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सत्यमेव जयते!

14 से 20 वर्ष की लड़कियां हैं इनके निशाने पर!

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कंपनियां जब अपने प्रोडक्ट मार्केट में लांच करती हैं प्रोडक्ट की लाइफ भी तय होती है। इसके अतिरिक्त सुरक्षा कवच अर्थात एंटीवायरस सॉफ्टवेयर बनाया जाता है जो इसे अवांछित खतरों से बचाता है। कितुं अब जो एंटीवायरस बन रहे हैं वो आज के जमाने के हैं। इस वजह से पुराने खतरों के बारे में इनमें पूर्ण जानकारी नहीं होती है। जिसकी वजह से कई सेंधमार इसकी सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन अगर माइक्रोसॉफ्ट कोई ओएस (आपरेटिंग सिस्टम) प्लेटफार्म बनाता है तो हैकर इसमें आसानी से सेंध नहीं लगा पाते हैं। क्योंकि इसमें एंटीवायरस भी कुछ नहीं कर सकते हैं। सुरक्षा के इस प्रश्न पर कई कंपनियां सभी डिवाइस के अलग-अलग प्लेटफार्म पर काम कर रही हैं? कंपनियों ने अपनी जरूरत के हिसाब से प्लेटफार्म बनाए हैं। इसलिए इतने सारे प्लेटफार्म के लिए एंट्री एंटीवायरस बनाना मुश्किल है। स्मार्ट होम अप्लायंसेज के लिए इंटरनेशनल एक्सपो का आयोजन करने वाली चीन की कंपनियों के जनरल मैनेजर ने कहा कि यह बिल्कुल भी सच नहीं है कि इलेक्ट्रोनिक उत्पादों की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं हो रहा है। स्मार्ट प्रोडक्ट बनाने वाली लगभग सभी कंपनियां पहले उत्पाद

IPC | PCS J | APO | AIBE Model Question Paper With Answer in Hindi

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  प्रश्न1-निम्नलिखित में से कौन सा वाद आपराधिक प्रयत्न से संबंधित है? आर बनाम लिपमैन क्वीन बनाम टॉल्सन मुंबई राज्य बनाम के एम नानावती महाराष्ट्र राज्य बनाम मोहम्मद याकूब उत्तर- महाराष्ट्र राज्य बनाम मोहम्मद याकूब प्रश्न2 नीचे दिए गए कथनों में से असत्य कथन इंगित कीजिए-  अपराध करने की प्रयत्न सदैव दंडनीय होता है अपराध करने की तैयारी अपवादित मामलों में दंडनीय है निगमों को अपराधों के लिए दायित्वधीन नहीं ठहराया जा सकता आपराधिक कार्य तथा आपराधिक मन: स्थिति में पारस्परिक संबंध होना आवश्यक है उत्तर- निगमों को अपराधों के लिए दायित्वाधीन नहीं ठहराया जा सकता प्रश्न3- जारकर्म अपराध नहीं होता यदि उसके लिए- महिला की सम्मति है महिला के पति की सम्मति है महिला के परिवार के सदस्य की सहमति है जारकर्मी की पत्नी की सहमति है उत्तर- महिला के पति की सम्मति है प्रश्न4- निम्नलिखित में से कौन सा वाद आपराधिक प्रयत्न से संबंधित है? वरिंद्र कुमार घोष बनाम किंग एंपरर श्रीनिवासमल बनाम किंग एंपरर अभयनंद मिश्रा बनाम बिहार राज्य के. एम. नानावती बनाम मुंबई राज्य उत्तर- अभयनंद मिश्रा बनाम बिहार राज्य प्रश्न5- एक महिला आत्

विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र के क्या फायेदें हैं और कैसे बनेगा जानिए पूरी प्रक्रिया!

