Posts

Showing posts from October, 2021
सत्यमेव जयते!

हिन्दू धर्म में दूसरी पत्नी अपने पति की पुश्तैनी व निजी सम्पति पाने का अधिकार कब खो देती है?

Image
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार उन व्यक्तियों का वर्णन कीजिए जो पैतृक संपत्ति पाने के अयोग्य हैं? अयोग्यता (Disqualification of Hindu) हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 24 से लेकर 29 तक में कुछ आधारों का उल्लेख किया गया है। जिन पर कि एक व्यक्ति पत्रक संपत्ति पाने के अयोग्य है। ये निर्योग्यतायें निम्नलिखित हैं- पुनर्विवाह से उत्पन्न निर्योग्यता (धारा 24) हत्या का अपराध (धारा 25) धर्म परिवर्तन से उत्पन्न निर्योग्यता (धारा 26) पुनर्विवाह पुनर्विवाह से उत्पन्न निर्योग्यता धारा 24 के अंतर्गत इस निर्योग्यता के विषय में उल्लेख किया गया है। यह धारा उपबंधित करती है- "जो कोई दायद पूर्व मृत पुत्र की विधवा पूर्व मृत पुत्र के पुत्र की विधवा या भाई की विधवा के रूप में निर्वसीय से नातेदारी रखती है? यदि उत्तराधिकार के सूत्रपात होने की तिथि में पुन: विवाह कर लेती है। तो वह निर्वसीयत की संपत्ति ऐसी विधवा के रूप में उत्तराधिकार प्राप्त करने की हकदार नहीं होगी।" इस धारा से स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति की विधवा पुनर्विवाह (Remarriage) कर लेने के पश्चात उसकी विधवा नहीं रह जाती और उस

किसी कारखाने को बंद होने पर बेरोजगार हुए कर्मचारियों को नौकरी देने की जिम्मेदारी किसकी? जैसा स्कूटर इन्डिया व फोर्ड मोटर के मामले में हुआ!

Image
किसी उपक्रम को बंद करने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए। उपक्रम को बंद करने की प्रक्रिया- धारा 25 (O) में उपबंधित प्रक्रिया का पालन उपक्रम के बंद करने के लिए नियोजक हेतु आवश्यक है। इसके अनुसार- 1- नियोजक, जो औद्योगिक उपक्रम को बंद करना चाहता है आशयित बंदी प्रभावी होने वाली तिथि से कम से कम 90 दिनों पूर्व बंदी के लिए अनुमति हेतु आशयित बंदी के कारणों का अभिकथन करते समुचित सरकार के पास आवेदन बंदी के लिए अनुमति प्राप्त करने के लिए देगा और विस्तृत विहित रीति से कर्मकारों के प्रतिनिधियों को भी ऐसे आवेदन की एक प्रतिलिपि प्रदान की जाएगी। परंतु इस उप धारा की कोई बात भवन, पुल, सड़कें, नहरे, बांध या अन्य निर्माण कार्य के लिए स्थापित उपक्रम पर लागू नहीं होगी। मेसर्स उड़ीसा टेक्सटाइल स्टील लिमिटेड बनाम उड़ीसा राज्य तथा उत्तर प्रदेश राज्य तथा इंडियन ऑक्सीजन लिमिटेड के निर्णय अनुसार जब समुचित सरकार उपक्रम बंद करने के लिए अनुमति देगी या इंकार करेगी तो वह लिखित होगी और उसमें कारणों का भी उल्लेख रहेगा। धारा 25 (O) का प्रावधान संविधानिक तथा वैध है।  जब भी किसी उपक्रम को बंद करना है तो साल के अंत में क्ल

भारत में पेट्रोल पम्प खोलने की पूरी जानकारी जो आप का काम आसान बना देगी!

Image
देश में पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के बीच लोग पेट्रोल पंप खोलने की जुगत जानने में लग गये हैं, इसके पीछे क्या वजह है जानिए इस लेख में- कोई भी भारतीय भारत में पेट्रोल पंप खोलने के लिए कैसे आवेदन कर सकता है और खोलने की पूरी प्रक्रिया क्या है? पेट्रोल पंप का संचालन भारत के सबसे आकर्षक व्यवसायों में से एक माना जाता है। देश में ज्यादातर पेट्रोल पम्प मालिक या तो राजनेता है या फिर व्यापारी। लेकिन बहुत से लोग भारत में पेट्रोल पंप लाइसेंस लेने की प्रक्रिया नहीं जानते हैं। एक रिपोर्टों के अनुसार, भारत में लगभग 84,645 पेट्रोल पंप हैं। इन पेट्रोल पंपों के अलावा, 3 सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग फर्में; भारत पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (BPCL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (HPCL) और इंडियन ऑयल कॉर्प (IOC) ने नवंबर 2019 में भारत में 78,493 अधिक पेट्रोल पंप खोलने के लिए विज्ञापन दिया था। इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि वर्ष 2021 में भारत में पेट्रोल पंप खोलने के कई अवसर हैं। लेकिन आज भी सटीक जानकारी के अभाव में, बहुत से लोग देश में पेट्रोल पंप खोलने की प्रक्रिया नहीं जानते हैं। भारत रणनीतिक पेट्रोल

