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सत्यमेव जयते!

कोरोना काल में वित्तीय संकट झेल रहे वकीलों के लिए जगी उम्मींद की किरण!

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वकीलों के सुरक्षा एवं सहायता के लिए गठित उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने कोरना काल से हुए नुक्सान और वर्तमान में विषम स्थिति में गुजर-बसर वकीलों की सहायता के लिए खुला ऐलान किया है कि जो राजनीतिक पार्टियाँ उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने जा रही हैं यदि वे उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की इन 8 मांगों पर विचार करेंगे व सहयोग के आश्वासन के साथ इसे अपने घोषणा पत्र में स्थान देंगें तो उत्तर प्रदेश के सभी अधिवक्ता उस पार्टी को साथ देंगें और चुनाव के उसके पक्ष में वोट दे सकते हैं। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने इस आशय से यह बात प्रस्तुत की है कि कोरोना के दौरान वित्तीय समस्यायों का सामना कर रहे वकीलों की सहायता हो सके। कोरोना काल में यदि किसी वर्ग का सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ तो वह अधिवक्ता ही हैं। नोबल प्रोफेशन की संज्ञा वाले इस पेशे में कोरोना के दौरान कोई कमाई नहीं हुई जिससे देश भर में अलग-अलग कोर्ट, तहसील और अन्य न्यायिक क्षेत्र में सेवा देने वाले वकील देखते देखते बेरोजगार हो गये। ऐसे में नये वकीलों को तो किसी प्रकार का कोइ काम ना मिला। वकीलों की सुध लेने वाला भी कोई नहीं था। इसी मुसीबत से वकीलों को उबारन

Advocate's Day: अधिवक्ता आन्तरिक क़ानून व्यवस्था एवं न्यायपालिका की गरिमा को जीवित रखने के लिए शौर्य का परिचय देतें है: चीफ जस्टिस एनवी रमना

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प्रत्येक वर्ष 3 दिसम्बर का दिन अधिवक्ता दिवस (Advocate's Day) के रूप में मनाया जाता है अधिवक्ताओं के त्याग एवं कर्मठ कर्म की सराहना के लिए जाना जाने वाला यह दिवस प्रत्येक वर्ष भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं अधिवक्ता डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के जयंती 3 दिसम्बर के दिन मनाया जाता है  कितना खास है अधिवक्ताओं का योगदान? अधिवक्ता आशुतोष कुमार 'आशू' नें कहा, क़ानून व्यवस्था को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी अधिवक्ताओं के कन्धों पर है। जिस प्रकार सेना देश की सीमा सुरक्षा तथा पुलिस आन्तरिक क़ानून व्यवस्था को मजबूत बनाये रकने के लिए शौर्य का परिचय देतें है। ठीक उसी प्रकार एक अधिवक्ता आन्तरिक क़ानून व्यवस्था एवं न्यायपालिका की गरिमा को जीवित रखने के लिए शौर्य का परिचय देतें है। अधिवक्ता दिवस (Advocate's Day) पर शुरू हुई अधिकारों को सरंक्षण देनें के लिए जुडिशल गुरु (Judicial Guru) संस्था की शुरुआत क़ानून व्यवस्था एवं अधिकारों की संरक्षा हेतु जुडिशल गुरु (Judicial Guru) संस्था की शुरुआत लखनऊ में 3 दिसम्बर सन् 2014 में अधिवक्ता दिवस (Advocate's Day) के मौके पर अधिवक्ता आशुतोष कुमार 'आशू

क्या बिना पैसा दिए सेल डीड मान्य है? : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अचल संपत्ति की बिक्री के लिए सेल डीड में बिक्री की कीमत ही अहम भूमिका होती है। संपत्ति की बिक्री में उसकी कीमत के पेमेंट के बिना सेल डीड एक्जिक्यूट करना कानून की नजर में निरस्त माना जाएगा। ऐसी किसी भी सेल डीड की कोई वैल्यू नहीं होती है, जिसमें संपत्ति की कीमत भुगतान न किया गया हो। बिना भुगतान यह डीड अमान्य है  कोर्ट ने कहा कि अगर किसी अचल संपत्ति (ज़मीन, मकान, या दुकान आदि) का सेल डीड एग्जीक्यूट किया जाता है और उसके तहत कीमत का भुगतान नहीं किया जाता है यह यह नहीं लिखा होता कि पार्ट पेमेंट भविष्य में किया जाएगा तो फिर ऐसे सेल डीड का कानून की नजर में कोई महत्व नहीं है। मौजूदा मामला पंजाब के रोपण का है केवल किशन ने अपनी संपत्ति के लिए पावर ऑफ अटार्नी सुदर्शन कुमार के फेवर में किया। पावर ऑफ अटार्नी 28 मार्च 1980 को सुदर्शन कुमार के फेवर में आई। इसके बाद सुदर्शन ने संपत्ति का एक हिस्सा अपने बेटे को 1981 में सेल डीड के जरिए 5500 में बेचा। बेटा नाबालिग था वहीँ बाकी हिस्सा अपनी पत्नी को 6875 में सेल डीड से बेचा। इसके बाद केवल किशन ने सुदर्शन और उनकी पत्नी और बच्चों के

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