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सत्यमेव जयते!
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कानून से जुड़ी ख़बर!
- क्या संपत्ति का पावर ऑफ अटॉर्नी सम्पति को मालिक की बिना जानकारी के बेच सकता है?
- बिना विवाह किये भी साथ रह सकते हैं। जानिए क्या है इस संबंध में कानून। क्या होते हैं एक कपल के अधिकार।
- महिला सम्मान की पैरवी करने वाले देश में मैरिटल रेप अपराध नहीं!
- तो अब किससे पास कितनी ज़मीन है पता चल सकेगा यूनीक लैंड कोड से, जानिए कैसे?
- जमानत क्या है और किसी व्यक्ति की जमानत कैसे ले सकते हैं?
- पोर्न देखकर किशोर ने किया 3 साल की बच्ची से रेप!
- शादी के बाद शादी का प्रमाण पत्र कैसे बनेगा? यहाँ पूरी जानकारी दी गई है!
- वसीयत करने से पहले संपत्ति धारक की मृत्यु हो जाने पर संपत्ति पर किसका अधिकार होगा है?
- हिन्दू धर्म में न दूसरी शादी की जा सकती है ना पहली से तलाक़ होगा
- क्या एक विवाहित बेटी अपने पिता की संपत्ति में हिस्से का दावा कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैतृक संपत्ति में बेटियों का होगा इतना अधिकार?
- Cyber Crime की शिकायत दर्ज कराने के लिए क्या जानकारी देनी होगी? साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल पर शिकायत कैसे करें?
- जानिए, अगर पति तलाक चाहता है और पत्नी नहीं चाहती तो क्या करें? क्या तलाक के बाद पति पत्नी साथ रह सकते हैं? पत्नी मायके से नहीं आए तो क्या करें?
- जानिए, कोर्ट मैरिज की फीस कितनी है? कोर्ट मैरिज में के लिए आवेदन कहाँ करना होता है? कोर्ट मैरिज में कितने दिन लगते हैं?
- क्या आपके मन में भी हैं ये सवाल कि गाड़ी कौन सी खरीदें? पुरानी गाड़ी खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? कार खरीदना है तो कैसे खरीदें?
30 दिसम्बर 2022 क्यों ब्लैक फ्राइडे बन गया? प्रधानमंत्री मोदी की मां हीराबेन और महान फुटबालर पेले के निधन से लगा लोगों को धक्का!
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दरसल, 30 दिसम्बर 2022 के दिन एक के बाद के दुःखद समाचारों ने देश भर को झकझोर कर रख दिया। शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी की माताजी हीराबेन का निधन हो गया फुटबाल प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले फ़ुटबाल के जादूगर पेले का निधन हो गया तो टीम इन्डिया के चमकते सितारे ऋषभपंत एक कार दुर्घटना में घायल हो गये जिन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। प्रधानमंत्री मोदी की मां हीराबेन का निधन 30 दिसम्बर 2022 दिन शुक्रवार तड़के अहमदाबाद के अस्पताल में हो गया। हीराबेन की उम्र 100 साल थी। हीराबेन की बुधवार को तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके चलते उन्हें अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जापान के पीएम ने हीराबेन के निधन पर जताया शोक जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने शुक्रवार को अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन के निधन पर शोक व्यक्त किया। किशिदा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मैं आपकी प्यारी मां के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता हूं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें पंचतत्व में विलीन हुईं हीराबा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा पंचतत्व में विलीन
जानिए आईपीसी की धारा 496, 493, 495 क्या है? बगैर तलाक के किसी स्त्री की शादी करने पर क्या कहता है क़ानून? दो शादी करने पर कौन सी धारा लगती है?