अगर यह काम हुआ तो पुश्तैनी ज़मीन जायदाद से हाथ धोना पड़ सकता है!

Image
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार उन व्यक्तियों का वर्णन कीजिए जो पैतृक संपत्ति पाने के अयोग्य हैं? अयोग्यता (Disqualification of Hindu) हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 24 से लेकर 29 तक में कुछ आधारों का उल्लेख किया गया है। जिन पर कि एक व्यक्ति पत्रक संपत्ति पाने के अयोग्य है। ये निर्योग्यतायें निम्नलिखित हैं- पुनर्विवाह से उत्पन्न निर्योग्यता (धारा 24) हत्या का अपराध (धारा 25) धर्म परिवर्तन से उत्पन्न निर्योग्यता (धारा 26) पुनर्विवाह पुनर्विवाह से उत्पन्न निर्योग्यता धारा 24 के अंतर्गत इस निर्योग्यता के विषय में उल्लेख किया गया है। यह धारा उपबंधित करती है- "जो कोई दायद पूर्व मृत पुत्र की विधवा पूर्व मृत पुत्र के पुत्र की विधवा या भाई की विधवा के रूप में निर्वसीय से नातेदारी रखती है? यदि उत्तराधिकार के सूत्रपात होने की तिथि में पुन: विवाह कर लेती है। तो वह निर्वसीयत की संपत्ति ऐसी विधवा के रूप में उत्तराधिकार प्राप्त करने की हकदार नहीं होगी।" इस धारा से स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति की विधवा पुनर्विवाह (Remarriage) कर लेने के पश्चात उसकी विधवा नहीं रह जाती और उस

किसी कम्पनी का नाम या उत्पाद की नक़ल करने से कैसे रोका जा सकता है? क्या है क़ानूनी उपाय!

Image
व्यापार चिन्ह के उल्लंघन से आप क्या समझते हैं? इसके उल्लंघन के आवश्यक तत्व क्या है? व्यापार चिन्ह के उल्लंघन के फलस्वरुप वादी को क्या उपचार उपलब्ध है? वादी को ऐसे बाद में क्या सिद्ध करना चाहिए तथा प्रतिवादी को क्या बचाव लेने चाहिए? व्यापार चिन्ह के उल्लंघन का अर्थ ( Meaning of the Infringement of Trade Mark) व्यापार चिन्ह से तात्पर्य ऐसे चिन्ह से है, जो यह प्रकट करता है कि कथित माल किसी व्यक्ति विशेष द्वारा निर्मित हुआ है। यह एक प्रकार का प्रतीक होता है जो उस माल से संलग्न होता है। जिससे उसी प्रकार के दूसरे माल से उसे अलग पहचाना जा सकता है। ट्रेडमार्कस एक्ट 1999 के प्रावधानों के अनुसार व्यापार चिन्ह किसी भी रीति, प्रतीक, नाम, हस्ताक्षर, चिन्ह या उनके मिश्रण द्वारा प्रकट किया जा सकता है। व्यापार चिन्ह के उल्लंघन का अर्थ यह है कि इसके समान अथवा मिलता-जुलता ऐसा चिन्ह बनाना जिससे ग्राहकों को यह भ्रम हो कि यह माल उसी संस्थान द्वारा बनाया गया है। जो इस व्यापार चिन्ह के स्वामी हैं। इस विषय में जनता के भ्रम का स्पष्ट आधार होना चाहिए कि केवल संभावना मात्र से कोई दावा नहीं लाया जा सकता। असली व न

कैसे होता है उपभोक्ताओं के अधिकारों का संरक्षण जानिए विस्तार से!

