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Showing posts from June, 2022
सत्यमेव जयते!

जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?

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ऑनलाइन आवेदन दाखिल-खारिज करते समय आवश्यक कागजात क्या है? यदि आप दाखिल-खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ज़मीन के सम्बन्ध जानकारियों को ऑनलाइन आवेदन करते समय भरना होगा। जैसे ज़मीन का बैनामा किस तिथि को कराया गया था। किस निबंधन कार्यालय में कराया गया था। किस क्रम संख्या व प्रपत्र पर आपका बैनामा दर्ज है। इसके बाद आप जरूरी जानकारी ऑनलाइन फॉर्म में भरने के बाद सबमिट कर देंगे। लेकिन याद रखें अगर उत्तर प्रदेश में दाखिल-खारिज का आवेदन करना चाहते हैं तो 2012 के बाद कराए गए बैनामों का ही दाखिल खारिज ऑनलाइन संभव है। इसके पहले के दाखिल खारिज कराने के लिए आपको संबंधित तहसील में जाकर आवेदन करना होगा। ज़मीन खरीदने के कितने दिन बाद दाखिल-खारिज करवाना होता है? अमूमन दाखिल खारिज कराने की प्रक्रिया बैनामा के तुरंत बाद कराई जा सकती है। लेकिन दाखिल खारिज होने में लगभग 45 दिन का समय लग जाता है। यह संबंधित कार्यालयों में अलग-अलग हो सकते हैं। क्योंकि दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में लेखपाल व राजस्व निरीक्षक के रिपोर्ट दाखिल होने के बाद ही नामांतरण का आदेश किया जाता है। इसलिए इस प्रक्रिया

फिल्म 'जय भीम' विवाद में हुई इन्साफ की मांग, मामला कोर्ट पहुंचा!

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जय भीम विवाद: वन्नियार संगम ने फिल्म निर्माता के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई; कहा- बोलने की स्वतंत्रता की आड़ में समुदाय का अपमान नहीं कर सकते फिल्म 'जय भीम' के खिलाफ़ मानहानि की शिकायत दर्ज करवाई 'जय भीम' फिल्म के खिलाफ़ क्या शिकायत दर्ज़ की गई। 'जय भीम' फिल्म को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। इस विवाद का सहारा लेकर वन्नियार संगम के अध्यक्ष ने 'जय भीम' फिल्म निर्माताओं के खिलाफ कथिततौर पर वन्नियारों का अपमान करने तथा उनके समुदाय को गलत तरीके से बड़े पर्दे पर चित्रित करने के लिए मानहानि की शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत पत्र में यह आरोप लगाया गया है कि समाज के हाशिए (आखरी पायदान) के वर्गों के सामाजिक सशक्तिकरण के लिए संघर्ष करने वाले समुदाय के भ्रामक चित्रण ने समुदायों के बीच कलह और असामंजस्य को उकसाया है। 'जय भीम' फिल्म इन धाराओं के अंतर्गत वाद दर्ज़ करवाया गया न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय, के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई गई है। इस शिकायत पत्र के माध्यम से आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 499 (मानहानि), 500 (मानहानि की सजा), 503

प्रधानमंत्री आवास योजना का मकान अब तक नहीं मिला? तो फिर ये तरीका अपनाएं!

