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सत्यमेव जयते!

तलाक़ के लिए कौन कौन से क़ानूनी रास्ते होते हैं?

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कई पति पत्नी यह जानना चाहते हैं कि- तलाक लेने में कितना खर्च आता है? तलाक कितने महीने में मिलता है? जल्दी से जल्दी तलाक कैसे ले? तलाक लेने का सबसे आसान सस्ता तरीका क्या है? शादी के कितने दिन बाद तलाक ले सकते हैं पति पत्नी? तलाक़ लेने के कितने आधार होते हैं  तलाक़ के लिए कौन कौन से क़ानूनी रास्ते होते हैं?      आज कल नई-नई शादी होते ही पति पत्नी में कुछ ऐसे विवाद जन्म ले लेते हैं की बात तलाक़ तक पहुच जाती है ऐसे में अब तलाक़ लेना है तो कैसे लें इसी प्रश्न पर चर्चा करेंगे  तलाक़ होता क्या है?      तलाक की प्रक्रिया विवाहित जोड़े के बीच शादी खत्म करने की एक न्यायिक प्रक्रिया है। यह नियमों, कानूनों और वैधानिक प्रक्रियाओं के अनुसार आयोजित की जाती है और विवाहित जोड़े को आपसी विचार-विमर्श के बाद दोनों को अलग रहने की अनुमति देती है। तलाक की प्रक्रिया भारतीय सामाजिक, नैतिक और कानूनी परंपराओं के अनुसार विभिन्न रूपों में प्रदर्शित हो सकती है। तलाक़ के कई प्रकार होते हैं। यहां विभिन्न तलाक की प्रक्रियाओं का उल्लेख किया गया है- संयुक्त तलाक:      संयुक्त तलाक, जिसे तीन तलाक के रूप में भी जाना जाता है, एक

पॉक्सो क्या है? पॉक्सो एक्ट में बच्चों और नाबालिगों के प्रति कौन सी हरकतों और बातों को यौन अपराध माना जाता है?

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पॉक्सो (POCSO) अधिनियम 2012 में संशोधन की तैयारी हो चुकी है       केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बच्चों के खिलाफ यौन अपराध सम्बंधित दंड को और अधिक कठोर बनाने के लिए बाल यौन अपराध संरक्षण (Protection of Children from Sexual Offences-POCSO) अधिनियम, 2012 में आवश्यक संशोधन को मंज़ूरी दे दी। आइये जानते हैं की केद्र सरकार क्या क्या बदलाव करने जा रही है इस कानून में । पॉक्सो क्या है?      पॉक्सो एक केंद्रीय कानून है जो यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए बनाया गया है इसी अधिनियम का संक्षिप्त नाम (शार्ट फॉर्म) Protection of Children Against Sexual Offence Act – POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस) है। इसे यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा संबंधी कानून के तौर पर भी जाना जाता है। पॉक्सो अधिनियम, 2012 क्यों लागू किया गया था?      पॉक्सो अधिनियम, 2012 को बच्चों के हित और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए बच्चों को यौन अपराध (सेक्सुअल क्राइम), यौन उत्‍पीड़न (सेक्सुअल हैरश्मेंट)  तथा पोर्नोग्राफी से सुरक्षा प्रदान करने के लिये लागू किया गया था। यह अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के बच्‍चे

क्या कोई महिला घरेलू हिंसा करने की दोषी हो सकती है? क्या महिला के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सक्ता है? :हाईकोर्ट

