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सत्यमेव जयते!

FIR कैसे लिखी जाती है? FIR करने में कितना पैसा लगता है? FIR कब लिखी जाती है?

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आप भारतीय समाज में रहते हैं, तो आपने "एफआईआर" के बारे में जरूर सुना होगा। यह शब्द एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रिया की प्रतिष्ठिति को दर्शाता है, जिसे भारतीय दंड संहिता में व्यवस्थित किया गया है। एफआईआर का पूरा नाम होता है "प्राथमिकी रिपोर्ट" या "फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट"। यह एक आपराधिक घटना की पहली सूचना होती है, जिसे पुलिस दफ्तर को प्रस्तुत किया जाता है। फ़ाइल आदेश अंग्रेजी में "First Information Report" (FIR) कहलाता है, लेकिन हिंदी में इसे "प्राथमिकी रिपोर्ट" के रूप में जाना जाता है। जब किसी अपराध का दुष्प्रभाव समाज पर पड़ने की संभावना होती है, तो लोग एफआईआर पंजीकरण द्वारा इसकी जानकारी पुलिस अधिकारियों को देते हैं। यह प्रक्रिया अपराध की जानकारी जमा करने और जांच की प्रारंभिक प्रक्रिया को शुरू करने का आधिकार पुलिस को देती है। एफआईआर पंजीकरण अपराधी की पहचान करने, उसकी गिरफ्तारी करने और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की शुरुआत होती है। यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है जो समाज को सुरक्षित रखने और अपराध के खिलाफ लड़ाई में मदद करता है। ए

पत्नी मानसिक रूप से परेशान करे या धारा 498A का मुकदमा करने की धमकी दे तो पति क्या करे?

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भारतीय दण्ड सहिंता 1860 (Indian Penal Code 1860) की धारा 498A का उपयोग के साथ दुरुपयोग भी बढ़ता जा रहा है। पहले लोग घरेलु मामलों को कोर्ट ले जाने की बात पर अक्सर कहते थे कि- "लोग क्या कहेंगे" लेकिन अब यह आम बात हो चली है। लेकिन फिर भी कुह लोग जब बात पुलिस शिकायत दर्ज करने या मुकदमा लड़ने की बात आती है तो कुछ लोग संतोष कर लेते हैं। जिसकी वजह के किसी एक पक्ष के साथ अन्याय होता है और जो लोग किसी को झूठा मुक़दमा करने के लिए उकसाते हैं वह यही कहते हैं की "ये आदमी इसी लायक है" जिसकी वजह से कभी कभी कोई ठोस वजह न होते हुए भी धारा 498A का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है। अब सवाल यह उठता है की पत्नी के पास यह क़ानूनी अधिकार है किन्तु यदि किसी पुरुष के साथ अन्याय हो रहा हो तो उसके पास क्या क़ानूनी अधिकार है। अधिवक्ता आशुतोष कुमार आज इसी क़ानूनी समस्या का निदान बता रहें है IPC 1860 की धारा 498A में क्या कहा गया है? भारतीय दण्ड सहिंता 1860 (Indian Penal Code 1860) की धारा 498A के अनुसार-  पति या पति के रिश्तेदार के द्वारा किसी विवाहित महिला के साथ क्रूरता, मारपीट या अन्य अत्याचार करने पर पत

क्या एक विवाहित बेटी अपने पिता की संपत्ति में हिस्से का दावा कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैतृक संपत्ति में बेटियों का होगा इतना अधिकार?

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Ancestral Property-पैतृक संपत्ति में बेटियों को कितना अधिकार मिलेगा यह बहुत ही कंट्रोव्र्शियल प्रश्न रहा है। आज पैतृक संपत्ति से जुड़ा सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि पैतृक संपत्ति में बेटियों का क्या और कितना अधिकार होगा। पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी को कितना हिस्सा मिलता है? शीर्ष अदालत ने महिलाओं के हक में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी को भी बेटे के बराबर हक दिया जाना चाहिए। इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं होना चाहिए थोड़ा सा भी नहीं। सम्पति में बेटों के सामान बराबर का हिस्सा बेटी को दिया जाना चाहिए। क्या शादी के बाद बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार समाप्त हो जाता है? देश की सर्वोच्च अदालत कहा कि बेटी जन्म के साथ ही पिता की संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार हो जाती है। सर्वोच्च अदालत की तीन जजों की पीठ ने स्पष्ट करते हुए कहा कि भले ही पिता की मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 लागू होने से पहले हो गई हो, फिर भी बेटियों को माता-पिता की संपत्ति पर पूर्ण अधिकार मिलेगा। हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005