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प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं? जैसे-  सरकार आपकी PMAY सबसिडी कब वापस ले सकती है?  प्रधानमंत्री आवास योजना में मिले पैसे से दुकान बना सकतें है?  प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत कितना पैसा मिलेगा?  प्रधानमंत्री आवास योजना कुल कितने घरों का निर्माण किया जायेगा? आदि। आज हम इन्हीं सवालों के विषय में बात करेंगे और बतायेंगे आप अपना नाम लिस्ट में कैसे चेक करें। प्रधानमंत्री आवास योजना क्या है? प्रधानमंत्री आवास योजना के एक आवास देने की योजना है जिसके अन्तर्गत केन्द्र सरकार देश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (गरीबों), निम्न आय वर्ग तथा मध्यम आय वर्ग के व्यक्तियों को जिनके पास खुद का घर नही है उनको स्वयं के बना-बनाया घर उपलब्ध करवाती है। प्रधानमंत्री आवास योजना में घर कब तक मिलेगा? प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) की शुरुआत मोदी सरकार द्वारा दिनांक 22 जून 2015 को की गई थी। प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य वर्ष 2022 तक प्रत्येक गरीब एवं पात्र परिवार को स्वंय का घर उपलब्ध कराना है। इस योजना को PMAY Yojana कहा जाता है। इसके अन्तर्गत सरकार द्वारा शह

सिर्फ़ दाखिल-खारिज से ज़मीन पर मालिकाना हक़ नहीं मिल जाता है, बल्कि ये काम करना होगा तभी ज़मीन के असली मालिक बन सकतें है!

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क्या संपत्ति के दाखिल-खारिज से मालिकाना हक़ मिल जाता है? उच्चतम न्यायलय (Supreme Court of India) ने संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर एक बड़ा निर्णय दिया है। उच्चतम न्यायलय (Supreme Court of India) ने एक बार पुनः स्पष्ट करते हुए कहा कि रेवेन्यू रिकॉर्ड में संपत्ति के दाखिल-खारिज (Mutation of Property) से न तो संपत्ति का मालिकाना हक मिल जाता है और न ही समाप्त होता है। न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा कि राजस्व अभिलेखों (Revenue Record) में सिर्फ एंट्री भर से उस व्यक्ति को संपत्ति का हक नहीं मिल जाता जिसका नाम रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज है। बेंच ने कहा कि रेवेन्यू रिकॉर्ड या जमाबंदी में एंट्री का केवल ‘वित्तीय उद्देश्य’ होता है। जैसे, भू-राजस्व का भुगतान। ऐसी एंट्री के आधार पर कोई मालिकाना हक नहीं मिल जाता है। ज़मीन पर मालिकाना हक कौन दिला सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने स्पस्ट किया की ज़मीन पर मालिकाना हक़ केवल सिविल कोर्ट तय कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि, सम्पत्ति के मालिकाना हक का निर्धारण एक सक्षम और अधिकार क्षेत्र वाला सिविल कोर्ट ही कर सकता है। कोर

अगर समलैंगिकता एक बीमारी है तो क़ानून किन प्रावधानों के तहत एक समलैंगिक कपल को विवाह करने की अनुमति देता है?

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अनैतिक संबंधों से जुड़े कई अपराध हैं जो व्यापक के आभाव में उलझा सकते हैं। समलैंगिकता एवं अप्राकृतिक यौन संबंध को IPC (भारतीय दंड सहिंता) की धारा-377 में अपराध घोषित किया गया है। बावजूद इसके समलैंगिक जोड़े विवाह करते मिल जायेंगे। आइये जानते है कि क्या वाकई में समलैंगिकता एक अपराध है या यह एक बीमारी है। व्यभिचार (विवाहेतर सम्बन्ध):- भारतीय दंड संहिता की धारा 497 में कहा गया है "जो कोई भी व्यक्ति किसी ऐसी महिला के साथ यौन संबंध (सेक्स रिलेशन) रखता है जो, किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी है, जिससे वह विश्वस रखने का कारण रखता है अर्थात परिचित हो, उसके पति की सहमति के बिना वह पुरुष उसके साथ संभोग करता है, ऐसा संभोग जो बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, व्यभिचार के अपराध का दोषी है" लेकिन ऐसे मामले में पत्नी दोषी नहीं होगी। व्यभिचार का वास्तविक दोषी कौन होता है? इस धारा में महिला को अपराध की शिकार और अपने पति की संपत्ति के रूप में माना गया है। इस धारा के अनुसार केवल पुरुष ही व्यभिचार का दोषी हो सकता है महिला नहीं। लेकिन इसी धारा के अधीन यह अपराध नहीं था कि यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी

क्या अनपढ़ आदमी FIR लिखवा सकता है?