Image
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (1986 का 68) की धारा 30A द्वारा प्रदत शक्तियों के अभ्यास में, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ निम्नलिखित नियम बनाता है: - 1. संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ-  इन विनियमों को उपभोक्ता संरक्षण विनियम, 2005 के नाम से जाना जायेगा है। यह आधिकारिक राजपत्र में अपने प्रकाशन की तिथि से लागू होंगे। 2. परिभाषाएँ- इन नियमों में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो (जो कहा गया है उसके अतिरिक्त, (i) "अधिनियम" का अर्थ है उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (1986 का 68); (ii) "उपभोक्ता फोरम" का अर्थ है जिला फोरम। एक उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग धारा 9 के खंड (ख) के तहत एक राज्य में स्थापित (उसके बाद राज्य आयोग कहा जाता है) या राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग; (iii) "रजिस्ट्रार" का अर्थ है उपभोक्ता फोरम के मंत्री पद का प्रमुख और ऐसी शक्तियां और कार्य करना जो उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष द्वारा उसे प्रदान किए जाते हैं: (iv) "नियम" का अर्थ अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों से है;

अब चीन के बने फ़ोन भी भारत में बंद होने जा रहे है, जानिए कौन-कौन से फ़ोन बंद होंगे!

Image
चीन के स्मार्टफोन पर भारत की सख्ती, पहले से मौजूद ऐप की होगी जांच  भारत सरकार बहुत जल्द चीनी मोबाइल कंपनियों के स्मार्टफोन पर सख्ती बढ़ाने की योजना बना रही है। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि सरकार चीनी स्मार्टफोन के कलपुर्जे (parts) और उसमें पहले से मौजूद एप्स (Apps) की जांच करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की ओर से चीनी स्मार्टफोन कंपनियों से उनके फोन में इस्तेमाल कंपोनेंट्स और डाटा को लेकर जानकारी मांगी गई है। कौन-कौन स्मार्ट फ़ोन भारत में हैं चीनी कंपनियों के? चीन द्वारा निर्मित स्मार्टफोन हैं- Vivo (वीवो) Oppo (ओप्पो) Xiaomi (श्यओमी)  One Plus (वनप्लस) इन चीनी कंपनियों को नोटिस दिया गया है। भारतीय मोबाइल बाजार में इन कंपनियों की 50 फ़ीसदी से ज़्यादा की हिस्सेदारी है। ET (ईटी) की रिपोर्ट के मुताबिक नया नोटिस देश में चीनी कंपनियों के खिलाफ एक बड़ी कार्यवाही का हिस्सा होने की उम्मीद है। इससे पहले एलएसी (LAC) पर दोनों देशों के बीच तनाव के बाद भारत इस तरह के कदम उठा चुका है। सरकार ने इसलिए उठाया यह कदम! सरकार का मकसद यह जानना है कि चीनी कंपनियों के स्मार्टफोन भारतीय कंज्यूमर्स के लिए स

डीएनए (DNA) रिपोर्ट ना आए तो डीजीपी (DGP) हाई कोर्ट में हाजिर हो!

Image
मैनपुरी के जवाहर नवोदय विद्यालय में दो साल पहले 16 वर्षीय स्कूल छात्रा की कॉलेज में मौत के मामले में एसआईटी (SIT) ने हाईकोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट की। मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने एसआईटी (SIT) की रिपोर्ट देखी और कहा कि कोर्ट इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि 25 अक्टूबर को डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट नहीं आ जाती है तो डीजीपी उस दिन कोर्ट में हाजिर रहें। कोर्ट में अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने एसआईटी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि जांच एजेंसी ने छात्रा की मौत के मामले में 170 डीएनए सैंपल टेस्ट रिपोर्ट के लिए भेजे हैं। अभी तक टेस्ट रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि देर से रिपोर्ट क्यों भेजी गई कोर्ट ने इस मामले में 25 अक्टूबर को दोबारा सुनवाई का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश महेंद्र प्रताप सिंह की तरफ से दायर जनहित याचिका पर दिया है। मालूम हो कि हाईकोर्ट ने इस मामले में इससे पूर्व प्रदेश के डीजीपी को लगातार दो दिन कोर्ट में तलब किया था। डीजीपी ने इस मामले में एसआईटी की एक नई टीम गठित कर कोर्ट को बताया था कि इसमें

Weekly Roundup : Law news | RBI ने SBI पर लगाया 1 करोड़ का जुर्माना!