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क्या कोई महिला घरेलू हिंसा करने की दोषी हो सकती है? क्या महिला के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सक्ता है? कानून कैसे काम करता है इस बात पर समय-समय पर विचार होते रहते हैं। ऐसा ही एक वाक्या दिल्ली में सामने आया जहाँ पति ने पत्नी के खिलाफ लगाया घरेलू हिंसा का आरोप लगाया और मुकदमा दायर किया। मामला जब कोर्ट में पहुंचा तब और भी दिलचस्प बात देखने मिली। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस जसमीत सिंह हंसने लगे और बड़ी हैरानी से पूछा "ये क्या है?" क्या ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश ने अपना दिमाग नहीं लगाया? घरेलू हिंसा रोकथाम अधिनियम 2005 के तहत किसी महिला को आरोपी बनाया जा सकता है क्या? मामला कुछ इस तरह है कि जस्टिस जसमीत सिंह दिल्ली की एक महिला की अपील पर सुनवाई कर रहे थे। महिला ने निचली अदालत कड़कड़डूमा कोर्ट के एक फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामलें में निचली अदालत ने उसे घरेलू हिंसा के आरोप में समन जारी किया गया था। जहाँ इस प्रश्न पर चर्चा हुई कि- क्या है घरेलू हिंसा कानून? इसमें कोई महिला आरोपी क्यों नहीं बनाई जा सकती? क्या घरेलू हिंसा कानून पुरुष विरोधी है?  पति ने पत्नी के खिलाफ

पति तलाक लेना चाहता और पत्नी नहीं तो क्या किया जाना चाहिए?

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क्या सहमति से तलाक़ लिया जा सकता है? पति पत्नी के बीच यदि बन नहीं रही है तो सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। सहमति से तलाक लेने के लिए पहले दोनों ही पक्षों को कोर्ट में एक याचिका दायर करनी होती है। फिर दूसरे चरण में कोर्ट द्वारा दोनों पक्षों के अलग-अलग बयान लिए जाते हैं और दस्तखत की औपचारिकता होती है। तीसरे चरण में कोर्ट दोनों को 6 महीने का वक्त देता है ताकि वह अपने फैसले को लेकर दोबारा सोच सकें। और फिर यदि दोनों ही पक्ष तलाक के फैसले पर कायम रहते हैं तो 6 महीने के बाद कोर्ट द्वारा उनके फैसले के अनुरूप उन्हें तलाक़ की अनुमति दे दी जाती है। क्या केवल लड़का तलाक ले सकता है? आपसी समझौते के आधार पर तलाक लेने की कुछ शर्तें होती हैं। यदि पति और पत्नी शादी के बाद 1 साल या उससे ज्यादा समय से अलग रह रहे हो और दोनों में पारस्परिक रूप से तलाक़ लेने को सहमत हैं। एक दूसरे के साथ रहने पर कोई भी राजी नहीं है या दोनों पक्षों में सुलह की कोई स्थिति नजर नहीं आती है तो ऐसे में सहमति के आधार पर तलाक के लिए आवेदन करने का हक होता है। इसे मैचुअल कंसेंट डायवोर्स कहा जाता है यानी आपसी सहमति से तल

विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र के क्या फायेदें हैं और कैसे बनेगा जानिए पूरी प्रक्रिया!

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विवाह करने के बाद इसे क़ानूनी रूप देने के लिए विवाह का पंजीकरण करवाना अनिवार्य कर दिया गया है ।  विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता विभिन्न प्रकार के सरकारी सुविधाओं को प्राप्त करने के  लिए उपयोग की जाती है ।  आज इस लेख में विवाह पंजीकरण से जुड़े तमाम प्रश्नों के जवाब अधिवक्ता आशुतोष कुमार के माध्यम से दी प्रस्तुत की जा रही है- विवाह पंजीकरण किस प्रकार का दस्तावेज़ है? विवाह पंजीकरण दस्तावेज लोक दस्तावेज है या निजी दस्तावेज?  विवाह पंजीकरण दस्तावेज विवाह का एक प्रमाण पत्र जो एक निजी दस्तावेज है। यह एक प्रमाण पत्र के तौर पर होता हैं। यह पूर्णतया निजी है। इस पत्र के माध्यम से यह पता चलता है की किसी पुरुष या महिला का क़ानूनी रूप से कौन पति अथवा पत्नी है। विवाह पंजीकरण पत्र का क्या उपयोग है? विवाह पंजीकरण पत्र का उपयोग किसी व्यक्ति के विवाहित होने का प्रमाण पत्र हैं। इस प्रमाण की आवश्यकता सरकारी नौकरियों में अनुकंपा के आधार पर नौकरी का दावा करने के दौरान होती है। पति या पत्नी की संपत्ति अथवा अधिकार के दावे के तौर पर प्रयोग करने के लिए आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त बैंक में संयुक्त खाता खोलने के ल

जब पति बिना किसी कारण के पत्नी को छोड़ दें तब एक महिला के पास क्या क़ानूनी अधिकार हैं?