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विवाह करने के बाद इसे क़ानूनी रूप देने के लिए विवाह का पंजीकरण करवाना अनिवार्य कर दिया गया है ।  विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता विभिन्न प्रकार के सरकारी सुविधाओं को प्राप्त करने के  लिए उपयोग की जाती है ।  आज इस लेख में विवाह पंजीकरण से जुड़े तमाम प्रश्नों के जवाब अधिवक्ता आशुतोष कुमार के माध्यम से दी प्रस्तुत की जा रही है- विवाह पंजीकरण किस प्रकार का दस्तावेज़ है? विवाह पंजीकरण दस्तावेज लोक दस्तावेज है या निजी दस्तावेज?  विवाह पंजीकरण दस्तावेज विवाह का एक प्रमाण पत्र जो एक निजी दस्तावेज है। यह एक प्रमाण पत्र के तौर पर होता हैं। यह पूर्णतया निजी है। इस पत्र के माध्यम से यह पता चलता है की किसी पुरुष या महिला का क़ानूनी रूप से कौन पति अथवा पत्नी है। विवाह पंजीकरण पत्र का क्या उपयोग है? विवाह पंजीकरण पत्र का उपयोग किसी व्यक्ति के विवाहित होने का प्रमाण पत्र हैं। इस प्रमाण की आवश्यकता सरकारी नौकरियों में अनुकंपा के आधार पर नौकरी का दावा करने के दौरान होती है। पति या पत्नी की संपत्ति अथवा अधिकार के दावे के तौर पर प्रयोग करने के लिए आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त बैंक में संयुक्त खाता खोलने के ल

क्या एक विदेशी नागरिक घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत 'पीड़ित व्यक्ति' हो सकता है? जानिए, क्या है भारत में इसके लिए प्रावधान!

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राजस्थान हाईकोर्ट (जोधपुर बेंच) ने एक महत्वपूर्ण अवलोकन में माना है कि 2005 के घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 2 (ए) के अनुसार, 'पीड़ित व्यक्ति' की परिभाषा में एक विदेशी नागरिक सहित कोई भी महिला शामिल होगी, जो घरेलू हिंसा के अधीन हैं। घरेलू हिंसा के मामले में महिला के पास क्या अधिकार हैं?  कोर्ट ने कहा, ऐसी महिला 2005 के अधिनियम की धारा 12 के तहत सुरक्षा पाने की हकदार है। इस सम्बन्ध में महिला मजिस्ट्रेट को आवेदन कर सुरक्षा की मांग कर सकती है। जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के सामान्यतः इस बात का पता चलता है कि अधिनियम के तहत संरक्षण उन व्यक्तियों को दिया जाता है जो अस्थायी रूप से भारत के निवासी हैं, जो 2005 के अधिनियम की धारा 2(ए) के अनुसार पीड़ित व्यक्ति की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं। किस मामलें में कोर्ट ने घरेलू हिंसा रोकथाम अधिनियम की व्याख्या की? एक कनाडाई नागरिक कैथरीन नीएड्डू ने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत अपने पति रोबर्टो निएड्डू के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष पत्नी की शिकायत के

फिल्म 'जय भीम' विवाद में हुई इन्साफ की मांग, मामला कोर्ट पहुंचा!

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जय भीम विवाद: वन्नियार संगम ने फिल्म निर्माता के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई; कहा- बोलने की स्वतंत्रता की आड़ में समुदाय का अपमान नहीं कर सकते फिल्म 'जय भीम' के खिलाफ़ मानहानि की शिकायत दर्ज करवाई 'जय भीम' फिल्म के खिलाफ़ क्या शिकायत दर्ज़ की गई। 'जय भीम' फिल्म को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। इस विवाद का सहारा लेकर वन्नियार संगम के अध्यक्ष ने 'जय भीम' फिल्म निर्माताओं के खिलाफ कथिततौर पर वन्नियारों का अपमान करने तथा उनके समुदाय को गलत तरीके से बड़े पर्दे पर चित्रित करने के लिए मानहानि की शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत पत्र में यह आरोप लगाया गया है कि समाज के हाशिए (आखरी पायदान) के वर्गों के सामाजिक सशक्तिकरण के लिए संघर्ष करने वाले समुदाय के भ्रामक चित्रण ने समुदायों के बीच कलह और असामंजस्य को उकसाया है। 'जय भीम' फिल्म इन धाराओं के अंतर्गत वाद दर्ज़ करवाया गया न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय, के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई गई है। इस शिकायत पत्र के माध्यम से आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 499 (मानहानि), 500 (मानहानि की सजा), 503

क़ानून कहता है हिन्दुओं को अपने पूजास्थल वापस लेने का अधिकार नहीं है?

