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सत्यमेव जयते!

पॉक्सो क्या है? पॉक्सो एक्ट में बच्चों और नाबालिगों के प्रति कौन सी हरकतों और बातों को यौन अपराध माना जाता है?

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पॉक्सो (POCSO) अधिनियम 2012 में संशोधन की तैयारी हो चुकी है       केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बच्चों के खिलाफ यौन अपराध सम्बंधित दंड को और अधिक कठोर बनाने के लिए बाल यौन अपराध संरक्षण (Protection of Children from Sexual Offences-POCSO) अधिनियम, 2012 में आवश्यक संशोधन को मंज़ूरी दे दी। आइये जानते हैं की केद्र सरकार क्या क्या बदलाव करने जा रही है इस कानून में । पॉक्सो क्या है?      पॉक्सो एक केंद्रीय कानून है जो यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए बनाया गया है इसी अधिनियम का संक्षिप्त नाम (शार्ट फॉर्म) Protection of Children Against Sexual Offence Act – POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस) है। इसे यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा संबंधी कानून के तौर पर भी जाना जाता है। पॉक्सो अधिनियम, 2012 क्यों लागू किया गया था?      पॉक्सो अधिनियम, 2012 को बच्चों के हित और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए बच्चों को यौन अपराध (सेक्सुअल क्राइम), यौन उत्‍पीड़न (सेक्सुअल हैरश्मेंट)  तथा पोर्नोग्राफी से सुरक्षा प्रदान करने के लिये लागू किया गया था। यह अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के बच्‍चे

क्या धारा 498A का दुष्प्रभाव पड़ रहा है समाज़ पर? क्या इस आधार पर तलाक़ लिया जा सकता है?

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धारा 498A: सामाजिक सुरक्षा या दुष्प्रभाव?     धारा 498A, जो भारतीय कानूनी प्रक्रिया में महिलाओं की सुरक्षा के लिए संशोधनों में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पोस्ट में, हम धारा 498A के महत्व, विवाद और इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।      धारा 498A भारतीय दंड संहिता का एक अहम अंश है जो दहेज़ प्रथा, पत्नी हिंसा और दाम्पत्य अत्याचार के खिलाफ महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का उद्देश्य रखता है। यह धारा आरोपी पक्ष के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की अनुमति देती है, जहां पति, ससुराल वालों और दामाद को जुर्माना लगा सकता है।      धारा 498A के अनुसार, यदि किसी पति या पति के परिवार के सदस्यों द्वारा पत्नी के प्रति उत्पीड़न, शारीरिक और मानसिक छेड़छाड़, या दहेज़ के लिए न्यूनतम मांग की जाती है, तो यह एक अपराध माना जाता है। इसका परिणामस्वरूप, आरोपी पक्ष के खिलाफ गिरफ्तारी और न्यायिक कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि, धारा 498A को लेकर विवाद भी हैं। कुछ लोग इसे सामाजिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण साधन मानते हैं, जो पत्नियों को उनके अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करता है। वे यह दावा करते हैं कि यह कानून महिलाओं

तलाक का मुख्या कारण है? जानिए इससे बचने के उपाए!

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तलाक, एक समाज में एक साथी से दूसरे साथी के साथ जुड़े रिश्ते को खत्म करने का प्रक्रियात्मक नाम है, और भारत में इसका आम होना चिंताजनक है। समाज में तलाक की दर बढ़ रही है और इससे उत्पन्न होने वाली समस्याएं सामाजिक और मानविकी दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि भारत में तलाक के कारण और परिणामों को समझने का प्रयास करेंगे और इस समस्या को हल करने के लिए कौन-कौन से कारगर समाधान हो सकते हैं। तलाक का कारण: सामाजिक परिवर्तन: भारतीय समाज में हो रहे विभिन्न सामाजिक परिवर्तनों के कारण तलाक की दर में वृद्धि हो रही है। व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में बदलाव, महिलाओं की शिक्षा, और समाज में महिलाओं के स्थान के परिवर्तन इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वित्तीय और परिवारिक तनाव: वित्तीय और परिवारिक तनाव भी तलाक का कारण बन सकते हैं। आर्थिक मुद्दे, अच्छे संबंधों की कमी, या परिवार के संचार में कोई तनाव तलाक का कारण बन सकते हैं। अन्य समस्याएं: विभिन्न समस्याएं जैसे कि मानसिक समस्याएं, असमान सामाजिक स्थिति, बदलते समय के साथ बदलती रोजगार स्थिति, और सामाजिक प्रतिबद्धता के बीच अधिक समस्याएं तला

RERA के तहत शिकायत कैसे दर्ज करें? और अगर कोई बिल्डर RERA के साथ पंजीकृत नहीं है तो क्या होगा?

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अगर आपने कोई मकान, दुकान, फ़्लैट या प्लाट ख़रीदा है और आपके बिल्डर या प्रमोटर ने उसे समय पर आपको नहीं दिया है तो ऐसे में आपके पास क्या उपाय हैं। RERA आपको आपके अधिकार दिलवाने में मद्दद कर सकता है। RERA ट्रिब्यूनल अधिवक्ता आशुतोष कुमार जी से जानिए कि अपने अधिकार को समय पर कैसे हासिल करें। RERA के कानून कब लागू नहीं होते हैं? ध्यान रखें कि निम्नलिखित स्थितियों में RERA एक्ट के प्रावधान लागू नहीं होते है- अगर निर्माणाधीन बिल्डिंग में अपार्टमेंटों की संख्या 8 से कम हो, अगर निर्माणाधीन भूमि का क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर से कम हो, यदि प्रमोटर को RERA एक्ट आने से पहले ही संपत्ति के लिए पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया गया हो, जब किसी संपत्ति का पुनर्विकास या नवीनीकरण किया जा रहा हो और उसके लिए मार्केटिंग या विज्ञापन की आवश्यकता न हो। RERA में प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या होते हैं? रियल स्टेट बिज़नस में बिल्डरों को खुद को RERA के साथ पंजीकृत करना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेजों की एक विस्तृत सूची नीचे दी गई है- फॉर्म REA-I पिछले 3 वर्षों की आयकर रिटर्न (ITR) बिल्

बिल्‍डर या प्रमोटर मकान/फ्लैट/प्लाट आदि पर समय से कब्‍जा न दे तो क्या करें?

