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बहू के गहने रखना क्रूरता नहीं, यह घरेलु हिंसा या उत्पीड़न का हिस्सा नहीं हो सकता
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एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सुरक्षा के लिए बहू के गहनों को अपने पास रखना भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (दहेज प्रताड़ना) के तहत क्रूरता नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अगुवाई वाली बेंच ने यह भी कहा है कि अपने बालिग़ भाई को नियंत्रित न कर पाना, अलग रहना और टकराव से बचने के लिए भाभी से तालमेल बनाए रखने की सलाह देना भी दहेज प्रताड़ना की श्रेणी में नहीं आता है।
यह टिप्पणियां सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के एक मामले में पति की ओर से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान की। शीर्ष अदालत में यह याचिका पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई है।
वैवाहिक विवाद के इस मामले में महिला के पति ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि वह यूनाइटेड स्टेट में नौकरी करता है और वापस जाना चाहता है ताकि अपना जीवन यापन कर सके। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बिना पूर्व अनुमति के देश छोड़कर जाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। क्योंकि वह दहेज प्रताड़ना और आईपीसी (IPC) की अन्य धाराओं के तहत आरोपित है। पति पर लगाए गए आरोपों में महिला ने कहा था कि उसके गहने उसे नहीं दिए गए। सारे गहने उसकी सास और जेठ के पास रखे हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता लड़की ने उन गहनों का कोई विवरण नहीं दिया है जो कथित तौर पर उसकी सास और पति के भाई द्वारा लिए गए हैं। याचिकाकर्ता पति के पास भी महिला का कोई आभूषण है या नहीं इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
यह सिर्फ सामान्य सर्व व्यापक आरोप
महिला की ओर से हाईकोर्ट में लगाए गए आरोपों पर शीर्ष न्यायालय ने कहा कि केवल एक सामान्य सर्व व्यापक आरोप है कि सभी अभियुक्तों ने गलत बयानी करके बातों को छिपाकर आदि के जरिए शिकायतकर्ता के जीवन को बर्बाद कर दिया। अपील करता उसके माता पिता या भाई के क्रूरता के कृत्य या किसी अन्य के आपराधिक कृत्यों के लिए उत्तरदाई नहीं है। न्यायालय ने कहा है कि आरोपों की प्रकृति को देखते हुए यह समझ में नहीं आता कि याचिकाकर्ता को भारत में कैसे और क्यों हिरासत में लिया जाना चाहिए था। पीठ ने कहा हमारी सुविचारित राए में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कुरुक्षेत्र ने अपील कर्ता को न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ने का निर्देश देने में गलती क्यों की।
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