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अब दिक्कत होने पर छ: महीने के गर्भ का भी हो सकेगा गर्भपात, सरकार ने गाइडलाइन जारी की!

केंद्र सरकार ने बढ़ाई Abortion की समय-सीमा, अब प्रेग्नेंसी के इतने हफ्ते तक हो सकेगा गर्भपात।

क्या है नियम-

अगर कोई महिला गर्भ गिराने का फैसला करती है तो मेडिकल बोर्ड को महिला और उसकी रिपोर्ट की जांच कर तीन दिन के भीतर गर्भावस्था की समाप्ति के निवेदन को स्वीकार या अस्वीकार करने के संबंध में राय देनी होती है।

सरकार ने क्या बदलाव किया है?

केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2021 को गर्भपात (Abortion) संबंधी नये नियम जारी किये हैं. सरकार ने गर्भपात संबंधी नये नियम जारी (अधिसूचित) किये हैं। अब से कुछ विशेष वर्ग की महिलाओं के मेडिकल गर्भपात के लिए गर्भ की समय सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह (पांच महीने से बढ़ाकर छह महीने) कर दिया गया है। नए नियम मार्च में संसद में पारित गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021 के नाम से अधिसूचित किए गए हैं।

पहले से क्या प्रावधान मौजूद था?

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अब तक पुराने नियमों के अंतर्गत, 12 सप्ताह (तीन महीने) तक के भ्रूण का गर्भपात कराने के लिए एक डॉक्टर की सलाह लेनी होती थी और 12 से 20 सप्ताह (तीन से पांच महीने) के गर्भ के मेडिकल समापन के लिए दो डॉक्टरों की सलाह जरूरी होती थी।

किन महिलाओं को होगा फायदा?

गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) नियम, 2021 के मुताबिक, विशेष श्रेणी की महिलाओं में यौन उत्पीड़न, सामूहिक दुष्कर्म या दुष्कर्म या कौटुंबिक व्यभिचार की शिकार, नाबालिग अथवा बालिग, ऐसी महिलाएं जिनकी वैवाहिक स्थिति गर्भावस्था के दौरान बदल गई हो (विधवा हो गई हो या तलाक हो गया हो) और दिव्यांग महिलाएं शामिल होंगीं।

नए नियम में मानसिक रूप से बीमार महिलाओं को रखा गया है तथा भ्रूण में ऐसी कोई विकृति या बीमारी हो जिसके कारण उसकी जान को खतरा हो या फिर जन्म लेने के बाद उसमें ऐसी मानसिक या शारीरिक विकृति होने की आशंका हो जिससे वह गंभीर विकलांगता का शिकार हो सकता है, सरकार द्वारा घोषित मानवीय संकट ग्रस्त क्षेत्र या आपदा या आपात स्थिति में गर्भवती महिलाओं को भी शामिल किया गया है।

कौन लेगा गर्भपात के संबंध में फैसला?

विषम परिस्थितियों में 24 सप्ताह (छह महीने) के बाद गर्भपात के संबंध में फैसला लेने के लिए राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा।

इस मेडिकल बोर्ड का काम होगा कि यदि कोई महिला उसके पास गर्भपात का अनुरोध लेकर आती है तो उसकी और उसके रिपोर्ट की जांच करना और आवेदन मिलने के तीन दिनों के भीतर गर्भपात की अनुमति देने या नहीं देने के संबंध में फैसला सुनाना है।

इस बोर्ड का काम यह ध्यान रखना भी होगा कि अगर वह गर्भपात कराने की अनुमति देता है तो आवेदन मिलने के पांच दिनों के भीतर पूरी प्रक्रिया सुरक्षित तरीके से पूरी की जाए।

गर्भ समाप्त करने का निर्णय

यदि कोई महिला गर्भ समाप्त करने का निर्णय लेती है तो मेडिकल बोर्ड को महिला और उसकी रिपोर्ट की जांच कर तीन दिन के भीतर गर्भावस्था की समाप्ति के अनुरोध को स्वीकार या अस्वीकार करने के संबंध में राय लिखित रूप में देनी होगी।

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