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सत्यमेव जयते!

पेगासस सॉफ्टवेयर से कितने नेताओं और पत्रकारों की कॉल रिकॉर्डिंग की गई अब ये राज खुलेंगे!

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फ्रांस में पत्रकारों की जासूसी, कोर्ट में केस, खुलेंगे कई राज पेगासस सॉफ्टवेयर द्वारा नेताओं, मंत्रियों, मीडियाकर्मियों की फोन हैकिंग का मामला ना केवल भारत बल्कि अन्य देशों में भी तूल पकड़ने लगा है। फ्रांस सरकार ने तो कथित तौर पर मीडिया कर्मियों की जासूसी के मामले में जांच शुरू करने का फैसला भी किया है। फ्रांसीसी जांचकर्ता 10 विभिन्न आरोपों को लेकर इस जांच को आगे बढ़ाएंगे। इसमें यह भी पता लगाया जाएगा कि क्या पेगासस मालवेयर के जरिए प्राइवेसी में सेंध लगाई गई। आरोप है कि मोरक्को की खुफिया एजेंसी ने फ्रांस की खुफिया वेबसाइट मीडिया पार्ट के दो पत्रकारों की पेगासस के जरिए जासूसी की थी। मीडिया पार्ट ने इसे लेकर केस दर्ज कराया हैं और यह वही वेबसाइट है जिसने राफेल मुद्दे में कथित भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। मीडिया पार्ट ने अपने एक ट्वीट में कहा, इसकी तह तक जाने का एकमात्र तरीका फ्रांस में आयोजित व्यापक जासूसी पर एक स्वतंत्र जांच करना है।  पैरिस में अभियोजकों का ने कहा है कि उन्होंने मोरक्को खुफिया एजेंसी के खिलाफ आरोपों को लेकर जांच शुरू कर दी है। बयान में मोरक्को का नाम ही नाम नहीं लिया गया

शादी-शुदा बेटी मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी नहीं पा सकती!

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विवाहित बेटी को मृतक आश्रित (Dependent on deceased) कोटे में नहीं मिल सकती नौकरी  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि विवाहित बेटी मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने की हकदार नहीं हो सकती हैं। कोर्ट ने इसके 3 कारण बताते हुए कहा कि- सबसे पहले यूपी में शिक्षण संस्थाओं के लिए बने रेगुलेशन एक्ट 1995 के तहत विवाहित बेटी परिवार में शामिल नहीं है। दूसरा आश्रित कोटे में नियुक्ति की मांग अधिकार के रूप में नहीं की जा सकती। याची ने छिपाया कि उसकी मां को पारिवारिक पेंशन मिल रही है अतः वह याची पर आश्रित नहीं है। तीसरा यह कि कानून एवं परंपरा दोनों के अनुसार विवाहित बेटी अपने पति के आश्रित होती है, पिता की आश्रित नहीं होती है। कोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए एकलपीठ के विवाहिता पुत्री को आश्रित कोटे में नियुक्ति देने के आदेश 9 अगस्त 2021 को रद्द किया कर दिया है। यह फैसला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया है। जिला निरीक्षक का फैसला सही  माधवी मिश्रा ने विवाहिता पुत्री के तौर पर विमला श्रीवास्तव केस के आधार प

सरकार के इस आदेश से आपकी गाड़ी के साथ ही शहर में 64000 कार-मोटरसाइकिल हो जायेगीं कबाड़!

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RTO: गाड़ी मालिकों की बढ़ी परेशानी, 64000 गाड़ियों का रेजिस्ट्रेशन होगा निरस्त, आदेश हुआ जारी आरटीओ (Regional Transport Office) 64000 से ज्यादा वाहनों के पंजीयन (Vehicle Registration) इस माह सितंबर में निलंबित करेगा। यदि आपके वाहन की उम्र 15 वर्ष हो गई है, तो उन्हें अलविदा कहने का समय आ गया है। उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में आरटीओ (Regional Transport Office) 64000 से ज्यादा वाहनों के पंजीयन (Vehicle Registration) इस माह सितंबर में निलंबित करेगा। अब इन वाहन के मालिकों को अगस्त माह में ही नोटिस जारी हो चुका है। इस माह के पहले सप्ताह से ही निलंबन की कार्यवाही शुरू हो गई है। यह वह वाहन है जो मार्च, 2006 से पहले खरीदे गए हैं। यह सभी वाहन अब कंडम हो जाएंगे। कौन सी सीरीज की गाड़ी वाले होंगे प्रभावित - जिन वाहनों के पंजीयन निलंबित होने हैं, वह यूपी80 AE (UP 80 AE) से AR (UP 80 AR) सीरीज के हैं। टीजेड (TZ) में 15 साल से पुराने वाहनों का संचालन प्रतिबंधित है। निंबलित होने वाले कुल 64486 वाहन हैं। इनमें 57 हजार दोपहिया वाहन हैं, तो 6600 चार पहिया वाहन हैं। आरटीओ विभाग ने इन वाहनों की सूची तैयार कर

