20 के अनुसार जहां की किसी करार के दोनों पक्ष कार ऐसे तथ्य की बात के बारे में जो करार के लिए मर्म भूत है भूल में हो वहां करार शून्य है। अतः किसी करार को शून्य घोषित कराने हेतु भूल तभी आधार हो सकती है जब यह करार के मर्म भूत तथ्य से संबंधित हो।

Get more results for Indian Contract Question Papers in Hindi at www.judicialguru.in

Comments

ख़बरें सिर्फ़ आपके लिए!

तलाक लेने में कितना खर्च आयेगा और यह खर्च कौन देगा? तलाक लेने से पहले यह कानून जान लें!

पति तलाक लेना चाहता और पत्नी नहीं तो क्या किया जाना चाहिए?

अब चेक बाउंस के मामले में जेल जाना तय है! लेकिन बच भी सकते हैं अगर यह क़ानूनी तरीका अपनाया तो!

तलाक़ के बाद बच्चे पर ज्यादा अधिकार किसका होगा माँ का या पिता का?

जानिए, पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? लड़कियों को परेशान करने पर कौन सी धारा लगती है?

बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?

जमानत क्या है और किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं?

जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?

लीगल खबरें आपके लिए!