सत्यमेव जयते!
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क्यों लोग लड़की को बदनाम करने लगते है जब वो "न" कहती है? क्या करे एक लड़की अगर उसके साथ कुछ ऐसा हो की!
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आज के दौर में एक पुरुष का कई महिला से सम्बन्ध होगा या किसी महिला का कई पुरुष से सम्बन्ध होना आम होता जा रहा है।
पति-पत्नी, दोस्त, गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड या डेट कर रहे कपल्स आजकल फोन पर बात करते समय एक दूसरे से कब अतरंग बातें करने लगते हैं इसका पता उन्हें भी नहीं चलता।
बातचीत के दौरान वीडियो, फोटो शेयर करना एक सामान्य बात है। इसमें कोई नई बात नहीं है और न ही कुछ गलत। लेकिन कई बार लड़की या लड़का अपने अंतरंग संबंधों (सेक्स) के दौरान अपने शारीरिक संबंध बनाने के दौरान खींचे गए फोटोस या वीडियोस या एक दूसरे को शेयर करते हैं। जिसमें न्यूड फोटो, सेक्स वीडियो टेप, कॉल रिकॉर्डिंग जैसे तमाम चीज़े शेयर होती हैं।
यह फोटो रिवेंज पोर्न के रूप में आजकल एक दूसरे से प्रतिशोध (बदला) लेने का कारण भी बनते जा रहे हैं।
अक्सर करके प्रेमी युगल एक दूसरे को अपनी प्राइवेट फोटो शेयर करते हैं लेकिन जब रिश्ता टूटता है तो यही फोटो जो पक्ष रिवेंज (बदला) लेना चाहता है उसके द्वारा दुरपयोग किआ जाता है। वह पक्ष इन फोटो का उपयोग करके दूसरे पार्टनर को बदनाम करने का प्रयास करता है।
क्या है रिवेंज पोर्न ?
जब कोई प्रेमी (लड़का या लड़की) अपने पार्टनर का अतरंग फोटो, (न्यूड फोटो या शारीरिक संबंध के दौरान लिया गया फोटो,) विडियो, ऑडियो को उसकी अनुमति के बिना किसी सोशल मीडिया साइट पर अथवा किसी अन्य पब्लिक साइट अपलोड कर देता है इस इरादे से कि पार्टनर को बदनाम किया जा सके तो यह अपराध रिवेंज पोर्न कहलाता है।
इस इरादे से फोटो शेयर किया गया हो जिससे पार्टनर की बदनामी की जा सके उसे शर्मसार किया जा सके तो इसे रिवेंज पोर्न कहते हैं लेकिन यह कोई कानूनी परिभाषा इसकी नहीं है
एक रिसर्च के अनुसार इस अपराध का शिकार अधिकतर लड़कियाँ ही होती हैं। प्रेम संबंध के दौरान जब लड़की अपनी न्यूड फोटो या सेमी न्यूड फोटो को अपने प्रेमी के साथ व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, वी-चैट जैसे प्लेटफॉर्म पर शेयर करती है तो प्रेमी से रिश्ता टूटने पर प्रेमी ऐसे फ़ोटोज़ का दुरूपयोग कर सकता है।
जब अत्यंत निजी सामग्री को सार्वजनिक किया जाता है तो बदनामी लड़की की ही होती है। हेट्रोसेक्सुअल रिश्तो में अधिकांश लड़कियां ही लड़कों के हाथों इस एब्यूज का शिकार होती हैं।
उदाहरण के तौर पर- जब प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे के साथ सेक्सी (नंग्न या अर्ध नंग्न) फोटो खींचते हैं सेक्स रिलेशन के दौरान एक दूसरे के न्यूड फोटो लेते हैं तो हस्बैंड या प्रेमी के द्वारा लड़की के फोटो को व्हाट्सएप पर या किसी अन्य सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड कर देता है तो यह रिवेंज पोर्न का अपराध होता है।
अधिकांशत मामलों में जब लड़की लड़के की किसी बात को मानने से इंकार कर देती है तो पार्टनर बदला लेने की नीयत से ऐसा करते हैं
इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे-
- लड़की का शादी से इनकार कर देना
- शादी से पहले सेक्स के लिए मना कर देना
- लड़की का किसी और के साथ प्यार या शारीरिक सम्बन्ध हो जाना
- ऑफिस या स्कूल में लड़के की बातों को इग्नोर करना
इससे लड़कों को लगने लगता है की उनका ईगो हर्ट हुआ है तो बॉयफ्रेंड बदला लेने के नियत से लड़की के अंतरंग फोटो को इस अपराध के तहत उपयोग करता है और इसे नॉन-कंसेशनल फोन या इमेज बेस्ड फोटोग्राफी भी कहते हैं
इस अपराध का लड़की पर क्या असर होता है?
