सत्यमेव जयते!

Today's News

पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध न होना बन सकता है तलाक की वजह: हाईकोर्ट

बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने एक युवक की तलाक याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध होना एक स्वस्थ्य वैवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है।

शारीरिक संबंध नहीं बनाने वाले पति-पत्नियों के व्यवहार को क्रूरता के बराबर
कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी में शारीरिक संबंध होना एक स्वस्थ वैवाहिक जीवन का अहम हिस्सा है। इसे नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता। विवाह के बाद पति या पत्नी में किसी के भी द्वारा शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता की श्रेणी में आता है।

'पति सुंदर नहीं है, कहकर, मायके चली गई थी पत्नी'
हाईकोर्ट ने कहा-पति-पत्नी के मध्य शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना क्रूरता के बराबर
जस्टिस पी सैम कोशी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने कहा कि मामले के अनुसार अगस्त 2010 से पति-पत्नी के रूप में दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है, जो निष्कर्ष निकलाने के लिए पर्याप्त है की उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं हैं। यदि एक पति या पत्नी दोनों में से कोई भी शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करता है तो यह क्रूरता के बराबर है। यह तलाक लेने के लिए पर्याप्त कारण हो सकता है।

पढ़ें एक और मामला-
शादी का आश्वासन बलात्कार से बचने का कवच नहीं : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (इंदौर खंडपीठ) ने हाल ही में कहा, "भारत एक रूढ़िवादी समाज है, यह अभी तक सभ्यता के उस स्तर (उन्नत या निम्न) तक नहीं पहुंचा है, जहां अविवाहित लड़कियां-लड़कों के साथ केवल मनोरंजन के लिए कामुक गतिविधियों (सेक्स संबध) में शामिल हों।"

झूठे वादे कर लड़के में बन जाते है बलात्कार के आरोपी?
जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने कहा कि एक लड़का, जो एक लड़की के साथ शारीरिक संबंध में प्रवेश करता है, उसे यह समझ होनी चाहिए कि उसके कार्यों के परिणाम हैं और वह इसका सामना करने के लिए तैयार रहे। अक्सर लड़के लड़कियों से शादी का वादा कर के सेक्स संबध स्थापित करते है लेकिन भविष्य में वादे मुताबिक ना होने पर बलात्कार के आरोपित बन जाते हैं। इसलिए लड़कों को शादी से पहले सेक्स सम्बन्ध बनाने  का परिणाम जान लेने चाहिये।

क्या है पूरा मामला?
इंदौर में एक आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376(2) (एन), 366 और बच्चों के यौन शोषण से रोकथाम अधिनियम की धारा 3, 4, 5(1), 6 के तहत मामला दर्ज किया गया था। लड़के पर आरोप था कि उसने शादी के बहाने एक लड़की के साथ बलात्कार किया। कोर्ट के सामने, उसके वकील ने दलील दी गई कि लड़की कथित अपराध के समय बालिग थी और लड़का-लड़की दोनों सेक्स सम्बन्ध के लिए सहमत थे। उन्होंने आगे कहा कि लड़की के माता-पिता शादी का विरोध कर रहे थे क्योंकि दोनों के धर्म अलग-अलग हैं। चूँकि आरोपी हिंदू है जबकि शिकायकर्ता मुस्लिम है शादी ना हो पाने की दशा में लड़के पर बलात्कार का आरोप लगा दिया है 

इस मामले में राज्य की ओर से यह दलील दी गई कि आरोपी ने शादी के बहाने पीड़िता (लड़की) के साथ अक्टूबर, 2018 से बार-बार बलात्कार किया और बाद में शादी से इनकार कर दिया। इसके बाद, जब उसने लड़की को बताया कि उसकी शादी किसी और से हो रही है, तो लड़की ने आत्महत्या का प्रयास किया, हालांकि वह बच गई।

पुरे मामले में कोर्ट ने क्या कहा?
जब मामला कोर्ट के सामने आया तब शुरुआत में, अदालत ने कहा कि आरोपी जमानत पर रिहा होने के लायक नहीं है क्योंकि जाहिर तौर पर उसने श‌िकयतकर्ता (लड़की) से शादी के बहाने शारीरिक संबंध बनाने के लिए कहा था, जबकि वह यह बखूबी जानता था कि दोनों अलग-अलग धर्मों से हैं।

कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि बलात्कार के अधिकांश मामलों में देखा गया है कि बचाव पक्ष का तर्क यही होता है कि ‌शिकायतकर्ता की सेक्स के लिए सहमति थी और ज्यादातर मामलों में आरोपी को इसी संदेह का लाभ भी मिलता है।
Divorcee Act in India

सेक्स संबध स्थापित करने से पहले लड़कियां कई बार सोंचे
कोर्ट ने इस बात पर जोर देते हुए कि भारत एक रूढ़िवादी समाज है, "...कुछ अपवादों को छोड़कर...(कहीं-कहीं ऐसा नहीं भी होता है) यह अभी तक सभ्यता के ऐसे स्तर (उन्नत या निम्न) तक नहीं पहुंचा है, जहां अविवाहित लड़कियां, अपने धर्म की परवाह किए बिना, केवल मनोरंजन के लिए लड़कों के साथ कामुक गतिविधियों (सेक्स संबध) में लिप्त हों। जब तक कि एक लड़की व लड़के का रिश्ता भविष्य में विवाह के वादे/आश्वासन से समर्थित न हो। अपनी बात को साबित करने के लिए हर बार पीड़िता (लड़की) को आत्महत्या करने की कोशिश करना उचित नहीं है, जैसा कि मौजूदा मामले में है।"

बदनामी लड़की की होती है?
कोर्ट ने कहा, "ऐसे मामलों में लड़की ही हमेशा नुकसान के सिरे पर होती है क्योंकि वह लड़की है, इसलिए उसे गर्भवती होने का जोखिम भी होता है। जब उसके रिश्ते का खुलासा होता है तो बदनामी भी उसी की होती है" 
ऐसे में आज के परिवेश में भी लड़की को यह सोंच समझ कर फैसला करे। वह सेक्स सम्बन्ध बनाने से पहले रिश्तों की अहमियत जान ले, इसलिए बहकावे में आने से बचाना चाहिए।

क्या रहा कोर्ट का फैसला?
कोर्ट ने कहा, "यह देखते हुए कि पीड़िता ने आत्महत्या की कोशिश की थी, जिससे स्पष्ट है कि वह रिश्ते के प्रति गंभीर थी, अतः यह नहीं कहा जा सकता है कि उसने केवल आनंद के लिए शारीरिक संबंध में प्रवेश किया, इसलिए कोर्ट ने आरोपी (लड़के) की जमानत याचिका खारिज कर दी और उसे जेल में रखने का आदेश दिया।

Comments

ख़बरें सिर्फ़ आपके लिए!

तलाक लेने में कितना खर्च आयेगा और यह खर्च कौन देगा? तलाक लेने से पहले यह कानून जान लें!

पति तलाक लेना चाहता और पत्नी नहीं तो क्या किया जाना चाहिए?

अब चेक बाउंस के मामले में जेल जाना तय है! लेकिन बच भी सकते हैं अगर यह क़ानूनी तरीका अपनाया तो!

तलाक़ के बाद बच्चे पर ज्यादा अधिकार किसका होगा माँ का या पिता का?

जानिए, पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? लड़कियों को परेशान करने पर कौन सी धारा लगती है?

बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?

जमानत क्या है और किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं?

जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?

लीगल खबरें आपके लिए!