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सत्यमेव जयते!

क्या धारा 498A का दुष्प्रभाव पड़ रहा है समाज़ पर? क्या इस आधार पर तलाक़ लिया जा सकता है?

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धारा 498A: सामाजिक सुरक्षा या दुष्प्रभाव?     धारा 498A, जो भारतीय कानूनी प्रक्रिया में महिलाओं की सुरक्षा के लिए संशोधनों में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पोस्ट में, हम धारा 498A के महत्व, विवाद और इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।      धारा 498A भारतीय दंड संहिता का एक अहम अंश है जो दहेज़ प्रथा, पत्नी हिंसा और दाम्पत्य अत्याचार के खिलाफ महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का उद्देश्य रखता है। यह धारा आरोपी पक्ष के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की अनुमति देती है, जहां पति, ससुराल वालों और दामाद को जुर्माना लगा सकता है।      धारा 498A के अनुसार, यदि किसी पति या पति के परिवार के सदस्यों द्वारा पत्नी के प्रति उत्पीड़न, शारीरिक और मानसिक छेड़छाड़, या दहेज़ के लिए न्यूनतम मांग की जाती है, तो यह एक अपराध माना जाता है। इसका परिणामस्वरूप, आरोपी पक्ष के खिलाफ गिरफ्तारी और न्यायिक कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि, धारा 498A को लेकर विवाद भी हैं। कुछ लोग इसे सामाजिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण साधन मानते हैं, जो पत्नियों को उनके अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करता है। वे यह दावा करते हैं कि यह कानून महिलाओं

अगर बिल्डर ने समय पर कब्जा नहीं दिया तो क्या खरीदार को जमा धनराशि वापस लेने का अधिकार?

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यूपी रेरा ने छह माह के भीतर वेव वेगा मेगा सिटी सेंटर बिल्डर से आदेश का पालन करवाया। ज्युडिशियल गुरु | ग्रेटर नोएडा रेरा आदेश के बाद बिल्डर खरीदार को 4 वर्ष बाद 45.50 लाख रुपये लौटाएगा। जो फ़रवरी 2024 तक अलग अलग किश्तों में दिया जाना है इसमें 2.25 लाख रुपये ब्याज़ भी शमिल है। उत्तर प्रदेश भू-संपदा  विनियामक प्राधिकरण ने छह माह के अंदर वेव मेगा सिटी सेंटर से एक आदेश का पालन कराकर एक खरीदार को उसका पैसा वापस दिलाया है। यूपी रेरा अधिकारियों ने बताया कि वेव मेगा सिटी सेंटर बिल्डर का वेव मेगा सिटी सेंटर 2डी प्रोजेक्ट है जिसमें गाजियाबाद निवासी खरीदार गोपेश स्वरुप ने वर्ष 2019 में एक कमर्शियल यूनिट 1.09 करोड़ में खरीदी थी। खरीदार ने इस प्रोजेक्ट में 43.27 लाख रुपये जमा भी कर दिये थे और बिल्डर ने दिसंबर, 2020 तक कब्जा देने का वादा किया, लेकिन निर्माण पूरा नहीं हो सका। दो साल तक बिल्डर के चक्कर लगाने के बाद खरीदार ने वर्ष 2022 में यूपी रेरा में शिकायत कर जमा धनराशि वापस दिलाने की मांग की। RERA के हस्तक्षेप के बाद बिल्डर ने खरीदार का पैसा लौटाने का एक प्रस्ताव दिया। जिसमें जमा धनराशि 43.27 लाख और

RERA के तहत शिकायत कैसे दर्ज करें? और अगर कोई बिल्डर RERA के साथ पंजीकृत नहीं है तो क्या होगा?