किसी महिला की फोटो बिना उसकी मर्ज़ी के बिना सोशल मीडिया पर अपलोड/पोस्ट करना उसकी निजता के अधिकार का हनन है। रिवेंज पोर्न के तहत महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर कई प्रभाव पड़ते हैं।
जैसे- अनिद्रा, डिप्रेशन, माईग्रेन आदि का शिकार कई बार फोटो या वीडियो के साथ साथ पर्सनल डिटेल भी शेयर कर दी जाती है तब महिलाएं स्टॉकिंग या बलात्कार की धमकी अनचाहे कॉल कई तरह की हिंसा झेलती हैं।
निजी पलों में अपने पार्टनर के साथ अतरंग फोटो खींचना, विडियो बनाना, एक दूसरे को शेयर करना किसी भी रिश्ते में स्वाभाविक है। शारीरिक तौर पर आकर्षण या शारीरिक ज़रुरत जीवन का हिस्सा है इसमें कुछ भी अस्वाभाविक नहीं है, समस्या उस वक्त होती है जब यह सोच महिलाओं की "ना" पुरुषों के लिए अहम् का मुद्दा बन जाती है। लड़को की यह सोंच की अपनी फोटो शेयर करने वाली लड़कियां महिलाओं को ज्यादा मॉर्डन का लेबल लगा देते हैं।
हमारे समाज की एक आम सोच है यदि कोई लड़की अपनी फोटोस को किसी सोशल मीडिया पर अपलोड कर दी है तो समाज सोंच लेता है कि लड़की ज्यादा मॉडल है या उससे अलग-अलग संज्ञा दिन लगते हैं जैसे बदचलन कहना या कैरक्टरलेस कहना आदि
इस अपराध का लड़की पर क्या असर होता है?
किसी महिला की फोटो बिना उसकी मर्ज़ी के बिना सोशल मीडिया पर अपलोड/पोस्ट करना उसकी निजता के अधिकार का हनन है। रिवेंज पोर्न के तहत महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर कई प्रभाव पड़ते हैं।
जैसे- अनिद्रा, डिप्रेशन, माईग्रेन आदि का शिकार कई बार फोटो या वीडियो के साथ साथ पर्सनल डिटेल भी शेयर कर दी जाती है तब महिलाएं स्टॉकिंग या बलात्कार की धमकी अनचाहे कॉल कई तरह की हिंसा झेलती हैं।
निजी पलों में अपने पार्टनर के साथ अतरंग फोटो खींचना, विडियो बनाना, एक दूसरे को शेयर करना किसी भी रिश्ते में स्वाभाविक है। शारीरिक तौर पर आकर्षण या शारीरिक ज़रुरत जीवन का हिस्सा है इसमें कुछ भी अस्वाभाविक नहीं है, समस्या उस वक्त होती है जब यह सोच महिलाओं की "ना" पुरुषों के लिए अहम् का मुद्दा बन जाती है। लड़को की यह सोंच की अपनी फोटो शेयर करने वाली लड़कियां महिलाओं को ज्यादा मॉर्डन का लेबल लगा देते हैं।
हमारे समाज की एक आम सोच है यदि कोई लड़की अपनी फोटोस को किसी सोशल मीडिया पर अपलोड कर दी है तो समाज सोंच लेता है कि लड़की ज्यादा मॉडल है या उससे अलग-अलग संज्ञा दिन लगते हैं जैसे बदचलन कहना या कैरक्टरलेस कहना आदि
अधिकांश लोग इस बात की पैरवी इस तरह भी करते हैं कि उसने अपनी फोटो शेयर ही क्यों किए उसकी खुद की गलती है। यह सोच विक्टिम(बीमार) है कोई दोष देने के कल्चर का नतीजा है समाज में व्याप्त यह सोच ही महिलाओं के प्रति इस प्रकार की हिंसा का सबसे बड़ा कारण है।
इस अपराध पर क्या कानून है?
