सत्यमेव जयते!

Today's News

तो अब किससे पास कितनी ज़मीन है पता चल सकेगा यूनीक लैंड कोड से, जानिए कैसे?

कहाँ पर कितनी ज़मीन है किसके नाम है? और कौन उसका मालिक है यह सभी जानकारी जुटाने के लिए प्रदेश सरकार ने जियो टैगिंग अभियान की शुरुआत कर दी है

राजस्व से जुड़े विवादों की गुंजाइश कम करने और बड़ी अवस्थापना परियोजनाओं के लिए शीघ्रता और आसानी से भूमि चिह्नित करने के लिए प्रदेश सरकार प्रत्येक गाटे की जियो टैगिंग कराएगी। यह संभव होगा केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना के तहत।

ज़मीनों का आधार नंबर बनाने की तैयारी!

हर गाटे (खसरा) को यूनीक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (अलपिन) दिया जाएगा। यह 14 अंकों का एल्फा न्यूमरिक कोड होगा। इसे यूनीक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर कहा जायेगा।

यूनीक लैंड कोड से क्या फायदा होगा?

  • वर्तमान में प्रदेश में लगभग 7.5 करोड़ गाटे हैं।
  • यूनीक लैंड कोड से ज़मीन की पूरी जानकारी कंप्यूटर पर पता चल सकेगी।
  • जिससे तय समय में ज़मीनों की भौगोलिक स्थिति का शीघ्रता से पता चल सकेगा।
  • हर गाटे की भौगोलिक स्थिति का पता होने से बड़ी सरकारी व औद्योगिक परियोजनाओं के लिए ज़मीन आसानी से चिह्नित हो सकेगी।
  • प्रदेश में हर गाटे की जियो टैगिंग राजस्व विवादों का अंत होगा 
  • इस योजना में गांवों की सीमा सूचना तहत पहले चरण रेखा को भौगोलिक इस योजना का एक फायदा यह होगा कि कंप्यूटर पर अलपिन नंबर डालते ही गाटे की पूरी भौगोलिक स्थिति प्रदर्शित हो सकेगी।

कब तक पूरा होगा जियो टैगिंग का काम? 

राजस्व विभाग ने इस योजना को पांच वर्षों में अमली जामा पहनाने की कार्ययोजना बनाई है। इस परियोजनाओं पर 324 करोड़ रुपये का खर्च संभावित है।

क्यों पड़ी यूनीक लैंड कोड आवश्यकता

न्यायालयों पर मुकदमों का बोझ बढ़ाने में राजस्व वादों की बड़ी भूमिका रही है। राजस्व से जुड़े विवाद कानून व्यवस्था के लिए भी बड़ी चुनौती पेश करते हैं। इसलिए भूमि से जुड़े विवादों का त्वरित और पारदर्शी तरीके से निस्तारण कराने के लिए सरकार गतिशक्ति योजना के तहत प्रत्येक गाटे की जियो टैगिंग कराने की योजना पर काम कर रही है। पुश्तैनी ज़मीन का मुआयना करते समय सबसे बड़ी समस्या आती है उसके डाटा को सहेजने की अभी तक अलमारियों में रखी फाइलों के सड़ने और गलने की वजह से आंकडे का पता लगाने में मुश्किल होती है।

धोखाधड़ी पर लगेगा अंकुश

अभी तक रही व्यवस्था के कारण जमीन खरीदने और बेचने में समस्याएं आती हैं। जब कोई व्यक्ति जमीन बेचता है लेकिन उसका दाखिल-खारिज या मालिकाना नामान्तरण व्यक्ति को स्वयं कराना होता है जिससे आधे से ज्यादा समस्या की शुरुआत यहीं होती है। जमीन के सही मालिक का पता ना चलने की वजह से कई बार धोखाधड़ी होती है। जालसाज़ इसी का फायदा उठा कर जमीन किसी और को बेच लेता है जिससे धोखाधड़ी को बढ़ावा मिलता है।

यूनीक लैंड कोड कैसे काम करेगा 

बुनियादी ढांचे के विकास की बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि चिह्नित करने में आसानी होगी। प्रणाली (जीआइएस) के जरिये अक्षांश-देशांतर युक्त किया जाएगा। दूसरे चरण में गांव के अंदर की आराजियों (भूखंडों) को जीआइएस को अक्षांश-देशांतर युक्त किया जाएगा। इस कार्य के लिए पहले पांच गांवों में सर्वेक्षण किया जाएगा। बाउंड्री पिलर के अनुसार गांव की सीमारेखा को तकनीकी संस्था द्वारा मानचित्र पर निश्चित किया जाएगा। जीआइएस मैपिंग के जरिये गांव की सीमारेखा व बाउंड्री पिलरों के अक्षांश देशांतर तय किये जाएंगे। इसके बाद गांव के प्रत्येक गाटे का अक्षांश-देशांतर तय किया जाएगा। इसके आधार पर प्रत्येक गाटे का अलपिन नंबर तैयार किया जाएगा।

अलग-अलग जगह पर जमीन खोजने में आसानी होगी। इसके अतिरिक्त जमीन बेचने और खरीदने वाले व्यक्ति को भी आसानी होगी कि जिससे वह जान सकेगा उसकी जमीन कहां पर है किस स्थिति में है अर्थात उस पर अभी तक किसी का कब्जा है या नहीं है।

www.judicialguru.in

भू माफियाओं पर लगेगी रोक

प्रदेश में शहरी तथा ग्रामीण मिलकर तकरीबन 40% जमीनों पर किसी ना किसी प्रकार का अवैध कब्जा है। इन ज़मीनों के सही मालिकों का पता ना होने से तहसीलों में वादों की संख्या में इज़ाफा हुआ है। जमीन का रिकॉर्ड होने पर उसके असली मालिक की पहचान हो सकेगी। जिससे भू माफियाओं के हौसले पस्त होंगे। भू-माफिया अभी तक जमीनों पर कब्जा करके अपना मकान बना लेते थे। इससे चिन्हित किया जा सकेगा कि वर्तमान समय में कब्जा किसका है और जमीन पर दर्ज नाम किसका है।

किस व्यक्ति के पास कुल कितनी जमीन है और कहाँ-कहाँ है इसका डाटा भी तैयार हो सकेगा

एक व्यक्ति के पास कुल कितनी जमीन है और किस-किस जिले में ले रखा है। अगले चरण में इसको आधार और पैन कार्ड जोड़ने का भी कार्य होगा इसकी समस्या होने का हल हो सकेगा।

जुडिशल गुरु विचार- सरकार को रजिस्ट्री और म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) की प्रक्रिया को एक साथ कर देना चाहिए। जिससे राजस्व न्यायालयों पर भार कम होगा और अन्य क़ानूनी प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सकेंगीं।

Comments

ख़बरें सिर्फ़ आपके लिए!

तलाक लेने में कितना खर्च आयेगा और यह खर्च कौन देगा? तलाक लेने से पहले यह कानून जान लें!

पति तलाक लेना चाहता और पत्नी नहीं तो क्या किया जाना चाहिए?

अब चेक बाउंस के मामले में जेल जाना तय है! लेकिन बच भी सकते हैं अगर यह क़ानूनी तरीका अपनाया तो!

तलाक़ के बाद बच्चे पर ज्यादा अधिकार किसका होगा माँ का या पिता का?

जानिए, पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? लड़कियों को परेशान करने पर कौन सी धारा लगती है?

बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?

जमानत क्या है और किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं?

जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?

लीगल खबरें आपके लिए!