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अगर आपने कोई मकान, दुकान, फ़्लैट या प्लाट ख़रीदा है और आपके बिल्डर या प्रमोटर ने उसे समय पर आपको नहीं दिया है तो ऐसे में आपके पास क्या उपाय हैं। RERA आपको आपके अधिकार दिलवाने में मद्दद कर सकता है। RERA ट्रिब्यूनल अधिवक्ता आशुतोष कुमार जी से जानिए कि अपने अधिकार को समय पर कैसे हासिल करें। RERA के कानून कब लागू नहीं होते हैं? ध्यान रखें कि निम्नलिखित स्थितियों में RERA एक्ट के प्रावधान लागू नहीं होते है- अगर निर्माणाधीन बिल्डिंग में अपार्टमेंटों की संख्या 8 से कम हो, अगर निर्माणाधीन भूमि का क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर से कम हो, यदि प्रमोटर को RERA एक्ट आने से पहले ही संपत्ति के लिए पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया गया हो, जब किसी संपत्ति का पुनर्विकास या नवीनीकरण किया जा रहा हो और उसके लिए मार्केटिंग या विज्ञापन की आवश्यकता न हो। RERA में प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या होते हैं? रियल स्टेट बिज़नस में बिल्डरों को खुद को RERA के साथ पंजीकृत करना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेजों की एक विस्तृत सूची नीचे दी गई है- फॉर्म REA-I पिछले 3 वर्षों की आयकर रिटर्न (ITR) बिल्

बिल्‍डर या प्रमोटर मकान/फ्लैट/प्लाट आदि पर समय से कब्‍जा न दे तो क्या करें?

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हर कोई अपने घर में रहना चाहता है। किराए पर रहकर ज़िन्दगी नहीं कटती ये सब जानते हैं और पूरी ज़िन्दगी किराये में रहकर कोई खुश नहीं है। यही कारण लोग अपनी ज़िन्दगी में एक अदद घर की चाहत रखते हैं। इसीलिए शहरों में हर समय घरों की मांग बनी रहती है। पहले लोग ज़मीन लेकर खुद ही उस पर घर का निर्माण करते थे। लेकिन, अब बदलते वक़्त में ऐसा नहीं है बड़े शहरों में लोग अब बिल्‍डरों और रियल एस्‍टेट कंपनियों द्वारा बने घर या फ़्लैट लेते हैं। लेकिन, बहुत बार ऐसा होता है कि किसी बिल्‍डर समय पर अपना प्रोजेक्‍ट पूरा नहीं कर पाता और घर बुक कराने वालों को उनके फ्लैट का कब्‍जा नहीं मिल पाता। उनका पैसा कई सालों के लिए अटक जाता है और बिल्‍डर उन्‍हें घर या पैसे देने की बजाय केवल आश्‍वासन ही देता रहता है। अगर आपके साथ भी यह हुआ है तो अब आपको बिल्‍डर या प्रमोटर के आश्‍वासनों के सहारे नहीं रहना है या फिर हाथ पर हाथ रखकर बैठने की जरूरत नहीं है। अब आप अपना घर समय से लेने के लिए बिल्डर या प्रमोटर की शिकायत दर्ज़ करवा सकते हैं जिससे की आपको अपना घर समय से मिल सके। रेरा (RERA) का क्या काम है? वर्ष 2016 में रियल एस्टेट क्षेत्र के

शादी करने की सोंच रहे हैं तो जान लीजिये कि लव मैरिज (Love Marriage) अच्छा है या अरैंज मैरिज (Arrange Marriage)?