आईपीसी (IPC) की धारा 354C के तहत रिवेंज पोर्न के लिए दंड का प्रावधान है।
धारा 354 में इस अपराध के लिए दंड प्रावधान कर दी है। इसके तहत दोषी व्यक्ति को दंडित किया जाता है जो किसी स्त्री या लड़की को ऐसी परिस्थिति में उसकी फोटो ले जहां उसकी प्राइवेसी हो अर्थात जहां उसके प्राइवेट अंग आसानी से देख जा सकते हों व स्नान आदि कर रही हो
याद रहे कि 2013 से पहले यह धारा कानून का हिस्सा नहीं थी। जस्टिस वर्मा कमेटी के सुझाव पर इसे अधिनियम में जोड़ा गया है। अब आईपीसी में धारा 354D के तहत इसे अपराध माना जाएगा जिसमें बिना अनुमति के किसी लड़की की फोटो शेयर करना अपराध है।
कैसे निर्धारित होगा कि अपराध है अथवा नहीं-
यह धारा रिवेंज पोर्न के अपराध को दंडित करता है जहां कोई लड़की फोटो खींचने के लिए अनुमति तो दे लेकिन उसे किसी अन्य व्यक्ति के साथ शेयर करने का अनुमति ना दें और फिर भी उसकी फोटो को शेयर कर दी जाए। इस आशय से की लड़की की बदनामी हो या उसकी छवि धूमिल हो तो इस धारा के अंतर्गत अपराध माना जाएगा
कैसे निर्धारित होगा कि अपराध है अथवा नहीं-
यह धारा रिवेंज पोर्न के अपराध को दंडित करता है जहां कोई लड़की फोटो खींचने के लिए अनुमति तो दे लेकिन उसे किसी अन्य व्यक्ति के साथ शेयर करने का अनुमति ना दें और फिर भी उसकी फोटो को शेयर कर दी जाए। इस आशय से की लड़की की बदनामी हो या उसकी छवि धूमिल हो तो इस धारा के अंतर्गत अपराध माना जाएगा
ध्यान रहे कि लड़की के अनुमति के बिना उसके प्राइवेट अंगों या उसके किसी भी अतरंग प्रकार की फोटो खींचना भी एक अपराध है किंतु यदि वह इसकी अनुमति फोटो खींचने की केवल देती है तो यह अपराध नहीं है लेकिन वही फोटो अगर शेयर कर दिया जाए उसकी बिना अनुमति के तो यह अपराध होगा। लड़की ने खुद अपनी फोटो खींचकर अपने पार्टनर ( बॉयफ्रेंड ) को शोशल मीडिया के माध्यम दी है तो केवल फोटो देना या केवल पार्टनर के साथ शेयर करना अपराध नहीं है क्योंकि लड़की ने केवल सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर के भेजी है।
इसके उलट यदि किसी लड़की ने अपनी नंग्न फोटो या विडियो शेयर करने की अनुमति स्वयं दी है तो यह अपराध नहीं है जैसा की फिल्मों टीवी सीरियल या वेब सीरीज के लिया किया हो।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66A (जिसे अब समाप्त कर दिया गया है) के तहत जारी किया जा सकता है। इस धारा के तहत किसी व्यक्ति की प्राइवेसी उल्लंघन करते हुए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उसकी अतरंग फोटो को प्रकाशित करना प्रेषित करना दंडनीय अपराध माना गया है। दरअसल कानून की दृष्टि में रिवेंज को एक अलग अपराध नहीं माना गया इसलिए धारा 354C के अलावा धारा 368 आईपीसी(IPC) की धारा 506, 509 और 500 का भी प्रयोग किया जा सकता है अश्लीलता संबंधित धाराओं में भी अभियुक्त को चार्ज किया जा सकता है।
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तलाक लेने में कितना खर्च आयेगा और यह खर्च कौन देगा? तलाक लेने से पहले यह कानून जान लें!