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जब पति बिना किसी कारण के पत्नी को छोड़ दें तब एक महिला के पास क्या क़ानूनी अधिकार बचते हैं? क्या वह महिला पति के घर वापस जा सकती है? क्या वह तलाक़ से बचने के लिए आवेदन कर सकती है? क्या उसे सम्पत्ति में हिस्सा या भरण पोषण मिलेगा? इस बारे में कानून क्या कहता है। कानून में इस सम्बन्ध में क्या प्रावधान है। इन सभी बातों पर आज हम चर्चा करेंगे।  भारत में विवाह एक पवित्र संस्था है। भारतीय कानून के तहत विवाह को पवित्र माना गया है और एक पुरुष और महिला जब विवाहित होते हैं तो उन्हें कानूनन ही अलग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त नहीं हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत विवाह को एक संस्कार है। जिसे समाप्त नहीं किया जा सकता है।  प्राचीन काल से विवाह को एक संस्कार माना जाता रहा है। वर्तमान परिस्थितियों में विवाह के स्वरूप में परिवर्तन ज़रूर आए हैं। समाज के परिवेश में रहन सहन में परिवर्तन आए हैं। यहाँ तक कि विवाह करने के तरीके में भी परिवर्तन आए हैं लेकिन इससे विवाह की पवित्रता कम नहीं होती।  कभी-कभी परिस्थिति ऐसी होती है कि जब पति बिना किसी कारण से पत्नी को घर से निकाल देता है या छोड़ देता है या विवाहेत्त

पति पत्नी की इच्छा के बिना उसके साथ सेक्स करे तो यह बलात्कार है और इस आधार पर तलाक लिया सकता है?

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शादीशुदा जोड़ों के बीच शारीरिक सम्बन्ध अनिवार्य व स्वभाविक प्रक्रिया है। पति और पत्नी का एक दूसरे पर  अधिकार है की शारीरिक सम्बन्ध बना सकें हैं। लेकिन जब सेक्स रिलेशन बलपूर्वक व ज़बरदस्ती होने लगे तो यह अपराध का रूप ले लेता है। किन्तु सभी मामले में ज़रूरी नहीं की ऐसा ही हो। पति अगर पत्नी की इच्छा के बिना उसके साथ सेक्स करे तो क्या यह बलात्कार है? कुछ समय पूर्व एक मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के सामने एक पेचीदा सवाल था कि पति अगर पत्नी की इच्छा के बिना उसके साथ सेक्स करे तो इस बलात्कार को अपराध माना जाना चाहिए या नहीं। हाईकोर्ट की बेंच ने इस बारे में किसी तरह की एकमत राय नहीं जताई। पैनल में मौजूद दो जजों की राय अलग-अलग थी। एक जज का विचार था कि इसे अपराध माना जाना चाहिए, वहीँ दूसरे ने इस राय से जुदा इत्तिफाक जताया। वास्तव में यह सवाल है ही टेढ़ा। भारत ही नहीं, विश्व के कई देशों में वैवाहिक बलात्कार को साबित करने और फिर उसके लिए सजा देने का मामला उलझा हुआ है। जिसका हल खोजने में कई देशों के विधि विशेषज्ञ लगे हैं। कितने देशों ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध माना जाता है? दुनिया के 150

