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जानिए न्यायाधीश किसे कहते हैं? न्यायाधीश कितने प्रकार के होते हैं? क्या लोक सेवक न्यायाधीश होता है?

कौन व्यक्ति न्यायाधीश होता है? क्या हर न्याय करने वाला व्यक्ति न्यायाधीश हो सकता है? न्यायाधीश किसे कहते हैं? न्यायाधीश कितने प्रकार के होते हैं? क्या लोक सेवक न्यायाधीश होता है?

न्यायाधीश किसे कहते हैं?

धारा 19 “न्यायाधीश”- “न्यायाधीश” शब्द न केवल हर व्यक्ति का घोतक है,
  • जो पद रूप में न्यायधीश हो, इसके अलावा हर उस व्यक्ति का भी-
  • जो किसी विधिक कार्यवाही में, चाहे वह सिविल हो या दाण्डिक, अंतिम निर्णय, जो उसके विरुद्ध अपील न होने पर अंतिम हो जाए या ऐसा निर्णय देने वाला व्यक्ति,
  • जो किसी अन्य अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा मान्य किए जाने पर अंतिम हो जाए, और ऐसा आदेश देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो,
  • जो उस व्यक्ति निकाय/संस्था में से एक हो, जो व्यक्ति निकाय ऐसा निर्णय देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो।

स्पष्टीकरण- 

  • सन 1859 के अधिनियम 10 के अधीन किसी वाद में अधिकारिता का प्रयोग करने वाला कलक्टर (जिलाधिकारी) न्यायाधीश है।
  • किसी आरोप के संबंध में, जिसके लिए उसे जुर्माना या कारावास का दंड देने की शक्ति प्राप्त है, चाहे उसकी अपील होती हो या ना होती हो, अधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश है
  • मद्रास संहिता के सन 1816 के विनियम साथ के अधीन वादों का विचारण की और अवधारण करने की शक्ति रखने वाली पंचायत का सदस्य न्यायाधीश है।
  • किसी आरोप के संबंध में, जिनके लिए उसे केवल अन्य न्यायालय की विचारणार्थ सुपुर्द करने की शक्ति प्राप्त है, अधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश नहीं है।

न्यायालय क्या होता है?

धारा 20 “न्यायालय”- “न्यायालय” शब्द उस न्यायाधीश का, जिसे अकेले ही को न्यायिक कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, या उस न्यायधीश निकाय का जिसे एक निकाय के रूप में न्यायिक कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, जबकि ऐसा न्यायाधीश या न्यायिक कार्य कर रहा हो।

    स्पष्टीकरण- 

    मद्रास संहिता के सन 1816 के विनियम 7 के अधीन कार्य करने वाली पंचायत जिसे वादों का विचारण करने और अवधारण करने की शक्ति प्राप्त है, न्यायालय है।

    लोकसेवक कौन होता है? 


    धारा 21 “लोकसेवक”- “लोक सेवक” शब्द उस व्यक्ति का प्रतीक है जो निम्नवत वर्णन में से किसी एक में आता हो:-

    पहला- [विधि अनुकूलन आदेश, 1950 द्वारा निरसित]

    दूसरा- भारत की सेना, नौसेना या वायु सेना का हर आयुक्त, ऑफिसर

    [तीसरा- हर न्यायाधीश जिसके अंतर्गत ऐसा कोई भी व्यक्ति आता है जो किन्ही न्याय निर्णायक कामों का चाहे स्वयं या व्यक्तियों के किसी संस्था के सदस्य के रूप में निर्वहन करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो]

    चौथा- न्यायालय का हर ऑफिसर [जिसके अंतर्गत रिसीवर या कमिश्नर आता है] जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह विधि या तथ्य के किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करें, या कोई दस्तावेज बनाए, आधिप्रमाणित करें, या रखे, या किसी संपित का भार संभाले या उस संपत्ति का व्ययन करें, या किसी न्यायिक आदेश का निष्पादन करें, या कोई शपथ ग्रहण कराए या निर्वचन करें, या न्यायालय में व्यवस्था बनाए रखें और हर व्यक्ति, जिसे ऐसे कर्तव्यों में से किन्ही का पालन करने का प्राधिकार न्यायालय द्वारा विशेष रूप से दिया गया हो;

