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अब बिना वकील के अपना मुक़दमा ख़ुद लड़ें। जानिए कैसे?

किसी भी सिविल अथवा क्रिमिनल केस में आपका केस काफी लंबा चल रहा है या आपका वकील अच्छे से आप के केस की पैरवी नहीं कर रहा है तो आप किस प्रावधान के तहत अपना मुकदमा स्वयं लड़ सकते हैं?
आज हम इसी नियम के बारे में बात करेंगे कि कैसे आप बड़ी आसानी से अपने केस को खुद लड़ सकते हैं और तय समय में उसे जीत भी सकते हैं।

कब लड़ सकतें है अपना केस?
यदि आप किसी कारणवश कोई वकील नहीं करना चाहते हैं या आपके मामले की पैरवी आपका वकील अच्छे से नहीं कर रहा है तो आप अपना मुकद्दमा खुद ही लड़ सकते हैं लेकिन इससे जुड़े प्रावधान आपको पता होना चाहिए। 
यदि आप पर कोई क्रिमिनल या सिविल केस चल रहा है तो आप उस मामले की सुनवाई बिना किसी अधिवक्ता को हायर किए स्वयं लड़ सकते हैं। लेकिन इससे पहले अधिवक्ता का अर्थ समझ लें। अधिवक्ता का अर्थ होता है, आधिकारिक वक्ता यानी जिस व्यक्ति को यह अधिकार दिया गया है कि वह आपकी तरफ से आपके वाद को कोर्ट के समक्ष रखें और पैरवी करे। 

लेकिन अब सवाल यह है कि-
  • कोई भी व्यक्ति अपना मुकद्दमा खुद क्यों नहीं लड़ता?
  • अधिवक्ता ही वकालत क्यों करता है?
  • हम स्वयं अपने पक्ष क्यों नहीं रख सकते?
एक सामान्य व्यक्ति कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष इसलिए नहीं रख पाता है क्योंकि उसे कानून की सामान्य जानकारी नहीं होती है। इसके अलावा कम्युनिकल स्किल अच्छी नहीं होती है या फिर उस व्यक्ति को कोर्ट की भाषा का ज्ञान नहीं होता है या हो सकता है कि उसे लोगों के सामने बोलने में झिझक होती हो। इस वजह से कोई आम व्यक्ति कोर्ट के समक्ष अपनी बात को नहीं रख पाता है।

अपना केस लड़ने के लिए क्या जानकारी होना जरूरी है? 
यदि आप कोर्ट में अपने मामले को रखते हैं या पैरवी करते हैं तो आपको अपने मुद्दे से जुड़े कानून की बारीकियों के बारे में पता होना चाहिए और उसी के आधार पर ही आप अपना मुकद्दमा लड़ सकते हैं। अपने मुकदमें से जुड़े तथ्य अन्य जानकारी इसमें आपकी सहायता कर सकती है।

क्या क़ानून अपना केस लड़ने की इज़ाज़त देता है?
जी हाँ! अब अगर कोई भी व्यक्ति गरीबी के कारण पैसे ना होने की वजह से वकील का खर्च नहीं वहन कर सकता है तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद 29 39 ए 304 के तहत राज्य सरकार की ओर से सरकारी ख़र्चे पर वकील दिलवाया जाता है। एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत आप किसी दूसरे की वकालत नहीं कर सकते हैं लेकिन इसके अतिरिक्त आप स्वयं के मामले की पैरवी करने में सक्षम हैं तो कोर्ट इसकी अनुमति देता है लेकिन इसके लिए आपको कोर्ट से पूर्व में लिखित अनुमति लेनी होती है।

कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए क्या तैयारी ज़रूरी है?
उदहारण के तौर पर मान लीजिये कि यदि किसी मामले में आपका कोई चालान हुआ है और कोर्ट कि में आपको अपना पक्ष रखने के लिए पहुंचना है और आपको उसकी जानकारी व उसकी पैरवी स्वयं करनी है तो इसके लिए सबसे जरूरी चीज क्या है यह इस तरह समझिये-
  • सबसे पहले तो आप को मामले की पूरी जानकारी होनी चाहिए।
  • दूसरा सामाजिक जानकारी होनी चाहिए क्योंकि कोर्ट के अंदर तर्कों के आधार पर भी बात होती है।
  • कोर्ट की भाषा आपको पता होना चाहिए।
कोर्ट में वकील बात आपस में करते हैं और कहते हैं कि आपने अपनी गाड़ी से किसी का एक्सीडेंट किया पर कोर्ट की भाषा कुछ इस प्रकार होगी कि-
आपने सामने वाले व्यक्ति के साथ 307 का घटना का कार्य किया है या इसका प्रयास किया है। ऐसे में आपको कानूनी धाराओं की जानकारी होनी चाहिए।

धाराओं की जानकारी के लिए क्या करना चाहिए?
  • धाराओं की जानकारी के लिए आप कानूनी पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं 
  • इसके लिए आप भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया सहिंता आदि किताबों का अध्ययन कर सकते हैं और इससे आप अपने पूरे मामले की पैरवी करने में आसानी होगी
  • यदि आपको इसकी बेहतर जानकारी है तो आप किसी भी व्यक्ति के माध्यम से कोर्ट और क़ानून की जानकारी किसके द्वारा प्राप्त कर सकते हैं?
यदि आपका कोई क्रिमिनल केस है और जिसमें न्यायालय की अनुमति ले ली है तो आपको पूरे मामले की एक-एक बात की जानकारी होनी चाहिए क्योंकि कोर्ट के अंदर जब तक आप को मामले की जानकारी नहीं होगी वहीं पर आपको विपक्ष का वकील को फंसा देगा इस वजह से आप जीतता हुआ केस भी हार सकतें हैं।
ऐसे में आपको क़ानून की बेहतर जानकारी होगी तभी आप अपना मुक़दमा बेहतर लड़ सकते हैं।

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कोर्ट में किस भाषा में अपना पक्ष रखें?
जब किसी स्थानीय कोर्ट में जाते हैं जिला कोर्ट में तो स्थानीय भाषा उस में प्रयोग होती है
मसलन आफ साउथ इंडिया में हैं तो आपको वहां पर साउथ इंडिया में जिस राज्य में है वहां के राज्य की भाषा आपको प्रयोग करनी होगी यदि आप साउथ इंडिया के ही किसी हाईकोर्ट में तो वहां आपकी अंग्रेजी भाषा का प्रयोग कर सकेंगे क्योंकि हाईकोर्ट की भाषा अंग्रेजी है।
यदि आप सुप्रीम कोर्ट में हैं तो सुप्रीम कोर्ट की भाषा भी अंग्रेजी है इस बात का आपको ख्याल रखना है कि सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने के लिए आप अंग्रेजी में ही कर सकते हैं तो ऐसे में आपको अपने आपको तैयार करना होगा।

यदि आप किसी मामले में क़ानूनी सहायता चाहते हैं या किसी वरिष्ठ अनुभवी वकील से क़ानूनी सलाह लेना चाहतें हैं तो हमसे Facebook, Whatsapp, Telegram, Instagram, YouTube, E-mail या Phone आदि में से किसी भी प्रकार से  संपर्क कर सकतें हैं। सभी सोशल मीडिया का लिंक ऊपर दिया गया है। #judicialguru

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