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2023 में लव मैरिज (Love Marriage) अच्छा है या अरैंज मैरिज (Arrange Marriage)? ऐसा अक्सर कहा जाता है कि लव मैरिज के सफल होने चांसेस कम होते हैं पर क्या वाकई ऐसा है? वास्तव में यह सवाल अविवाहितों यानि कुवांरे लड़के-लड़कियों द्वारा पूछा जाने वाला सबसे ज्यादा प्रश्न है और उनके मन में उमड़ने वाला बड़ा दिलचस्प सवाल भी है। लेकिन उससे भी बड़ी दिलचस्प बात यह है कि इस सुलगते सवाल का जवाब आज तक किसी ने पूरी दिलचस्पी के साथ नहीं खोजा। आज इस आर्टिकल का सब्जेक्ट ख़ास है क्योंकि आप बचपन से ही लव मैरिज (Love Marriage) और अरेंज मैरिज (Arrange Marriage) के फ़ायदे और नुकसान सुनते आ रहे होंगें। ये बात अलग है कि इन दोनों ही शादियों पर हमेशा ही प्रश्नचिन्ह लगता रहा है। बड़े-बुज़ुर्ग अरैंज मैरिज (Arrange Marriage) को बेहतर मानते हैं तो वहीँ अधिकतर लड़के और लड़कियां लव मैरिज (Love Marriage) के सपने बुनते नज़र आते हैं। शादी हम सब की ज़िन्दगी का एक अहम फ़ैसला होता है जिसे दो लोग साथ मिलकर तय करते हैं। भारत में माना जाता है कि यह मेल महज़ दो लोगों का नहीं बल्कि दो परिवारों और संस्कारों का भी होता है। ऐसे में हमारे लिए यह बेह

यूपी में दुकान का रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं? मैं अपनी दुकान का नाम कैसे रजिस्टर कर सकता हूं?दुकान पंजीकरण लाइसेंस के लिए दस्तावेज क्या हैं?

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यूपी में दुकान का रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं? उत्तर प्रदेश में दुकान के रजिस्ट्रेशन या पंजीकरण की प्रक्रिया ऑनलाइन है। दुकान के रजिस्ट्रेशन या पंजीकरण के लिए स्टोर या व्यवसाय के मालिक को उत्तर प्रदेश की श्रम विभाग की वेबसाइट पर लॉगइन करना होगा या फिर आवेदन करवाने के लिए किसी एक्सपर्ट कि मदद भी ले सकते हैं। लॉगइन करने के बाद दुकान मालिक को दुकान पंजीकरण के आवेदन पत्र में मांगी गई ज़रूरी जानकारी को पूरा करना होगा। इसके बाद आवश्यक दस्तावेज अपलोड करना होगा और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान ऑनलाइन करना होगा। मैं अपनी दुकान का नाम कैसे रजिस्टर कर सकता हूं? यदि आप भारत में किसी राज्य में एक दुकान या किसी अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान के मालिक हैं या आप दुकान चलाने की सोंच रहे हैं, तो आपको मुख्य निरीक्षक के पास अपनी दुकान या प्रतिष्ठान को 30 दिनों के भीतर दुकान या प्रतिष्ठान लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा। आप अपने संबंधित राज्य में एक आवेदन दाखिल करके भी लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। दुकान का लाइसेंस कैसे बनवाया जाता है? इसके लिए सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पोर्टल तैयार किया गया है जहाँ आपको दुकान या प

क्या आपके मन में भी हैं ये सवाल कि गाड़ी कौन सी खरीदें? पुरानी गाड़ी खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? कार खरीदना है तो कैसे खरीदें?

