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क्या सरकार लोगों की जासूसी कर रही है या कुछ वास्तव में छिपा रही है?

सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई हुई और मामले ने एक अलग मोड़ ले लिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वह इस मामले में विस्तार से हलफनामा दायर करना चाहती है। इस पर केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि मामले में छिपाने के लिए कुछ नहीं है सब कुछ स्पष्ट है।

केंद्र ने अपने हलफनामे में याचिकाकर्ताओं (अपीलकर्ताओं) की ओर से जासूसी के आरोपों को नकार दिया है और कहा है कि याचिका विचार योग्य है ही नहीं।

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वहीँ आईटी(IT) मंत्री के रुख को भी बताया कि सदन में सभी आरोपों को नकारा गया था और जवाब दयार किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कि इस मामले में जो भी सवाल उठाए गए हैं केंद्र सरकार उसके जवाब से बच रही है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता राम और शशि कुमार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार हलफनामा दायर कर यह बताएं कि क्या जासूसी के लिए पेगासस का इस्तेमाल नहीं किया तो हमारी दलील अलग होगी।

केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दायर किया है उसमें यह नहीं कहा कि सरकार या उसकी एजेंसी ने एक स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं। तब केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर सरकार यह कहा कि उसने पेगासस का इस्तेमाल जासूसी के लिए नहीं किया है तो क्या याचिकाकर्ता अपनी मर्जी अर्जी वापस ले लेंगे।

चीफ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि अगर आप डिटेल में इस बारे में हलफनामा दायर करने की सोच रहे हैं तो हमें मंगलवार को बताएं अगर सरकार अतिरिक्त हलफनामा दायर नहीं करना चाहती है तो हम उसके लिए बाध्य नहीं कर सकते। वहीं चीफ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि आप अगर पेगासस जासूसी मामले में विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए वक्त चाहते हैं तो बताएं हम एक्सपर्ट कमिटी पर बाद में तय करेंगे।

सॉलिसिटर जनरल ने तब कहा कि मामला संवेदनशील है चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सरकार के खिलाफ नहीं हैं कमिटी की सीमाएं हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट मंजूर करेगी तो एक  स्वतंत्र एक्सपर्ट कमिटी होगी। इस पर सिब्बल ने दोहराया कि हम याचिकाकर्ताओं की ओर से यही सवाल है कि हम जानना चाहते हैं कि क्या केंद्र सरकार ने स्पाइवेयर का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया है या नहीं।

कोर्ट ने सरकार से पूछा ड्राइवर नल रिफॉर्मर्स बिल पेश करने की वजह बताएं

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संसद से पारित रीजनल बिल को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। साथ ही चयन समिति की सिफारिशों के बावजूद खाली पदों को नहीं भरने पर केंद्र से गहरा दुख जाहिर किया।

चीफ जस्टिस एनवी रामना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा विधेयक को उन प्रावधानों के साथ क्यों पेश किया गया जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दिया था। बेंच ने कहा अदालत के निर्देशों के बावजूद कुछ दिन पहले हमने देखा है कि जिस अध्यादेश को रद्द किया रद्द किया गया था उसे फिर से लागू कर दिया गया है। 

चीफ जस्टिस ने कहा हम संसद की कार्यवाही पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं बेशक विधायिका के पास कानून बनाने का विशेषाधिकार है कम से कम हमें यह जानना चाहिए कि इस अदालत की ओर से खारिज किए जाने के बावजूद सरकार ने विधायक क्यों पेश किया है।

संसद में बहस नहीं हुई है हमें वह दिखाएं कारण बताएं मेहता ने जवाब दिया कि जब तक विधेयक अधिनियम का दर्जा प्राप्त नहीं कर लेता तब तक उसकी ओर से प्रतिक्रिया देना उचित नहीं होगा।

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