जानिए, अपना केस खुद कैसे लड़ें? मुकदमे में जीत के लिए क्या करें? एक सफल मुकदमा कब बनता है?

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किसी भी सिविल अथवा क्रिमिनल केस में आपका केस काफी लंबा चल रहा है या आपका वकील अच्छे से आप के केस की पैरवी नहीं कर रहा है तो आप किस प्रावधान के तहत अपना मुकदमा स्वयं लड़ सकते हैं? अधिवक्ता आशुतोष कुमार से इसी नियम के बारे में बात करेंगे कि कैसे आप बड़ी आसानी से अपने केस को खुद लड़ सकते हैं और तय समय में उसे जीत भी सकते हैं। अपना केस खुद कैसे लड़ें? अगर आप किसी मुकदमें में वकील नहीं करना चाहते हैं और आपके केस की पैरवी खुद करना चाहते हैं तो क़ानूनी प्रावधान और कुछ अन्य जानकारियां आपको पता होना चाहिए। जैसे आप अपना केस कब और कैसे लड़ सकतें हैं? आपको क़ानून की जानकारी कैसे इक्कठा करनी है? कब आप अपना केस लड़ सकते हैं? अगर आप पर कोई क्रिमिनल या सिविल केस चल रहा है तो आप उस मामले में शिकायतकर्ता हैं तो आप बिना किसी अधिवक्ता को हायर किए केस को स्वयं लड़ सकते हैं। लेकिन इससे पहले अधिवक्ता का अर्थ समझ लें। अधिवक्ता का अर्थ होता है, आधिकारिक वक्ता यानी जिस व्यक्ति को यह अधिकार दिया गया है कि वह आपकी तरफ से आपके केस की पैरवी कोर्ट के समक्ष करे। यदि आप खुद यह काम करने में सक्षम है तो आप खुद ही कोरम से स

Civil Judge Previous Year Question Papers in Hindi | Solved Paper 2022

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प्रश्न1- निम्नलिखित में से किसने कहा कि “विकासशील समाज का संचालन  अब तक  प्रस्थिति से संविदा की ओर रहा है? ” ह्यूगो मेन बर्क हरबर्ट स्पेंसर उत्तर- मेन प्रश्न2- विधि के तुलनात्मक अध्ययन को किस विधि विशेषज्ञ द्वारा प्रतिपादित किया गया था? सैविनी द्वारा मेन द्वारा हार्ट द्वारा कैल्सन द्वारा उत्तर- मेन द्वारा प्रश्न3- किसके अनुसार “प्रगतिशील समाज अब तक हैसियत से संविदा की ओर गतिमान है”? मेन हार्ट इहर्लिच इहरिग उत्तर- मेन प्रश्न4- समाजशास्त्रीय स्कूल कार्य की प्रतिक्रिया क्या थी? तथ्य के विरुद्ध कल्पना के विरूद्ध प्रमाण वाद के विरुद्ध यथार्थवाद के विरूद्ध उत्तर- प्रमाण वाद के विरुद्ध प्रश्न5- निम्नलिखित में से किसने ‘सामाजिक समेकता” के सिद्धांत का प्रतिपादन किया? इहर्लिच इहरिग पाउण्ड ड्यूगिट उत्तर- ड्यूगिट प्रश्न6- “विधि अन्ततः शांति पूर्वक कार्यरत आंतरिक ताकतों की उपज है” यह कथन विधिशास्त्र की किस विचार शाखा से संबंधित है? विश्लेषणात्मक विचार शाखा यथार्थवादी विचार शाखा समाजशास्त्रीय विचार शाखा ऐतिहासिक विचार शाखा उत्तर- ऐतिहासिक विचार शाखा प्रश्न7- सर्वप्रथम विधि का तुलनात्मक अध्ययन किस वि

जानिए, पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? लड़कियों को परेशान करने पर कौन सी धारा लगती है?