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आप अगर सेकेंड हैंड कार खरीदने का प्लान बना रहे हैं तो यह जानकारी आपके लिए काम की हो सकती है। सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदने में की गई जल्दबाज़ी आपको ज़िन्दगी भर के लिए मुसीबत में डाल सकती है। इसलिए सेकंड हैंड गाड़ी खरीदने से पहले बहुत बारीकी से जाँच परख कर लेना चाहिए। गाड़ी कौन सी खरीदें? पुरानी गाड़ी खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? कार कितने तरह के होते हैं? कार खरीदना है तो कैसे खरीदें? सेकंड हैंड में सबसे अच्छी कार कौन सी है? मारुति सुजुकी वैगनआर (Maruti Wagon R) मारुति स्विफ्ट (Swift) ह्यूंदै ग्रैंड आई10 नियॉस (Hyundai Grand i10 Nios) रेनो क्विड (Renault Kwid) फोर्ड फिगो (Ford Figo) पुरानी गाड़ी खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए? पुरानी कार खरीदते से पहले इन बातों का रखें ध्यान गाड़ी की Test Drive ज़रुर करें टेस्ट ड्राइव अच्छी और खराब दोनों सड़कों पर करें कार का अंदरूनी टेंपरेचर जरूर चेक करें कार से आने वाली सभी आवाजों को ध्यान से सुनें की कहीं कुछ खट पट की आवाज तो नहीं आ रही गाड़ी से निकलने वाला धुआं चेक करें इससे इंजन की स्थति पता चलेगी  स्टीयरिंग चेक, ब्रेक, हैण्ड ब्रेक, चाभी सब चेक करें इलेक

जानिए, अगर पति तलाक चाहता है और पत्नी नहीं चाहती तो क्या करें? क्या तलाक के बाद पति पत्नी साथ रह सकते हैं? पत्नी मायके से नहीं आए तो क्या करें?

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तलाक़ लेने से पहले इससे जुड़े प्रावधान, पति पत्नी के अधिकार और क़ानून जान लेना बेहतर होता है। आज इस लेख में ऐसे ही प्रश्नों के जवाब जानिए जानेमाने अधिवक्ता आशुतोष कुमार से। क्या तलाक के बाद पति पत्नी साथ रह सकते हैं? भारतीय कानून के अनुसार तलाक पति और पत्नी दोनों की रजामंदी से ही हो सकता है। लेकिन जब एक पक्ष तलाक़ लेने पर अड़ा हो और दूसरा पक्ष दोबारा साथ भी नहीं रहने चाहता तो ऐसे में क़ानूनी समस्या पैदा हो जाती है। इस मामले में कोर्ट किसी पक्ष को मजबूर नहीं कर सकता। ऐसे में तलाक़ लेने की प्रक्रिया के लिए किसी अनुभवी वकील से ही मामले की सहायता लेना अच्छा होता है। पति पत्नी के झगड़े में कौन सी धारा लगती है? अगर पत्नी दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए तथा भारतीय दण्ड सहिंता (आईपीसी) धारा 498A के तहत झूठा केस करती है तो पति दण्ड प्रक्रिया सहिंता (सीआरपीसी) की धारा 227 के तहत अपनी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है कि उसकी पत्नी ने उसके खिलाफ झूठा केस किया है। लेकिन यह बात उसे कोर्ट में साबित करनी होगी की उसके द्वारा लगाये गए आरोप का आधार क्या है। क्या पति पत्नी से गुजारा भत्ता ले सकता है? हा

जानिए, अपना केस खुद कैसे लड़ें? मुकदमे में जीत के लिए क्या करें? एक सफल मुकदमा कब बनता है?

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किसी भी सिविल अथवा क्रिमिनल केस में आपका केस काफी लंबा चल रहा है या आपका वकील अच्छे से आप के केस की पैरवी नहीं कर रहा है तो आप किस प्रावधान के तहत अपना मुकदमा स्वयं लड़ सकते हैं? अधिवक्ता आशुतोष कुमार से इसी नियम के बारे में बात करेंगे कि कैसे आप बड़ी आसानी से अपने केस को खुद लड़ सकते हैं और तय समय में उसे जीत भी सकते हैं। अपना केस खुद कैसे लड़ें? अगर आप किसी मुकदमें में वकील नहीं करना चाहते हैं और आपके केस की पैरवी खुद करना चाहते हैं तो क़ानूनी प्रावधान और कुछ अन्य जानकारियां आपको पता होना चाहिए। जैसे आप अपना केस कब और कैसे लड़ सकतें हैं? आपको क़ानून की जानकारी कैसे इक्कठा करनी है? कब आप अपना केस लड़ सकते हैं? अगर आप पर कोई क्रिमिनल या सिविल केस चल रहा है तो आप उस मामले में शिकायतकर्ता हैं तो आप बिना किसी अधिवक्ता को हायर किए केस को स्वयं लड़ सकते हैं। लेकिन इससे पहले अधिवक्ता का अर्थ समझ लें। अधिवक्ता का अर्थ होता है, आधिकारिक वक्ता यानी जिस व्यक्ति को यह अधिकार दिया गया है कि वह आपकी तरफ से आपके केस की पैरवी कोर्ट के समक्ष करे। यदि आप खुद यह काम करने में सक्षम है तो आप खुद ही कोरम से स