Image
News : 1 आरबीआई (RBI) ने एसबीआई (SBI) और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक पर लगाई पेनल्टी Judicialguru.in  : weekly roundup भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार नियामक अनुपालन में कमियों के लिए देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। वहीं केंद्रीय बैंक ने प्राइवेट बैंक स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक पर भी 1.95 करोड रुपये का जुर्माना लगाया है। रिजर्व बैंक के बयान के मुताबिक स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक निर्धारित समय के अंदर साइबर सुरक्षा घटना की रिपोर्ट करने में विफल रहा है। साथ ही उसने अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन वाली रकम को वापस खाताधारक के खाते में क्रेडिट भी नहीं किया। इसी लापरवाही के मद्देनजर आरबीआई ने बैंक पर यह पेनल्टी लगाई है। ------------------------------------------- News : 2 फ्यूल पर एक्सरसाइज में कटौती होगी  चुनावी माहौल के बीच आखिरकार पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से आम लोगों को कुछ राहत देने की कवायद शुरू हो गई है। पेट्रोलियम व वित्त मंत्री के बीच बातचीत का दौर शुरू हो चुका है कि किस तरह से पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों को कम किया जाए। सूत्रों के अनुसार प

एससी/एसटी अधिनियम (SC/ST Act) के तहत केस दर्ज़ करवाने को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ये कहा!

Image
एससी/एसटी एक्ट के तहत शिकायतकर्ता की जाति बहुत ही महत्वपूर्ण और अनिवार्य शर्तः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक सुनवाई के दौरान माना कि अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम के अन्तरगत शिकायतकर्ता की जाति विशेष महत्व रखती है और अनिवार्य है और यह नहीं माना जा सकता है कि शिकायतकर्ता एफआईआर (FIR) में यह उल्लेख करना भूल गया होगा कि हमलावरों ने उसकी जाति पर टिप्‍पणी नहीं की होगी। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने इन टिप्पणियों के साथ अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3 (2) (5 ए) के अन्तरगत दर्ज कराये गये मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ आरोप को खारिज कर दिया, जिस पर शिकायतकर्ता के खिलाफ जातिगत टिप्पणी करने का मामला दर्ज था। क्या था पूरा मामला? अलकेश और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य के वाद में- 12 अप्रैल 2016 को अपीलार्थी और परिवादी के बीच झगड़ा हो गया था। जिसमें शिकायतकर्ता ने एफआईआर (FIR) में आरोप लगाया था कि मौके पर सभी धर्म व जाति के लोग थे और देखते-देखते विवाद बढ़ गया क्योंकि शिकायतकर्ता जगदीश को अपीलकर्ता नंबर एक अलकेश ने भीड़

वकीलों की सरकारी फौज में कई योद्धा अनफिट!

Image
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकार का पक्ष रखने के लिए बनाई गई अधिवक्ताओं की फौज में कई ऐसे अधिवक्ता हैं जो कोर्ट के भीतर सरकार के पक्ष में बहस नहीं कर सकते। शासकीय अधिवक्ताओं के पैनल में किसी तरह उन्हें जगह तो मिल गई है लेकिन एडवोकेट रोल में नाम न शामिल होने की वजह से अदालतों में उनकी ड्यूटी रोक दी गई है। ऐसे वकीलों की संख्या तीन दर्जन से अधिक हैं। उनकी जगह दूसरे वकील खड़े किए जा रहे हैं। सवाल उठने लगा है कि आखिर सरकारी वकीलों की नियुक्ति से पहले उनके एडवोकेट रोल की जांच क्यों नहीं की गई। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस समय लगभग 500 से अधिक राज्य विधि अधिकारी है। इनका दायित्व हाईकोर्ट में चल रहे विभिन्न मुकदमों में सरकार का पक्ष रखना और उसका बचाव करना है। नीतिगत मामलों से जुड़े विषयों में इनकी भूमिका अहम हो जाती है क्योंकि इसमें अच्छी पैरवी न होने पर राज्य सरकार को किरकिरी का सामना करना पड़ता है। विपक्ष को हमले करने का अवसर अलग से हासिल हो जाता है। इसलिए राज्य सरकारें दक्ष वकीलों की फौज खड़ी करती है।  सरकार बनने के बाद पिछली सरकार में नियुक्त राज्य विधि अधिकारियों को हटाकर लगभग 400

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि कोरोना महामारी के बाद EWS वर्ग के बच्चों के लिए क्या-क्या किया!