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पॉक्सो एक्ट (POCSO) एक केंद्रीय कानून है?  इस अधिनियम (कानून) को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 पोक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया था। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। इस कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित की गई है। पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? किसी विवाद की विषयवस्तु तथा मुख्य मुद्दे को जानने के लिए पॉक्सो अधिनियम, 2012 का संक्षिप्त अवलोकन करना आवश्यक है। पॉक्सो एक्ट 2012 यौन उत्पीड़न और अश्लीलता (पोर्नोग्राफी) के अपराधों से बच्चों को बचाने के लिए लागू किया गया था। यह एक जेंडर न्यूट्रल लॉ है जो 18 वर्ष से कम उम्र के बालक और बालिकाओं दोनों पर सामना रूप से लागू होता है। पॉक्सो एक्ट (POCSO) की परिभाषा के अनुसार कितने वर्ष से कम आयु का व्यक्ति नाबालिग है? भारतीय कानून में बालिग तथा नाबालिग की परिभाषा प्रस्तुत की गई है इसके अतिरिक्त पॉक्सो अधिनियम की परिभाषा के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को नाबालिग माना जाता है। यह 18 वर्ष से कम आयु के व्य

जानिए, इनकम टैक्स कितने प्रकार के होते हैं? और भारत के पास कितना पैसा है?

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हमें सरकार को कर क्यों देना चाहिए? सरकार को सुचारू रूप से चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती है और सरकार यह धन कर राजस्व के रूप में प्राप्त करती है। सरकार द्वारा कितने तरह के टैक्स जनता पर आरोपित किये जाते हैं? इसके बारे में विस्तार से समझते हैं। और जानते हैं  इन सवालों के जवाब- इनकम टैक्स कितने प्रकार के होते हैं? राज्य सरकार को पैसा कौन देता है? भारत के पास कितना पैसा है? इनकम टैक्स कितने प्रकार के होते हैं? केंद्र सरकार का राजस्व खाते पर प्राप्तियों के अनुमानों को दो भागों में बांटा जाता है कर राजस्व कर-भिन्न राजस्व केंद्र सरकार द्वारा गृहीत कर को तीन भागों में विभक्त किया जाता है:- आय एवं व्यय पर कर  संपत्ति और पूंजी सौदों पर कर  वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर  कर-भिन्न राजस्व को निम्नलिखित में विभक्त किया जाता है- राजकोषीय तथा अन्य सेवाएं  ब्याज- प्राप्तियां, और लाभांश और लाभ।  आय और व्यय पर कर:- आयकर दो प्रकार के होते हैं अर्थात वैयक्तिक आय (Personal Income Tax) और निगम कर (Corporation Tax) अर्थात कंपनी लाभ पर कर। आयकर (Income Tax):- केंद्र सरकार द्वारा वैयक्तिक आय कर (Personal Income Ta

जानिये 2022 में कोर्ट मैरिज कैसे करें? कोर्ट मैरिज कितने दिन में हो जाती है? कोर्ट मैरिज के लिए कितने गवाह चाहिए?