Government Scheme: अब बेटी की शादी पर सरकार देगी पूरे 51000 रुपये, योजना की पूरी जानकारी यहाँ दी गई है

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Government Scheme: बेटी की शादी पर सरकार देगी पूरे 51000 रुपये , आपको भी लेना है फायदा तो आज ही कर दें अप्लाई , जानें कैसे ? सबसे पहले आपको इस योजना की ऑफिशियल वेबसाइट  https://www.shadianudan.upsdc.gov.in/   पर जाना होगा। आप चाहें तो यहां क्लिक करके डायरेक्ट भी जा सकते हैं। इस वेबसाइट पर पहुंचकर आपको अपनी जाति और वर्ग के अनुसार आवेदन पंजीकरण पर क्लिक करें।   Vivah Anudan Yojana | विवाह अनुदान योजना: देश में सरकार ने बेटियों की पढ़ाई से लेकर शादी तक के लिए कई खास स्कीम चलाई हैं , जिसके तहत उनको आर्थिक सहायता ( Economic Help) मिलती है ।  आज हम आपको एक ऐसी योजना के बारे में बताएंगे , जिसमें आपकी बेटी को शादी के लिए पूरे 51000 रुपये मिलेंगे ।  जी हां ये आर्थिक सहायता सरकार की तरफ से की जाती है । UP Government Scheme | उत्तर प्रदेश सरकार योजना: उत्तर प्रदेश शादी अनुदान योजना के तहत मिलने वाली धनराशि सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है ।  इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र आवेदक शादी के 90 दिन के अंदर आवेदन कर सकता है ।   उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से यह योजना चलाई जाती है , जिसमें

Google 2022 प्रतियोगिता में भारत के श्लोक मुखर्जी ने भारत का नाम रोशन किया। श्लोक मुखर्जी को डूडल-'इंडिया ऑन द सेंटर स्टेज' का विजेता घोषित किया गया।

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गूगल के द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता में कोलकाता का एक लड़का Google 2022 प्रतियोगिता का विजेता बना है और भारत का नाम रोशन किया। श्लोक मुखर्जी का डूडल-'इंडिया ऑन द सेंटर स्टेज'-आने वाले वर्षों में भारत की वैज्ञानिक प्रगति को और गति देने के लिए उनकी आशा व्यक्त करता है। डूडल-'इंडिया विषयक पर आधारित प्रतियोगिता में श्लोक मुखर्जी का डूडल-"अगले 25 वर्षों में, मेरा भारत होगा.." पूरे दिन चर्चा का विषय बना रहा।  गूगल के आधिकारिक पैनल की ओर से डूडल फॉर गूगल प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा की गई। डूडल फॉर गूगल प्रतियोगिता में पश्चिम बंगाल के श्लोक मुखर्जी ने प्रथम स्थान हासिल किया। जानकारी के मुताबिक इस प्रतियोगिता में कक्षा 1-10 के बच्चों के लिए 100 से अधिक भारतीय शहरों से 115,000 से अधिक प्रविष्टियां थीं। Google ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा,"हमें विशेष रूप से खुशी हुई कि प्रौद्योगिकी की प्रगति और स्थिरता में कई डूडल आम विषयों के रूप में उभरी है।" प्रतियोगिता की थीम पर आधारित श्लोक का डूडल-"अगले 25 वर्षों में, मेरा भारत होगा..." आज पूरे दिन Google प