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क्या है पूजा स्थल कानून? पूजा स्थल अधिनियम 1991 (Worship Act 1991) कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी० वी० नरसिम्हा राव के नेतृतव में पारित एक क़ानून है। पूजा स्थल कानून कहता है कि पूजा स्थलों की जो स्थिति 15 अगस्त 1947 में थी वही रहेगी। लेकिन इस कानून की परिधि से अयोध्या की राम जन्मभूमि को अलग रखा गया है। अयोध्या राम जन्म भूमि मुकदमे को क्यों अलग रक्खा गया? इस कानून में लिखित कथन के अनुसार अयोध्या राम जन्म भूमि मुकदमे के अलावा जो भी मुकदमे हैं वे समाप्त समझे जाएंगे। चूँकि यह मामला एमएल ई में स्थित राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद के रूप में जाना जाता है। जो कोर्ट में पेंडिंग था। सुप्रीम कोर्ट में लंबित है पूजा स्थल कानून की वैधानिकता पर सवाल क्यों? वर्तमान में पूजा स्थल (विशेष प्रविधान) कानून 1991 की वैधानिकता का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वाली भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर गत वर्ष 12 मार्च को सरकार को नोटिस भी जारी किया था। नोटिस जारी होने के बाद यह मामला दोबारा सुनवाई पर नहीं लगा न ही

क्या है राजद्रोह कानून? इसे क्यों ख़त्म करना चाहती है मोदी सरकार?

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क्या है राजद्रोह कानून? सरकार विरोधी बातें करना/लिखना, जिससे असंतोष भड़कता हो, राष्ट्रीय चिह्नों या संविधान का अपमान राजद्रोह में आता है। दोषी को 3 साल से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है। इस कानून को 1870 में अंग्रेजी शासन में बनाया गया था। राजद्रोह कानून की कठोरता और प्रावधान अंग्रेजों के दौर का है। इसलिए राजद्रोह कानून चर्चा में है। क्या है वर्तमान मामला? सुप्रीम कोर्ट ने 152 साल पुराने राजद्रोह कानून यानी आईपीसी (IPC Act) की धारा 124ए से जुड़ी सभी कार्यवाहियों पर देशभर मे रोक लगा दी है। साथ ही केंद्र को इस कानून के प्रावधानों पर फिर से विचार की मंजूरी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है, एक तरफ लोगों की आजादी और उनके हित हैं तो दूसरी तरफ देश की सुरक्षा है। क्या वजह बनी चुनौती की? राजद्रोह कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया गया है कि औपनिवेशिक काल के इस कानून का बेजा इस्तेमाल सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों के विरुद्ध हो रहा है। यह कानून लोगों की स्वतंत्रता का दमन करता है। उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी को छीनता है। सरकार से प्रश्न तक पूछने पर भी आम नागरिकों को

बिना एक रुपया भी खर्च करे कैसे कोर्ट केस लड़ें जानिए निशुल्क क़ानूनी सुविधा लेने का तरीका?