NCB ने आर्यन खान व Cordelia the princess cruise से जुड़े ड्रग्स मामले की जाँच में क्या पाया?

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क्या है शाहरुख़ खान के बेटे से जुदा ड्रग्स केस का मामला क्रूज पार्टी से जुड़े ड्रग्स केस में एनसीबी (NCB) ने आठ नए लोगों को गिरफ्तार किया है। जिसमें से अब्दुल कादिर शेख, श्रेयांश नायर, मनीष राजगरिया और अविन साहू नामक आरोपियों को मंगलवार को मुम्बई के किला कोर्ट में पेश किया गया। जहाँ न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सभी को 11 अक्टूबर तक एनसीबी (NCB) की कस्टडी में भेज दिया। एनसीबी (NCB) सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तार आरोपियों में कुछ ड्रग पेडलर्स हैं, जिनके नाम रविवार को गिरफ्तार आर्यन खान सहित आठ लोगों में से कुछ के मोबाइल सीडीआर (Mobile CDR) में सामने आए थे। मनीष राजगरिया और अविन साहू नामक आरोपित उस कार्डेला द एंप्रेस (Cordelia the princess cruise) नामक क्रूज शिप में भी शनिवार को थे। जिस दिन आर्यन और अन्य लोग थे। शिप जब सोमवार को गोवा से लौटा तो NCB ने दोनों को पकड़ा। एनसीबी (NCB) एक आरोपी को हैदराबाद से भी पूछताछ के लिए पकड़ कर लाई है। देश की राजधानी दिल्ली से भी चार लोगों को किया गया गिरफ्तार एनसीबी (NCB) ने दिल्ली की इवेंट कंपनी के चार लोगों को भी गिरफ्तार किया है, जिन्होंने क्रूज शिप में पार्ट

पेगासस मामले में 40 से अधिक मन्त्रियो और अधिकारिओं के नाम सामने आने की आशंका!

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 जांच जरूरी है! संसद के मानसून सत्र के शुरुआती दो दिन हंगामे की भेंट चढ़ गए। इस बार मामला कथित तौर पर जासूसी के एक अंतरराष्ट्रीय भंडाफोड़ से जुड़ा है। पेरिस स्थित एक मीडिया नॉन प्रॉफिट फॉर बिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल को विभिन्न देशों के ऐसे 50 हजार फोन नम्बरों की सूची मिली है। जिनके बारे में संदेह है कि पेगासस स्पाई वेयर के जरिये उनकी हैकिंग कराई गई। इन नंबरों में भारत के 40 पत्रकारों सहित केंद्रीय मंत्रियों, विपक्ष के नेताओं, सुरक्षा संगठनों के मौजूदा और पूर्व प्रमुखों, वैज्ञानिकों के भी शामिल होने की बात कही जा रही है। इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप (NSO Group) के पेगासस स्पाइवेयर (PEGASUS) से जुड़ा विवाद 2 साल पहले भी उठा था। सरकार ने तब भी इस बात से इंकार नहीं किया था कि किसी तरह की अवैध निगरानी कराई जा रही है। इस बार भी केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री ने संसद में साफ-साफ कहा कि भारत में चेक एंड बैलेंस की जितनी पक्की कानूनी व्यवस्था है, उसमें यह संभव भी नहीं कि सरकार के स्तर पर किसी तरह से अवैध जासूसी कराई जा सके। लेकिन जब इस तरह के सवाल उठ जाते हैं, तो सिर्फ खंडन से बात न

शादी करते ही 19 साल अलग रहे तो कोर्ट ने तलाक मजूर किया!

