अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए किसकी अनुमति ज़रूरी है? क्या कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है? जानिए प्राविधान

भारत जैसे देश में लड़कियों के विवाह के लिए लड़कियों की मर्ज़ी और सहमति की परवाह नहीं की जाती है। लगभग 93% लड़कियों का विवाह उनकी मर्ज़ी के बिना ही किये जाते हैं। कई राज्यों में लड़कियों का विवाह बचपन में ही कर दिया जाता है। जल्दी शादी होने से लड़कियों पर बच्चे पैदा करने का दबाव भी दिया जाने लगता है। कम उम्र में माँ बनने पर लड़कियों को कई तरह से शारीरिक कष्ट झेलने पडतें है। इन्हीं कारणों से भारत में बाल विवाह निषेध किया गया है।
बाल विवाह करवाने वाले परिजन, पुरुष-महिला, रिश्तेदार, बालिग पति इत्यादि। बाल विवाह निषेध अधिनियम में बालिग अथवा नाबालिग लड़की को दोषी नहीं माना गया है।
यदि बालिग लड़का जिसकी उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक हो और नाबालिग लड़की जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम हो से शादी करता है तो बाल विवाह अधिनयम के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। वास्तव में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की धारा 9 में बाल विवाह करने वाले बालिग पुरुष के लिए सजा का प्रावधान है जिसके तहत 18 वर्ष से अधिक आयु का बालिग पुरुष बाल विवाह का दोषी माना जा सकता है। इस अपराध के लिए उसे अधिकतम 2 साल का सश्रम कारावास की सजा तथा ₹1,00,000 तक का जुर्माना हो सकता है या फिर दोनों हो सकता है।
इस सन्दर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने की व्याख्या प्रस्तुत की जो वास्तव में कुछ इस प्रकार है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अधिनियम में धारा 9 में लिखित 18 वर्ष से अधिक आयु का बालक पुरुष बाल विवाह का अनुबंध करता है को 18 वर्ष से अधिक आयु का बालक पुरुष बाल विवाह करता है के रूप में पढ़ा जाना चाहिए। न्यायालय ने यह भी कहा कि महिला से शादी करने वाले को 18 से 21 वर्ष की आयु के दायरे में नहीं लाया जा सकता। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 महिलाओं के लिए सजा का कोई प्रावधान नहीं करता जहाँ एक बालिग लड़की नाबालिग लड़के से शादी करती है।
पीठ ने इसकी समीक्षा करते हुए कहा कि कोई महिला यदि नाबालिग बच्चे से शादी करती है तो उसे संबंधित कानून के अंतर्गत दोषी क्यों नहीं माना गया है। इसकी जानकारी के लिए न्यायालय ने संसद में विधेयक पेश करते तत्कालीन प्रधानमंत्री के बयान का उल्लेख किया।
इसमें कहा गया था कि उक्त अधिनियम में चाइल्ड की परिभाषा के तहत ऐसे पुरुष अथवा महिला को शामिल किया है जिसने 18 वर्ष की पूरी उम्र नहीं किया हो। न्यायालय ने कहा कि समाज में प्रचलित मान्यताओं के आधार पर अधिनियम महिलायों की तुलना में लड़कों के लिए बालिग होने की उम्र ज्यादा रखी गई है।
किसी लड़के के लिए शिक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता के स्तर को प्राप्त करने के लिए 18 वर्ष की आयु कम प्रतीत होती है। इसलिए दूल्हे और दुल्हन के बीच उम्र का फर्क होना ही होना चाहिए। इस बात पर भी व्यक्ति को नाबालिग बच्चे से शादी करने के लिए छूट मिली हुई है। इसलिए है क्योंकि हमारे समाज में शादी के फैसले दूल्हे और दुल्हन के परिजनों द्वारा लिए जाते हैं तथा ऐसे मामले में आमतौर पर महिलायों की अपनी राय ना के बराबर होती है। हम इस बात पर जोर देने को तैयार है कि हम किसी के मामले में उपरोक्त विभेद बनाए रखने और कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। हालांकि इस संदर्भ में द्वारा विधायिका द्वारा इस अंतर को उचित माना गया है उसे ध्यान रखा जाना चाहिए
न्यायालय ने इस संबंध में कानून की व्याख्या की है। यह अधिनियम हमारे समाज के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने के लिए बनाया गया है। अधिनियम का उद्देश्य और कारण उल्लेखित किया गया कि बाल विवाह पर प्रतिबंध नाबालिग लड़के और लड़कियों के स्वास्थ्य खासकर महिलाओं की स्थिति में सुधार किया जाये। विशेषता इस कानून को लागू करने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य विशेष रूप से बालिका वधू प्रथा के प्रतिकूल प्रभाव पर अंकुश लगाना है।
भारत में लड़कियों के लिए शादी की उम्र 18 वर्ष है। इससे कम उम्र की लड़की से शादी करना या लड़की की शादी करवाना गैर क़ानूनी है। इस अपराध को बाल विवाह की श्रेणी में रखा गया है। वहीँ कई देशों में यह उम्र सीमा अलग अलग है।
भारतीय क़ानून के अनुसार शादी करने की तय उम्र 18 वर्ष ही माना गया है। यदि कोई लड़की जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम है और वह अपनी मर्ज़ी से विवाह करना चाहती है तो यह गैर क़ानूनी है।
भारत जैसे देश में लड़कियों को परिवार की इज्ज़त और ज़िम्मेदारी दोनों समझा जाता है। ऐसे में लडकियों की शादी कम उम्र में कर देने के पीछे की मंशा जिम्मेदारियों से जल्द मुक्त होने की होती है। इसके अतरिक्त एक तर्क यह भी है कि कम उम्र में विवाह करने पर विवाह के लिए लड़के आसानी से मिल जाते हैं और दहेज़ कम देना पड़ता है।
कानूनन लड़की और लड़के का बालिग होना अनिवार्य है अर्थात लड़की व लड़के की उम्र 18 वर्ष से अधिक होना चाहिए। इसके बाद वह किसी भी उम्र के अन्तर पर शादी करने के लिए स्वतन्त्र होतें हैं। बड़ी उम्र की लड़की कम उम्र के लड़के की शादी करने में किसी प्रकार की क़ानूनी रोक नहीं है।
बाल विवाह निषेद अधिनियम के अनुसार बाल विवाह रोकने के लिए आप नजदीकी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज़ करवा सकते हैं। इसके लिए कोई भी व्यक्ति शिकायत क्र सकता है जो उस घटना का चश्मदीद हो।
शादी का वादा करके किसी लड़की से शारीरिक सम्बन्ध बनाना बलात्कार की श्रेणी का अपराध है। यदि लड़की बालिग है तब भी यह अपराध कम नहीं होता।
बाल विवाह के अपराध में केवल पुरुषों को दंडित करने के पीछे मंशा केवल इतनी है कि भविष्य में होने वाली नाबालिक लड़कियों के विवाह प्रचलन के नकारात्मक परिणामों से बचाना है। जो 18 वर्ष से अधिक आयु के होने के आधार पर इस तरह की शादियों की क्षमता रखते हैं।
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