अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए किसकी अनुमति ज़रूरी है? क्या कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है? जानिए प्राविधान

जब कोई अपराध घटित होता है तो अपराध करने वाले के खिलाफ़ या किसी घटना की सूचना या शिकायत पुलिस को देना या पुलिस के पास जाकर दर्ज करवाना FIR (एफआईआर) कहलाता है। FIR का मतलब है- फर्स्ट इनफॉरमेशन रिपोर्ट (First Information Report) जब किसी अपराध की सूचना पुलिस को दी जाती है तो उसे फर्स्ट इनफॉरमेशन रिपोर्ट यानि FIR कहा जाता है।
FIR लिखवाने की प्रक्रिया पूरी तरह नि:शुल्क है। इसके लिए किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं देना होता है। किसी भी थाने में FIR के लिए शुल्क लेने का कोई प्रावधान नहीं है।
भारतीय कानून के अनुसार अपराधी को सगे संबधी या रिश्तेदार जैसे शब्दों से सुरक्षित नहीं किया गया है। अपराधी केवल अपराधी मात्र है। इसलिए प्रत्येक अपराध करने वाले के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज़ करवाई जा सकती है। फिर चाहे वह परिवार का सदस्य या रिश्तेदार ही क्यों ना हो।
एक संगीन अपराध या गंभीर अपराध वो है जिसमें बिना वारंट के पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। गैर संगीन अपराध जिसमें बिना वारंट के पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती है। जिसमें व्यक्ति कि गिरफ्तारी के लिए वारंट होना चाहिए होता है।
FIR लिखवाने वाला व्यक्ति यदि अनपढ़ है उसे पढ़ना-लिखना में से कुछ भी नहीं आता है। तो वह भारतीय क़ानून के तहत थाने में जाकर FIR बोलकर लिखवा सकता है। सीआरपीसी (Cr.P.C.) की धारा 154 के तहत किसी मामलों में कोई सूचना पुलिस थाने को दी जाती है या उस थाने के पुलिस इंचार्ज को मौखिक रूप में कोई सूचना दी है तो वहाँ के इंचार्ज का कर्तव्य है कि उसे लेख बंद करे और उसके बाद शिकायत दर्ज कराने वाले को पढ़कर सुनाई जाए।
क़ानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि आप को FIR लिखकर ही देनी पड़ेगी या आप अनपढ़ है तो आप FIR नहीं लिखवा सकते। आप अपनी समस्या बोलकर बता सकते हैं जो थाने का इंचार्ज लिख कर आपको पढ़कर सुनायेगा जो भी अपने FIR में लिखवा है और इस FIR की एक कॉपी आपको भी देगा।
जब कोई व्यक्ति खासकर लड़की किसी अपराध के विरुद्ध FIR लिखवाना चाहती है और वह अपने जन्म स्थान अथवा निवास स्थान वाले राज्य या जिले से बहार अर्थात अपने क्षेत्र के अतिरिक्त अगर किसी ज़िले या राज्य क्षेत्र में है तो वहां पर वह FIR लिखवा सकती है। उस थाने का प्रभारी उस महिला के द्वारा दी गई सूचना के आधार पर ज़ीरो FIR दर्ज़ करेगा।
मान लीजिए कि कोई लड़की दिल्ली ने है लेकिन रहने वाली वह बनारस की है ऐसे में किसी भी अपराध की जानकारी वह वहीँ के किसी थाने पर लिखवा सकती है भले ही वह घटना उसके साथ बनारस में ही क्यों ना हुई हो
