अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए किसकी अनुमति ज़रूरी है? क्या कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है? जानिए प्राविधान

उपभोक्ता सेवाओं में लापरवाही करने पर जवाबदेही तय करने के लिए राज्य विद्युत नियामक आयोग ने दिसंबर 2019 में स्टैंडर्ड ऑफ परफॉर्मेंस रेगुलेशन एक्ट 2019 लागू किया था। इस कानून के तहत यदि तय समय में लेसा द्वारा सुविधाएं मुहैया ना हुई तो पॉवर कारपोरेशन पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसमें जुर्माना हर्जाने के रूप में सीधे उपभोक्ता को दिए जाने का प्रावधान है।
इसके अतरिक्त यदि उपभोक्ता को परेशान किया गया तो ऐसी परिस्थिति में भी उपभोक्ता को हर्जाना मिलना चाहिए। स्टैंडर्ड ऑफ परफॉर्मेंस रेगुलेटर रेगुलेशन एक्ट 2019 का उदेश्य बिजली कर्मियों की मनमानी रोकने के उदेश्य से बनाया गया था। लेकिन वर्तमान में मध्यांचल सहित सभी बिजली वितरण कम्पनियो ने इस आदेश को दबा लिया।
काम में देरी के लिए हर्जाने की रकम तय है जिसके लिए एक सूची इस प्रकार है-
यदि कोई सरकारी कर्मचारी किसी भी प्रकार से अपने विभागीय आदेशों के विरुद्ध कार्य करता है या किसी ऐसे इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की रचना करता है जिससे किसी एक पक्ष को फायदा या किसी अन्य को नुकसान हो तो ऐसे कर्मचारी को भारतीय दंड सहिंता की धारा 166 के तहत 3 वर्ष की सजा जुर्माने या फिर दोनों से दंडित किया जाएगा।
विभाग जो कितनी जानकारी है?
बिजली विभाग के 20% बिजली कर्मचारियों को विभागीय कानून की जानकारी नहीं है। कारण विभाग समय समय जो कानून लागु करता है। उसमें सही सूचना नहीं होने पर काम में कर्मचारी केवल वसूली तक सिमित रह जाते हैं। यही वजह है खुद लेसा के कुछ कर्मी विभाग की बदनामी करवा रहे हैं।
लेसा के मुताबिक बिजली कनेक्शन कटवाने के लिए सम्बंधित क्षेत्र के कार्यालय में आवेदन करना होता है। यदि उपभोक्ता का कोई पिछला बिल बकाया नहीं है तब उपभोक्ता का कनेक्शन स्थाई रूप से बंद करने से पहले PD रिपोर्ट तैयार की जाती है। इसी तरह यदि उपभोक्ता का कोई पिछला बिल बकाया है तो उपभोक्ता द्वारा पूरा बिल भुगतान करने के बाद आवेदन कर सकता है। इसके बाद संबंधित क्षेत्र के इंजीनियर अपनी निगरानी में मीटर उतरवाकर जांच के लिए भेजते हैं ताकि मीटर रीडिंग या बिलिंग से किसी प्रकार की छेड़छाड़ का पता चल सके।रिपोर्ट में यदि उपभोक्ता कुछ बिल बकाया मिलता है। तब उपभोक्ता को भुगतान करना होता है इसके बाद संबंधित क्षेत्र के इंजीनियर उपभोक्ता के भवन से बिजली का तार उतार लेते हैं। उपभोक्ता को PD रिपोर्ट मिल जाती है और यह रिपोर्ट के मिलने के बाद लेसा यानी कि बिजली विभाग किसी भी उपभोक्ता को बिजली का बिल नहीं भेज सकता है।
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