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एमएलसी को मिलती हैं विधानसभा सदस्यों के जीतनी सुविधाएँ फिर भी शिक्षक खाली हाथ?

सामान्यतः जनता को लगता है कि परिषद सदस्यों के पास उनकी बात रखने का अधिकार नहीं है क्योंकि उन्होंने सोधे तौर पर न ही उन्हें चुना है और ना ही वोट दिया है। लेकिन आपको बता दें  कि क़ानूनन ऐसा नहीं है

इनके पास वे सारे अधिकार हैं, जो विधानसभा सदस्यों के पास होते हैं। आपके लिए सवाल लगा सकते हैं, आपके मुद्दे को सदन में उठा सकते हैं। आपकी सड़कें बनवा सकते है। इलाज में मदद कर सकते हैं। इन सभी कामों के लिए इन्हें पर्याप्त सुविधाएं भी दी जाती हैं। भले ही सीधे न चुना  हो आपने, फिर भी एमएलसी आपके लिए जवाबदेह होतें हैं।

विधानपरिषद के प्रतिनिधि निर्वाचन के बाद शपथ ग्रहण कर आधिकारिक तौर पर विधान परिषद सदस्य बन जाते हैं। हालांकि, औपचारिकताएं पूरी होने के बाद ये उच्च सदन के सदस्य भी बन सकते।

आइए जानते हैं कि आपके विधान परिषद सदस्यों को मिलने वाली सुविधाएं और उनके अधिकार 

एमएलसी को कितने रुपये और क्या सुविधाएँ मिलती हैं?

  • एक एमएलसी को वेतन के तौर पर ₹30,000 हर महीने मिलते हैं।
  • इसके अतरिक्त दैनिक भत्ता ₹2000
  • निर्वाचन क्षेत्र भत्ता ₹50,000 प्रतिमाह। 
  • सचिवीय भत्ता, ₹20,000 प्रतिमाह कार्यालय व्यय के लिए।
  • प्रति सदन/समितियों की बैठक में हिस्सा लेने पर ₹1500 प्रतिदिन अन्य दिनों के लिए जनसेवा भत्ता के रूप में।
  • चिकित्सा भत्ता ₹30,000 प्रतिमाह।

रिटायरमेंट के बाद नेताओं को क्या सुविधा मिलाती है?

  • बस व ट्रेन में निशुल्क यात्रा का हक मिलता है।
  • सरकारी अस्पतालों (पीजीआई या मेडिकल कॉलेज) में  मुफ्त इलाज पाने के हकदार होते हैं।
  • न्यूनतम एक साल तक सदन का सदस्य रहने पर ₹25,000/प्रतिमाह की दर से पेंशन मिलाती है।
  • हर साल ₹2000/प्रतिमाह अतिरिक्त पेंशन मिलाती है।
  • मृत्यु होने पर पारिवारिक पेंशन का लाभ मिलता है। 

कितने प्रकार के एमएलसी होते हैं?

  • विस सदस्यों द्वारा निर्वाचित एमएलसी होते हैं
  • स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों द्वारा निर्वाचित एमएलसी होते हैं
  • स्नातक और शिक्षक कोटे से चुने जाने वाले एमएलसी
  • राज्यपाल द्वारा मनोनीत एमएलसी

यात्रा करने के लिए एमएलसी को कितने रुपये मिलते हैं?

रेल से यात्रा के लिए-

  • प्रत्येक सदस्य को सेकंड क्लास रेल यात्रा के खर्चे के बराबर किराया पाने का हकदार है। जो एक महीने में चार बार मिलेगा।

सड़क मार्ग से यात्रा-

  • जहां ट्रेन की सुविधा नहीं होती है, वहां परिवहन निगम की बस से सफर करने का पात्र हैं।
  • अगर बसें भी उपलब्ध नहीं है तो प्रथम श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी के समान यात्रा का हकदार होगा।
  • यात्रा सुविधा में एक साल के लिए ₹1,25,000 के रेल कूपन दिए जाते हैं।
  • अगर सदस्य चाहे तो इतने ही मूल्य का वायुयान के लिए कूपन ले सकता है।
  • विकल्प के तौर पर उसे ₹25,000 रुपये निजी वाहन में पेट्रोल-डीजल के लिए भी दिया जा सकता है।
  • यह सभी विकल्प ₹1,25,000 के रेल कूपन के तहत होंगे।

