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सत्यमेव जयते!

अगर बिल्डर ने समय पर कब्जा नहीं दिया तो क्या खरीदार को जमा धनराशि वापस लेने का अधिकार?

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यूपी रेरा ने छह माह के भीतर वेव वेगा मेगा सिटी सेंटर बिल्डर से आदेश का पालन करवाया। ज्युडिशियल गुरु | ग्रेटर नोएडा रेरा आदेश के बाद बिल्डर खरीदार को 4 वर्ष बाद 45.50 लाख रुपये लौटाएगा। जो फ़रवरी 2024 तक अलग अलग किश्तों में दिया जाना है इसमें 2.25 लाख रुपये ब्याज़ भी शमिल है। उत्तर प्रदेश भू-संपदा  विनियामक प्राधिकरण ने छह माह के अंदर वेव मेगा सिटी सेंटर से एक आदेश का पालन कराकर एक खरीदार को उसका पैसा वापस दिलाया है। यूपी रेरा अधिकारियों ने बताया कि वेव मेगा सिटी सेंटर बिल्डर का वेव मेगा सिटी सेंटर 2डी प्रोजेक्ट है जिसमें गाजियाबाद निवासी खरीदार गोपेश स्वरुप ने वर्ष 2019 में एक कमर्शियल यूनिट 1.09 करोड़ में खरीदी थी। खरीदार ने इस प्रोजेक्ट में 43.27 लाख रुपये जमा भी कर दिये थे और बिल्डर ने दिसंबर, 2020 तक कब्जा देने का वादा किया, लेकिन निर्माण पूरा नहीं हो सका। दो साल तक बिल्डर के चक्कर लगाने के बाद खरीदार ने वर्ष 2022 में यूपी रेरा में शिकायत कर जमा धनराशि वापस दिलाने की मांग की। RERA के हस्तक्षेप के बाद बिल्डर ने खरीदार का पैसा लौटाने का एक प्रस्ताव दिया। जिसमें जमा धनराशि 43.27 लाख और

यूपी में दुकान का रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं? मैं अपनी दुकान का नाम कैसे रजिस्टर कर सकता हूं?दुकान पंजीकरण लाइसेंस के लिए दस्तावेज क्या हैं?

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यूपी में दुकान का रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं? उत्तर प्रदेश में दुकान के रजिस्ट्रेशन या पंजीकरण की प्रक्रिया ऑनलाइन है। दुकान के रजिस्ट्रेशन या पंजीकरण के लिए स्टोर या व्यवसाय के मालिक को उत्तर प्रदेश की श्रम विभाग की वेबसाइट पर लॉगइन करना होगा या फिर आवेदन करवाने के लिए किसी एक्सपर्ट कि मदद भी ले सकते हैं। लॉगइन करने के बाद दुकान मालिक को दुकान पंजीकरण के आवेदन पत्र में मांगी गई ज़रूरी जानकारी को पूरा करना होगा। इसके बाद आवश्यक दस्तावेज अपलोड करना होगा और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान ऑनलाइन करना होगा। मैं अपनी दुकान का नाम कैसे रजिस्टर कर सकता हूं? यदि आप भारत में किसी राज्य में एक दुकान या किसी अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान के मालिक हैं या आप दुकान चलाने की सोंच रहे हैं, तो आपको मुख्य निरीक्षक के पास अपनी दुकान या प्रतिष्ठान को 30 दिनों के भीतर दुकान या प्रतिष्ठान लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा। आप अपने संबंधित राज्य में एक आवेदन दाखिल करके भी लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। दुकान का लाइसेंस कैसे बनवाया जाता है? इसके लिए सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पोर्टल तैयार किया गया है जहाँ आपको दुकान या प

क्या कोई महिला घरेलू हिंसा करने की दोषी हो सकती है? क्या महिला के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सक्ता है? :हाईकोर्ट

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क्या कोई महिला घरेलू हिंसा करने की दोषी हो सकती है? क्या महिला के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सक्ता है? कानून कैसे काम करता है इस बात पर समय-समय पर विचार होते रहते हैं। ऐसा ही एक वाक्या दिल्ली में सामने आया जहाँ पति ने पत्नी के खिलाफ लगाया घरेलू हिंसा का आरोप लगाया और मुकदमा दायर किया। मामला जब कोर्ट में पहुंचा तब और भी दिलचस्प बात देखने मिली। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस जसमीत सिंह हंसने लगे और बड़ी हैरानी से पूछा "ये क्या है?" क्या ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश ने अपना दिमाग नहीं लगाया? घरेलू हिंसा रोकथाम अधिनियम 2005 के तहत किसी महिला को आरोपी बनाया जा सकता है क्या? मामला कुछ इस तरह है कि जस्टिस जसमीत सिंह दिल्ली की एक महिला की अपील पर सुनवाई कर रहे थे। महिला ने निचली अदालत कड़कड़डूमा कोर्ट के एक फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामलें में निचली अदालत ने उसे घरेलू हिंसा के आरोप में समन जारी किया गया था। जहाँ इस प्रश्न पर चर्चा हुई कि- क्या है घरेलू हिंसा कानून? इसमें कोई महिला आरोपी क्यों नहीं बनाई जा सकती? क्या घरेलू हिंसा कानून पुरुष विरोधी है?  पति ने पत्नी के खिलाफ

पत्नी मानसिक रूप से परेशान करे या धारा 498A का मुकदमा करने की धमकी दे तो पति क्या करे?

