अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए किसकी अनुमति ज़रूरी है? क्या कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है? जानिए प्राविधान

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अचल संपत्ति की बिक्री के लिए सेल डीड में बिक्री की कीमत ही अहम भूमिका होती है। संपत्ति की बिक्री में उसकी कीमत के पेमेंट के बिना सेल डीड एक्जिक्यूट करना कानून की नजर में निरस्त माना जाएगा। ऐसी किसी भी सेल डीड की कोई वैल्यू नहीं होती है, जिसमें संपत्ति की कीमत भुगतान न किया गया हो। बिना भुगतान यह डीड अमान्य है
कोर्ट ने कहा कि अगर किसी अचल संपत्ति (ज़मीन, मकान, या दुकान आदि) का सेल डीड एग्जीक्यूट किया जाता है और उसके तहत कीमत का भुगतान नहीं किया जाता है यह यह नहीं लिखा होता कि पार्ट पेमेंट भविष्य में किया जाएगा तो फिर ऐसे सेल डीड का कानून की नजर में कोई महत्व नहीं है।
मौजूदा मामला पंजाब के रोपण का है केवल किशन ने अपनी संपत्ति के लिए पावर ऑफ अटार्नी सुदर्शन कुमार के फेवर में किया। पावर ऑफ अटार्नी 28 मार्च 1980 को सुदर्शन कुमार के फेवर में आई। इसके बाद सुदर्शन ने संपत्ति का एक हिस्सा अपने बेटे को 1981 में सेल डीड के जरिए 5500 में बेचा। बेटा नाबालिग था वहीँ बाकी हिस्सा अपनी पत्नी को 6875 में सेल डीड से बेचा। इसके बाद केवल किशन ने सुदर्शन और उनकी पत्नी और बच्चों के खिलाफ सूट फाइल किया। निचली अदालत और हाईकोर्ट में केस खारिज होने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता केवल किशन की अर्जी स्वीकार कर ली।
याचिकाकर्ता ने कहा कि सुदर्शन ने जो सेल डीड एग्जीक्यूट किया है उसमें खरीददार ने सेल डीड के एवज में बिक्री मूल्य का भुगतान नहीं किया। उसने पेमेंट का कोई साक्ष्य पेश नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि ट्रांसफर आफ प्रॉपर्टी एक्ट 1882 की धारा 54 के मुताबिक किसी भी अचल संपत्ति की बिक्री की जाती है तो उसके लिए कीमत का भुगतान अनिवार्य है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा पेमेंट बगैर सेल डीड बेमतलब
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