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क्या होता है FIR? जब कोई अपराध घटित होता है तो अपराध करने वाले के खिलाफ़ या किसी घटना की सूचना या शिकायत पुलिस को देना या पुलिस के पास जाकर दर्ज करवाना FIR (एफआईआर) कहलाता है। FIR का मतलब है- फर्स्ट इनफॉरमेशन रिपोर्ट (First Information Report) जब किसी अपराध की सूचना पुलिस को दी जाती है तो उसे फर्स्ट इनफॉरमेशन रिपोर्ट यानि FIR कहा जाता है। FIR करवाने के कितना खर्चा आता है? FIR लिखवाने की प्रक्रिया पूरी तरह नि:शुल्क है। इसके लिए किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं देना होता है। किसी भी थाने में FIR के लिए शुल्क लेने का कोई प्रावधान नहीं है। क्या रिश्तेदारों के खिलाफ भी FIR करवाई जा सकती है? भारतीय कानून के अनुसार अपराधी को सगे संबधी या रिश्तेदार जैसे शब्दों से सुरक्षित नहीं किया गया है। अपराधी केवल अपराधी मात्र है। इसलिए प्रत्येक अपराध करने वाले के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज़ करवाई जा सकती है। फिर चाहे वह परिवार का सदस्य या रिश्तेदार ही क्यों ना हो। क्या पुलिस बिना FIR किसी को गिरफ्तार कर सकती है? एक संगीन अपराध या गंभीर अपराध वो है जिसमें बिना वारंट के पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। गैर संगीन अपरा

तलाक़ के बाद बच्चे पर ज्यादा अधिकार किसका होगा माँ का या पिता का?

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तलाक़ के बाद बच्चे पर किसका अधिकार होगा? तलाक़ ले रहे दम्पति के बीच बच्चे की कस्टडी को लेकर अक्सर विवाद उत्पन्न हो जाता है। बच्चे की कस्टडी किसे मिलेगी किसे नहीं यह कई बातों पर निर्भर करता है। मसलन बच्चे की उम्र, लिंग, परिस्थिति आदि। इसके साथ ही यह निर्णय पूरी तरह कोर्ट पर निर्भर है कि बच्चे कि कस्टडी किसको दी जाये। बच्चे का पिता अमीर है इसलिए बच्चा उसी को मिलना चाहिए? माता-पिता की आय व बेहतर शिक्षा की उम्मींद ही कस्टडी देने का मापदंड नहीं हो सकता। चूँकि बच्चा कोई सामान नहीं है जो बिना उचित तर्क के किसी एक को सौंप दिया जाये। माता-पिता की आय तो क्या बच्चे की परवरिश अच्छी ही होगी। कस्टडी की समस्या को मानवीय तरीके से हल किया जाना चाहिएः हाईकोर्ट बिलासपुर में दाखिल एक याचिका की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की बेंच ने बच्चे की कस्टडी को लेकर पेश किए गए मामले में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि "बच्चा कोई सामान नहीं है" बच्चे का कल्याण ही फैसले का आधार होना चाहिए। माता- पिता की इनकम अच्छी है और बच्चे की बेहतर शिक्षा की व्

सोशल मीडिया पर प्रोफाइल है तो साइबर अपराध भी जान लीजिये, और अपने बच्चों को इससे बचाएं!