तलाक में कितना खर्चा आता है? तलाक लेने की प्रक्रिया और इस पर खर्च होने वाली धनराशि क्या होगी इस पर कोई विशेषज्ञ राय दे पाना लगभग असंभव है। इसके वास्तविक खर्च का अनुमान लगाने से पूर्व कुछ ऐसे तथ्य हैं जिसपर चर्चा करना आवश्यक है हालांकि फिर भी इस जटिल सवाल का जवाब देना असंभव है कि तलाक लेने का या देने का वास्तविक खर्च क्या होगा। इस निर्णय से पहले यहां कुछ कारक हैं जो तलाक की कुल लागत को प्रभावित करते हैं पहले इसे जान लें। आपसी सहमति के तहत तलाक लेने में एक विवादास्पद तलाक से कम खर्च होगा। विस्थापित (अलगाव) दंपत्ति का रिश्ता एक प्रमुख कारक होता है। ऐसे रिश्ते में दंपत्ति जितना अधिक मुख्य मुद्दों पर असहमत होता है, उतना अधिक महंगा तलाक होगा, लेकिन बिना बच्चों या वयस्क (बालिग) बच्चों वाले दम्पति का तलाक नाबालिग बच्चों के साथ तलाक से अधिक महंगा होगा। सामुदायिक संपत्ति के विभाजन की असहमति तलाक की लागत में वृद्धि करेगी। निर्वाह (जीवन यापन) धन शामिल तलाक अधिक महंगा है। तलाक की कानूनी लागत का आकलन करना। वकील का शुल्क: एक वकील घंटे के हिसाब से या किए गये कानूनी कार्य के लिए एक मुश्
पति तलाक लेना चाहता और पत्नी नहीं तो क्या किया जाना चाहिए?
क्या सहमति से तलाक़ लिया जा सकता है? पति पत्नी के बीच यदि बन नहीं रही है तो सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। सहमति से तलाक लेने के लिए पहले दोनों ही पक्षों को कोर्ट में एक याचिका दायर करनी होती है। फिर दूसरे चरण में कोर्ट द्वारा दोनों पक्षों के अलग-अलग बयान लिए जाते हैं और दस्तखत की औपचारिकता होती है। तीसरे चरण में कोर्ट दोनों को 6 महीने का वक्त देता है ताकि वह अपने फैसले को लेकर दोबारा सोच सकें। और फिर यदि दोनों ही पक्ष तलाक के फैसले पर कायम रहते हैं तो 6 महीने के बाद कोर्ट द्वारा उनके फैसले के अनुरूप उन्हें तलाक़ की अनुमति दे दी जाती है। क्या केवल लड़का तलाक ले सकता है? आपसी समझौते के आधार पर तलाक लेने की कुछ शर्तें होती हैं। यदि पति और पत्नी शादी के बाद 1 साल या उससे ज्यादा समय से अलग रह रहे हो और दोनों में पारस्परिक रूप से तलाक़ लेने को सहमत हैं। एक दूसरे के साथ रहने पर कोई भी राजी नहीं है या दोनों पक्षों में सुलह की कोई स्थिति नजर नहीं आती है तो ऐसे में सहमति के आधार पर तलाक के लिए आवेदन करने का हक होता है। इसे मैचुअल कंसेंट डायवोर्स कहा जाता है यानी आपसी सहमति से तल
अब चेक बाउंस के मामले में जेल जाना तय है! लेकिन बच भी सकते हैं अगर यह क़ानूनी तरीका अपनाया तो!
