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सत्यमेव जयते!

तलाक का मुख्या कारण है? जानिए इससे बचने के उपाए!

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तलाक, एक समाज में एक साथी से दूसरे साथी के साथ जुड़े रिश्ते को खत्म करने का प्रक्रियात्मक नाम है, और भारत में इसका आम होना चिंताजनक है। समाज में तलाक की दर बढ़ रही है और इससे उत्पन्न होने वाली समस्याएं सामाजिक और मानविकी दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि भारत में तलाक के कारण और परिणामों को समझने का प्रयास करेंगे और इस समस्या को हल करने के लिए कौन-कौन से कारगर समाधान हो सकते हैं। तलाक का कारण: सामाजिक परिवर्तन: भारतीय समाज में हो रहे विभिन्न सामाजिक परिवर्तनों के कारण तलाक की दर में वृद्धि हो रही है। व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में बदलाव, महिलाओं की शिक्षा, और समाज में महिलाओं के स्थान के परिवर्तन इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वित्तीय और परिवारिक तनाव: वित्तीय और परिवारिक तनाव भी तलाक का कारण बन सकते हैं। आर्थिक मुद्दे, अच्छे संबंधों की कमी, या परिवार के संचार में कोई तनाव तलाक का कारण बन सकते हैं। अन्य समस्याएं: विभिन्न समस्याएं जैसे कि मानसिक समस्याएं, असमान सामाजिक स्थिति, बदलते समय के साथ बदलती रोजगार स्थिति, और सामाजिक प्रतिबद्धता के बीच अधिक समस्याएं तला

क्या एक विवाहित बेटी अपने पिता की संपत्ति में हिस्से का दावा कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैतृक संपत्ति में बेटियों का होगा इतना अधिकार?

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Ancestral Property-पैतृक संपत्ति में बेटियों को कितना अधिकार मिलेगा यह बहुत ही कंट्रोव्र्शियल प्रश्न रहा है। आज पैतृक संपत्ति से जुड़ा सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि पैतृक संपत्ति में बेटियों का क्या और कितना अधिकार होगा। पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी को कितना हिस्सा मिलता है? शीर्ष अदालत ने महिलाओं के हक में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी को भी बेटे के बराबर हक दिया जाना चाहिए। इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं होना चाहिए थोड़ा सा भी नहीं। सम्पति में बेटों के सामान बराबर का हिस्सा बेटी को दिया जाना चाहिए। क्या शादी के बाद बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार समाप्त हो जाता है? देश की सर्वोच्च अदालत कहा कि बेटी जन्म के साथ ही पिता की संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार हो जाती है। सर्वोच्च अदालत की तीन जजों की पीठ ने स्पष्ट करते हुए कहा कि भले ही पिता की मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 लागू होने से पहले हो गई हो, फिर भी बेटियों को माता-पिता की संपत्ति पर पूर्ण अधिकार मिलेगा। हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005

Civil Judge Previous Year Question Papers in Hindi | Solved Paper 2022

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प्रश्न1- निम्नलिखित में से किसने कहा कि “विकासशील समाज का संचालन  अब तक  प्रस्थिति से संविदा की ओर रहा है? ” ह्यूगो मेन बर्क हरबर्ट स्पेंसर उत्तर- मेन प्रश्न2- विधि के तुलनात्मक अध्ययन को किस विधि विशेषज्ञ द्वारा प्रतिपादित किया गया था? सैविनी द्वारा मेन द्वारा हार्ट द्वारा कैल्सन द्वारा उत्तर- मेन द्वारा प्रश्न3- किसके अनुसार “प्रगतिशील समाज अब तक हैसियत से संविदा की ओर गतिमान है”? मेन हार्ट इहर्लिच इहरिग उत्तर- मेन प्रश्न4- समाजशास्त्रीय स्कूल कार्य की प्रतिक्रिया क्या थी? तथ्य के विरुद्ध कल्पना के विरूद्ध प्रमाण वाद के विरुद्ध यथार्थवाद के विरूद्ध उत्तर- प्रमाण वाद के विरुद्ध प्रश्न5- निम्नलिखित में से किसने ‘सामाजिक समेकता” के सिद्धांत का प्रतिपादन किया? इहर्लिच इहरिग पाउण्ड ड्यूगिट उत्तर- ड्यूगिट प्रश्न6- “विधि अन्ततः शांति पूर्वक कार्यरत आंतरिक ताकतों की उपज है” यह कथन विधिशास्त्र की किस विचार शाखा से संबंधित है? विश्लेषणात्मक विचार शाखा यथार्थवादी विचार शाखा समाजशास्त्रीय विचार शाखा ऐतिहासिक विचार शाखा उत्तर- ऐतिहासिक विचार शाखा प्रश्न7- सर्वप्रथम विधि का तुलनात्मक अध्ययन किस वि

जानिए- भारतीय दंड सहिंता की धारा 5 से 18 तक में किन अपराधों का वर्णन है?