Image
EWS छात्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को ऑनलाइन क्लास के लिए सरकार, गैजेट्स मुहैया कराए। SC ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों को EWS बच्चों के लिए गैजेट्स के फंड के लिए योजना तैयार करने का निर्देश दिया। SC ने केंद्र और दिल्ली सरकार को तत्काल आधार पर एक साथ काम करने का निर्देश दिया।अदालत ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि बच्चे संसाधनों की कमी के कारण शिक्षा वंचित ना रहें। निजी और सरकारी दोनों स्कूलों के EWS बच्चों के लिए गैजेट्स की फंडिंग होनी चाहिए। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बच्चे इस देश का भविष्य हैं, उनकी जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हर तबके के बच्चों की  जरूरतों को पूरा किया जाना चाहिए, चाहे उनके पास जो भी संसाधन हों। EWS  बच्चों के माता-पिता पर्याप्त संपन्न नहीं होते हैं। एक तरफ हम EWS बच्चों को मुख्यधारा में मिलाते हैं लेकिन जिस बच्चे की मां नौकरानी या पिता ड्राइवर है उसे लैपटॉप कैसे मिलेगा। स्कूल वीडियो भेजते हैं, बच्चे उन तक कैसे पहुंचेंगे यह निश्चित किया जाना आवश्यक है। डिजिटल ड

लड़कियों ने अगर शार्ट ड्रेस पहनी है तो इमामबाड़े में नो एंट्री!

Image
लखनऊ के मशहूर पर्यटन स्थल बड़े इमामबाड़े में शॉर्ट ड्रेस पहन कर आने वाले पर्यटक को अब एंट्री नहीं दी जाएगी। वहीं, बड़े और छोटे इमामबाड़े में जरीह वाली जगह और पिक्चर गैलरी में महिलाओं को सिर पर स्टोल रखकर ही जाना होगा। सिर्फ भूल भुलैया, बावली व अन्य जगह पर ही महिलाएं बिना स्टोल के जा सकेंगी। ट्रस्ट के अध्यक्ष और जिला अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने शनिवार को इस के निर्देश जारी किए। बड़े इमामबाड़े के प्रभारी हबीबुल हसन ने बताया कि ट्रस्ट ने इमामबाड़े में स्टोल रखवा दिए हैं। इस निर्देश के लिए रविवार को बाकायदा बोर्ड भी लगवा दिया जाएगा। उन्होंने बताया है कि किसी भी अशोभनीय कृत्य को रोकने के लिए ट्रस्ट ने अपने लोगों की ड्यूटी भी लगाई है। डांस वीडियो शूट के मामले में केस दर्ज बड़े इमामबाड़े के अंदर एक युवती का डांस का वीडियो वायरल होने के बाद सिया तंजीम हुसैनी टाइगर्स के अध्यक्ष नकी हुसैन की तरफ से चौक कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया गया। हुसैनी टाइगर्स ने एएसआई जिलाधिकारी और मंडल आयुक्त को पत्र लिखकर संरक्षित इमारतों में सीसीटीवी (CCTV) कैमरे लगाए जाने और इन इमारतों के अंदर मोबाइल के साथ एंट्री पर

अब दिक्कत होने पर छ: महीने के गर्भ का भी हो सकेगा गर्भपात, सरकार ने गाइडलाइन जारी की!

Image
केंद्र सरकार ने बढ़ाई Abortion की समय-सीमा, अब प्रेग्नेंसी के इतने हफ्ते तक हो सकेगा गर्भपात। क्या है नियम- अगर कोई महिला गर्भ गिराने का फैसला करती है तो मेडिकल बोर्ड को महिला और उसकी रिपोर्ट की जांच कर तीन दिन के भीतर गर्भावस्था की समाप्ति के निवेदन को स्वीकार या अस्वीकार करने के संबंध में राय देनी होती है। सरकार ने क्या बदलाव किया है? केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2021 को गर्भपात (Abortion) संबंधी नये नियम जारी किये हैं. सरकार ने गर्भपात संबंधी नये नियम जारी (अधिसूचित) किये हैं। अब से कुछ विशेष वर्ग की महिलाओं के मेडिकल गर्भपात के लिए गर्भ की समय सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह (पांच महीने से बढ़ाकर छह महीने) कर दिया गया है। नए नियम मार्च में संसद में पारित गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021 के नाम से अधिसूचित किए गए हैं। पहले से क्या प्रावधान मौजूद था? अब तक पुराने नियमों के अंतर्गत, 12 सप्ताह (तीन महीने) तक के भ्रूण का गर्भपात कराने के लिए एक डॉक्टर की सलाह लेनी होती थी और 12 से 20 सप्ताह (तीन से पांच महीने) के गर्भ के मेडिकल समापन के लिए दो डॉक्टरों की सलाह जरूरी होती थ

अब से करवाएं गाड़ी का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं तो जुर्माना भरने को तैयार रहें!

