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कोर्ट ने पूछा ईडब्ल्यूएस के लिए ₹800000 का पैमाना कैसे तय किया-
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि ईडब्ल्यूएस (EWS) आर्थिक रूप से कमजोर घोषित करने के लिए ₹800000 सालाना आय का पैमाना कैसे तय किया है। इस पैमाने को तय करने का कारण क्या है।
कोर्ट में केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराजन ने दलील दी कि रिजर्वेशन का मामला नीतिगत है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि जो पैमाना आपने तैयार किया है वह पूरे देश में एक समान रूप से कैसे लागू हो सकता है।
यूपी के किसी गांव के इलाके में जो सालाना आय है उसकी तुलना मुंबई या बेंगलुरु में रहने वालों की सालाना आय से कैसे की जा सकती है। दोनों इलाकों में रहने वालों की सालाना आय एक समान होने के बाद भी उनमें तुलना नहीं की जा सकती है। क्या आपने आठ लाख का पैमाना तय करते वक्त कोई एक्सरसाइज की है, या जो ओबीसी मामले में लागू था वही किया।
मंडल जजमेंट में कहा गया था कि जिनकी सालाना आमदनी आठ लाख से कम है वह शैक्षिक, सामाजिक तौर पर पिछड़े और आर्थिक पिछड़ेपन के पैमाने को पूरा करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था, जिससे केंद्र की ओर से नीट के दाखिले में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के स्टूडेंट्स को रिजर्वेशन देने के लिए फैसले को चुनौती दी गई है।
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