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भारतीय दंड सहिंता की धारा 5 से 18 तक में किन अपराधों का वर्णन है? जानिए अधिवक्ता आशुतोष कुमार के इस लेख में- भारतीय दंड सहिंता की धारा 5 धारा 5-  कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना- इस अधिनियम में की कोई बात भारत सरकार की सेवा के अफसरों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायु सैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्योजन को दंडित करने वाले किसी अधिनियम के उपबंधों या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबंधुों, पर प्रभाव नहीं डालेगी। भारतीय दंड सहिंता की धारा 6 धारा 6-  स्पष्टीकरण संहिता में की परिभाषाओं का अपरवादों के अध्यधीन समझा जाना- इस संहिता में सर्वत्र अपराध की हर परिभाषा, हर दंड उपबंध और, हर ऐसी परिभाषा या दंड उपबंध का हर दृष्टांत, “साधारण अपवाद” शीर्षक वाले अध्याय में अंतरविष्ट अपवादों के अध्यधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, उपबंध या दृष्टांत में दोहराया न गया हो। दृष्टांत (क)  इस संहिता की वे धाराएं, जिनमें अपराधों की परिभाषाएं अंतरबिष्ट है, यह अभिव्यक्त नहीं करती कि 7 वर्ष से कम आयु का शिशु ऐसे अपराध नहीं कर सकता, किंतु परिभाषाएं उस साधारण अपवाद के अध्यधीन समझी जानी है ज

जानिए आईपीसी की धारा 496, 493, 495 क्या है? बगैर तलाक के किसी स्त्री की शादी करने पर क्या कहता है क़ानून? दो शादी करने पर कौन सी धारा लगती है?

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दम्पति के मध्य विवाद सम्बन्ध के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है तो वहीँ विवाहित महिला के साथ ऐसे अपराध तलाक का कारण हो सकते हैं? इसके अतिरिक्त अक्सर ऐसे प्रश्न लोगों के मन में आते हैं कि-  विवाहित दम्पति के बीच कौन-कौन से ऐसे अपराध हैं जो तलाक़ का कारण बन सकता है?  विवाह संबंधी अपराध क्या है? बगैर तलाक के किसी स्त्री की शादी का अधिकार क्या कहता है? आईपीसी की धारा 496 क्या है? धारा 493 में क्या होता है? धारा 495 क्या है? शादी ना करने पर कौन सी धारा लगती है? दो शादी करने पर कौन सी धारा लगती है? बिना तलाक दूसरी शादी करने पर क्या होगा? हिन्दू कितनी शादी कर सकते है? विवाह संबंधी अपराध क्या है? विवाह के विरुद्ध (Offences against Marriage) अपराध क्या होता है? विवाह से सम्बन्धित दो मुख्य अपराध है - द्विविवाह (बिना तलाक़ लिए दूसरी शादी करना या एक साथ दो लोगों के साथ विवाह करना) जारकर्म (अवैध संबध) 1. द्विविवाह (Bigamy) -भारतीय दंड सहिंता की धारा 494 के अनुसार- जो व्यक्ति, पति या पत्नी के जीवित रहते हुये किसी अन्य से विवाह करेगा। किसी ऐसी दशा में विवाह करना जिसमें ऐसा विवाह शून्य हो तो वह ऐसे पति या

IPC | PCSJ Model Question paper with Answer in Hindi | भारतीय दंड संहिता महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 2022