Image
अब गाड़ियों का कराना होगा थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, नहीं तो मिल जाएगा नोटिस! देश में गाड़ियों के इंश्योरेंस को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। जिसमें बताया जा रहा है की गाड़ियों के इंश्योरेंस पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया गया है। थर्ड पार्टी इंस्योरेंस करवाना अनिवार्य हो गया है। बता दें कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने यह फैसला लिया है। मंत्रालय ने बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के सहयोग से सभी राज्यों में थर्ड पार्टी इंश्योरेंस सुनिश्चित करने को लेकर बड़ा फैसला लिया है। इस थर्ड पार्टी पॉलिसी को लेकर बताया जा रहा है कि कुछ अन्य राज्यो में इसकी शुरुआत कर दी गई है. इसको लेकर कुछ राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट जारी है। इसको लेकर यह भी बताया जा रहा है कि फिलहाल पहले चरण में सड़क पर चलने वाली गाड़ियों का ही थर्ड पार्टी इंश्योरेंस जांचा जा रहा है। जब इसकी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी उसके बाद वैसी गाड़ियां जो सड़क पर नजर नहीं आ रही हैं उनकी भी जांच की जाएगी। बता दें कि केंद्र सरकार की बीमा विनियामक और विकास प्राधिकार एजेंसी यह सभी राज्यों के डीटीओ को यह जानकारी देगा कि किस गाड़ी का थर्ड प

अब पूरी दुनिया में एक जैसा टैक्स स्लैब होगा!

Image
आखिर 15 फ़ीसदी ग्लोबल मिनिमम कारपोरेट टैक्स वसूले जाने के प्रस्ताव पर ऐतिहासिक सहमति हो गई।  आयरलैंड, एस्टोनिया और हंगरी इन तीनों देशों में लो टैक्स को को लेकर इस प्रस्ताव पर आपत्ति थी। गहन बातचीत में कई तरह की रियायतें और अपवाद सुनिश्चित करने के बाद तीनों देश मान गए और इस प्रस्ताव का अमल में आना लगभग तय हो गया। कुल 140 देशों में से 136 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। समझौते के लिए बातचीत की अगुवाई कर रहे संगठन को OECD ओईसीडी (ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकनोमिक कॉ-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट) के मुताबिक यह समझौता वैश्विक अर्थव्यवस्था का 90 फ़ीसदी हिस्सा कवर कर लेगा। इस समझौते की अहमियत इस बात में है कि इससे पिछले 40 वर्षों से विभिन्न देशों के बीच जारी टैक्स कम कर के निवेशकों और मल्टीनेशनल कंपनियों को लुभाने की होड़ कम करने में मदद मिलेगी। अभी तमाम बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना मुख्यालय उन देशों में रखती हैं जहां टैक्स सबसे कम होता है। नतीजा यह है कि यह कारोबार चाहे जिस देश में भी करें इनके प्रॉफिट का बड़ा हिस्सा उन देशों में शिफ्ट हो जाता है जहां इनका मुख्यालय है। इससे इन कंपनियों तथा उन लो टैक्स

क्या एक अविवाहित महिला पर अपने बच्चे के पिता का नाम बताने के लिए दबाव डाला जा सकता है?

Image
मामले की सुनवाई के दौरान गुजरात हाईकोर्ट ने यह सवाल पूछा और इसके विरोध में अपनी राय जाहिर की है।हाईकोर्ट ने बताया कि किसी महिला के लिए 18 वर्ष की उम्र से पहले बच्चा पैदा करना किसी तरह से अवैध नहीं है।  हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक दुष्कर्म के मामले में सुनवाई करते हुए कहा। मामले की सुनवाई में जस्टिस परेश उपाध्याय की पीठ ने सवाल उठाया था कि महिला के लिए गर्भस्थ शिशु के पिता का नाम बताने की मजबूरी कहां पर दर्ज है। अगर कोई अविवाहित महिला दुष्कर्म की शिकार है या उसकी शिकायत दर्ज नहीं कराती है और बच्चे को जन्म देना चाहती है उसके पिता का नाम बताने के लिए उसे किस प्रकार से बाध्य किया जा सकता है। यह बात नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत द्वारा दिए गए एक 10 साल के कठोर कारावास की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा। उक्त मामले में बच्चे के साथ यौन शोषण दुराचार अधिनियम पॉक्सो एक्ट का है। पीड़िता जूनागढ़ जिले की रहने वाली है उसने बिना विवाह के दोषी के साथ रहते हुए 2 बच्चों को जन्म दिया दोनों बच्चे के पिता ने भी उन्हें अपना कहा लड़की ने कहा कि उसने अपनी इच्छा से पिता का घर छोड

अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के अलावा पाकिस्तान के गले की फ़ांस क्यों बना था?