सुविधाएँ और भी है-

  • सरकारी अस्पतालों में फ्री इलाज की सुविधा अनुमन्य है। अगर इन अस्पतालों में विस सदस्य ने कुछ खर्च किया होगा तो उसकी प्रतिपूर्ति का वह हकदार होगा और उसे वह सरकार से ले सकता है।
  • सदस्य का निधन होने पर अनुमन्य पेंशन या दस हजार रुपये, जो अधिक हो, उसे परिवार को आजीवन दिया जाएगा।
  • सत्रकाल में कोई सदस्य राज्य अतिथिगृह में निर्धारित किराए की दर पर निवास कर सकता है।
  • विधान भवन में पुस्तकालय, शोध व संदर्भ सेवा और एक पोस्ट ऑफिस की सुविधा मिलेगी।
  • आवास और वाहन खरीद के लिए सदस्य ₹2 लाख सदस्य ले सकते हैं। उसकी अदायगी के बाद दोबारा वह ₹2 लाख रुपये लेने के पात्र होंगे।

आवास की सुविधा में क्या दिया जाता है?

  • एक एमएलसी लखनऊ में ऐसे आवास का हकदार होगा, जिसके किराए का उसे भुगतान नहीं करना होगा। आवास की व्यवस्था न होने पर 300 रुपये प्रतिमाह आवास भत्ता दिया जाएगा। 

टेलिफोन सुविधा के लिए कितना मिलेगा?

  • टेलिफोन और इंटरनेट के लिए ₹6000 प्रतिमाह मिलेगें।

कार्यक्षेत्र कितना होता है?

विधानपरिषद सदस्यों के भी वही अधिकार होते हैं, जो विधानसभा सदस्यों के होते हैं। फर्क बस इतना है कि विस सदस्यों के क्षेत्राधिकार केवल उनके निर्वाचन क्षेत्र के होते हैं, जबकि विधायकों द्वारा निर्वाचित और राज्यपाल द्वारा मनोनीत विधानपरिषद सदस्यों का कार्यक्षेत्र पूरा प्रदेश हो सकता है।

इसके अलावा स्थानीय निकाय कोटे, शिक्षक व स्नातक कोटे के विधान परिषद सदस्यों को क्षेत्राधिकार उनका निर्वाचन क्षेत्र है। विस सदस्यों द्वारा निर्वाचित व राज्यपाल द्वारा मनोनीत सदस्यों का कार्यक्षेत्र पूरा प्रदेश होता है पर उनका निवास या उसके पास का जिला उनका नोडल जिला होता है।

क्या काम करवा सकते हैं

क़ानूनन अपनी निधि में से जैसे विधान सभा सदस्य शिक्षण संस्थाओं को अनुदान, इलाज में मदद , सड़कों पुलिया आदि के निर्माण के लिए निधि दे सकते हैं, ठीक उसी तरह विधान परिषद सदस्य भी अपनी निधि का प्रयोग कर सकते हैं।

स्नातक स्तर और शिक्षक कोटे से चुने जाने वाले एमएलसी का कार्य

स्नातक और शिक्षक कोटे से चुने जाने वाले एमएलसी को शिक्षकों का हितैषी माना जाता है। बावजूद इसके प्राइवेट शिक्षकों का कोई एसोसिएशन नहीं है। एक एमएलसी को अधिकार है की वह शिक्षकों को दिए जाने वाले वेतन का न्यूनतम मानक तय करा सकते हैं।
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योजनाओं के भी होते हैं अधिकार

सरकार कई बार त्वरित विकास योजना भी चलाती है, जिसके तहत विधान सभा व विधान परिषद सदस्यों को काम करवाने के प्रस्ताव देने का अधिकार होता है। कई बार सरकार केवल एक ही सदन के सदस्यों या दोनों को प्रस्ताव देने का अधिकार दे सकती है।

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