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सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के एक मामले में शादी को खत्म करने का आदेश दिया है। 19 साल तक कपल अलग-अलग रहे और इस दौरान कोर्ट में केस चलता रहा लेकिन 19 बरस बाद कोर्ट ने मामले में इरिट्रीवबल ब्रेकडाउन आफ मैरिज यानी शादी का ऐसा टूटना जिसे ठीक नहीं किया जा सके के आधार पर शादी को खत्म कर दिया और तलाक को मंजूरी दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि शादी की शुरुआत में ही यह मामला आगे नहीं बढ़ पाया। दोनों 19 साल अलग रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर दोनों ही पक्ष का शादी के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में नाकाम रहे हैं तो अब शादी को खत्म करना ही एकमात्र विकल्प है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इन्होने ने एक दूसरे का साथ नहीं दिया 19 साल तक लग रहे, हमारा मत है कि यह संबंध सुधार की गुंजाइश न रहने वाला शादी का टूटना ठीक है। बता दें कि शादी की शुरुआत से ही संबंध में परेशानी आ गई थी। जिसके चलते पति-पत्नी अलग-अलग रहे।  सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 142 के तहत अपने व्यापक अधिकार का इस्तेमाल किया और संबंध सुधार की गुंजाइश से न बचने वाले शादी के ब्रेकडाउन के मामले में तलाक की डिक्री पारित कर दी। 2002 में हुई थी शादी

अब चेक बाउंस के मामले में जेल जाना तय है! लेकिन बच भी सकते हैं अगर यह क़ानूनी तरीका अपनाया तो!

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एक चेक बाउंस के मामले में क्या करें और क्या न करें? चेक क्या है? एक चेक एक निर्दिष्ट बैंकर पर आहरित एक्सचेंज का बिल है और केवल मांग पर देय है।  कानूनी तौर पर, जिस व्यक्ति ने चेक जारी किया है, उसे ‘आहर्ता’ कहा जाता है और जिस व्यक्ति के पक्ष में चेक जारी किया जाता है उसे‘अदाकर्ता’ कहा जाता है। चेक लेते समय यह  जांच करें- यह लिखित रूप में होना चाहिए। यह एक बिना शर्त आदेश होना चाहिए। बैंकर को निर्दिष्ट करना है। भुगतान एक निर्दिष्ट व्यक्ति को निर्देशित किया जाना चाहिए। यह मांग पर देय होना चाहिए। यह एक विशिष्ट राशि के लिए होना चाहिए। आहर्ता’ के हस्ताक्षर होना चाहिए। चेक बाउंस / चेक की अस्वीकृति क्या है? एक चेक को अस्वीकृत या बाउंस तब कहा जाता है, जब वह किसी बैंक को भुगतान के लिए प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन किसी कारण या दूसरे अन्य कारणवश भुगतान नहीं किया जाता है। निम्नलिखित में से कुछ कारणों से एक चेक आम तौर पर बाउंस हो जाता है:- हस्ताक्षर मेल मिलान नहीं है चेक में उपरी लेखन किया गया हो तीन महीनों की समाप्ति के बाद चेक प्रस्तुत किया गया था, यानी चेक की समय सीमा समाप्ति के बाद खाता बंद किया ग

चेक बाउंसिंग केस में किसी भी स्तर पर हो सकता है समझौता, जेल की हवा अब नहीं खानी पड़ेगी!

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चेक बाउंसिंग के मामले में पक्षकार मुकदमों के किसी भी स्तर पर समझौता कर सकते हैं।  यह कहते हुए हाईकोर्ट में ₹200000 के चेक बाउंसिंग के एक केस में समझौते के आधार पर आरोपित की दोष सिद्धि व 1 साल की सजा को खारिज कर दिया। आरोपित 14 दिसंबर 2020 से जेल में सजा काट रहा था। यह आदेश जस्टिस सीडी सिंह की बेंच ने ऋषि मोहन श्रीवास्तव की अर्जी पर पारित किया। अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि भले ही हाईकोर्ट ने पहले एक रिवीजन याचिका खारिज कर दी थी, किंतु न्याय हित में सीआरपीसी (CrPC) की धारा 482 के तहत अर्जी को सुना जा सकता है। इस मामलों मामले में पक्षकारों को तकनीकी आधार पर यहां न सुनकर सुप्रीम कोर्ट भेजने का कोई औचित्य नहीं है। व्यापार के सिलसिले में दिया गया चेक हो गया था बाउंस  ऋषि श्रीवास्तव ने व्यापार के सिलसिले में अभय सिंह को एक एक लाख की दो चेक दी थी। चेक बैंक में लगाने पर बाउंस हो गई। इसके बाद 2016 में अभय ने अदालत में एनआई (NI) एक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा कर दिया। विचारण अदालत ने ऋषि को 29 नवंबर 2019 को 1 साल की सजा सुनाते हुए ₹300000 हर्जाना भी लगा दिया था। ऋषि ने अयोध्या की सत्र अदाल

क्या आप जानते हैं कि क़ानून किस अवस्था में गर्भ गिराने की अनुमति दे सकता है?