Image
कश्मीर आज़ादी के बाद से ही भारत के लिए ऐसा मुद्दा रहा है, जिसका हल अभी तक ढूंढा नहीं जा सका है। हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति ने रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने पाकिस्तानी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। अर्दोआन ने कहा कि कश्मीर जितना अहम पाकिस्तान के लिए है, उतना ही तुर्की के लिए भी है। इसके अलावा पाकिस्तान की चार दिनों की यात्रा पर पहुंचे UN सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुतारेस ने भी जम्मू-कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है। हालाँकि भारत ने इन दोनों घटनाक्रमों का खंडन किया है। जम्मू-कश्मीर के बारे में अर्दोआन की बातों पर नाराज़गी जाहिर करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि वो भारत के अंदरूनी मामलों में दख़ल ना दें। इसके अलावा भारत ने UN सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुतारेस की पेशकश को ठुकराते हुए ये कहा है कि यह क्षेत्र भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा। इस मुद्दे पर ध्यान देने की सबसे अधिक जरूरत पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए क्षेत्र का समाधान करने की है। पाकिस्तानी संसद के संयुक्त सत्र में तुर्की के राष्ट्रपति का पूरा भाषण तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा, 

कौन गरीब है कौन नहीं इसको मापने का क्या पैमाना है सरकार के पास!

Image
 कोर्ट ने पूछा ईडब्ल्यूएस के लिए ₹800000 का पैमाना कैसे तय किया- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि ईडब्ल्यूएस (EWS) आर्थिक रूप से कमजोर घोषित करने के लिए ₹800000 सालाना आय का पैमाना कैसे तय किया है। इस पैमाने को तय करने का कारण क्या है। कोर्ट में केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराजन ने दलील दी कि रिजर्वेशन का मामला नीतिगत है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि जो पैमाना आपने तैयार किया है वह पूरे देश में एक समान रूप से कैसे लागू हो सकता है। यूपी के किसी गांव के इलाके में जो सालाना आय है उसकी तुलना मुंबई या बेंगलुरु में रहने वालों की सालाना आय से कैसे की जा सकती है। दोनों इलाकों में रहने वालों की सालाना आय एक समान होने के बाद भी उनमें तुलना नहीं की जा सकती है। क्या आपने आठ लाख का पैमाना तय करते वक्त कोई एक्सरसाइज की है, या जो ओबीसी मामले में लागू था वही किया। मंडल जजमेंट में कहा गया था कि जिनकी सालाना आमदनी आठ लाख से कम है वह शैक्षिक, सामाजिक तौर पर पिछड़े और आर्थिक पिछड़ेपन के पैमाने को पूरा करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब

किस उम्र में लड़की की शादी की जाये यह कानून तय करेगा, नए सिरे से होगी समीक्षा!

Image
आज के समय में भारतीय कानून के मुताबिक, लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल और लड़कों की उम्र 21 साल है। ऐसा इसलिए क्योंकि समाज का एक बड़ा तबका मानता है कि लड़कियां जल्दी मैच्योर हो जाती हैं, इसलिए दुल्हन दूल्हे से कम उम्र की होना चाहिए। साथ ही यह भी कहा जाता है कि हमारे यहां पितृसत्तात्मक समाज है, तो पति के उम्र में बड़े होने पर पत्नी को उसकी बात मानते हुए आत्म सम्मान पर ठेस नहीं पहुंचती। लेकिन तमाम समाजिक कार्यकर्ताओं और डॉक्टर समय-समय पर लड़कियों की शादी की उम्र पर पुनर्विचार की जरूरत बताते रहते हैं। इस बार बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस मामले पर अपनी बात रखी। बजट 2020-21 को संसद में पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक टास्क फोर्स बनाने का प्रस्ताव दिया है, जो लड़कियों की शादी की उम्र पर विचार करेगी और 6 महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। उन्होंने बजट भाषण में कहा, साल 1929 के बाद शारदा अधिनियम में संशोधन करते हुए 1978 में महिलाओं के विवाह की आयु सीमा बढ़ाकर 15 से 18 साल की गई थी। जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे महिलाओं के लिए शिक्षा और करियर में आगे

पुलिस पर अंकुश लगाने को 15 पुलिसकर्मी पर मुक़दमा दर्ज़!