    पांचवा- किसी न्यायालय या लोक सेवक की सहायता करने वाला हर जूरी सदस्य या पंचायत का सदस्य;

    छटा- हर मध्यस्थ या अन्य व्यक्ति, जिसको किसी न्यायालय द्वारा, या किसी अन्य सक्षम लोक प्राधिकारी द्वारा कोई मामला या विषय, विनिश्चय रिपोर्ट के लिए निर्देशित किया गया हो;

    सातवा- हर व्यक्ति को किसी ऐसे पद को धारण करता हो जिसके आधार से वह किसी व्यक्ति को कैद करने या रखने के लिए सशक्त हो।

    आठवां- सरकार का हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के के नाते यह कर्तव्य हो कि वह अपराधों का निवारण करें, अपराधों की इत्तला दे, अपराधियों को न्याय के लिए उपस्थित करें या लोक के स्वास्थ्य, क्षेम या सुविधा की संरक्षा करें।

    नवां- हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य है कि वह सरकार की ओर से किसी संपत्ति को ग्रहण करें, प्राप्त करें, रखें या व्यय करें, या सरकार की ओर से कोई सर्वेक्षण, निर्धारण या संविदा करें, या किसी राजस्व आदेशिका का निष्पादन करें या सरकार के धन संबंधी हितों पर प्रभाव डालने वाले किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करें यह सरकार के धन संबंधी हितों से संबंधित किसी दस्तावेज को बनाए, आधिप्रमाणित करें या रखें, या सरकार के धन संबंधी हितों की संरक्षा के लिए किसी विधि के व्यतिक्रम को रोके।

    दसवां- हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य है कि वह किसी ग्राम नगर जिले के किसी धर्म निरपेक्ष सामान्य प्रयोजन के लिए किसी संपत्ति को ग्रहण करें, या  प्राप्त करें, वयनन करें कोई सर्वेक्षण निर्धारण करें या कोई रेट या कर उद्ग्रहीत करें या किसी ग्राम, नगर जिले के लोगों के अधिकारों के अभिनिश्चयनय के लिए कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणित करें या रखे।

    ग्यारवां- हर व्यक्ति जो-

    • सरकार की या वेतन में हो,या किसी लोक कर्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता हो।
    • स्थानीय प्राधिकारी की अथवा केन्द्र, प्रान्त या राज्य के अधिनियम के द्वारा या अधीन स्थापित निगम की अथवा कंपनी अधिनियम,1956 (1956 का 1) की धारा 617 में यथा परिभाषित कंपनी की सेवा या वेतन में हो।

    स्पष्टीकरण- नगर पालिका आयुक्त लोक सेवक है।

    स्पष्टीकरण एक- ऊपर के वर्णन में से किसी में आने वाले व्यक्ति लोक सेवक हैं चाहे वह सरकार द्वारा नियुक्त किए गए हो या नहीं।

    स्पष्टीकरण दो- जहां कहीं “लोक सेवक” शब्द आए हैं वे उस हर व्यक्ति के संबंध में समझ जाएंगे जो लोक सेवक के औहदे को वास्तव में धारण किए हुए हो, चाहे उस औहदे को धारण करने के उसके अधिकार में कैसी ही विधिक त्रुटि हो।

    https://www.judicialguru.in/

    स्पष्टीकरण तीन- “निर्वाचन” शब्द ऐसे किसी विधाई, नगरपालिका या अन्य लोक प्राधिकारी के नाते चाहे वह कैसे ही स्वरूप का हो, सदस्यों के वरणार्थ निर्वाचन का घोतक है जिसके लिए वरण करने की पद्धति किसी विधि के द्वारा या अधीन निर्वाचन के रूप में भी विहित की गई हो।

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