अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए किसकी अनुमति ज़रूरी है? क्या कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है? जानिए प्राविधान

मामले की सुनवाई के दौरान गुजरात हाईकोर्ट ने यह सवाल पूछा और इसके विरोध में अपनी राय जाहिर की है।हाईकोर्ट ने बताया कि किसी महिला के लिए 18 वर्ष की उम्र से पहले बच्चा पैदा करना किसी तरह से अवैध नहीं है।
हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक दुष्कर्म के मामले में सुनवाई करते हुए कहा। मामले की सुनवाई में जस्टिस परेश उपाध्याय की पीठ ने सवाल उठाया था कि महिला के लिए गर्भस्थ शिशु के पिता का नाम बताने की मजबूरी कहां पर दर्ज है। अगर कोई अविवाहित महिला दुष्कर्म की शिकार है या उसकी शिकायत दर्ज नहीं कराती है और बच्चे को जन्म देना चाहती है उसके पिता का नाम बताने के लिए उसे किस प्रकार से बाध्य किया जा सकता है। यह बात नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत द्वारा दिए गए एक 10 साल के कठोर कारावास की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा।
उक्त मामले में बच्चे के साथ यौन शोषण दुराचार अधिनियम पॉक्सो एक्ट का है।
पीड़िता जूनागढ़ जिले की रहने वाली है उसने बिना विवाह के दोषी के साथ रहते हुए 2 बच्चों को जन्म दिया दोनों बच्चे के पिता ने भी उन्हें अपना कहा लड़की ने कहा कि उसने अपनी इच्छा से पिता का घर छोड़ दिया और दोषी ठहराए गए युवक के साथ रहना शुरू कर दिया। इसी दौरान उसने 2 बच्चों को जन्म दिया। पहले बच्चे को जन्म तब दिया जब वह नाबालिग थी।
हाईकोर्ट ने पीठ से पूछा कि गरीब ग्रामीण लड़की यदि किसी प्रकार से बलात्कार से पीड़ित है और अगर विवाह से पहले महिला गर्भवती होती है और वह अस्पताल जाती है तो डॉक्टर उससे उस बच्ची के पिता का नाम पूछता है।पिता ने कहा कि वह नहीं समझती कि महिला अपने बच्चे के पिता का नाम बताना जरूरी है या नहीं किसी महिला के लिए ऐसी मजबूरी हो ना कहां दर्ज है?
लड़की का पहला बच्चा 29 जून 2019 को हुआ था जबकि दूसरा बच्चा 22 जनवरी 2021 को हुआ।
शादी दोषी ठहराए गए युवक के साथ होनी थी लेकिन कोरोना के बचाव के लिए लगे लॉकडाउन के कारण वह नहीं हो सका। जबकि दूसरा बच्चा होने के बाद पहले बच्चे का हवाला देते हुए। लड़की के पिता ने दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करा दी इसी रिपोर्ट के आधार पर युवक को निचली अदालत ने सजा सुनाई थी।
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