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भारतीय दण्ड सहिंता 1860 (Indian Penal Code 1860) की धारा 498A का उपयोग के साथ दुरुपयोग भी बढ़ता जा रहा है। पहले लोग घरेलु मामलों को कोर्ट ले जाने की बात पर अक्सर कहते थे कि- "लोग क्या कहेंगे" लेकिन अब यह आम बात हो चली है। लेकिन फिर भी कुह लोग जब बात पुलिस शिकायत दर्ज करने या मुकदमा लड़ने की बात आती है तो कुछ लोग संतोष कर लेते हैं। जिसकी वजह के किसी एक पक्ष के साथ अन्याय होता है और जो लोग किसी को झूठा मुक़दमा करने के लिए उकसाते हैं वह यही कहते हैं की "ये आदमी इसी लायक है" जिसकी वजह से कभी कभी कोई ठोस वजह न होते हुए भी धारा 498A का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है। अब सवाल यह उठता है की पत्नी के पास यह क़ानूनी अधिकार है किन्तु यदि किसी पुरुष के साथ अन्याय हो रहा हो तो उसके पास क्या क़ानूनी अधिकार है। अधिवक्ता आशुतोष कुमार आज इसी क़ानूनी समस्या का निदान बता रहें है IPC 1860 की धारा 498A में क्या कहा गया है? भारतीय दण्ड सहिंता 1860 (Indian Penal Code 1860) की धारा 498A के अनुसार-  पति या पति के रिश्तेदार के द्वारा किसी विवाहित महिला के साथ क्रूरता, मारपीट या अन्य अत्याचार करने पर पत

Cyber Crime की शिकायत दर्ज कराने के लिए क्या जानकारी देनी होगी? साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल पर शिकायत कैसे करें?

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डिजिटल क्रांति आने के साथ ही साइबर अपराध (Cyber Crime) भी बढ़ गये हैं। इसलिए केंद्र सरकार की पहल द्वारा आप पोर्टल पर पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं को साइबर अपराध (Cyber Crime) की शिकायतों की ऑनलाइन रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान की जाती है। इस पोर्टल पर आप कई तरह के साइबर अपराधों (Cyber Crime) की शिकायत कर सकते हैं। पोर्टल पर शिकायत दर्ज़ करने से पहले आपको  इन बातों का पता होना चाहिए। साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल का उद्देश्य क्या है? साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल पर किस प्रकार की शिकायत दर्ज़ करवाई जा सकती है? Cyber Crime की शिकायत दर्ज कराने के लिए क्या जानकारी देनी होगी? साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल पर शिकायत कैसे करें? मैं अन्य साइबर अपराधों के बारे में शिकायत कैसे दर्ज कर सकता हूं? साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल पर किसी घटना या शिकायत की रिपोर्ट दर्ज़ कराते समय किस राज्य का चयन करना होगा? साइबर अपराध (Cyber Crime) पोर्टल का उद्देश्य क्या है? इस पोर्टल पर पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं को साइबर अपराध (Cyber Crime) की शिकायतों की ऑनलाइन रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान की जाती है। यह भार

जानिए न्यायाधीश किसे कहते हैं? न्यायाधीश कितने प्रकार के होते हैं? क्या लोक सेवक न्यायाधीश होता है?

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कौन व्यक्ति न्यायाधीश होता है? क्या हर न्याय करने वाला व्यक्ति न्यायाधीश हो सकता है? न्यायाधीश किसे कहते हैं? न्यायाधीश कितने प्रकार के होते हैं? क्या लोक सेवक न्यायाधीश होता है? न्यायाधीश किसे कहते हैं? धारा 19 “न्यायाधीश”- “न्यायाधीश” शब्द न केवल हर व्यक्ति का घोतक है, जो पद रूप में न्यायधीश हो, इसके अलावा हर उस व्यक्ति का भी- जो किसी विधिक कार्यवाही में, चाहे वह सिविल हो या दाण्डिक, अंतिम निर्णय, जो उसके विरुद्ध अपील न होने पर अंतिम हो जाए या ऐसा निर्णय देने वाला व्यक्ति, जो किसी अन्य अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा मान्य किए जाने पर अंतिम हो जाए, और ऐसा आदेश देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, जो उस व्यक्ति निकाय/संस्था में से एक हो, जो व्यक्ति निकाय ऐसा निर्णय देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो। स्पष्टीकरण-  सन 1859 के अधिनियम 10 के अधीन किसी वाद में अधिकारिता का प्रयोग करने वाला कलक्टर (जिलाधिकारी)  न्यायाधीश  है। किसी आरोप के संबंध में, जिसके लिए उसे जुर्माना या कारावास का दंड देने की शक्ति प्राप्त है, चाहे उसकी अपील होती हो या ना होती हो, अधिकारिता का प्रयोग करने वाल

जानिए रेलवे में बाइक कैसे बुक किया जाता है? ट्रेन में बाइक ले जाने पर कितने पैसे लगते हैं? क्या ट्रेन में बाइक ले जाने पर इंश्योरेंस ज़रूरी है?