क्या 'तीन तलाक' मामले में पति के परिवार को आरोपी बनाया जा सकता है?: कोर्ट

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पति के परिजन को नहीं बनाया जा सकता है आरोपी  सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तीन तलाक मामले में पति के रिश्तेदार या परिजन को आरोपी नहीं ठहराया जा सकता। शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत दे दी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसे मामलों में अपराध करने वालों को अग्रिम जमानत देने पर कोई रोक नहीं है। लेकिन अग्रिम जमानत देने से पहले सक्षम अदालत द्वारा विवाहित मुस्लिम महिला का पक्ष सुना जाना चाहिए । तीन तलाक के मामले में शिकायतकर्ता की सास को भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए एवं 34 के अलावा मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण अधिनियम) के तहत आरोपी बनाया गया था। पीड़िता ने पति के साथ सास पर भी आरोप लगाए। पति ने अपराध किया है, न कि उसकी मां ने सुप्रीम कोर्ट ने  याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता महिला शिकायतकर्ता की सास है और उसे इस अधिनियम के तहत आरोपी नहीं बनाया जा सकता। पत्नी को तलाक देकर पति ने अपराध किया है न कि उसकी मां ने। लिहाज़ा पति की माँ को आरोपी नहीं बनाया जा सकता वहीँ दूस

आधार और पैन से जुड़ी सभी समस्या का हल ये रहा, अभी लिंक नहीं किया तो पछताना पड़ेगा!

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पैन से ऐसे जोड़े अपना आधार पैन कार्ड में यही नाम है लेकिन आधार में उनका नाम कुछ और ऐसे में उनको आधार और पैन लिंक करने में परेशानी हो रही है। दोनों को लिंक करने की उनकी रिक्वेस्ट इसी वजह से रिजेक्ट हो रही है। दिक्कत सिर्फ किसी एक के साथ नहीं बड़ी संख्या में लोग इस से दो-चार हो रहे हैं। आधार पैन कार्ड लिंकिंग में व्यक्ति का नाम ही परेशानी पैदा कर रहा है क्योंकि आधार के डेटाबेस में स्पेशल करैक्टर की पहचान नहीं होती, जबकि पैन के डेटाबेस को इसकी पहचान है। कई लोगों को इसकी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त उनका पैन और आधार कार्ड एक दूसरे से मैच नहीं हो पाया। उन्होंने सीए से संपर्क किया तब जाकर उनको परेशानी के कारण का पता चला।सीए के अनुसार आधार स्पेशल करैक्टर को नहीं पहचान पाता, जबकि पैन पहचान लेता है। स्पेशल करैक्टर वाले उपनामों जैसे D'Souza या डॉट्स वाले उपनामों की वजह से लिकिंग में परेशानी आ रही है। आधार में करेक्शन कैसे होगा? आधार में करेक्शन करने के लिए आपको अपने इलाके के आधार सेवा केंद्र जाना होगा। आपको वहां अपना आधार नंबर बताना होगा। आपको आधार की वेरिफिक

क्या मुस्लिम लड़की खुद की इच्छा से शादी करने के लिए स्वतंत्र है?

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लड़का लड़की राजी तो परिवार को दखल देने का कोई हक नहीं पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में 17 साल की मुस्लिम लड़की और हिंदू युवक की शादी को लेकर टिप्पणी की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यौवन हासिल करने के बाद मुस्लिम लड़की किसी से भी शादी करने के लिए स्वतंत्र है। दरअसल लड़की ने अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ जाते हुए हिंदू युवक से शादी रचाई थी। इस पर कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल ला का जिक्र करते हुए कहा कि अगर लड़का लड़की दोनों राजी हैं तो परिवार वालों को इसमें दखल देने का कोई हक नहीं है। कोर्ट ने पुलिस को प्रेमी जोड़े की सुरक्षा का आदेश दियाहै। जस्टिस हरनरेश सिंह गिल ने कहा कानून साफ है कि किसी मुस्लिम लड़की की शादी मुस्लिम पर्सनल ला के जरिए होती है। सर दिनशाह फरदुंजी मुल्ला की किताब प्रिंसिपल ऑफ मोहम्मडन लॉ के आर्टिकल 195 के मुताबिक याचिकाकर्ता नंबर 1 (17 साल की मुस्लिम लड़की) अपनी पसंद के लड़के के साथ शादी के लिए योग्य है वही याचिकाकर्ता नंबर 2 (उसका पार्टनर) ने बयान दिया कि वह करीब 33 साल का है। याचिकाकर्ता नम्बर 1 (मुस्लिम लड़की) शादी करने लायक उम्र की है। कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता कि

क्या संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी सम्पति को मालिक की बिना जानकारी के बेच सकता है?