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हर कोई अपने घर में रहना चाहता है। किराए पर रहकर ज़िन्दगी नहीं कटती ये सब जानते हैं और पूरी ज़िन्दगी किराये में रहकर कोई खुश नहीं है। यही कारण लोग अपनी ज़िन्दगी में एक अदद घर की चाहत रखते हैं। इसीलिए शहरों में हर समय घरों की मांग बनी रहती है। पहले लोग ज़मीन लेकर खुद ही उस पर घर का निर्माण करते थे। लेकिन, अब बदलते वक़्त में ऐसा नहीं है बड़े शहरों में लोग अब बिल्‍डरों और रियल एस्‍टेट कंपनियों द्वारा बने घर या फ़्लैट लेते हैं। लेकिन, बहुत बार ऐसा होता है कि किसी बिल्‍डर समय पर अपना प्रोजेक्‍ट पूरा नहीं कर पाता और घर बुक कराने वालों को उनके फ्लैट का कब्‍जा नहीं मिल पाता। उनका पैसा कई सालों के लिए अटक जाता है और बिल्‍डर उन्‍हें घर या पैसे देने की बजाय केवल आश्‍वासन ही देता रहता है। अगर आपके साथ भी यह हुआ है तो अब आपको बिल्‍डर या प्रमोटर के आश्‍वासनों के सहारे नहीं रहना है या फिर हाथ पर हाथ रखकर बैठने की जरूरत नहीं है। अब आप अपना घर समय से लेने के लिए बिल्डर या प्रमोटर की शिकायत दर्ज़ करवा सकते हैं जिससे की आपको अपना घर समय से मिल सके। रेरा (RERA) का क्या काम है? वर्ष 2016 में रियल एस्टेट क्षेत्र के

यूपी में दुकान का रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं? मैं अपनी दुकान का नाम कैसे रजिस्टर कर सकता हूं?दुकान पंजीकरण लाइसेंस के लिए दस्तावेज क्या हैं?

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यूपी में दुकान का रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं? उत्तर प्रदेश में दुकान के रजिस्ट्रेशन या पंजीकरण की प्रक्रिया ऑनलाइन है। दुकान के रजिस्ट्रेशन या पंजीकरण के लिए स्टोर या व्यवसाय के मालिक को उत्तर प्रदेश की श्रम विभाग की वेबसाइट पर लॉगइन करना होगा या फिर आवेदन करवाने के लिए किसी एक्सपर्ट कि मदद भी ले सकते हैं। लॉगइन करने के बाद दुकान मालिक को दुकान पंजीकरण के आवेदन पत्र में मांगी गई ज़रूरी जानकारी को पूरा करना होगा। इसके बाद आवश्यक दस्तावेज अपलोड करना होगा और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान ऑनलाइन करना होगा। मैं अपनी दुकान का नाम कैसे रजिस्टर कर सकता हूं? यदि आप भारत में किसी राज्य में एक दुकान या किसी अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान के मालिक हैं या आप दुकान चलाने की सोंच रहे हैं, तो आपको मुख्य निरीक्षक के पास अपनी दुकान या प्रतिष्ठान को 30 दिनों के भीतर दुकान या प्रतिष्ठान लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा। आप अपने संबंधित राज्य में एक आवेदन दाखिल करके भी लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। दुकान का लाइसेंस कैसे बनवाया जाता है? इसके लिए सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पोर्टल तैयार किया गया है जहाँ आपको दुकान या प

Indian Penal Code 1860 | Model Question Paper With Answer In Hindi For Civil Judge (PCSJ) 2023

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PCS J की परीक्षा में  भारतीय दंड संहिता  से काफी प्रश्न पूछे जाते है। इसलिए यह सेक्शन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। परीक्षा में क्या पूछा जायेगा?  भारतीय दंड संहिता  के पुराने पेपर? Indian Penal Code 1860 | Model Question Paper With Answer In Hindi For Civil Judge (PCSJ) 2023 इन सभी सवालों के जवाब के लिए  भारतीय दंड संहिता  के संभावित प्रश्नों का संकलन दिया जा रहा है जो आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।  भारतीय दंड संहिता  के मॉडल पेपर और गत वर्ष के पेपर के लिए वेबसाइट को कर लें और हमारे YouTube चैनल @judicialguru को सब्सक्राइब करें। प्रश्न1- भारतीय दंड संहिता प्रवत हुई- 6 अक्टूबर 1860 से 6 दिसंबर 1860 से 1 जनवरी 1861 से 1 जनवरी 1862 से उत्तर- 1 जनवरी 1862 से प्रश्न2- निम्नलिखित में से सही कथन को इंगित कीजिए- अपराध अनिवार्यता एक अनैतिक कृत्य है अपराध एक अवैधानिक कृत्य है अपराध अनिवार्यता एक समाज विरोधी कृत्य है अपराध अनिवार्यता एक धर्म विरोधी कृत्य है उत्तर- अपराध एक अवैधानिक कृत्य है प्रश्न3-  एक अपकार जिसमें पैरवी शासन या उसके अधीनस्थ व्यक्तियों द्वारा की जाती हो ।   यह कथन है- पैटर्न क

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