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दम्पति के मध्य विवाद सम्बन्ध के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है तो वहीँ विवाहित महिला के साथ ऐसे अपराध तलाक का कारण हो सकते हैं? इसके अतिरिक्त अक्सर ऐसे प्रश्न लोगों के मन में आते हैं कि- विवाहित दम्पति के बीच कौन-कौन से ऐसे अपराध हैं जो तलाक़ का कारण बन सकता है? विवाह संबंधी अपराध क्या है? बगैर तलाक के किसी स्त्री की शादी का अधिकार क्या कहता है? आईपीसी की धारा 496 क्या है? धारा 493 में क्या होता है? धारा 495 क्या है? शादी ना करने पर कौन सी धारा लगती है? दो शादी करने पर कौन सी धारा लगती है? बिना तलाक दूसरी शादी करने पर क्या होगा? हिन्दू कितनी शादी कर सकते है? विवाह संबंधी अपराध क्या है? विवाह के विरुद्ध (Offences against Marriage) अपराध क्या होता है? विवाह से सम्बन्धित दो मुख्य अपराध है - द्विविवाह (बिना तलाक़ लिए दूसरी शादी करना या एक साथ दो लोगों के साथ विवाह करना) जारकर्म (अवैध संबध) 1. द्विविवाह (Bigamy) -भारतीय दंड सहिंता की धारा 494 के अनुसार- जो व्यक्ति, पति या पत्नी के जीवित रहते हुये किसी अन्य से विवाह करेगा। किसी ऐसी दशा में विवाह करना जिसमें ऐसा विवाह शून्य हो तो वह ऐसे पति या
Indian Evidence Act | APO | AIBE | PCSJ | Model Question Paper with Answer in Hindi | भारतीय साक्ष्य अधिनियम हल प्रश्न पत्र
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प्रश्न1- प्रलोभन, धमकी या वचन से पैदा हुए मन पर प्रभाव के दूर हो जाने के पश्चात की गई संस्वीकृति – धारा 28 में सुसंगत है धारा 24 में सुसंगत है धारा 29 में सुसंगत है धारा 30 में सुसंगत है उत्तर- धारा 28 में सुसंगत है प्रश्न2- गुप्त रखने के वचन के अधीन या उसे प्राप्त करने के लिए की गई प्रवचना के परिणाम स्वरूप इस बात की जानकारी दिए बिना की संस्कृति का साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जाएगा सुसंगत है- धारा 24 में धारा 25 में धारा 27, 28 में धारा 29 में उत्तर- धारा 29 में प्रश्न3- जब किसी अभियुक्त की संस्वीकृति IPC की धारा 164 में मौजूद रीति से रिकॉर्ड नहीं की गई है तथा वहाँ मजिस्ट्रेट का मौखिक साक्ष्य यह सिद्ध करने के लिए कि इस प्रकार से स्वीकृति की गई है की ग्राह्य नहीं है यह किस वाद में अभिनिर्धारित किया गया है- उत्तर प्रदेश राज्य बनाम सिंघाड़ा सिंह में राजस्थान राज्य बनाम रहमान में अमिनी बनाम केरल राज्य में धनंजय रेड्डी बनाम कर्नाटक राज्य में उत्तर- उत्तर प्रदेश राज्य बनाम सिंघाड़ा सिंह में प्रश्न4- सह-अभियुक्ति की संस्कृति सुसंगत है- धारा 30 में धारा 24 में धारा 133 में उपयुक्त में से कोई
तो अब किससे पास कितनी ज़मीन है पता चल सकेगा यूनीक लैंड कोड से, जानिए कैसे?