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कोर्ट मैरिज करने के लिए तैयार लड़का लड़की को किस प्रकार के नियम का पालन करनी चाहिए कोर्ट मैरिज के लिए क्या प्रक्रिया होती है और इससे जुड़े प्रश्न के उत्तर आपका काम आसान कर सकते हैं  आज इस लेख में जानते हैं निम्न सवालों के जवाब- 2022 में कोर्ट मैरिज कैसे करें? कोर्ट मैरिज कितने दिन में हो जाती है? कोर्ट मैरिज के लिए कितने गवाह चाहिए? कोर्ट मैरिज में क्या क्या मिलता है? कोर्ट मैरिज करने के लिए संपूर्ण क्या प्रक्रिया होती है? 2022 में कोर्ट मैरिज कैसे करें? कोर्ट मैरिज करने से पहले कुछ ज़रूरी जानकारी होनी चाहिए। कोर्ट के समक्ष जाने से पूर्व आपको कुछ दस्तावेज़ तैयार रखने चाहिए। यदि कोई लड़का और लड़की आपस में रजामंदी के साथ कोर्ट में जाकर विवाह करना चाहते हैं तो क़ानून ने इसके आधार कुछ तय किए हैं। पहला आधार यह है कि आपके माता-पिता का की सहमति है अथवा नहीं इसका प्रमाण! दूसरा आधार लड़का और लड़की की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए। प्रत्येक प्रदेश में इसका अलग विकल्प हो सकता है एक एप्लीकेशन फॉर्म जिसे लड़का और लड़की दोनों ने साइन किया हो दोनों के बर्थ सर्टिफिकेट्स दोनों के रेजिडेंशियल प्रूफ दोनों की दो पासप

जानिए इन सवालों के जवाब- चेक बाउंस होने के बाद मुझे क्या करना चाहिए? चेक बाउंस केस कितने दिन चलता है? धारा 138 में जमानत कैसे मिलती है?

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एक रिपोर्ट के अनुसार देश में सबसे अधिक मामले संपत्ति यानी प्रॉपर्टी की खरीद और बिक्री से जुड़े होते हैं या फिर चेक बाउंस से। कोर्ट में ऐसे मुकदमों की संख्या ज्यादा है जो संपत्ति से जुड़े हैं या फिर पैसे के लेनदेन से जुड़े हुए होते हैं। ठीक इसी तरह चेक बाउंस के केस में कई बार पार्टियां कुछ गलतियां करती हैं जिनके कारण उन्हें मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। आपके मन में भी कई सवाल होंगे मसलन- चेक बाउंस होने के बाद मुझे क्या करना चाहिए? चेक बाउंस होने पर कौन सी धारा लगती है? चेक बाउंस केस कितने दिन चलता है? अधिकतम कितनी राशि का चेक होता है? धारा 138 में जमानत कैसे मिलती है? आइये आज इस लेख में जानतें हैं कि कौन-कौन सी गलतियां होती हैं जिसके कारण चेक बाउंस मुसीबत बन जाता है और इससे कैसे बचा जाना चाहिए। चेक बाउंस कब होता है? जब किसी पैसे का भुगतान चेक द्वारा किया जाये और चेक को बैंक में लगाने पर बैंक किसी कारण के चलते भुगतान करने से मना करता है तो इसे चेक बाउंस का मामला कहा जाता है। यह कारण निम्न हो सकते है- हस्ताक्षार का सामान न होना  बैंक खाते का बंद हो जाना खाते में पर्याप्त पैसा न होना चे

14 से 20 वर्ष की लड़कियां हैं इनके निशाने पर!

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कंपनियां जब अपने प्रोडक्ट मार्केट में लांच करती हैं प्रोडक्ट की लाइफ भी तय होती है। इसके अतिरिक्त सुरक्षा कवच अर्थात एंटीवायरस सॉफ्टवेयर बनाया जाता है जो इसे अवांछित खतरों से बचाता है। कितुं अब जो एंटीवायरस बन रहे हैं वो आज के जमाने के हैं। इस वजह से पुराने खतरों के बारे में इनमें पूर्ण जानकारी नहीं होती है। जिसकी वजह से कई सेंधमार इसकी सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन अगर माइक्रोसॉफ्ट कोई ओएस (आपरेटिंग सिस्टम) प्लेटफार्म बनाता है तो हैकर इसमें आसानी से सेंध नहीं लगा पाते हैं। क्योंकि इसमें एंटीवायरस भी कुछ नहीं कर सकते हैं। सुरक्षा के इस प्रश्न पर कई कंपनियां सभी डिवाइस के अलग-अलग प्लेटफार्म पर काम कर रही हैं? कंपनियों ने अपनी जरूरत के हिसाब से प्लेटफार्म बनाए हैं। इसलिए इतने सारे प्लेटफार्म के लिए एंट्री एंटीवायरस बनाना मुश्किल है। स्मार्ट होम अप्लायंसेज के लिए इंटरनेशनल एक्सपो का आयोजन करने वाली चीन की कंपनियों के जनरल मैनेजर ने कहा कि यह बिल्कुल भी सच नहीं है कि इलेक्ट्रोनिक उत्पादों की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं हो रहा है। स्मार्ट प्रोडक्ट बनाने वाली लगभग सभी कंपनियां पहले उत्पाद

क्या वाहन पर अधिवक्ता लिखवाना क़ानूनन सही है या गलत?