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भारत सरकार द्वारा गरीब नागरिक को निशुल्क क़ानूनी सुविधा प्रदान करने का प्रावधान है। गरीब नागरिक को निशुल्क क़ानूनी सुविधा कैसे मिल सकती है? इसके विषय में विस्तार से जानें। गरीब व मध्यम आय समूह को निःशुल्क क़ानूनी सहायता योजना यह योजना मध्यम आय वर्ग (EWS) के नागरिकों यानी ऐसे नागरिकों को कानूनी सेवाएं प्रदान करती है जिनकी कुल इनकम 60,000/- रुपये प्रति माह से अधिक नहीं है या रु. 7,50,000/- सालाना. इस वर्ग के अंतर्गत आने वाले नागरिकों को भारत सरकार द्वारा निःशुल्क क़ानूनी सहायता प्रदान की जाती है। क्या है यह योजना? इस योजना को "सर्वोच्च न्यायालय मध्य आय समूह (EWS) कानूनी सहायता योजना" के रूप में जाना जाता है। यह योजना स्वावलंबी है और योजना की प्रारंभिक पूंजी का योगदान प्रथम कार्यकारी समिति (सरकार) द्वारा किया जाता है। गरीब नागरिक को निशुल्क क़ानूनी सुविधा कैसे मिल सकती है? क्या बिना एक रुपया लगाये कोर्ट केस लड़ सकतें हैं?  कैसा होगा सहयोगी संस्था का स्वरुप (अनुसूची)? योजना के साथ संलग्न शुल्क और व्यय की अनुसूची लागू होगी और समय-समय पर सोसायटी द्वारा संशोधित की जा सकती है। योजना के पदा

अब बिना वकील के अपना मुक़दमा ख़ुद लड़ें। जानिए कैसे?

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किसी भी सिविल अथवा क्रिमिनल केस में आपका केस काफी लंबा चल रहा है या आपका वकील अच्छे से आप के केस की पैरवी नहीं कर रहा है तो आप किस प्रावधान के तहत अपना मुकदमा स्वयं लड़ सकते हैं? आज हम इसी नियम के बारे में बात करेंगे कि कैसे आप बड़ी आसानी से अपने केस को खुद लड़ सकते हैं और तय समय में उसे जीत भी सकते हैं। कब लड़ सकतें है अपना केस? यदि आप किसी कारणवश कोई वकील नहीं करना चाहते हैं या आपके मामले की पैरवी आपका वकील अच्छे से नहीं कर रहा है तो आप अपना मुकद्दमा खुद ही लड़ सकते हैं लेकिन इससे जुड़े प्रावधान आपको पता होना चाहिए।  यदि आप पर कोई क्रिमिनल या सिविल केस चल रहा है तो आप उस मामले की सुनवाई बिना किसी अधिवक्ता को हायर किए स्वयं लड़ सकते हैं। लेकिन इससे पहले अधिवक्ता का अर्थ समझ लें। अधिवक्ता का अर्थ होता है, आधिकारिक वक्ता यानी जिस व्यक्ति को यह अधिकार दिया गया है कि वह आपकी तरफ से आपके वाद को कोर्ट के समक्ष रखें और पैरवी करे।  लेकिन अब सवाल यह है कि- कोई भी व्यक्ति अपना मुकद्दमा खुद क्यों नहीं लड़ता? अधिवक्ता ही वकालत क्यों करता है? हम स्वयं अपने पक्ष क्यों नहीं रख सकते? एक सामान्य व्यक्ति

माता-पिता का ध्यान नहीं रखा तो होगी जेल

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'माता-पिता' और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक-2019' बुजुर्गों के देखभाल एवं कल्याण के लिए बनाया गया एक कानून है। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक 2019 के अनुसार- माता-पिता या अपने संरक्षण वाले वरिष्ठ नागरिकों के साथ जानबूझकर दुर्व्यवहार करने या उन्हें उनके हाल पर अकेला छोड़ देने वालों के लिए छह महीने के कारावास या 10 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान है या दोनों का प्रावधान किया गया है। इसमें वृद्धाश्रमों और उसके जैसी सभी संस्थाओं के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही उन्हें न्यूनतम मानकों का पालन भी करना होगा।  हर राज्य में भरण पोषण अधिकारी भरण पोषण आदेश के क्रियान्वयन के लिए राज्य भरण पोषण राशि होगी ऐसा नहीं होने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। बुजुर्गों की स्थिति -हेल्य एज इंडिया द्वारा 2018 में किए गए एक सर्वे के मुताबिक:-  69 फीसद बुजुर्गों के पास अपने नाम पर एक घर है  7 फीसद के पास पति या पत्नी के नाम घर है 85 फीसद बुजुर्ग परिवार के साथ रह रहे हैं 3 फीसद दूसरों के साथ रह रहे हैं  20 फीसद किराए पर

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