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  प्रश्न1- भारतीय दंड संहिता प्रवत हुई- 6 अक्टूबर 1860 से 6 दिसंबर 1860 से 1 जनवरी 1861 से 1 जनवरी 1862 से उत्तर- 1 जनवरी 1862 से प्रश्न2- निम्नलिखित में से सही कथन को इंगित कीजिए- अपराध अनिवार्यता एक अनैतिक कृत्य है अपराध एक अवैधानिक कृत्य है अपराध अनिवार्यता एक समाज विरोधी कृत्य है अपराध अनिवार्यता एक धर्म विरोधी कृत्य है उत्तर- अपराध एक अवैधानिक कृत्य है प्रश्न3-  एक अपकार जिसमें पैरवी शासन या उसके अधीनस्थ व्यक्तियों द्वारा की जाती हो ।   यह कथन है- पैटर्न का ऑस्टिन का कीटन का इस्टीफेन का उत्तर- ऑस्टिन का प्रश्न4- अपराधिक विधि के प्रति कृतयात्मक दृष्टिकोण को उजागर किया है- भारत के विधि आयोग ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इंग्लैंड की वुल्फडेन समिति ने संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च ने उत्तर- इंग्लैंड की वुल्फडेन समिति ने प्रश्न5- अपराधिक दायित्व के दो अति महत्वपूर्ण तत्व है- आशय एवं कार्य आशय एवं क्षति क्षति एवं दोष सिद्ध तैयारी एवं दंड उत्तर- आशय एवं कार्य प्रश्न6-निम्नलिखित में से कौन सा अपूर्ण अपराध है- लोक न्यूसेंस आपराधिक प्रयत्न विधि विरुद्ध जमाव बलवा उत्तर- आपराधिक प्रयत्न

क्या वाहन पर अधिवक्ता लिखवाना क़ानूनन सही है या गलत?

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भारत मे लंबे समय से Law लोकप्रिय करियर का चॉइस रहा है। अगर आप भी Law में interest रखते हैं तो इसमें करियर बनाने के तमाम ऑप्शन मौजूद है। लॉ प्रोफेशनल का भविष्य सिर्फ हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक सीमित नहीं रहा। अब आप कॉरपोरेट लॉ में स्पेशलाइजेशन कर शानदार करियर बना सकते हैं। Law करने के बाद क्या क्या करियर चुन सकते हैं आएये इसे विस्तार से समझते हैं। LAW क्षेत्र में भविष्य की तलाश कर रहे स्टूडेंट्स के लिए अब बहुत ही सुनहरा मौका है! समाज में वकील की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वकीलों को न्याय के रक्षक के तौर पर जाना जाता है। जब किसी भी व्यक्ति के साथ कोई अन्याय होता है तो वकील ही एक ऐसा व्यक्ति है जो उसे न्याय दिलवाने के लिए जीतोड़ मेहनत करता है। LLB करने के के बाद आप वकालत को एक करियर के रूप में अपना सकते हैं। आप अपने क्षेत्र के सिविल कोर्ट हाई कोर्ट सेशन कोर्ट आदि में प्रैक्टिस कर सकते हैं। LLB कैसे करें? LLB में एडमिशन के लिए आपको CLAT जैसी प्रवेश परीक्षा को पास करना होगा। इसके बाद आप मेरिट के आधार पर देश के किसी भी प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज में दाखिला लेकर LLB कर सकते हैं। आमतौर पर LL

क्या एक विदेशी नागरिक घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत 'पीड़ित व्यक्ति' हो सकता है? जानिए, क्या है भारत में इसके लिए प्रावधान!

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राजस्थान हाईकोर्ट (जोधपुर बेंच) ने एक महत्वपूर्ण अवलोकन में माना है कि 2005 के घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 2 (ए) के अनुसार, 'पीड़ित व्यक्ति' की परिभाषा में एक विदेशी नागरिक सहित कोई भी महिला शामिल होगी, जो घरेलू हिंसा के अधीन हैं। घरेलू हिंसा के मामले में महिला के पास क्या अधिकार हैं?  कोर्ट ने कहा, ऐसी महिला 2005 के अधिनियम की धारा 12 के तहत सुरक्षा पाने की हकदार है। इस सम्बन्ध में महिला मजिस्ट्रेट को आवेदन कर सुरक्षा की मांग कर सकती है। जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के सामान्यतः इस बात का पता चलता है कि अधिनियम के तहत संरक्षण उन व्यक्तियों को दिया जाता है जो अस्थायी रूप से भारत के निवासी हैं, जो 2005 के अधिनियम की धारा 2(ए) के अनुसार पीड़ित व्यक्ति की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं। किस मामलें में कोर्ट ने घरेलू हिंसा रोकथाम अधिनियम की व्याख्या की? एक कनाडाई नागरिक कैथरीन नीएड्डू ने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत अपने पति रोबर्टो निएड्डू के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष पत्नी की शिकायत के

जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?

