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सत्यमेव जयते!

आदिपुरुष से पहले की वो फ़िल्में जिन्हें भारत में बैन किया गया! जानिए कौन-कौन फ़िल्मों को भारत में बैन किया गया?

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बॉलीवुड दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है। बॉलीवुड में हर साल सैकड़ो फ़िल्में बनती है हालांकि सभी हिट, फ्लॉप और औसत के अलावा, भारतीय सिनेमा का एक और ब्रांड मौजूद है जिसे "बैन फ़िल्म" कहा जाता है, जिसे जानबूझकर दर्शकों की पहुंच से बाहर रखा जाता है। ऐसी फिल्में जो बोल्ड, अश्लील भाषा, फूहड़ता, लिंग भेद, वर्जनाएं, कश्मीर मुद्दे, धर्म आदि के विकृत रूप से भरी होती हैं और मूल रूप से वो फिल्में जो आज के समय से बहुत आगे हैं अक्सर सेंसर बोर्ड द्वारा बैन कर दी जाती है। फिल्मों ने जब-जब सामाजिक मान्यताओं को ठेस पहुंचाई तब-तब ऐसी फिल्मों का बहिष्कार हुआ। वर्तमान में पौराणिक मान्यताओं पर बनी एक फिल्म "आदिपुरुष" का बहिष्कार हो रहा है। आलोचकों की माने तो यह फ़िल्म प्रभु श्रीराम के हास्यपद रूप को प्रदर्शित करती हुई नज़र आती है। फिल्म में दिखाए गये चरित्र वास्तविकता के कोसों दूर है यही कारण है की फिल्म का बहिष्कार हो रहा है।  लेकिन क्या आप जानतें हैं इससे पहले भारत में कई फिल्मों पर बैन लग चुका है। बॉलीवुड की ऐसी दस फ़िल्में जिन पर सेंसर बोर्ड ने प्रतिबंध लगाया। 1. बैंडिट क्वीन (1994) बैं

जानिए, पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? लड़कियों को परेशान करने पर कौन सी धारा लगती है?

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पॉक्सो एक्ट (POCSO) एक केंद्रीय कानून है?  इस अधिनियम (कानून) को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 पोक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया था। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। इस कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित की गई है। पॉक्सो एक्ट (POCSO) कब लगता है? किसी विवाद की विषयवस्तु तथा मुख्य मुद्दे को जानने के लिए पॉक्सो अधिनियम, 2012 का संक्षिप्त अवलोकन करना आवश्यक है। पॉक्सो एक्ट 2012 यौन उत्पीड़न और अश्लीलता (पोर्नोग्राफी) के अपराधों से बच्चों को बचाने के लिए लागू किया गया था। यह एक जेंडर न्यूट्रल लॉ है जो 18 वर्ष से कम उम्र के बालक और बालिकाओं दोनों पर सामना रूप से लागू होता है। पॉक्सो एक्ट (POCSO) की परिभाषा के अनुसार कितने वर्ष से कम आयु का व्यक्ति नाबालिग है? भारतीय कानून में बालिग तथा नाबालिग की परिभाषा प्रस्तुत की गई है इसके अतिरिक्त पॉक्सो अधिनियम की परिभाषा के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को नाबालिग माना जाता है। यह 18 वर्ष से कम आयु के व्य

जानिए, रेरा (RERA) के नियम क्या है? बिल्डर के लिए शिकायत कैसे करें? क्या रेरा ले आउट पर लागू होता है?

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रेरा (RERA) के नियम क्या है? रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट 2016 (Real Estate Regulatory Authority-RERA) एक केन्द्रीय कानून है, जिसे भारतीय संसद ने पास किया था। रेरा (RERA) का मकसद रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) में ग्राहकों का निवेश बढ़ाना और उनके हितों की रक्षा करना है। 10 मार्च 2016 को राज्यसभा ने रेरा बिल (RERA) को पास किया था। इसके बाद 15 मार्च 2016 को लोकसभा ने इसे पास किया। रेरा रजिस्ट्रेशन क्या होता है? RERA (Real Estate Regulatory Authority) में शिकायत करने से पूर्व रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इसके बाद यदि किसी संपत्ति के खरीदार के अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है या अधिनियम के किसी भी प्रावधान (Provision) का उल्लंघन किया जाता है तो किसी भी खरीदार द्वारा बिल्डर, डेवलपर या एजेंट आदि के खिलाफ RERA शिकायत दर्ज की जा सकती है। बिल्डर के लिए शिकायत कैसे करें? किसी बिल्डर, प्रॉपर्टी डीलर, एजेंट आदि की शिकायत रेरा (Real Estate Regulatory Authority-RERA) में की जा सकती है। इसके लिए सबसे पहले रेरा की वेबसाइट (RERA) पर रजिस्ट्रेशन कर लॉग-इन करना होगा। इसके बाद आपको

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