एक चेक बाउंस के मामले में क्या करें और क्या न करें? चेक क्या है? एक चेक एक निर्दिष्ट बैंकर पर आहरित एक्सचेंज का बिल है और केवल मांग पर देय है। कानूनी तौर पर, जिस व्यक्ति ने चेक जारी किया है, उसे ‘आहर्ता’ कहा जाता है और जिस व्यक्ति के पक्ष में चेक जारी किया जाता है उसे‘अदाकर्ता’ कहा जाता है। चेक लेते समय यह जांच करें- यह लिखित रूप में होना चाहिए। यह एक बिना शर्त आदेश होना चाहिए। बैंकर को निर्दिष्ट करना है। भुगतान एक निर्दिष्ट व्यक्ति को निर्देशित किया जाना चाहिए। यह मांग पर देय होना चाहिए। यह एक विशिष्ट राशि के लिए होना चाहिए। आहर्ता’ के हस्ताक्षर होना चाहिए। चेक बाउंस / चेक की अस्वीकृति क्या है? एक चेक को अस्वीकृत या बाउंस तब कहा जाता है, जब वह किसी बैंक को भुगतान के लिए प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन किसी कारण या दूसरे अन्य कारणवश भुगतान नहीं किया जाता है। निम्नलिखित में से कुछ कारणों से एक चेक आम तौर पर बाउंस हो जाता है:- हस्ताक्षर मेल मिलान नहीं है चेक में उपरी लेखन किया गया हो तीन महीनों की समाप्ति के बाद चेक प्रस्तुत किया गया था, यानी चेक की समय सीमा समाप्ति के बाद खाता बंद किया ग
तलाक़ के बाद बच्चे पर ज्यादा अधिकार किसका होगा माँ का या पिता का?
तलाक़ के बाद बच्चे पर किसका अधिकार होगा? तलाक़ ले रहे दम्पति के बीच बच्चे की कस्टडी को लेकर अक्सर विवाद उत्पन्न हो जाता है। बच्चे की कस्टडी किसे मिलेगी किसे नहीं यह कई बातों पर निर्भर करता है। मसलन बच्चे की उम्र, लिंग, परिस्थिति आदि। इसके साथ ही यह निर्णय पूरी तरह कोर्ट पर निर्भर है कि बच्चे कि कस्टडी किसको दी जाये। बच्चे का पिता अमीर है इसलिए बच्चा उसी को मिलना चाहिए? माता-पिता की आय व बेहतर शिक्षा की उम्मींद ही कस्टडी देने का मापदंड नहीं हो सकता। चूँकि बच्चा कोई सामान नहीं है जो बिना उचित तर्क के किसी एक को सौंप दिया जाये। माता-पिता की आय तो क्या बच्चे की परवरिश अच्छी ही होगी। कस्टडी की समस्या को मानवीय तरीके से हल किया जाना चाहिएः हाईकोर्ट बिलासपुर में दाखिल एक याचिका की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की बेंच ने बच्चे की कस्टडी को लेकर पेश किए गए मामले में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि "बच्चा कोई सामान नहीं है" बच्चे का कल्याण ही फैसले का आधार होना चाहिए। माता- पिता की इनकम अच्छी है और बच्चे की बेहतर शिक्षा की व्
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पॉक्सो एक्ट (POCSO) एक केंद्रीय कानून है? इस अधिनियम (कानून) को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 पोक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया था। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। इस कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित की गई है। पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? किसी विवाद की विषयवस्तु तथा मुख्य मुद्दे को जानने के लिए पॉक्सो अधिनियम, 2012 का संक्षिप्त अवलोकन करना आवश्यक है। पॉक्सो एक्ट 2012 यौन उत्पीड़न और अश्लीलता (पोर्नोग्राफी) के अपराधों से बच्चों को बचाने के लिए लागू किया गया था। यह एक जेंडर न्यूट्रल लॉ है जो 18 वर्ष से कम उम्र के बालक और बालिकाओं दोनों पर सामना रूप से लागू होता है। पॉक्सो एक्ट (POCSO) की परिभाषा के अनुसार कितने वर्ष से कम आयु का व्यक्ति नाबालिग है? भारतीय कानून में बालिग तथा नाबालिग की परिभाषा प्रस्तुत की गई है इसके अतिरिक्त पॉक्सो अधिनियम की परिभाषा के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को नाबालिग माना जाता है। यह 18 वर्ष से कम आयु के व्य
बालिग लड़की का नाबालिग लड़के से शादी करने पर अपराध क्यों नहीं है? और क्या नाबालिग लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी कर सकती है?