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संपत्ति के लिए अटॉर्नी की शक्ति क्या है? संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) एक कानूनी दस्तावेज है जो वकील या एजेंट या किसी अन्य को कानूनी अधिकार देता है या यूँ कहें कि किसी और व्यक्ति को क़ानूनी अधिकार देने तरीका है जो मुख्य संपत्ति के लिए सौदा करने अवसर साझा करता है जब सम्पत्ति का मालिक स्वयं ऐसा नहीं कर सकता है। संपत्ति कानून अन्य कानूनों के सामान्य समूह में आता है और सामूहिक संपत्ति और व्यक्तिगत संपत्ति के लिए जिम्मेदारी के सभी भागों से संबंधित है। यह आवासीय और वाणिज्यिक संपत्ति से जुड़े लेनदेन से भी संबंधित हो सकता है। संपत्ति का मुख्तारनामा ( अटॉर्नी की शक्ति)  कैसे काम करता है? संपत्ति के अटॉर्नी की शक्ति, एक नियम के रूप में, प्रमुख के पास सभी संसाधन शामिल हैं, उदाहरण के लिए, अचल संपत्ति, वित्तीय खाते और स्टॉक सभी प्रकार की सम्पत्ति। शर्तें जिसमें क्या बनाया जा सकता है और क्या नहीं, का चुनने का अधिकार मालिक के पास होता है जो अनुबंध के समय पर किया जाता है। किसके लिए है लाभदयक? अचल संपत्ति में, संपत्ति के POA का उपयोग उन लोगों द्वारा किया जा सकता है जो घर,ज़मीन या अन्य किसी प्रकार की

शादी में दुल्हन को मिली सम्पति का सात साल के लिए होगा क़ानूनी करार?

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शादी में मिली ज्वेलरी व संपत्ति 7 साल के लिए महिला के नाम हो सुप्रीम कोर्ट ने दहेज मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इसे रोकने वाले कानून को मजबूत करने की जरूरत है। मौजूदा कानूनों पर फिर से विचार की जरूरत है। अदालत से दहेज निरोधक कानून को सख्त करने के साथ शादी के समय दी जाने वाली ज्वेलरी और दूसरी संपत्ति 7 साल तक लड़की के नाम किए जाने की अर्ज़ी लगाई गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला बेहद अहम है, लेकिन याचिकाकर्ता के लिए सही होगा कि वह लॉ कमीशन के सामने यह सुझाव दें। लॉ कमीशन चाहे तो कानून को सख्त करने पर विचार कर सकता है और इस पर कानून बनाने पर विचार कर सकता है अर्जी में कहा गया शादी से पहले एक प्री मैरिज काउंसलिंग की व्यवस्था हो। इसके लिए करिकुलम कमीशन बनना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि दहेज समाज के लिए हानिकारक है। याचिकाकर्ता ने मामले में जो गुहार लगाई है उसमें कहा गया है कि दहेज निरोधक ऑफिसर होना चाहिए, जैसे आरटीआई (RTI) ऑफिसर होता है। आर्थिक सुरक्षा के लिहाज़ से वरदान होगा यह प्रावधान अधिवक्ता आशुतोष कुमार ने बताया कि वर्तमान में शादी के

अब दिक्कत होने पर छ: महीने के गर्भ का भी हो सकेगा गर्भपात, सरकार ने गाइडलाइन जारी की!