Image
चित्रकूट के पूर्व एसपी समेत 15 पुलिस वालों के खिलाफ दर्ज होगा मुकदमा  विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र चित्रकूट की अदालत ने पुलिस की संदिग्ध मुठभेड़ में मारे गए कथित डकैत भालचंद के प्रकरण में चित्रकूट के तत्कालीन एसपी अंकित मित्तल समेत 15 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। मुठभेड़ में मारे गए भालचंद्र की पत्नी ने कोर्ट में धारा 156 (3) के तहत मामला दर्ज करके मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच कराने की गुहार लगाई थी, जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया और प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों के आधार पर विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र में 156 (3) के तहत मुकदमा दर्ज कराने करने का आदेश दिया है। 31 मार्च को हुई थी मुठभेड़ कोर्ट में प्रस्तुत किए गए आवेदन में भालचंद्र की पत्नी ने बताया कि 31 मार्च 2021 को भालचंद्र अपने भाई लाल चंद्र के साथ बाइक से सतना की एक अदालत में पेशी पर गया था। पेशी के बाद जैसे ही वह बाहर निकला सफेद रंग की कार में सवार कुछ लोग भालचंद्र को जबरदस्ती अपने साथ ले गए भाई के पूछने पर कहा कि ऐसे हैं कुछ पूछताछ करनी है। शाम को पता च

बंदरगाह पर हेरोइन की इतनी बड़ी खेप मिलने की आखिर क्या वजह है?

Image
डीआरआई (DRI) ने जो खेप पकड़ी, उसे अर्ध प्रसंस्कृत टैल्कम पत्थर बताया गया था, जो सिरेमिक पेंट, कागज, प्लास्टिक बनाने में काम आता है। वह निकली 2,988 किलो हेरोइन यह तो होना ही था। हैरानी बस यह है कि इतनी जल्दी हो गया। अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी और उसके बाद तालिबान का शासन में आना भविष्य के घटनाक्रम का एक इशारा था। अफगानिस्तान की 54% आबादी की कमाई गरीबी के अंतरराष्ट्रीय स्तर $ 1.90 प्रतिदिन से कम है और पर- कैपिटा जीडीपी महज $500। जाहिर है, अफगानिस्तान दुनिया के सबसे गरीब मुल्कों में से आता है। मगर तथ्य यह भी है कि अफगानिस्तान के 54 में से 22 राज्य अफीम की खेती करते हैं। वे दुनियाभर में मौजूद तीन करोड़ 10,00000 से अधिक अफीमचियों के लिए 6,300 टन से ज्यादा अफीम उगाते हैं। तालिबान ने कभी ऐसी चीजों से धन लेने में संकोच नहीं किया, और अब तो उनके पास एक ताकतवर नेटवर्क भी है। 13 सितंबर को राजस्व खुफिया निदेशालय ने गुजरात के मुंद्रा पोर्ट में 2 कंटेनर पकड़े। दोनों कंधार से वाया इरानी बंदरगाह - बंदर अब्बास आए थे। ड्रग्स एंड क्राइम पर यूएन के अफगानिस्तान अफीम अपने सर्वे 2020 के मुताबिक वहां के 6,

अस्पताल की मनमानी से बचना है तो रोगी के क्या अधिकार होतें हैं पता होना चाहिए!

Image
जानिए रोगी के अधिकार हॉस्पिटल में हम सब का वास्ता पड़ता है। मगर क्या कभी आपने और उन अधिकारों को भी जानने की कोशिश की है, जो हॉस्पिटल और इलाज से जुड़े हुए हैं। हालांकि हमारे देश में पेशेंट राइट नाम का कोई अलग से कानून नहीं है जबकि बाहर के देशों में पेशेंट को लेकर कई कानून बने हैं। लेकिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम भी हमारे अधिकारों की सुरक्षा करने के लिए काफी है। इसमें यह प्रावधान है कि आप इलाज, दवा या हॉस्पिटल से जुड़ी कोई भी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत ले सकते हैं। हॉस्पिटल्स की मनमानी को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी कई जजमेंट दिए हैं, जो मरीजों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। सूचना का अधिकार  किसी भी मरीज के परिजन के लिए यह सबसे बड़ा हथियार है। इसके तहत सबसे पहले हमें डॉक्टर और अस्पताल से यह जानने का अधिकार होता है कि मरीज पर किस तरह का उपचार चल रहा है। अस्पताल की जांच में क्या निकल कर सामने आया है? हर टेस्ट की क्या कीमत है? दवाइयों का कोई सस्ता विकल्प है, तो वह क्या है? यह सारी जानकारी आप अस्पताल से ले मांग सकती हैं। या यूं कहें कि अपनी बीमारी चिकित्सा और दवाइयों के बारे में जानकारी

लीगल खबरें आपके लिए!