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कहाँ पर कितनी ज़मीन है किसके नाम है? और कौन उसका मालिक है यह सभी जानकारी जुटाने के लिए प्रदेश सरकार ने जियो टैगिंग अभियान की शुरुआत कर दी है । राजस्व से जुड़े विवादों की गुंजाइश कम करने और बड़ी अवस्थापना परियोजनाओं के लिए शीघ्रता और आसानी से भूमि चिह्नित करने के लिए प्रदेश सरकार प्रत्येक गाटे की जियो टैगिंग कराएगी। यह संभव होगा केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना के तहत। ज़मीनों का आधार नंबर बनाने की तैयारी! हर गाटे (खसरा) को यूनीक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (अलपिन) दिया जाएगा। यह 14 अंकों का एल्फा न्यूमरिक कोड होगा। इसे यूनीक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर कहा जायेगा। यूनीक लैंड कोड से क्या फायदा होगा? वर्तमान में प्रदेश में लगभग 7.5 करोड़ गाटे हैं। यूनीक लैंड कोड से ज़मीन की पूरी जानकारी कंप्यूटर पर पता चल सकेगी। जिससे तय समय में ज़मीनों की भौगोलिक स्थिति का शीघ्रता से पता चल सकेगा। हर गाटे की भौगोलिक स्थिति का पता होने से बड़ी सरकारी व औद्योगिक परियोजनाओं के लिए ज़मीन आसानी से चिह्नित हो सकेगी। प्रदेश में हर गाटे की जियो टैगिंग राजस्व विवादों का अंत होगा इस योजना में गांवों
बिना एक रुपया भी खर्च करे कैसे कोर्ट केस लड़ें जानिए निशुल्क क़ानूनी सुविधा लेने का तरीका?
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भारत सरकार द्वारा गरीब नागरिक को निशुल्क क़ानूनी सुविधा प्रदान करने का प्रावधान है। गरीब नागरिक को निशुल्क क़ानूनी सुविधा कैसे मिल सकती है? इसके विषय में विस्तार से जानें। गरीब व मध्यम आय समूह को निःशुल्क क़ानूनी सहायता योजना यह योजना मध्यम आय वर्ग (EWS) के नागरिकों यानी ऐसे नागरिकों को कानूनी सेवाएं प्रदान करती है जिनकी कुल इनकम 60,000/- रुपये प्रति माह से अधिक नहीं है या रु. 7,50,000/- सालाना. इस वर्ग के अंतर्गत आने वाले नागरिकों को भारत सरकार द्वारा निःशुल्क क़ानूनी सहायता प्रदान की जाती है। क्या है यह योजना? इस योजना को "सर्वोच्च न्यायालय मध्य आय समूह (EWS) कानूनी सहायता योजना" के रूप में जाना जाता है। यह योजना स्वावलंबी है और योजना की प्रारंभिक पूंजी का योगदान प्रथम कार्यकारी समिति (सरकार) द्वारा किया जाता है। गरीब नागरिक को निशुल्क क़ानूनी सुविधा कैसे मिल सकती है? क्या बिना एक रुपया लगाये कोर्ट केस लड़ सकतें हैं? कैसा होगा सहयोगी संस्था का स्वरुप (अनुसूची)? योजना के साथ संलग्न शुल्क और व्यय की अनुसूची लागू होगी और समय-समय पर सोसायटी द्वारा संशोधित की जा सकती है। योजना के पदा
अब सात साल का अनुभव रखने वाले वकील सीधे जज नहीं बन सकेंगे?
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न्यायिक अधिकारी को एचजेएस (HJS) की सीधी भर्ती में शामिल होने का अधिकार नहीं हाईकोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि उच्च न्यायिक सेवा सीधी भर्ती एचजेएस (HJS) में 7 साल के वकालत के अनुभव के आधार पर न्यायिक अधिकारियों को आवेदन का अधिकार नहीं है। वे केवल पदोन्नति से एचजेएस (HJS) में भर्ती हो सकते हैं। मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा के शशांक सिंह ने दाखिल की थी याचिका कोर्ट में अधिवक्ता व जज के रूप में 7 साल के अनुभव के आधार पर सीधी भर्ती में शामिल करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा के शशांक सिंह व चार अन्य की याचिका पर दिया है। वकालत के अनुभव पर सीधी भर्ती में चयनित नहीं किया जा सकता कोर्ट ने कहा कि सिविल जज सीनियर डिवीजन को प्रोन्नति से एचजेएस पद मिलता है, जबकि 7 साल की वकालत व 35 से 45 वर्ष की आयु के वकीलों की सीधी भर्ती की जाती है। नियमावली संविधान के अनुच्छेद 233 सहित अनुच्छेद 309 से प्रदत्त अधिकारियों का प्रयोग करते हुए बनाई गई है। नियम 5 में स्पष्ट है क
कोरोना काल में वित्तीय संकट झेल रहे वकीलों के लिए जगी उम्मींद की किरण!