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केंद्र सरकार ने बढ़ाई Abortion की समय-सीमा, अब प्रेग्नेंसी के इतने हफ्ते तक हो सकेगा गर्भपात। क्या है नियम- अगर कोई महिला गर्भ गिराने का फैसला करती है तो मेडिकल बोर्ड को महिला और उसकी रिपोर्ट की जांच कर तीन दिन के भीतर गर्भावस्था की समाप्ति के निवेदन को स्वीकार या अस्वीकार करने के संबंध में राय देनी होती है। सरकार ने क्या बदलाव किया है? केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2021 को गर्भपात (Abortion) संबंधी नये नियम जारी किये हैं. सरकार ने गर्भपात संबंधी नये नियम जारी (अधिसूचित) किये हैं। अब से कुछ विशेष वर्ग की महिलाओं के मेडिकल गर्भपात के लिए गर्भ की समय सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह (पांच महीने से बढ़ाकर छह महीने) कर दिया गया है। नए नियम मार्च में संसद में पारित गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021 के नाम से अधिसूचित किए गए हैं। पहले से क्या प्रावधान मौजूद था? अब तक पुराने नियमों के अंतर्गत, 12 सप्ताह (तीन महीने) तक के भ्रूण का गर्भपात कराने के लिए एक डॉक्टर की सलाह लेनी होती थी और 12 से 20 सप्ताह (तीन से पांच महीने) के गर्भ के मेडिकल समापन के लिए दो डॉक्टरों की सलाह जरूरी होती थ

क्या एक अविवाहित महिला पर अपने बच्चे के पिता का नाम बताने के लिए दबाव डाला जा सकता है?

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मामले की सुनवाई के दौरान गुजरात हाईकोर्ट ने यह सवाल पूछा और इसके विरोध में अपनी राय जाहिर की है।हाईकोर्ट ने बताया कि किसी महिला के लिए 18 वर्ष की उम्र से पहले बच्चा पैदा करना किसी तरह से अवैध नहीं है।  हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक दुष्कर्म के मामले में सुनवाई करते हुए कहा। मामले की सुनवाई में जस्टिस परेश उपाध्याय की पीठ ने सवाल उठाया था कि महिला के लिए गर्भस्थ शिशु के पिता का नाम बताने की मजबूरी कहां पर दर्ज है। अगर कोई अविवाहित महिला दुष्कर्म की शिकार है या उसकी शिकायत दर्ज नहीं कराती है और बच्चे को जन्म देना चाहती है उसके पिता का नाम बताने के लिए उसे किस प्रकार से बाध्य किया जा सकता है। यह बात नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत द्वारा दिए गए एक 10 साल के कठोर कारावास की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा। उक्त मामले में बच्चे के साथ यौन शोषण दुराचार अधिनियम पॉक्सो एक्ट का है। पीड़िता जूनागढ़ जिले की रहने वाली है उसने बिना विवाह के दोषी के साथ रहते हुए 2 बच्चों को जन्म दिया दोनों बच्चे के पिता ने भी उन्हें अपना कहा लड़की ने कहा कि उसने अपनी इच्छा से पिता का घर छोड

क्या आप जानते हैं कि क़ानून किस अवस्था में गर्भ गिराने की अनुमति दे सकता है?

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गर्भपात का कानून गर्भवती स्त्री कानूनी तौर पर गर्भपात केवल निम्नलिखित स्थितियों में ही करवा सकती है- जब गर्भ की वजह से महिला की जान को खतरा हो। महिला के शारिरिक या मानसिक स्वास्थ्य को खतरा हो। गर्भ बलात्कार के कारण ठहरा हो। बच्चा गंभीर रूप से विकलांग या अपाहिज पैदा हो सकता हो। महिला या पुरुष द्वारा अपनाया गया कोई भी परिवार नियोजन का साधन असफल रहा हो। यदि इनमें से कोई भी स्थिति मौजूद हो तो गर्भवती स्त्री एक डॉक्टर की सलाह से 12 हफ्तों तक गर्भपात करवा सकती है। 12 हफ्ते से ज्यादा तक 20 हफ्ते (5 महीने) से कम गर्भ को गिराने के लिए दो डॉक्टरों की सलाह लेना जरूरी है। लेकिन 20 हफ्तों के बाद गर्भपात नहीं कराया जा सकता है। क्या गर्भवती स्त्री से जबर्दस्ती गर्भपात करवाना अपराध है? गर्भपात केवल सरकारी अस्पताल या निजी चिकित्सा केंद्र जहां पर फार्म B लगा हो, में सिर्फ रजिस्ट्रीकरण डॉक्टर द्वारा ही करवाया जा सकता है। भारतीय दण्ड सहिंता (IPC) की धारा 313 के अनुसार स्त्री की सहमती के बिना गर्भपात करवाना या करना तो दोनों ही प्रकार के व्यक्तियों को इस प्रकार से गर्भपात करवाने पर आजीवन कारावास या जुर