जानिए कंज्यूमर फोरम में शिकायत कैसे करें? उपभोक्ता की शिकायत कितने दिन में दर्ज करनी है।

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जब किसी व्यक्ति द्वारा किसी उत्पाद या सेवा का इस्तेमाल किया जाता है और वह व्यक्ति किसी स्तर पर जब सेवा अथवा उत्पाद से असंतुष्ट होता है तो उसके मन में अपने अधिकार के लिए आवाज उठाने की बात आती है। तब ऐसे में किसी व्यक्ति को इस सभी प्रश्नों का अर्थ मालूम होना अनिवार्य हो जाता है- कंज्यूमर का क्या अर्थ है? कस्टमर और कंज्यूमर में क्या अंतर होता है? कंज्यूमर फोरम में शिकायत कैसे करें? कंज्यूमर कोर्ट केस क्या है? उपभोक्ता की शिकायत कितने दिन में दर्ज करनी है जिला उपभोक्ता फोरम की सीमा क्या है? जिला फोरम क्या करता है? Consumer forum या कंज्यूमर कोर्ट का क्या अर्थ है? Consumer forum एक सरकारी न्यायालय जैसा है जो consumers के विवादों और शिकायतों के मामले को देखता है परखता है और फिर consumers को न्याय दिलाता है। Consumer forum सरकार द्वारा ही बनाया गया है, जिसका मुख्य उदेश्य है consumer के अधीकार यानि की Consumer Rights की रक्षा करना। कंज्यूमर का क्या अर्थ है? कंज्यूमर या उपभोक्ता उस व्यक्ति को कहते हैं, जो अलग-अलग वस्तुओं एवं सेवाओं का या तो उपभोग करता है अथवा उनको उपयोग में लाता है। वस्तुओं में

आदिपुरुष से पहले की वो फ़िल्में जिन्हें भारत में बैन किया गया! जानिए कौन-कौन फ़िल्मों को भारत में बैन किया गया?

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बॉलीवुड दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है। बॉलीवुड में हर साल सैकड़ो फ़िल्में बनती है हालांकि सभी हिट, फ्लॉप और औसत के अलावा, भारतीय सिनेमा का एक और ब्रांड मौजूद है जिसे "बैन फ़िल्म" कहा जाता है, जिसे जानबूझकर दर्शकों की पहुंच से बाहर रखा जाता है। ऐसी फिल्में जो बोल्ड, अश्लील भाषा, फूहड़ता, लिंग भेद, वर्जनाएं, कश्मीर मुद्दे, धर्म आदि के विकृत रूप से भरी होती हैं और मूल रूप से वो फिल्में जो आज के समय से बहुत आगे हैं अक्सर सेंसर बोर्ड द्वारा बैन कर दी जाती है। फिल्मों ने जब-जब सामाजिक मान्यताओं को ठेस पहुंचाई तब-तब ऐसी फिल्मों का बहिष्कार हुआ। वर्तमान में पौराणिक मान्यताओं पर बनी एक फिल्म "आदिपुरुष" का बहिष्कार हो रहा है। आलोचकों की माने तो यह फ़िल्म प्रभु श्रीराम के हास्यपद रूप को प्रदर्शित करती हुई नज़र आती है। फिल्म में दिखाए गये चरित्र वास्तविकता के कोसों दूर है यही कारण है की फिल्म का बहिष्कार हो रहा है।  लेकिन क्या आप जानतें हैं इससे पहले भारत में कई फिल्मों पर बैन लग चुका है। बॉलीवुड की ऐसी दस फ़िल्में जिन पर सेंसर बोर्ड ने प्रतिबंध लगाया। 1. बैंडिट क्वीन (1994) बैं

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