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कोरोना काल में वित्तीय संकट झेल रहे वकीलों के लिए जगी उम्मींद की किरण!
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वकीलों के सुरक्षा एवं सहायता के लिए गठित उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने कोरना काल से हुए नुक्सान और वर्तमान में विषम स्थिति में गुजर-बसर वकीलों की सहायता के लिए खुला ऐलान किया है कि जो राजनीतिक पार्टियाँ उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने जा रही हैं यदि वे उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की इन 8 मांगों पर विचार करेंगे व सहयोग के आश्वासन के साथ इसे अपने घोषणा पत्र में स्थान देंगें तो उत्तर प्रदेश के सभी अधिवक्ता उस पार्टी को साथ देंगें और चुनाव के उसके पक्ष में वोट दे सकते हैं।
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने इस आशय से यह बात प्रस्तुत की है कि कोरोना के दौरान वित्तीय समस्यायों का सामना कर रहे वकीलों की सहायता हो सके।
कोरोना काल में यदि किसी वर्ग का सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ तो वह अधिवक्ता ही हैं। नोबल प्रोफेशन की संज्ञा वाले इस पेशे में कोरोना के दौरान कोई कमाई नहीं हुई जिससे देश भर में अलग-अलग कोर्ट, तहसील और अन्य न्यायिक क्षेत्र में सेवा देने वाले वकील देखते देखते बेरोजगार हो गये। ऐसे में नये वकीलों को तो किसी प्रकार का कोइ काम ना मिला। वकीलों की सुध लेने वाला भी कोई नहीं था।
इसी मुसीबत से वकीलों को उबारने के लिए उत्तर प्रदेश बार काउंसिल राजनितिक दलों के समक्ष कुछ मांग राखी है -
1. दुर्घटना या गंभीर बीमारी की अवस्था में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में पंजीकृत अधिवक्ता को मान्यता प्राप्त अस्पताल अथवा सरकारी अस्पताल में 10 लाख रुपए की कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त COVID के कारण मरने वालें वकीलों के परिवार अथवा रिश्तेदारों को 10 लाख रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।
2. न्यायिक अधिकारियों की तरह अनुभवी अधिवक्ताओं को भी विभिन्न न्यायाधिकरण, आयोगों और मध्यस्थता मामलों में अनुभव के आधार पर नियुक्ति दिया जाना चाहिए।
3. नए अधिवक्ताओं को अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत तिथि से प्रैक्टिस के लिए न्यूनतम ₹10,000 प्रतिमास बतौर सहायता/प्रोत्साहन/वजीफ़ा राशि भुगतान किया जाना चाहिए।
4. अधिवक्ताओं को प्रैक्टिस के लिए एक चेंबर, एक लैपटॉप व वाहन उपलब्ध कराना चाहिए।
5. न्यायिक प्रणाली में लगभग 40 वर्ष तक न्यायिक सेवा देने वाले वरिष्ठ अधिवक्ताओं को न्यूनतम ₹25000 गुजारा भत्ता दिया जाना चाहिए।
6. अधिवक्ताओं को ब्याज मुक्त ऋण, काम करने की जगह, एक लैपटॉप या कंप्यूटर और एक वाहन दिया जाना चाहिए।
7. अधिवक्ता को आवास विकास परिषद के माध्यम से नो-प्रॉफिट, नो-लॉस के आधार पर प्लाट/आवास उपलब्ध कराया जाए।
8. कोर्ट और अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रोटक्शन बिल लाया जाये।
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