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शादी करते ही 19 साल अलग रहे तो कोर्ट ने तलाक मजूर किया!
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सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के एक मामले में शादी को खत्म करने का आदेश दिया है। 19 साल तक कपल अलग-अलग रहे और इस दौरान कोर्ट में केस चलता रहा लेकिन 19 बरस बाद कोर्ट ने मामले में इरिट्रीवबल ब्रेकडाउन आफ मैरिज यानी शादी का ऐसा टूटना जिसे ठीक नहीं किया जा सके के आधार पर शादी को खत्म कर दिया और तलाक को मंजूरी दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि शादी की शुरुआत में ही यह मामला आगे नहीं बढ़ पाया। दोनों 19 साल अलग रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर दोनों ही पक्ष का शादी के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में नाकाम रहे हैं तो अब शादी को खत्म करना ही एकमात्र विकल्प है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि इन्होने ने एक दूसरे का साथ नहीं दिया 19 साल तक लग रहे, हमारा मत है कि यह संबंध सुधार की गुंजाइश न रहने वाला शादी का टूटना ठीक है।
बता दें कि शादी की शुरुआत से ही संबंध में परेशानी आ गई थी। जिसके चलते पति-पत्नी अलग-अलग रहे।
सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 142 के तहत अपने व्यापक अधिकार का इस्तेमाल किया और संबंध सुधार की गुंजाइश से न बचने वाले शादी के ब्रेकडाउन के मामले में तलाक की डिक्री पारित कर दी।
2002 में हुई थी शादी-
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच के सामने यह मामला आया। दोनों की शादी 9 जून 2002 को हुई थी। शादी के बाद से ही दोनों में संबंध में खटास आ गई। 29 जून 2002 को लड़की की ओर से थाने में शिकायत की गई। उसने अपने पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना, अमानत में खयानत की शिकायत की। उसने आरोप लगाया कि उसके पति ने दहेज के लिए प्रताड़ित किया। साथ ही यह भी आरोप लगाया कि उसके ससुराल में घुसने तक नहीं दिया गया।
2003 में तलाक की अर्जी-
महिला ने 1 सितंबर 2003 को अपने पति के खिलाफ तलाक की अर्जी दाखिल कर दी और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। निचली अदालत ने महिला की अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दी कि महिला के सगे भाई ने उसके खिलाफ बयान दिया था। बाद में अपील में मामला गया और अर्जी खारिज कर दी गई। फिर महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया बाद में उसके वकील ने कहा कि महिला आपसी सहमति से तलाक चाहती है और सारे आरोप वापस लेने के लिए तैयार है। कोर्ट ने दोनों पक्षकारों को पेश होने के लिए कहा लेकिन महिला के पति आपसी सहमति से भी तलाक नहीं चाहते थे।
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