अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए किसकी अनुमति ज़रूरी है? क्या कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है? जानिए प्राविधान

अगर आपने कोई मकान, दुकान, फ़्लैट या प्लाट ख़रीदा है और आपके बिल्डर या प्रमोटर ने उसे समय पर आपको नहीं दिया है तो ऐसे में आपके पास क्या उपाय हैं। RERA आपको आपके अधिकार दिलवाने में मद्दद कर सकता है। RERA ट्रिब्यूनल अधिवक्ता आशुतोष कुमार जी से जानिए कि अपने अधिकार को समय पर कैसे हासिल करें।
ध्यान रखें कि निम्नलिखित स्थितियों में RERA एक्ट के प्रावधान लागू नहीं होते है-
रियल स्टेट बिज़नस में बिल्डरों को खुद को RERA के साथ पंजीकृत करना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेजों की एक विस्तृत सूची नीचे दी गई है-
आप निम्नलिखित चरणों के माध्यम से जांच सकते हैं कि आपके बिल्डर ने RERA के तहत संपत्ति पंजीकृत की है या नहीं:
आवासीय और व्यावसायिक दोनों संपत्तियों के लिए RERA की मंजूरी जरूरी है। यदि कोई प्रोजेक्ट RERA के साथ पंजीकृत नहीं है, तो ग्राहकों को प्रोजेक्ट की डिलीवरी के बारे में सावधान रहना चाहिए। क्योंकि उनके साथ धोखा हो सकता है।
RERA रजिस्ट्रेशन इस बात की गारंटी का काम करता है कि प्रोजेक्ट समय पर पूरा होगा। अन्यथा, खरीदार यह तय कर सकता है कि प्रोजेक्ट में देरी होने पर उसे स्वीकार करना है या नहीं, जैसा कि वादे के मुताबिक हुआ है। इससे पारदर्शिता बढ़ती है और रियल एस्टेट क्षेत्र में कारोबार करने वाले ग्राहकों का विश्वास बढ़ता है।
यदि बिल्डर RERA के साथ पंजीकृत नहीं है तो ग्राहक अपने क्षेत्रीय रियल एस्टेट प्राधिकरण में भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। किसी प्रोजेक्ट के लिए कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिलने के बाद भी बिल्डर RERA रजिस्ट्रेशन से बच नहीं सकते। RERA दिशानिर्देश उन परियोजनाओं पर भी लागू हो सकते हैं जो इसके तहत पंजीकृत नहीं हैं।
रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) अधिनियम बिल्डरों को वादों का पालन कराने से लेकर व नियमों और विनियमों की एक विस्तृत सूची प्रदान करता है। बिल्डरों को RERA के तहत खुद को पंजीकृत कराना अनिवार्य कर दिया गया है। किसी प्रोजेक्ट ने RERA में पंजीकरण करवाया है अथवा नहीं यह RERA की वेबसाइट पर सत्यापित किया जा सकता है। यदि खरीदारों और रियल एस्टेट डेवलपर्स के बीच कोई विवाद उत्पन्न होता है तो RERA एक निवारण तंत्र का काम करता है और घर खरीदार को राहत प्रदान करता है। रियल एस्टेट क्षेत्र में खरीदारों को बिल्डरों की मनमानी से राहत देने के लिए यह अधिनियम 1 मई 2017 को लागू किया गया था। आज की डेट में RERA ने भारत के हर राज्य में अपीलीय न्यायाधिकरण और रियल एस्टेट प्राधिकरण के निर्माण को आवश्यक बना दिया है। घर खरीदार इन प्राधिकरणों से संपर्क करके बिल्डरों के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
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रेरा अधिनियम के तहत RERA ने रियल एस्टेट एजेंटों और बिल्डरों की जवाबदेही तय कर दी है। इस अधिनियम के आने से रियल एस्टेट बाज़ार में एक क्रांति सी आ गई है। अब घर या प्लाट खरीदारों को अपने अधिकार के लिए कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने होंगे। रेरा अधिनियम के प्रावधानों को तब उपयोग कर सकते हैं जब कोई प्रोजेक्ट निर्धारित समय सीमा के भीतर न पूरा हुआ हो अथवा बिल्डर ने समय पर कब्ज़ा न दिया हो।
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