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भारत मे लंबे समय से Law लोकप्रिय करियर का चॉइस रहा है। अगर आप भी Law में interest रखते हैं तो इसमें करियर बनाने के तमाम ऑप्शन मौजूद है। लॉ प्रोफेशनल का भविष्य सिर्फ हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक सीमित नहीं रहा। अब आप कॉरपोरेट लॉ में स्पेशलाइजेशन कर शानदार करियर बना सकते हैं। Law करने के बाद क्या क्या करियर चुन सकते हैं आएये इसे विस्तार से समझते हैं। LAW क्षेत्र में भविष्य की तलाश कर रहे स्टूडेंट्स के लिए अब बहुत ही सुनहरा मौका है! समाज में वकील की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वकीलों को न्याय के रक्षक के तौर पर जाना जाता है। जब किसी भी व्यक्ति के साथ कोई अन्याय होता है तो वकील ही एक ऐसा व्यक्ति है जो उसे न्याय दिलवाने के लिए जीतोड़ मेहनत करता है। LLB करने के के बाद आप वकालत को एक करियर के रूप में अपना सकते हैं। आप अपने क्षेत्र के सिविल कोर्ट हाई कोर्ट सेशन कोर्ट आदि में प्रैक्टिस कर सकते हैं। LLB कैसे करें? LLB में एडमिशन के लिए आपको CLAT जैसी प्रवेश परीक्षा को पास करना होगा। इसके बाद आप मेरिट के आधार पर देश के किसी भी प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज में दाखिला लेकर LLB कर सकते हैं। आमतौर पर LL

क्या रेलवे को सर्विस चार्ज वसूलने का अधिकार है?

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किसी भी होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा पर खाना खाने पर होटल मालिक अतिरिक्त सर्विस चार्ज अलग से नहीं वसूल कर सकते हैं।  यह बात सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटक्शन अथॉरिटी ने कही। होटल या किसी अन्य प्रतिष्ठान के खाने के बिल में सभी प्रकार के बिल पहले से ही जुड़े रहते हैं। इसलिए होटल मालिक बिल के साथ सर्विस चार्ज वसूलने की मनमानी नहीं कर सकते हैं। ग्राहक द्वारा जितना खाना आर्डर किया गया है उतने का बिल चुकाने के लिए ग्राहक बाध्य है।  इसके अलावा वेटर को टिप देना अथवा अन्य किसी प्रकार का भुगतान ग्राहक की स्वेच्छा पर निर्भर करता है। इसके लिए रेस्टोरेंट मालिक जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं। क्या है सरकार का आदेश? सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटक्शन अथॉरिटी ने ग्राहकों की हित की रक्षा के लिए गाइडलाइन जारी की है। इसमें कहा गया है कि कोई भी होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा किसी भी बिल के अतिरिक्त किसी प्रकार का सर्विस चार्ज अलग से वसूल नहीं कर सकता है। सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटक्शन अथॉरिटी ने स्पस्ट किया है कि खाने-पीने की चीजों में पहले से ही सरकार द्वारा जारी टैक्स बिल में शामिल होता है। यानी कि सभी टैक्स जुड़ने के बाद ही बिल जनरेट होता है

बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?