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गर्भपात का कानून गर्भवती स्त्री कानूनी तौर पर गर्भपात केवल निम्नलिखित स्थितियों में ही करवा सकती है- जब गर्भ की वजह से महिला की जान को खतरा हो। महिला के शारिरिक या मानसिक स्वास्थ्य को खतरा हो। गर्भ बलात्कार के कारण ठहरा हो। बच्चा गंभीर रूप से विकलांग या अपाहिज पैदा हो सकता हो। महिला या पुरुष द्वारा अपनाया गया कोई भी परिवार नियोजन का साधन असफल रहा हो। यदि इनमें से कोई भी स्थिति मौजूद हो तो गर्भवती स्त्री एक डॉक्टर की सलाह से 12 हफ्तों तक गर्भपात करवा सकती है। 12 हफ्ते से ज्यादा तक 20 हफ्ते (5 महीने) से कम गर्भ को गिराने के लिए दो डॉक्टरों की सलाह लेना जरूरी है। लेकिन 20 हफ्तों के बाद गर्भपात नहीं कराया जा सकता है। क्या गर्भवती स्त्री से जबर्दस्ती गर्भपात करवाना अपराध है? गर्भपात केवल सरकारी अस्पताल या निजी चिकित्सा केंद्र जहां पर फार्म B लगा हो, में सिर्फ रजिस्ट्रीकरण डॉक्टर द्वारा ही करवाया जा सकता है। भारतीय दण्ड सहिंता (IPC) की धारा 313 के अनुसार स्त्री की सहमती के बिना गर्भपात करवाना या करना तो दोनों ही प्रकार के व्यक्तियों को इस प्रकार से गर्भपात करवाने पर आजीवन कारावास या जुर

वकील के साथ बदसलूकी करने व बिना वजह लॉकअप में रखने पर एक दरोगा व चार सिपाही निलंबित!

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अधिवक्ता को अवैध रूप से बंदी गृह में रखने और बदसलूकी करने पर जार्जटाउन थाने के एक दारोगा और चार सिपाहियों सहित पांच पुलिससवालों को निलंबित कर दिया सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने जार्जटाउन थाने के एक दारोगा और चार सिपाहियों सहित पांच पुलिससवालों को निलंबित कर दिया है। मामला राज्य विधि अधिकारी और इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता पंकज सिंह को अवैध रूप से जार्जटाउन थाने में बंदी गृह में बैठाने और उनके साथ बदसलूकी करने से जुड़ा हुआ है। v   पिता के द्वारा लिया गया कर्ज़ा बेटा चुकाएगा! जान लो यह क़ानून v   Google पर अमेरिका में केस होने की आखिर क्या वजह है ? v   शादी होने के कुछ ही सालों में तलाक होने पर पत्नी को किस सम्पति पर अधिकार मिल सकता है ? v   प्राइवेट नौकरी करने वाले कर्मचारियों को ये जानकारी पता चल गई तो कभी घाटे में नहीं रहेंगे और अपना हक लेकर रहेंगे v   फिल्म अभिनेता सोनू सूद के घर क्या हुआ ? इनकम टैक्स रेड ( Income tax Raid) या इनकम टैक्स सर्वे ( Income Tax Survey)? अधिवक्ता पंकज सिंह टैगौर टाउन के शिवम विहार अपार्टमेंट में रहते हैं। वो बिल्डिंग सोसायटी के सचिव भी हैं। संजय सिंह बतात

आँखों देखी घटना झूठी बता देने पर क्या मेडिकल सबूत कोर्ट मान्य करेगी?