पॉप सिंगर यो यो हनी सिंह की पत्नी ने ये मांग लिया तलाक के बदले में!

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पॉपुलर सिंगर-रैपर यो यो हनी सिंह की पत्नी शालिनी तलवार ने उनके खिलाफ चौंकाने वाले दावे किए हैं. घरेलू शोषण से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम के तहत, उन्होंने पंजाबी कलाकार के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कर मुआवजे के रूप में 10 करोड़ रुपये की मांग की है। शालिनी का दावा है कि उसके साथ 'खेत के जानवर' की तरह व्यवहार किया गया, 'महिलाओं के साथ अनौपचारिक यौन संबंध' से लेकर 'शारीरिक शोषण' तक। उदंड वकीलों को हड़ताल करने से रोकें, कानून से खिलवाड़ बर्दास्त करने लायक नही है खबरों के मुताबिक, गायिक की पत्नी ने अदालत से उसे दिल्ली में पूरी तरह से सुसज्जित अपार्टमेंट के लिए 5 लाख रुपये मासिक किराया देने का आदेश देने का आदेश दिया है ताकि वह अपनी विधवा मां के साथ स्वतंत्र रूप से रह सके। उसने गायिक को अपने साझा (दोनों का) घर में किसी भी हिस्सेदारी को तीसरे पक्ष को बेचने या स्थानांतरित करने के साथ-साथ दहेज की वस्तुओं को बेचने से रोकने की भी कोशिश की। यो यो हनी सिंह के खिलाफ शालिनी का आरोप इस प्रकार है: 1. हनी सिंह पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया गया है। तलवार ने अपनी याचिका में कहा ह

क्यों लोग लड़की को बदनाम करने लगते है जब वो "न" कहती है? क्या करे एक लड़की अगर उसके साथ कुछ ऐसा हो की!

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आज के दौर में एक पुरुष का कई महिला से सम्बन्ध होगा या किसी महिला का कई पुरुष से सम्बन्ध होना आम होता जा रहा है। पति-पत्नी, दोस्त, गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड या डेट कर रहे कपल्स आजकल फोन पर बात करते समय एक दूसरे से कब अतरंग बातें करने लगते हैं इसका पता उन्हें भी नहीं चलता। बातचीत के दौरान वीडियो, फोटो शेयर करना एक सामान्य बात है। इसमें कोई नई बात नहीं है और न ही कुछ गलत। लेकिन कई बार लड़की या लड़का अपने अंतरंग संबंधों (सेक्स) के दौरान अपने शारीरिक संबंध बनाने के दौरान खींचे गए फोटोस या वीडियोस या एक दूसरे को शेयर करते हैं। जिसमें न्यूड फोटो, सेक्स वीडियो टेप, कॉल रिकॉर्डिंग जैसे तमाम चीज़े शेयर होती हैं। यह फोटो रिवेंज पोर्न के रूप में आजकल एक दूसरे से प्रतिशोध (बदला) लेने का कारण भी बनते जा रहे हैं। अक्सर करके प्रेमी युगल एक दूसरे को अपनी प्राइवेट फोटो शेयर करते हैं लेकिन जब रिश्ता टूटता है तो यही फोटो जो पक्ष रिवेंज (बदला) लेना चाहता है उसके द्वारा दुरपयोग किआ जाता है। वह पक्ष इन फोटो का उपयोग करके दूसरे पार्टनर को बदनाम करने का प्रयास करता है। क्या है रिवेंज पोर्न ? जब कोई प्रेमी (लड़क

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