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बाल विवाह कुप्रथा क्यों है? बाल विवाह से होने वाली हानियां कौन-कौन सी हैं? भारत जैसे देश में लड़कियों के विवाह के लिए लड़कियों की मर्ज़ी और सहमति की परवाह नहीं की जाती है। लगभग 93% लड़कियों का विवाह उनकी मर्ज़ी के बिना ही किये जाते हैं। कई राज्यों में लड़कियों का विवाह बचपन में ही कर दिया जाता है। जल्दी शादी होने से लड़कियों पर बच्चे पैदा करने का दबाव भी दिया जाने लगता है। कम उम्र में माँ बनने पर लड़कियों को कई तरह से शारीरिक कष्ट झेलने पडतें है। इन्हीं कारणों से भारत में बाल विवाह निषेध किया गया है। बाल विवाह में असली दोषी कौन होता है? बाल विवाह करवाने वाले परिजन, पुरुष-महिला, रिश्तेदार, बालिग पति इत्यादि। बाल विवाह निषेध अधिनियम में बालिग अथवा नाबालिग लड़की को दोषी नहीं माना गया है। बालिग लड़का नाबालिग लड़की से शादी करता है तो क्या होगा? यदि बालिग लड़का जिसकी उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक हो और नाबालिग लड़की जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम हो से शादी करता है तो बाल विवाह अधिनयम के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। वास्तव में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की धारा 9 में बाल विवाह करने वाले बालिग पुरुष के लिए सजा क

जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?

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ऑनलाइन आवेदन दाखिल-खारिज करते समय आवश्यक कागजात क्या है? यदि आप दाखिल-खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ज़मीन के सम्बन्ध जानकारियों को ऑनलाइन आवेदन करते समय भरना होगा। जैसे ज़मीन का बैनामा किस तिथि को कराया गया था। किस निबंधन कार्यालय में कराया गया था। किस क्रम संख्या व प्रपत्र पर आपका बैनामा दर्ज है। इसके बाद आप जरूरी जानकारी ऑनलाइन फॉर्म में भरने के बाद सबमिट कर देंगे। लेकिन याद रखें अगर उत्तर प्रदेश में दाखिल-खारिज का आवेदन करना चाहते हैं तो 2012 के बाद कराए गए बैनामों का ही दाखिल खारिज ऑनलाइन संभव है। इसके पहले के दाखिल खारिज कराने के लिए आपको संबंधित तहसील में जाकर आवेदन करना होगा। ज़मीन खरीदने के कितने दिन बाद दाखिल-खारिज करवाना होता है? अमूमन दाखिल खारिज कराने की प्रक्रिया बैनामा के तुरंत बाद कराई जा सकती है। लेकिन दाखिल खारिज होने में लगभग 45 दिन का समय लग जाता है। यह संबंधित कार्यालयों में अलग-अलग हो सकते हैं। क्योंकि दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में लेखपाल व राजस्व निरीक्षक के रिपोर्ट दाखिल होने के बाद ही नामांतरण का आदेश किया जाता है। इसलिए इस प्रक्रिया

प्रधानमंत्री आवास योजना का मकान अब तक नहीं मिला? तो फिर ये तरीका अपनाएं!

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प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं? जैसे-  सरकार आपकी PMAY सबसिडी कब वापस ले सकती है?  प्रधानमंत्री आवास योजना में मिले पैसे से दुकान बना सकतें है?  प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत कितना पैसा मिलेगा?  प्रधानमंत्री आवास योजना कुल कितने घरों का निर्माण किया जायेगा? आदि। आज हम इन्हीं सवालों के विषय में बात करेंगे और बतायेंगे आप अपना नाम लिस्ट में कैसे चेक करें। प्रधानमंत्री आवास योजना क्या है? प्रधानमंत्री आवास योजना के एक आवास देने की योजना है जिसके अन्तर्गत केन्द्र सरकार देश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (गरीबों), निम्न आय वर्ग तथा मध्यम आय वर्ग के व्यक्तियों को जिनके पास खुद का घर नही है उनको स्वयं के बना-बनाया घर उपलब्ध करवाती है। प्रधानमंत्री आवास योजना में घर कब तक मिलेगा? प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) की शुरुआत मोदी सरकार द्वारा दिनांक 22 जून 2015 को की गई थी। प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य वर्ष 2022 तक प्रत्येक गरीब एवं पात्र परिवार को स्वंय का घर उपलब्ध कराना है। इस योजना को PMAY Yojana कहा जाता है। इसके अन्तर्गत सरकार द्वारा शह

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