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साइबर क्राइम क्या है भाग 2: कौन से काम साइबर अपराध माने जाते हैं सूचना एवं प्रौद्योगिकी के इस युग में सारा विश्व सायबर अपराध से जुझ रहा है। भारत में भी उन सभी कामों को सायबर अपराध बनाया गया है जो इलेक्ट्रॉनिक मध्यम से किये गये हों और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में उन्हें अपराध के रूप में उल्लेखित किया गया है। आज इस लेख में अपराधों का एक सामान्य वर्गीकरण प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्हें सारे विश्व में सायबर अपराध का नाम दिया है। साइबर अपराध कितने प्रकार के होतें हैं:- व्यक्तियों के खिलाफ अपराध। सभी प्रकार की संपत्ति (बैंक, सेविंग्स आदि) के खिलाफ साइबर अपराध, और राज्य या समाज के खिलाफ साइबर अपराध। साइबर अपराधों को इन तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है। व्यक्ति के खिलाफ अपराध  व्यक्ति (यदि महिला के सम्बन्ध में) के खिलाफ साइबर अपराधों में ई-मेल, मैसेज,  मिसकाल आदि के माध्यम से उत्पीड़न शामिल है। जिसमें किसी लड़की या लड़के का पीछा करना, मानहानि (बेज्ज़ती), या उसके कंप्यूटर सिस्टम तक अनधिकृत पहुंच, अश्लील एक्सपोजर(प्राइवेट फोटो), ई-मेल स्पूफिंग, धोखाधड़ी, या सेक्सी विडियो और अश्लील साहित्

जब पति बिना किसी कारण के पत्नी को छोड़ दें तब एक महिला के पास क्या क़ानूनी अधिकार हैं?

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जब पति बिना किसी कारण के पत्नी को छोड़ दें तब एक महिला के पास क्या क़ानूनी अधिकार बचते हैं? क्या वह महिला पति के घर वापस जा सकती है? क्या वह तलाक़ से बचने के लिए आवेदन कर सकती है? क्या उसे सम्पत्ति में हिस्सा या भरण पोषण मिलेगा? इस बारे में कानून क्या कहता है। कानून में इस सम्बन्ध में क्या प्रावधान है। इन सभी बातों पर आज हम चर्चा करेंगे।  भारत में विवाह एक पवित्र संस्था है। भारतीय कानून के तहत विवाह को पवित्र माना गया है और एक पुरुष और महिला जब विवाहित होते हैं तो उन्हें कानूनन ही अलग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त नहीं हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत विवाह को एक संस्कार है। जिसे समाप्त नहीं किया जा सकता है।  प्राचीन काल से विवाह को एक संस्कार माना जाता रहा है। वर्तमान परिस्थितियों में विवाह के स्वरूप में परिवर्तन ज़रूर आए हैं। समाज के परिवेश में रहन सहन में परिवर्तन आए हैं। यहाँ तक कि विवाह करने के तरीके में भी परिवर्तन आए हैं लेकिन इससे विवाह की पवित्रता कम नहीं होती।  कभी-कभी परिस्थिति ऐसी होती है कि जब पति बिना किसी कारण से पत्नी को घर से निकाल देता है या छोड़ देता है या विवाहेत्त

शादी के कितने दिन बाद तलाक़ ले सकते हैं?

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मैरिज काउंसलर और तलाक के मामलों के जानकार वकीलों के मुताबिक पिछले दो सालों के दौरान तलाक की अर्जियां काफी बढ़ीं। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में यह चलन बढ़ता नजर आया। इसको देखते हुए भारत के पड़ोसी देश चीन ने तलाक का नया कानून लागू कर दिया। चीन के नए क़ानून के तहत तुरंत तलाक नहीं मिलेगा बल्कि दंपती को अब तलाक के लिए 30 दिन का इंतजार करना होगा।  ताकि वे आवेग में आकर फैसले न लें और उन्हें पुनर्विचार का मौका मिल सके। भारत में सामान्यतया यह समय 6 महीने का है। यह कूलिंग ऑफ पीरियड तलाक़ के फैसलों पर विचार के लिए दिया जा है। मगर उच्चतम न्यायालय के कुछ फैसलों के मुताबिक अदालत इस बारे में स्वंय विवेकाधिकार से फैसला ले सकती है।  कूलिंग ऑफ पीरियड क्या है? तलाक की अर्ज़ी देने वाले कपल्स को तलाक के फैसले पर पुर्नविचार के लिए कोर्ट द्वारा कुछ समय दिया जाता है यह समय कूलिंग ऑफ पीरियड के नाम से जाना जाता है। इस पीरियड के दौरान जब कपल्स ठन्डे दिमाग से पुनः विचार करते हैं तो 36% प्रतिशत मामलों में कपल्स तलाक़ का विचार त्याग देते हैं जिससे टूटते परिवारों को बचाने का प्रयास किया जाता है। क्या कामयाब होता यह