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रेलवे के माध्यम से बाइक या स्कूटी को बुक कर के ले जाने के लिए क्या कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना होगा।  एक शहर से दूसरे शहर या राज्य में मोटरसाइकिल ले जाते समय आपको कुछ जरूरी सावधानियां बरतनी होगी। यदि आप अपना दो पहिया वाहन ट्रेन के माध्यम से ले जाना चाहते हैं तो रेलवे के नियम की जानकारी होना ज़रूरी है। कुछ बातों का पता होना ज्यादा ज़रूरी हैं नहीं तो आपको मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है और हो सकता है आपको अपने दो पहिया वाहन से भी हाथ धोना पड़े। ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब जो बाइक बुक करने से पहले पता होना चाहिए! क्या हम ट्रेन में बाइक ले सकते हैं? How can I transport my bike by train? रेलवे में बाइक कैसे बुक किया जाता है? How can I book my bike parcel in Indian Railways? पार्सल का रेट क्या है? ट्रेन में कितना वजन ले जाया जा सकता है? क्या ट्रेन में बाइक ले जाने पर इंश्योरेंस ज़रूरी है? वाहन टाइम से ना लेने पर जुर्माना भी हो सकता है? रेलवे में बाइक कैसे बुक किया जाता है? How can I book my bike parcel in Indian Railways? टूव्हीलर को ट्रेन से बुक कराने के लिए ट्रेन से ले जाना होता है तो उसके ल

14 से 20 वर्ष की लड़कियां हैं इनके निशाने पर!

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कंपनियां जब अपने प्रोडक्ट मार्केट में लांच करती हैं प्रोडक्ट की लाइफ भी तय होती है। इसके अतिरिक्त सुरक्षा कवच अर्थात एंटीवायरस सॉफ्टवेयर बनाया जाता है जो इसे अवांछित खतरों से बचाता है। कितुं अब जो एंटीवायरस बन रहे हैं वो आज के जमाने के हैं। इस वजह से पुराने खतरों के बारे में इनमें पूर्ण जानकारी नहीं होती है। जिसकी वजह से कई सेंधमार इसकी सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन अगर माइक्रोसॉफ्ट कोई ओएस (आपरेटिंग सिस्टम) प्लेटफार्म बनाता है तो हैकर इसमें आसानी से सेंध नहीं लगा पाते हैं। क्योंकि इसमें एंटीवायरस भी कुछ नहीं कर सकते हैं। सुरक्षा के इस प्रश्न पर कई कंपनियां सभी डिवाइस के अलग-अलग प्लेटफार्म पर काम कर रही हैं? कंपनियों ने अपनी जरूरत के हिसाब से प्लेटफार्म बनाए हैं। इसलिए इतने सारे प्लेटफार्म के लिए एंट्री एंटीवायरस बनाना मुश्किल है। स्मार्ट होम अप्लायंसेज के लिए इंटरनेशनल एक्सपो का आयोजन करने वाली चीन की कंपनियों के जनरल मैनेजर ने कहा कि यह बिल्कुल भी सच नहीं है कि इलेक्ट्रोनिक उत्पादों की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं हो रहा है। स्मार्ट प्रोडक्ट बनाने वाली लगभग सभी कंपनियां पहले उत्पाद

भारतीय दंड संहिता | IPC | PCSJ Model Question Paper with Answer in Hindi

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प्रश्न1-भारतीय दंड संहिता प्रवृत हुई- 6 अक्टूबर 1807 6 दिसंबर 1860 1 जनवरी 1861 1 जनवरी 1862 उत्तर- 1 जनवरी 1862 प्रश्न2- निम्नलिखित अपराधों में से कौन सा कठोर दायित्व का अपराध है- उपहति हमला द्विविवाह चोरी उत्तर-  द्विविवाह प्रश्न3-आपराधिक विधि के प्रति कृत्यात्मक दृष्टिकोण को उजागर किया है- भारत के विधि आयोग ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इंग्लैंड की वुल्फडेन समिति ने संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर- इंग्लैंड की वुल्फडेन समिति ने प्रश्न4- भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के लागू होने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सी आवश्यक शर्त नहीं है?  आपराधिक कृत्य सामान्य आशय को अग्रसर करते हुए किया गया आपराधिक कृत्य कई व्यक्तियों द्वारा किया गया हो अपराध गठित करने वाले कार्य में किसी न किसी रूप में सभी व्यक्तियों द्वारा भागीदारी आपराधिक कृत्य सामान्य उद्देश्य को अग्रसर करने में किया गया हो उत्तर- आपराधिक कृत्य सामान्य उद्देश्य को अग्रसर करने में किया गया हो प्रश्न5- निम्नलिखित में से कौन-सामान्यता अपराध का आवश्यक तत्व नहीं है? आपराधिक कृत्य दुराशय हेतु मानव उत्तर- हेतु प्रश्न6- ग

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