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वकीलों के सुरक्षा एवं सहायता के लिए गठित उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने कोरना काल से हुए नुक्सान और वर्तमान में विषम स्थिति में गुजर-बसर वकीलों की सहायता के लिए खुला ऐलान किया है कि जो राजनीतिक पार्टियाँ उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने जा रही हैं यदि वे उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की इन 8 मांगों पर विचार करेंगे व सहयोग के आश्वासन के साथ इसे अपने घोषणा पत्र में स्थान देंगें तो उत्तर प्रदेश के सभी अधिवक्ता उस पार्टी को साथ देंगें और चुनाव के उसके पक्ष में वोट दे सकते हैं। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने इस आशय से यह बात प्रस्तुत की है कि कोरोना के दौरान वित्तीय समस्यायों का सामना कर रहे वकीलों की सहायता हो सके। कोरोना काल में यदि किसी वर्ग का सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ तो वह अधिवक्ता ही हैं। नोबल प्रोफेशन की संज्ञा वाले इस पेशे में कोरोना के दौरान कोई कमाई नहीं हुई जिससे देश भर में अलग-अलग कोर्ट, तहसील और अन्य न्यायिक क्षेत्र में सेवा देने वाले वकील देखते देखते बेरोजगार हो गये। ऐसे में नये वकीलों को तो किसी प्रकार का कोइ काम ना मिला। वकीलों की सुध लेने वाला भी कोई नहीं था। इसी मुसीबत से वकीलों को उबारन
प्राइवेट नौकरी में पूरा वेतन देना 'कानून' से नहीं 'मालिक मर्ज़ी' से तय होता है?
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सरकार की बंधक नहीं है कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मसले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि अदालत (कोर्ट संस्था) सरकार का बंधक नहीं है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या प्रवासी मजदूरों को घर भेजने का कोई प्रस्ताव लाइन में है। कोर्ट ने सरकार को 1 हफ्ते का समय दिया है इस वक्त में सरकार को कोर्ट में जवाब दाखिल करना होगा। एक याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट में गुहार लगाई गई है कि अगर प्रवासी मजदूरों का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आता है तो उनके घर भेजने का इंतजाम किया जाए। यह व्यवस्था सरकार की ओर से होना चाहिए ताकि प्रवासी मजदूरों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार का जो विचार है उस पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। इससे मजदूरों का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है। इस पर जस्टिस कौल ने कहा, अगर आपको हमारे ऊपर भी भरोसा नहीं है तो फिर हम आपकी बात पर क्यों सुनवाई करें। आप कहते हैं कि आप 30 साल से ज्यादा समय से सुप्रीम कोर्ट से जुड़े हैं तो क्या आपको यह लगता है कि कोर्ट सरकार के यहां बंधक है। इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि हमें कोर्ट पर पूरा भ
यह व्यवस्था लागु हुई तो फर्जी वोट नहीं डाले जा सकेंगे!