सहकारी आवास समिति से शहर के बीचो-बीच कम दाम में मकान कैसे लिया जा सकता है?

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भारत में सहकारी आवास समितियां कई दशकों से मौजूद हैं जिनका गठन सहकारी आवास समितियां 1965 के अधीन किया जाता है। सहकारी आवास समितियां लाखों लोगों को सस्ते आवास, ऋण तथा अन्य सुविधाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आवास सहकारी समितियां स्व-विनियमित संस्थाएं हैं, जो उनके सदस्यों द्वारा शासित होती हैं। इनका गठन आपसी सहयोग और अपने सदस्यों की सहमति से होता है। आज इस लेख के माध्यम से एक सहकारी हाउसिंग सोसाइटी के बारे में सब कुछ जानिए, जिसमें एक में निवेश करने के लाभ भी शामिल हैं। सहकारी आवास समिति होती क्या है? एक सहकारी हाउसिंग सोसाइटी एक कानूनी रूप से स्थापित निकाय या संस्था है जो आम जरूरतों के लिए अपने सदस्यों या निवासियों के स्वामित्व में है। इकाई एक या अधिक आवासीय संरचनाओं वाली संपत्तियों का स्वामित्व और प्रबंधन करती है। सहकारी आवास समिति भूमि खरीदती है, उसका विकास करती है, फ्लैटों का निर्माण करती है और उन्हें अपने सदस्यों को आवंटित करती है। देश भर के विभिन्न राज्यों में आवास सहकारी समितियों के कामकाज का प्रबंधन अलग-अलग सहकारी समिति अधिनियमों द्वारा किया जाता है, और सहकारी सम

पति पत्नी की इच्छा के बिना उसके साथ सेक्स करे तो यह बलात्कार है और इस आधार पर तलाक लिया सकता है?

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शादीशुदा जोड़ों के बीच शारीरिक सम्बन्ध अनिवार्य व स्वभाविक प्रक्रिया है। पति और पत्नी का एक दूसरे पर  अधिकार है की शारीरिक सम्बन्ध बना सकें हैं। लेकिन जब सेक्स रिलेशन बलपूर्वक व ज़बरदस्ती होने लगे तो यह अपराध का रूप ले लेता है। किन्तु सभी मामले में ज़रूरी नहीं की ऐसा ही हो। पति अगर पत्नी की इच्छा के बिना उसके साथ सेक्स करे तो क्या यह बलात्कार है? कुछ समय पूर्व एक मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के सामने एक पेचीदा सवाल था कि पति अगर पत्नी की इच्छा के बिना उसके साथ सेक्स करे तो इस बलात्कार को अपराध माना जाना चाहिए या नहीं। हाईकोर्ट की बेंच ने इस बारे में किसी तरह की एकमत राय नहीं जताई। पैनल में मौजूद दो जजों की राय अलग-अलग थी। एक जज का विचार था कि इसे अपराध माना जाना चाहिए, वहीँ दूसरे ने इस राय से जुदा इत्तिफाक जताया। वास्तव में यह सवाल है ही टेढ़ा। भारत ही नहीं, विश्व के कई देशों में वैवाहिक बलात्कार को साबित करने और फिर उसके लिए सजा देने का मामला उलझा हुआ है। जिसका हल खोजने में कई देशों के विधि विशेषज्ञ लगे हैं। कितने देशों ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध माना जाता है? दुनिया के 150

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