दो अलग अलग धर्म में बालिग लड़का लड़की जब विवाह के बंधन में बंधना चाहते हैं तो उनके मन में तरह तरह के ख्याल उत्पन्न होते है शादी कैसे करें? शादी का पंजीकरण होगा या नहीं होगा? जैसे तमाम प्रश्नों के उत्तर के लिए ये लेख पढ़ें अंतर्धार्मिक कोर्ट मैरिज के लिए किससे अनुमति लें? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी में कहा है कि आज देश आर्थिक व सामाजिक बदलाव के दौर से गुजर रहा। ऐसे में सभी को संविधान की प्रतावना के अनुरूप स्वतंत्रता पूर्वक जीने का अधिकार भी है। इसलिए किसी को धर्म परिवर्तन के लिए सरकारी अनुमति लेने को बाध्य नहीं किया जा सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले 17 जोड़ों मायरा और वैष्णवी, विलास-सिरसीकर, जीनत अमान और स्नेहा आदि की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दी। कोर्ट ने कहा कि हमारा समाज आर्थिक और सामाजिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। कानून की सख्त व्याख्या संविधान की भावना को निरर्थक बना सकती है। विवाह और धर्म परिवर्तन दो ऐसे मुद्दे हैं जो व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला हो सकता है भारतीय सविंधान का अनुच्छेद 21 देता है निजता की गारंट...