अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए किसकी अनुमति ज़रूरी है? क्या कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है? जानिए प्राविधान

हर कोई अपने घर में रहना चाहता है। किराए पर रहकर ज़िन्दगी नहीं कटती ये सब जानते हैं और पूरी ज़िन्दगी किराये में रहकर कोई खुश नहीं है। यही कारण लोग अपनी ज़िन्दगी में एक अदद घर की चाहत रखते हैं। इसीलिए शहरों में हर समय घरों की मांग बनी रहती है। पहले लोग ज़मीन लेकर खुद ही उस पर घर का निर्माण करते थे। लेकिन, अब बदलते वक़्त में ऐसा नहीं है बड़े शहरों में लोग अब बिल्डरों और रियल एस्टेट कंपनियों द्वारा बने घर या फ़्लैट लेते हैं। लेकिन, बहुत बार ऐसा होता है कि किसी बिल्डर समय पर अपना प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पाता और घर बुक कराने वालों को उनके फ्लैट का कब्जा नहीं मिल पाता। उनका पैसा कई सालों के लिए अटक जाता है और बिल्डर उन्हें घर या पैसे देने की बजाय केवल आश्वासन ही देता रहता है। अगर आपके साथ भी यह हुआ है तो अब आपको बिल्डर या प्रमोटर के आश्वासनों के सहारे नहीं रहना है या फिर हाथ पर हाथ रखकर बैठने की जरूरत नहीं है। अब आप अपना घर समय से लेने के लिए बिल्डर या प्रमोटर की शिकायत दर्ज़ करवा सकते हैं जिससे की आपको अपना घर समय से मिल सके।
वर्ष 2016 में रियल एस्टेट क्षेत्र के में होने वाली धोखाधड़ी, लेटलतीफी, लूट खसूट को खत्म करने के लिए रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 बनाया गया था। इसके एक्ट तहत रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) का गठन हुआ। इस अधिनियम के प्रावधान से खरीदारों के साथ साथ प्रमोटरों के भी अधिकार की रक्षा करना है। खरीदारों का पैसा वापस दिलाना हों या प्रोजेक्ट लेट तो खरीदार को पैसा ब्याज़ सहित वापस दिलाने में बहुत काम आता है।
रेरा (RERA) का काम देश में रियल एस्टेट परियोजनाओं को पंजीकृत करना और डेवलपर्स और खरीदारों के बीच विवादों को हल करना और समय पर परियोजना के पूरा होने की निगरानी करना है। एक्सप्रेस अदालतों द्वारा 60 दिनों के भीतर विवादों का समाधान करने का प्रावधान है।
किसी अटके पड़े प्रोजेक्ट के मामलों में खरीदार के पास अपने इन्वेस्ट किये हुए पैसे वापस लेने के कई विकल्प मौजूद होते हैं। पहला और सबसे आसान विकल्प यह है कि खरीदार अपने राज्य के रेरा (RERA) ऑफिस में अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। रेरा (RERA) अधिनियम के अनुसार रेरा (RERA) को किसी शिकायत का निपटारा 60 दिन के भीतर करना होता है। अगर शिकायतकर्ता के शिकायत पर रेरा (RERA) की ओर से कोई आदेश दिया जाता है, तो बिल्डर या प्रमोटर को उसे 45 दिन के भीतर लागू करना होता है। इसका मतलब यह हुआ की आप अपने पैसे रेरा आर्डर के 45 दिनों के भीतर वापस पा सकते हैं।
घर खरीदार अटके हुए प्रोजेक्ट में और निवेश नहीं करना चाहता और उसके बदले में रिफंड चाहता है. तो वह RERA नियमों के तहत ऐसा कर सकता है. मतलब की आपने किसी प्रोजेक्ट में कुछ पैसे देकर फ्लैट बुक कराया था. बिल्डर का प्रोजेक्ट अटकने की वजह से आपको तय समय पर घर नहीं मिला है. अब आपका मन बदल गया है और आप घर नहीं लेना चाहते और अपना लगाया हुआ पैसा वापस चाहते हैं तो आप ब्याज सहित अपना मूलधन वापस पा सकते हैं।
फ्लैट, प्लाट, घर, मकान, दुकान, विला आदि खरीदार को बिल्डर या प्रमोटर ने समय पर कब्ज़ा नहीं दिया हो तो ऐसे में खरीदार रेरा (RERA) के पास अपनी शिकायत दर्ज़ करवा सकता है। रेरा (RERA) संपत्ति पर समय से कब्जा दिलाने में मदद करेगा और यदि बिल्डर या प्रमोटर ने प्रोजेक्ट तय समय से देरी से कब्ज़ा दिया है तो प्रोजेक्ट लेट होने की दशा में खरीदार को विलम्ब शुल्क दिलाया जायेगा।
घर खरीदार अपने सेल्स एग्रीमेंट के मुताबिक किसी प्लॉट, अपार्टमेंट या कॉमन एरिया पर अधिकार पाने के लिए रेरा (RERA) के पास जा सकता है। इसके अलावा कब्जा मिलने के पांच साल तक प्रॉपर्टी में किसी तरह का स्ट्रक्चरल डिफेक्ट आता है तो बिल्डर या प्रमोटर को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के शिकायत के 30 दिनों के भीतर इसे ठीक करना होता है। अगर बिल्डर ऐसा नहीं करता है तो घर खरीदार रेरा (RERA) में अपनी शिकायत दर्ज़ करवा सकता है।
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रेरा (RERA) अधिनियम की धारा 31 में बिल्डर या प्रमोटर द्वारा कब्ज़ा देने में देरी के मामले में डेवलपर के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं। धारा 31 के अनुसार, कोई भी पीड़ित व्यक्ति उक्त अधिनियम के उल्लंघन के लिए नियामक प्राधिकरण के पास शिकायत दर्ज करा सकता है। शिकायत खरीदार के अतिरिक्त एसोसिएशन ऑफ एलॉटीज़ द्वारा भी दायर की जा सकती है।
किसी ऐसे निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में संपत्ति खरीदना जो RERA के साथ पंजीकृत न हो कष्टदायी हो सकता है। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) एक नियामक संस्था है जिसका गठन ही घर खरीदारों के अधिकारों की रक्षा के लिए किया गया है। अब अगर आपका बिल्डर अपने प्रोजेक्ट को RERA के साथ पंजीकृत नहीं करवाता है तो यह उसकी गलती है और ऐसे प्रोजेक्ट में संपत्ति खरीदकर आप भी मुसीबत में फंस सकते हैं।
धोखाधड़ी, लेटलतीफी की संभावना कम हो जाती है। खरीदारों के हितों और अधिकारों की रक्षा होती है। खरीदार और डेवलपर को रेरा (RERA) में शिकायत से लेकर न्यायाधिकरण तक पहुंच प्रदान करता है।
यदि बिल्डर, प्रमोटर आदि रेरा (RERA) आदेश का उल्लंघन करना जारी रखता है, तो उसे तीन साल तक की कैद या जुर्माना, जो रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत का 10% तक हो सकता है, या फिर दोनों हो सकता है। इसलिए प्रत्येक बिल्डर या प्रमोटर को अपना प्रोजेक्ट शुरू करने के पहले प्रोजेक्ट को रेरा (RERA) पंजीकृत करवाना अनिवार्य है फिर चाहे वह सरकारी प्रोजेक्ट हो या प्राइवेट।
रेरा (RERA) के प्रावधान अब तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (नागालैंड को छोड़कर) में लागू हैं। रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा) पर नियम सभी राज्यों में लागू होते हैं।
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