यदि पुलिस अधिकारी को सूचना देने के बाद भी अधिकारी उस सूचना को लेने से मना कर देता है। तो व्यक्ति अपनी FIR को डाक द्वारा संबंधित पुलिस अधीक्षक को भेज सकता है। यदि अधीक्षक को यह यकीन हो जाता है कि अपराध की रिपोर्ट जान-बुझकर नहीं लिखी गई है तो वह अधिकारी स्वयं मामले का निरीक्षण करेगा और अधीनस्थ अधिकारी को इस संबंध में निर्देश देगा कि उस विषय में उसकी जांच कर थाने के अधिकारी को निर्देश देगा की मामला दर्ज़ किया जाये।
मोबाइल, चेन और वाहन चोरी की शिकायतें ऑनलाइन भी दर्ज हो सकेगीं। क्योंकि गृह विभाग की ओर से जल्द ही ई-एफआईआर प्रोजेक्ट लॉन्च किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत कोई नागरिक पर बैठे कम्प्यूटर लैपटॉप या मोबाइल फोन से एफआईआर दर्ज करा सकेगा और पुलिस को इसकी जांच भी करनी होगी।
गृह विभाग के ई-एफआईआर (e-FIR) प्रोजेक्ट के तहत चोरी हुई चीज के डॉक्यूमेंट्स और बिल के साथ घटना स्थल की जानकारी अपलोड करने के साथ दर्ज होगी एफआईआर
ई-एफआईआर प्रोजेक्ट के तहत ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराने के लिए व्यक्ति को जो चीज चोरी हुई है, उसके डॉक्यूमेंट्स तथा जिस जगह से चोरी हुई है, वहां की जानकारी व यदि सीसीटीवी फुटेज हो तो वह भी अपलोड करने होंगे। डॉक्यूमेंट्स और घटना स्थल की जानकारी अपलोड करते ही एफआईआर दर्ज हो जाएगी। दर्ज़ FIR किस पुलिस कर्मचारी या अधिकारी को सौंपी गई है इसका मैसेज शिकायतकर्ता के मोबाइल पर मिल जाएगा।
राज्य में मोबाइल फोन चोरी और चैन स्नैचिंग की घटनाएं आम हो गई है। वाहन चोरी की घटनाओं में भी लगातार इजाफा हो रहा है। लेकिन पुलिस थानों में क्राइम रेट कम दर्शाने के लिए इस तरह की वारदातों की प्राथामिकता नहीं डी जाती थी और केस सम्बंधित थानों ट्रांसफ़र करना शुरू कर दिया था। सिर्फ 10 फीसदी मामलों में ही दर्ज होती है एफआईआर। साथ ही ऐसे मामलों में थानेदार् रिपोर्ट ना लिखकर बस अर्ज़ी लेकर पीड़ित को टरका देते थे। इसी के चलते गृह विभाग ने ई-एफआईआर (e-FIR) प्रोजेक्ट को लाँच किया। इस प्रोजेक्ट के तहत मोबाइल वाहन चोरी, चेन चोरों जैसे घटनाओं में जाना नहीं पड़ेगा। व्यक्ति को अपने घर से मोबाइल फोन या कम्प्यूटर से ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करा सकेगा।
कई बार धक्के खाने के बाद भी सिर्फ कच्ची अर्जी लेकर पीड़ित व्यक्ति को थाने से रवाना कर दिया जाता है। कई मामलों में तो पीड़ित व्यक्ति की चप्पल घिस जाती थी। फिर भी पुलिस शिकायत दर्ज नहीं करती है। पुलिस के इस तरह के रवैए को लेकर लंबे समय से पुलिस महानिदेशक के साथ ही गृह विभाग को भी शिकायतें मिल रही थी।
पुलिस के सिटीजन पोर्टल से लापता हुई चीजें और व्यक्तियों की जानकारी दर्ज कराने करवाई जा सकती है। इसके अलावा सिनियर सिटीजन पंजीकरण और अर्जी की स्थिति के बारे में भी पता लगाया जा सकता है। गृह विभाग के मुताबिक ई-एफआईआर प्रोजेक्ट को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले महानगरों में लागू किया जायेगा इसके बाद अगले चरण में प्रदेश के सभी जिलों में इस व्यवस्था को लागू कर दिया जायेगा।
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