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जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?

ऑनलाइन आवेदन दाखिल-खारिज करते समय आवश्यक कागजात क्या है?

यदि आप दाखिल-खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ज़मीन के सम्बन्ध जानकारियों को ऑनलाइन आवेदन करते समय भरना होगा। जैसे ज़मीन का बैनामा किस तिथि को कराया गया था। किस निबंधन कार्यालय में कराया गया था। किस क्रम संख्या व प्रपत्र पर आपका बैनामा दर्ज है। इसके बाद आप जरूरी जानकारी ऑनलाइन फॉर्म में भरने के बाद सबमिट कर देंगे। लेकिन याद रखें अगर उत्तर प्रदेश में दाखिल-खारिज का आवेदन करना चाहते हैं तो 2012 के बाद कराए गए बैनामों का ही दाखिल खारिज ऑनलाइन संभव है। इसके पहले के दाखिल खारिज कराने के लिए आपको संबंधित तहसील में जाकर आवेदन करना होगा।

ज़मीन खरीदने के कितने दिन बाद दाखिल-खारिज करवाना होता है?

अमूमन दाखिल खारिज कराने की प्रक्रिया बैनामा के तुरंत बाद कराई जा सकती है। लेकिन दाखिल खारिज होने में लगभग 45 दिन का समय लग जाता है। यह संबंधित कार्यालयों में अलग-अलग हो सकते हैं। क्योंकि दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में लेखपाल व राजस्व निरीक्षक के रिपोर्ट दाखिल होने के बाद ही नामांतरण का आदेश किया जाता है। इसलिए इस प्रक्रिया में लगभग 45 दिन का समय लग जाता है।

दाखिल ख़ारिज करवाने के लिए क्या पेपर लगते हैं?

दाखिल-खारिज के दौरान प्रॉपर्टी के दस्तावेज की छाया-प्रति अर्थात फोटो कॉपी जमा की होती है। बैनामें की फोटो कॉपी। खतौनी की प्रमाणित कॉपी।

दाखिल खारिज के लिए जो प्रॉपर्टी दस्तावेज जमा किया गया है उसकी नकल कैसे निकाले?

दाखिल खारिज के लिए जो प्रॉपर्टी दस्तावेज जमा किया गया है तो उसकी नकल निकालने के लिए एक फोलियो (आवेदन प्रारूप) भर कर देना होता है जिसे नकल सवाल कहा जाता है। इस नकल सवाल में जरूरी जानकारी भरकर और रजिस्ट्री टिकट लगाकर तहसील में जमा करना होगा। लगभग 4 से 5 दिन के बाद जो जानकारी आप ने मांगी थी या जो भी दस्तावेज की आपने मांग की है उसकी छाया प्रति (प्रमाणित) दी जाएगी।

दाखिल खारिज से पहले भवन निर्माण करा सकते हैं? 

दाखिल खारिज की प्रक्रिया का भवन निर्माण से कोई संबंध नहीं है। आप दाखिल-खारिज के पूर्व भवन निर्माण करा सकते हैं। दाखिल-खारिज और भवन निर्माण दोनों ही अलग-अलग विभाग में आते हैं। भवन निर्माण आप नगर निगम क्षेत्र, नगरपालिका क्षेत्र या ग्राम पंचायत के अंतर्गत आते हैं। लेकिन दाखिल-खारिज राजस्व विभाग के अंतर्गत आता है। दाखिल खारिज करवाने पर आप का नामांतरण इस आधार पर किया जाता है कि आप संबंधित जमीन पर जो भी राजस्व होगा उसे आप जमा करेंगे।

खतौनी की नक़ल कैसे निकालें? 

दाखिल खारिज की प्रति प्राप्त करने के लिए सम्बंधित तहसील में जाकर आवेदन करना होता है। दाखिल-खारिज की प्रति या खतौनी कहा जाता है। खतौनी एक दस्तावेज है जिसकी प्रमाणित प्रति उपलब्ध तहसील से प्राप्त की जा सकती है। खतौनी के अनुसार संपत्ति का आप अपनी संपत्ति से संबंधित मालिक होने का नाम देख सकते हैं।

दाखिल-खारिज आपत्ति की जा सकती है?