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चुनाव सुधार संबंधी विधेयक को लोकसभा से मिली मंजूरी विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच लोकसभा में निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। इसमें मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदान पहचान प्रणाली कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। इस विधेयक के माध्यम से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन किए जाने की बात कही गई है। निचले सदन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एआईएमआईएम, आरएसपी, बसपा जैसे दलों ने इस विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया। इस विधेयक के संसोधन की ज़रुरत क्यों पड़ी? आम चुनावों में एक व्यक्ति दो या दो से अधिक जगह वोट डाल देता था जिससे चुनाव के निष्पक्ष होने की सम्भावना लगभग ख़तम सी हो जाती है इसी समस्या से निजात के लिए निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक 2021 सामान्य सुधार के साथ पेश किया गया है विपक्षी दलों का विरोध कांग्रेस ने विधेयक को विचार के लिए संसद की स्थाई समिति को भेजने की मांग की। विपक्षी दलों ने इसे उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ तथा संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों एवं निज
दहेज़ से जुड़ी शिकायत निपटारों के लिए दहेज निरोधक ऑफिसर होना चाहिए, जैसे आरटीआई ऑफिसर होता है। : सुप्रीम कोर्ट
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शादी में मिली ज्वेलरी व संपत्ति 7 साल के लिए महिला के नाम पर हो। दहेज लेन-देन से जुड़े मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इसे रोकने वाले कानून को मजबूत करने का सही समय आ चुका है। अभी देश में मौजूदा कानूनों पर फिर से विचार की जरूरत है। अदालत से दहेज निरोधक कानून को सख्त करने के साथ शादी के समय दी जाने वाली ज्वेलरी और दूसरी संपत्ति को 7 साल तक लड़की के नाम पर किए जाने की गुहार लगाई गई है। मामले की सुनवाई करते हुए इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला बेहद अहम है चूँकि देश में दहेज़ प्रथा पर प्रतिबन्ध है बावजूद इसके ऐसे मामलों में देखा गया है कि लड़के पक्ष द्वारा दबाव बनाया जाता है। इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के लिए सही होगा कि वह लॉ कमीशन के सामने यह सुझाव दें। लॉ कमीशन चाहे तो कानून को सख्त करने पर विचार कर सकता है। क्या कहा गया था अर्ज़ी में? अर्जी में कहा गया है कि शादी से पहले एक प्री मैरिज काउंसलिंग की व्यवस्था हो इसके लिए करिकुलम कमीशन बनाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि दहेज समाज के लिए हानिकारक है। याचिकाकर्ता ने म
सेवानिवृत्ति के समय मौजूद नियमों पर ही पेंशन निर्धारित की जानी चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
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माननीय सुप्रीम कोर्ट ने याचिका संख्या (CIVIL APPEAL NO.6994/2021) को निस्तारित करते हुए 1/12/2021 को अपने आदेश में कहा है कि सेवानिवृत्ति के समय मौजूद नियमों पर ही पेंशन निर्धारित की जाएगी: सुप्रीम कोर्ट क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेवानिवृत्ति पर किसी कर्मचारी को देय पेंशन सेवानिवृत्ति के समय मौजूद नियमों पर निर्धारित की जाएगी। न्यायालय ने यह भी कहा कि कानून नियोक्ता को समान रूप से स्थित व्यक्तियों के संबंध में नियमों को अलग तरीके से लागू करने की अनुमति नहीं देता है। यह जो मामला है इसमें जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ (केरल उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच) द्वारा पारित 29 अगस्त, 2019 के एक आदेश के खिलाफ एक सिविल अपील पर विचार कर रही थी। एक अपील जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। दूसरी अपील में क्या कहा गया? अपील की अनुमति देते हुए केरल पीठ ने डॉ जी सदाशिवन नायर बनाम कोचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, इसके रजिस्ट्रार द्वारा प्रतिनिधित्व, और अन्य में कहा, "जबकि हम कानून की स्थापित स्थिति को स्वीकार करते हैं कि पेंश
37 साल बाद नहीं मिली डिप्टी कलेक्टर की नौकरी हार गये कानूनी लड़ाई!
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डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्ति के लिए कानूनी लड़ाई आखिरकार 37 साल के बाद सुप्रीम कोर्ट में खत्म हो गई। लेकिन जब यह लड़ाई खतम हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने वाला शख्स 2019 में ही रिटायर हो गया और अब ऐसे में उसे इस पद पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती। इस तर्क को मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की उस अपील को स्वीकार कर लिया जिसमें सरकार द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। कब का है मामला? इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2014 में एक फैसला दिया। मामला कुछ इस प्रकार है कि चुन्नीलाल नाम के एक व्यक्ति को डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त करने को कहा था। लाल डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के तौर पर रिटायर हो चुके थे। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह की अगुवाई वाली बेंच ने इस बात पर गौर किया कि हाईकोर्ट का आदेश तक अमल में नहीं आ सकता क्योंकि चुन्नी लाल 2019 में रिटायर हो चुके हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने केस की मेरिट पर कहा कि 2 लोगों को एक पद पर नियुक्त करने के लिए नहीं कहा जा सकता ऐसे में हाईकोर्ट का आदेश खारिज किया जाता है। म
बच्चे को उसकी मर्ज़ी के बिना चूमना-लिपटना अपराध है!
