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माता-पिता का ध्यान नहीं रखा तो होगी जेल
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'माता-पिता' और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक-2019' बुजुर्गों के देखभाल एवं कल्याण के लिए बनाया गया एक कानून है।
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक 2019 के अनुसार-
- माता-पिता या अपने संरक्षण वाले वरिष्ठ नागरिकों के साथ जानबूझकर दुर्व्यवहार करने या उन्हें उनके हाल पर अकेला छोड़ देने वालों के लिए छह महीने के कारावास या 10 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान है या दोनों का प्रावधान किया गया है।
- इसमें वृद्धाश्रमों और उसके जैसी सभी संस्थाओं के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही उन्हें न्यूनतम मानकों का पालन भी करना होगा।
- हर राज्य में भरण पोषण अधिकारी भरण पोषण आदेश के क्रियान्वयन के लिए राज्य भरण पोषण राशि होगी ऐसा नहीं होने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
बुजुर्गों की स्थिति
-हेल्य एज इंडिया द्वारा 2018 में किए गए एक सर्वे के मुताबिक:-
- 69 फीसद बुजुर्गों के पास अपने नाम पर एक घर है
- 7 फीसद के पास पति या पत्नी के नाम घर है
- 85 फीसद बुजुर्ग परिवार के साथ रह रहे हैं
- 3 फीसद दूसरों के साथ रह रहे हैं
- 20 फीसद किराए पर रह रहे हैं
- 6 फीसद अकेले रह रहे हैं
- 2 फीसद रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं
- 56 फीसद बुजुर्गों ने माना उनका अपमान किया गया
- 33 फीसद उपेक्षा के शिकार हुए
- 49 फीसद ने माना उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ
ट्रिब्यूनल 90 दिनों में करेगा निपटारा
वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और सहायता के दावे दाखिल करने के लिए एक ट्रिब्यूनल की स्थापना का प्रावधान भी किया गया है। इस ट्रिब्यूनल का मुख्य कार्य इस प्रकार होगा-
- 80 साल से ज्यादा के वरिष्ठ नागरिकों के दावों का निपटारा 60 दिन के भीतर किया जाएगा।
- सिर्फ अवपाद वाले मामलों में यह अवधि केवल एक बार अधिकतम 30 दिन के लिए बढ़ाई जा सकेगी, लेकिन इसके लिए ट्रिब्यूनल को कारण लिखित में दर्ज करना होगा।
- 80 साल से कम के वरिष्ठ नागरिकों के दावों का निपटारा ट्रिब्यूनल को 90 दिनों के भीतर करना होगा।ट्रिब्यूनल माता-पिता या बुजुर्गों का भरण देने का निर्देश दे सकेगी
प्रत्येक थाने में नोडल अधिकारी
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े मामलों के लिए हर पुलिस थाने में एक नोडल अधिकारी तैनात होगा जो एएसआइ रैंक से नीचे का नहीं होगा। साथ ही हर जिले में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए एक विशेष पुलिस इकाई होगी जिसका प्रमुख कम से कम डीएसपी रैंक का अधिकारी होगा।
'दुर्व्यवहार' व अनदेखी भी विधेयक में शामिल
'दुर्व्यवहार' को परिभाषित किया गया है जिसमें शारीरिक, मौखिक, भावनात्मक और आर्थिक दुर्व्यवहार के साथ-साथ मानसिक दुर्व्यवहार को भी रखा गया है।
दामाद भी अपने बुजुर्ग सास-ससुर की देखभाल के लिए जिम्मेदार होगा
सीनियर सिटिजन के हितों की देखभाल और उनकी बुनियादी जरूरतों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार ने पुराने कानून में कई अहम बदलाव किए हैं। कई राज्यों में बनाए बिल की अहम बात यह है कि इस कानून को हाल के दिनों में कई राज्यों ने नए सिरे से संशोधित किया है।
कुछ महीने पहले बिहार में कानून बनाया गया था कि अगर कोई अपने माता-पिता की उचित देखभाल नहीं करता है तो उसे सजा हो सकती है। जिसमें जुर्माना से लेकर जेल तक हो सकती है।
केंद्र में हुई कैबिनेट मीटिंग में 2007 में बने कानून में संशोधन किया गया, जिसमें-
- अब सिर्फ बेटा ही नहीं, दामाद भी अपने वृद्ध सास-ससुर की देखभाल के लिए जिम्मेदार होगा।
- नए कानून के अनुसार अगर बुजुर्ग को कोई बेटा नहीं है तो उस हालात में दामाद की जिम्मेदारी होगी। इस जिम्मेदारी से वह खुद को अलग नहीं कर सकेगा।
- अभिभावक के लिए 2007 में भरण-पोषण की तय की गई अधिकतम 10 हजार रुपये महीने की सीमा को समाप्त कर दिया गया है
सुरक्षा के लिए हर पुलिस स्टेशन में नोडल अधिकारी तय होगा के फैसले को मंजूरी दी संशोधन विधेयक में कई बदलाव किए गए हैं।
- 80 साल के ऊपर के बुजुर्गों के आवेदन को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ स्वीकारा जायेगा
- इनके लिए हर महीने पेंशन की भी व्यवस्था की है।
- केयर सेंटर का रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा।
2011 जनसंख्या के मुताबिक देश में 10.38 करोड़ सीनियर सिटिजन है जिसके अब तक 14 करोड़ से अधिक पहुंचे जाने का सरकारी अनुमान है।
राजस्थान में इसी से मिलता-जुलता कानून बनाया गया है।
- सभी एसएसपी ऑफिस में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े मामलों के लिए अलग से यूनिट बनेगी
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए केयर सेंटर में भी बदलाव किया जा रहा है।
- इसके लिए नया पैरामीटर तय किया जा रहा है।
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