दाखिल-खारिज रोकने के लिए संबंधित न्यायालय में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 209(क) के तहत आवेदन दाखिल कर सकते हैं। इसके लिए एक आवेदन पत्र अर्थात प्रार्थना पत्र देना होता है जो संबंधित तहसील में जाकर नायब तहसीलदार अथवा तहसीलदार अथवा जिस भी न्यायालय में आपका वाद दर्ज है उस न्यायालय में एप्लीकेशन लगाकर आप दाखिल खारिज को रोक सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे आपके द्वारा दर्ज़ आपत्ति का आधार क़ानूनी होना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति मनमाने या अवैध तरीके से किसी भी संपत्ति का दाखिल-खारिज करवा रहा है तो उसे रोकने के लिए मूल मालिक (वास्तविक) द्वारा या मूल्य खातेदार द्वारा एक प्रार्थना पत्र देकर इसे रुकवाया जा सकता है।

दाखिल खारिज के लिए आवश्यक प्रपत्र क्या होते हैं?

बैनामा की छाया प्रति यानी जो संपत्ति का बैनामा कराया गया है उसकी मूल प्रति की छाया प्रति जिसे विक्रय पत्र भी कहते हैं। खतौनी की प्रमाणित छायाप्रति जिसमें पूर्व मालिक का नाम दर्ज हो। इसके बाद एक निर्धारित फॉर्मेट पर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 34 के तहत आवेदन भरकर आपको संबंधित तहसील में जमा कर देना होता है। इसके बाद न्यायालय द्वारा एक तिथि दी जाती है और उस तिथि पर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होकर मूल दस्तावेज दिखाने होंगे तभी दाखिल-खारिज की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। यदि न्यायालय द्वारा इस बात की संतुस्टी हो जाती है की प्रस्तुत दस्तावेज़ सही है तब न्यायालय द्वारा नामान्तरण का आदेश जारी कर दिया जाता है।

फर्ज़ीं दाखिल-खारिज कैसे रोके? 

यदि किसी प्रकार से किसी व्यक्ति ने धोखेबाजी कर या धांधली कर के किसी संपत्ति पर दाखिल खारिज करवा लिया है तो इसके लिए आप संबंधित तहसीलदार के पास शिकायत दर्ज़ करवा सकते हैं। आवेदन में आप अपनी बात कह सकते हैं कि इस भूमि का बैनामा या मालिकाना हक आपके पास है और खतौनी में किसी अन्य व्यक्ति नाम दर्ज है। इस आवेदन के बाद उस जमीन के संबंधित जो भी दस्तावेज होंगे वह खंगाले जाएंगे। यदि आपकी शिकायत में सही पाई जाती है तो दाखिल-खारिज पूर्व में जिसके भी नाम किया गया होगा उसे निरस्त कर के एक नया आदेश जारी कर दिया जाएगा।

यदि दाखिल-खारिज किसी भी गैरकानूनी तरीके से कराया गया है अथवा पैसा देकर कराया गया है तो उसके लिए आप तहसीलदार के समक्ष एक प्रार्थना पत्र देकर शिकायत कर सकते हैं। इस बात की शिकायत दर्ज होने के बाद दाखिल खारिज में यदि अनियमितता पाई गई और उसे गलत तरीके से कराए जाने का आभास हो जाता है तब न्यायालय द्वारा जांच कराने के उपरांत दाखिल-खारिज को निरस्त या स्थगित किया जा सकता है।

वसीयत की दाखिल-खारिज कैसे रोकी जा सकती है? 