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हर व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की घटनाएं घटित होती रहती है। जाने अनजाने में कभी कभी व्यक्ति से अपराध भी हो जाता है और कभी-कभी आपसी रंजिश के कारण अन्य व्यक्ति के द्वारा भी किसी व्यक्ति को झूठे मामले में फसाया जाता है। किसी केस में नाम आने से पुलिस द्वारा संबंधित व्यक्ति की गिरफ्तारी कर ली जाती है। ऐसे में बिना कोई अपराध किये ही केवल आपसी रंजिश के कारण संबंधित व्यक्ति को काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है। लेकिन ऐसे व्यक्ति के लिए कानून में जमानत लेने का अधिकार प्रदान किया गया है और इस अधिकार का उपयोग करके कोई भी व्यक्ति जमानत प्राप्त कर सकता है लेकिन अपराध की गंभीरता को देखते हुए कई ऐसे अपराध है। जिनके लिए कानून में जमानत की व्यवस्था नहीं की गई है। इसलिए आज आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बेल यानि ज़मानत के बारे में पूरी जानकारी देंगे जिससे आपको काफ़ी मदद भी मिल सकती है। इस आर्टिकल के माध्यम से आप जानेंगे की- जमानत क्या है? किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं? ज़मानत लेने पर क्या रिस्क है? किसी अपराधी की जमानत का विरोध कैसे करें? जमानत ना मिलाने की स्थिति में क्या करें? जमानत क्या है? जब क
जानिए दाखिल खारिज़ क्यों ज़रूरी है और नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकतें हैं?
ऑनलाइन आवेदन दाखिल-खारिज करते समय आवश्यक कागजात क्या है? यदि आप दाखिल-खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ज़मीन के सम्बन्ध जानकारियों को ऑनलाइन आवेदन करते समय भरना होगा। जैसे ज़मीन का बैनामा किस तिथि को कराया गया था। किस निबंधन कार्यालय में कराया गया था। किस क्रम संख्या व प्रपत्र पर आपका बैनामा दर्ज है। इसके बाद आप जरूरी जानकारी ऑनलाइन फॉर्म में भरने के बाद सबमिट कर देंगे। लेकिन याद रखें अगर उत्तर प्रदेश में दाखिल-खारिज का आवेदन करना चाहते हैं तो 2012 के बाद कराए गए बैनामों का ही दाखिल खारिज ऑनलाइन संभव है। इसके पहले के दाखिल खारिज कराने के लिए आपको संबंधित तहसील में जाकर आवेदन करना होगा। ज़मीन खरीदने के कितने दिन बाद दाखिल-खारिज करवाना होता है? अमूमन दाखिल खारिज कराने की प्रक्रिया बैनामा के तुरंत बाद कराई जा सकती है। लेकिन दाखिल खारिज होने में लगभग 45 दिन का समय लग जाता है। यह संबंधित कार्यालयों में अलग-अलग हो सकते हैं। क्योंकि दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में लेखपाल व राजस्व निरीक्षक के रिपोर्ट दाखिल होने के बाद ही नामांतरण का आदेश किया जाता है। इसलिए इस प्रक्रिया
नया आवेदन करें-
- आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन करें
- ई श्रम कार्ड के लिए आवेदन करें
- किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करें
- दाखिल ख़ारिज के लिए आवेदन करें
- निःशुल्क क़ानूनी सहायता के लिए संपर्क करें
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