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एक 30 साल के शख्स द्वारा जिसका नाम अब्दुल रहमान एक बच्ची को चूमने पर कोर्ट नें 5 साल की कैद की सजा सुनाई! प्रोटक्शन आफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस (पोक्सो एक्ट) के तहत मुंबई की एक अदालत ने एक अधेड़ शख्स को एक बच्ची को जबरन चूमने के जुर्म में 5 साल की कैद की सजा सुनाई है। दोषी की उम्र लगभग 30 वर्ष है। दोषी का नाम अब्दुल रहमान लोहार है। उसे आर्थर रोड जेल में रखा गया है। कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सजा सुनाई। रिपोर्ट के मुताबिक में बच्ची पड़ोस में रहने वाले एक शख्स के घर गई थी। बच्ची का पिता जब अपने काम से लौट रहा था तभी उसे उसकी बहन ने फोन किया और घटना के बारे में जानकारी दी। पिता जब घर पर पहुंचा तो उसने पूरे मामले की जानकारी अपनी पत्नी से मिली और बेटी ने उसे बताया कि आखिर क्या हुआ था। वहाँ रहने वाले लोगों ने बताया की उस दिन क्या हुआ था उत्पीड़न घटना की रिपोर्ट के मुताबिक शख्स की छोटी बेटियां चाल में स्थित कॉमन वॉशरूम का इस्तेमाल करने गई थी। वहां करीब 10 वर्षों में एक ही रूम में बना हुआ है। वहीं पर रहने वाले एक शख्स ने जब लड़कियां वॉशरूम पहुंचा के देखा तो वह भी वहाँ पहुँच ग
फ्लिपकार्ट (FIlpkart) और अमेजॉन (Amazon) की जाँच ज़रूरी : सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने अमेजॉन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Filpkart) के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कानून के तहत सीसीआई की जांच में दखल देने से मना कर दिया है। दोनों कंपनियों को जवाब देने के लिए 4 हफ्ते की मोहलत मिली है। इसके बाद कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई- CCI) अमेजॉन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Filpkart) के खिलाफ अपनी जांच शुरू कर सकता है। चीफ जस्टिस एन वी रमना (N.V. Ramanna) की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि जांच को चुनौती देना आपराधिक कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज (FIR) करने से पहले नोटिस चाहने जैसा है। बेंच ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सीसीआई (CCI) की जांच में सहयोग करने के लिए कहा। बेंच ने कहा हम उम्मीद करते हैं कि amazon और Flipcart जैसे बड़े संगठन पूछताछ के लिए खुद आगे आएंगे। ऐसी संस्थाओं को पेश होना होगा और जांच भी करवानी होगी। क्या था मामला? इसके अलावा अमेजॉन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Filpkart) ने सुप्रीम कोर्ट में सीसीआई (CCI) के उस आदेश पर भी रोक लगाने की मांग की थी जिसमें दोनों कंपनियों को करीब 32 सवालों के जवाब मांगे गए थे। इनमें टॉप 100 सेलर्स और टॉप सेलिंग प्रोडक्ट्स के नाम शामिल थे। क
नया आवेदन करें-
- आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन करें
- ई श्रम कार्ड के लिए आवेदन करें
- किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करें
- दाखिल ख़ारिज के लिए आवेदन करें
- निःशुल्क क़ानूनी सहायता के लिए संपर्क करें
- प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन करें
- मातृत्व लाभ योजना के लिए आवेदन करें
- विवाह प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करें
- सोसाइटी पंजीकरण के लिए आवेदन करें
- स्टार्ट-अप इंडिया के लिए आवेदन करें
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- आईपीसी की धारा 496, 493, 495 क्या है? बगैर तलाक के किसी स्त्री की शादी करने पर क्या कहता है क़ानून?