जिस प्रकार से फर्ज़ीं दाखिल-खारिज की शिकायत दर्ज़ करवाकर दाखिल-खारिज रोकी जाती है उसी प्रकार वसीयत की दाखिल-खारिज रोकी जा सकती है। इसके लिए आपको अपने दावे से जुड़े साक्ष्य न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने होंगे। दस्तावेजों की जाँच के बाद न्यायालय फर्जी वसीयत को रोकने का आदेश दे सकता है।

ज़मीन की पहले से दाखिल-खारिज नहीं हुई हो तो क्या अब हो सकती है? 

यदि पूर्व में किसी व्यक्ति का दाखिल खारिज नहीं हुआ है तो उस संपत्ति पर दाखिल-खारिज होने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो जाती है। इसके लिए आपको पूर्व में जितने भी व्यक्तियों को संपत्ति हस्तांतरित हुई है। उन सब के नाम का दाखिल-खारिज है क्रमशः दर्ज कराना होगा। इसके बाद ही अंतिम मालिक का नाम दाखिल-खारिज किया जा सकता है। इसके लिए आप संबंधित तहसील में संपर्क करना होगा वहां से आपको इसके विषय में अतिरिक्त जानकारी प्राप्त हो जाएगी।

दाखिल-खारिज करवाने में कितना पैसा लगता है?

दाखिल-खारिज आवेदन करने के लिए निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन करना होता है जिसे नोटरी करा कर शपथ पत्र के साथ दाखिल करना होता है। नोटरी कराने, शपथ पत्र बनवाने आदि के अतिरिक्त कोई कीमत नहीं लगती है । आपको दाखिल खारिज की प्रक्रिया का फॉर्म भरकर तहसील में जमा कर देना होता है इसके बाद दाखिल खारिज की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है।

यदि आपको कोई भूमि या संपत्ति पूर्वज द्वारा मिली हुई है वह पैतृक संपत्ति है तो उस संपत्ति का दाखिल खारिज कैसे होगा यह भी जान लीजिये। पुश्तैनी जमीन का दाखिल खारिज कराने के लिए आपको अपने क्षेत्र के तहसील में इसका आवेदन करना होता है। इस बात का साक्ष्य प्रस्तुत करना होता है कि संपत्ति आपको पुश्तैनी प्राप्त हुई है तभी उसका दाखिल खारिज की प्रक्रिया संभव है।

जमीन की दाखिल खारिज में पुनर्स्थापना का क्या मतलब है?

जमीन की दाखिल खारिज में पुनर्स्थापना का मतलब है दाखिल ख़ारिज के वाद को फिर से सुनने के लिए आवेदन करना। यदि आपने दाखिल ख़ारिज का आवेदन किया था जिसमें आपके पक्ष का वाद ख़ारिज क्र दिया गया था तो आप उस केस को फिर से शुरू करवा सकते है। इसी को पुनर्स्थापना या री-स्टोर के नाम से जाना जाता है।

प्लाट नगर निगम लखनऊ की सीमा में है दाखिल ख़ारिज कैसे करवाये?

यदि आपका प्लाट नगर निगम लखनऊ की सीमा के भीतर है और आप दाखिल ख़ारिज करवाना चाहतें है। इसके लिए आपको Judicial Guru Office कैसरबाग लखनऊ के कार्यालय में संपर्क करना होगा। यदि आप चाहें तो फेसबुक के मध्यम से बात करके भी जानकारी हासिल कर सकतें है। Google पर Judicial Guru सर्च करने पर आपको ऑफिस का पता मिल जायेगा।

यदि आप किसी मामले में निःशुल्क क़ानूनी सहायता चाहते हैं या किसी वरिष्ठ अनुभवी वकील से किसी प्रकार की क़ानूनी सलाह लेना चाहतें हैं तो हमसे Facebook, Whatsapp, Telegram, Instagram, YouTube, Koo, E-mail या Phone आदि में से किसी भी प्रकार से संपर्क कर सकतें हैं। सभी सोशल मीडिया का लिंक ऊपर दिया गया है। साथ ही Judicial Guru चैनल को Youtube पर Subscribe करें। @judicialguru

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