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साक्ष्यों में विरोधाभास होने पर मेडिकल रिपोर्ट ही मान्य होगी हाईकोर्ट- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी क्रिमिनल केस में प्रत्यक्षदर्शी गवाह के बयान मेडिकल रिपोर्ट के विपरीत हैं, और रिपोर्ट से आंखों देखी घटना सही नहीं लग रही है। ऐसी स्थिति में मेडिकल रिपोर्ट को ही महत्वपूर्ण साक्ष्य मानकर उसे वरीयता दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि प्रत्यक्षदर्शी साक्षी द्वारा दी गयी स्थितियां होती हैं। पहली पूर्ण विश्वसनीय दूसरी पूर्ण अविश्वसनीय और तीसरी न तो पूर्ण विश्वास है और न ही पूर्ण अविश्वसनीय। इस तीसरी स्थिति से अदालत को साक्ष्यों का साथियों का मूल्यांकन के बयान के साथ ही अन्य साथियों के साथ करना चाहिए।  अधीनस्थ न्यायालय में इसी के साथ हत्या के मामले में चारों अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है हत्या के एक मामले में आपराधिक अपील का निस्तारण करते हुए न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने कहा कि स्थापित कानून है कि जब मौखिक साक्ष्य और मेडिकल रिपोर्ट असंगत हो तो एक साक्ष्य को वरीयता दी जाएगी मगर जहां चश्मदीद

ज़मीन-जायदाद के बटवारे में ये क़ानून शायद आप नहीं जानते होंगे?

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मिताक्षरा विधि के अनुसार सम्पत्ति (property) का बटवारा कैसे होता हैं? विभाजन का अर्थ मिताक्षरा विधि के अनुसार विभाजन के दो विशिष्ट अर्थ होते हैं- 1-" पारिवारिक संपत्ति के विभिन्न सदस्यों के अनिश्चित हितों को निर्दिष्ट अंशो में समायोजन करना"। 2- " संयुक्त प्रास्थिति का पृथक्करण तथा उसके विधिक परिणाम।" जतरु प्रधान बनाम अंबिका जो. के वाद में विभाजन की परिभाषा इस प्रकार दी गई है-" संयुक्त परिवार की संपत्ति में सहदायिकी के चल हितों का निर्दिष्ट भागों में प्रस्फुटन।" मयूख के अनुसार " विभाजन केवल एक प्रकार की मन: स्थिति है जिसमें विभाजन होने का आशय ही विभाजन है। यह एक विधि है जिसके द्वारा संयुक्त अथवा पुनः संयुक्त परिवार का कोई सदस्य पृथक हो जाता है तथा सह भागीदार नहीं रह जाता है। विभाजन के लिए किसी अन्य सदस्य की अनुमति अथवा किसी न्यायालय की डिक्री अथवा कोई अन्य लेखा आवश्यक नहीं है।" दाय भाग से पिता संपत्ति का स्वामी होता है अतः जब तक वह जीवित है उसके पुत्र गण संपत्ति का विभाजन नहीं करा सकते। पिता की मृत्यु के बाद ही पुत्र गण विभाजन कर सकते हैं

पिता के द्वारा लिया गया कर्ज़ा बेटा चुकाएगा! जान लो यह क़ानून

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हिंदू विधि के अनुसार लोन (ऋण) का भुगतान करने के लिए जो दायित्व है वह पुत्र को क्यों वहन करना होगा - पढ़िए यह रिपोर्ट- सामान्यता लोन (ऋण ) से तात्पर्य उस निर्धारित अथवा निश्चित धनराशि से होता है जिसकी अदायगी के लिए कोई व्यक्ति उत्तरदाई होता है। इसके अंतर्गत किसी से उधार लिया गया धन, कोई धनराशि अदा करने की डिक्री अथवा विधि द्वारा मान्य अन्य किसी प्रकार की डिक्री आती है। दीवानी प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 52 और 53 के अंतर्गत पता अथवा पितामह के ऋणों के हेतु पत्र उत्तराधिकारी के रूप में मृत द्वारा छोड़ी गई परिसंपत्ति तक उत्तरदाई होता है। परंतु हिंदू विधि के अंतर्गत पुत्रों तथा पौत्रों पर पिता अथवा पितामह द्वारा लिए गए ऋणों को अदा करने का धार्मिक तथा नैतिक दायित्व भी होता है। चूँकि पिता या कर्ता ऋण परिवार की आवश्यकता तथा संपत्ति के प्रलाभ के लिए लेता है। अतः परिवार का प्रत्येक सदस्य इस ऋण को चुकाने के लिए बाध्य है क्योंकि वह दाय में संपत्ति प्राप्त करता है। संयुक्त परिवार में यदि पिता ने ऋण अपने स्वयं के लाभ के लिए लिया है तो पुत्रों का दायित्व है कि वह ऋण का भुगतान करें। परंतु ऐसा ऋण अवै

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