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ऑनलाइन आवेदन दाखिल-खारिज करते समय आवश्यक कागजात क्या है? यदि आप दाखिल-खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ज़मीन के सम्बन्ध जानकारियों को ऑनलाइन आवेदन करते समय भरना होगा। जैसे ज़मीन का बैनामा किस तिथि को कराया गया था। किस निबंधन कार्यालय में कराया गया था। किस क्रम संख्या व प्रपत्र पर आपका बैनामा दर्ज है। इसके बाद आप जरूरी जानकारी ऑनलाइन फॉर्म में भरने के बाद सबमिट कर देंगे। लेकिन याद रखें अगर उत्तर प्रदेश में दाखिल-खारिज का आवेदन करना चाहते हैं तो 2012 के बाद कराए गए बैनामों का ही दाखिल खारिज ऑनलाइन संभव है। इसके पहले के दाखिल खारिज कराने के लिए आपको संबंधित तहसील में जाकर आवेदन करना होगा। ज़मीन खरीदने के कितने दिन बाद दाखिल-खारिज करवाना होता है? अमूमन दाखिल खारिज कराने की प्रक्रिया बैनामा के तुरंत बाद कराई जा सकती है। लेकिन दाखिल खारिज होने में लगभग 45 दिन का समय लग जाता है। यह संबंधित कार्यालयों में अलग-अलग हो सकते हैं। क्योंकि दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में लेखपाल व राजस्व निरीक्षक के रिपोर्ट दाखिल होने के बाद ही नामांतरण का आदेश किया जाता है। इसलिए इस प्रक्रिया

जमानत क्या है और किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं?

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हर व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की घटनाएं घटित होती रहती है। जाने अनजाने में कभी कभी व्यक्ति से अपराध भी हो जाता है और कभी-कभी आपसी रंजिश के कारण अन्य व्यक्ति के द्वारा भी किसी व्यक्ति को झूठे मामले में फसाया जाता है। किसी केस में नाम आने से पुलिस द्वारा संबंधित व्यक्ति की गिरफ्तारी कर ली जाती है। ऐसे में बिना कोई अपराध किये ही केवल आपसी रंजिश के कारण संबंधित व्यक्ति को काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है। लेकिन ऐसे व्यक्ति के लिए कानून में जमानत लेने का अधिकार प्रदान किया गया है और इस अधिकार का उपयोग करके कोई भी व्यक्ति जमानत प्राप्त कर सकता है लेकिन अपराध की गंभीरता को देखते हुए कई ऐसे अपराध है। जिनके लिए कानून में जमानत की व्यवस्था नहीं की गई है।  इसलिए आज आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बेल यानि ज़मानत के बारे में पूरी जानकारी देंगे जिससे आपको काफ़ी मदद भी मिल सकती है। इस आर्टिकल के माध्यम से आप जानेंगे की- जमानत क्या है? किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं? ज़मानत लेने पर क्या रिस्क है? किसी अपराधी की जमानत का विरोध कैसे करें? जमानत ना मिलाने की स्थिति में क्या करें? जमानत क्या है? जब क

पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध न होना बन सकता है तलाक की वजह: हाईकोर्ट

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बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने एक युवक की तलाक याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध होना एक स्वस्थ्य वैवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है। शारीरिक संबंध नहीं बनाने वाले पति-पत्नियों के व्यवहार को क्रूरता के बराबर कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी में शारीरिक संबंध होना एक स्वस्थ वैवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है। इसे नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता। विवाह के बाद पति या पत्नी में किसी के भी द्वारा शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता की श्रेणी में आता है। 'पति सुंदर नहीं है, कहकर, मायके चली गई थी पत्नी' हाईकोर्ट ने कहा-पति-पत्नी के मध्य शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना क्रूरता के बराबर जस्टिस पी सैम कोशी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने कहा कि मामले के अनुसार अगस्त 2010 से पति-पत्नी के रूप में दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है, जो निष्कर्ष निकलाने के लिए पर्याप्त है की उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं हैं। यदि एक पति या पत्नी दोनों में से कोई भी शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करता है तो यह क्रूरता के बराबर है। यह तलाक लेने के लिए पर्याप्त कारण हो सकता है

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