अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए किसकी अनुमति ज़रूरी है? क्या कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है? जानिए प्राविधान

भारतीय दण्ड सहिंता 1860 (Indian Penal Code 1860) की धारा 498A का उपयोग के साथ दुरुपयोग भी बढ़ता जा रहा है। पहले लोग घरेलु मामलों को कोर्ट ले जाने की बात पर अक्सर कहते थे कि- "लोग क्या कहेंगे" लेकिन अब यह आम बात हो चली है। लेकिन फिर भी कुह लोग जब बात पुलिस शिकायत दर्ज करने या मुकदमा लड़ने की बात आती है तो कुछ लोग संतोष कर लेते हैं। जिसकी वजह के किसी एक पक्ष के साथ अन्याय होता है और जो लोग किसी को झूठा मुक़दमा करने के लिए उकसाते हैं वह यही कहते हैं की "ये आदमी इसी लायक है" जिसकी वजह से कभी कभी कोई ठोस वजह न होते हुए भी धारा 498A का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है। अब सवाल यह उठता है की पत्नी के पास यह क़ानूनी अधिकार है किन्तु यदि किसी पुरुष के साथ अन्याय हो रहा हो तो उसके पास क्या क़ानूनी अधिकार है। अधिवक्ता आशुतोष कुमार आज इसी क़ानूनी समस्या का निदान बता रहें है
भारतीय दण्ड सहिंता 1860 (Indian Penal Code 1860) की धारा 498A के अनुसार-
पति या पति के रिश्तेदार के द्वारा किसी विवाहित महिला के साथ क्रूरता, मारपीट या अन्य अत्याचार करने पर पति या पति के रिश्तेदार या सभी को तीन साल की ज़ेल की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी हो सकता है। भारतीय दण्ड सहिंता 1860 (Indian Penal Code 1860) की धारा 498A उदेश्य शादीशुदा महिला को अपने पति के खिलाफ मानसिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक या किसी अन्य पीड़ा या उत्पीड़न के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराने तथा न्याय दिलाने के लिए है। विवाहित महिला इसके उपयोग भलीभांति समझती है। इसलिए इस क़ानून को किसी भी प्रकार की वैवाहिक क्रूरता के खिलाफ एक हथियार के रूप में प्रयोग करती हैं। क्योंकि यह क़ानून शादीशुदा लड़की के ऊपर किये गये क्रूर व्यवहार, मारपीट, मानसिक प्रत्याडना, शारीरिक कष्ट, गाली-गलौच आदि को गंभीर तथा गैर-जमानती अपराध बनाता है।
लव मैरिज, इन्टरकास्ट मैरिज, भिन्न-धर्म मैरिज की बढ़ती संख्या के साथ धारा 498A के तहत मुकदमों में भी बढ़त दर्ज़ हो रही है। देश में प्रतिदिन लगभग पांच हज़ार मामले अलग अलग राज्यों में दर्ज़ होते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबित इन सभी शिकायतों में लगभग 3000 शिकायतें झूठीं पाई जाती हैं। देखने में आया है कि लड़की अपने पति या पति के रिश्तेदार पर दबाव बनाने के लिए धारा 498A के अंतर्गत झूठा मुकदमा दर्ज़ करवाती हैं। छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाहित महिलाएं ऐसे मुकदमें में पति या पति के रिश्तेदार को फ़साने की धमकी देती है और कभी-कभी धारा 498A के अंतर्गत शिकायत दर्ज़ करवा देती हैं।
भारतीय क़ानून के पिछले सात दशकों के इतिहास में कई महिला सुरक्षा कानून बनाए और संशोधित किए गए। यह कानून महिलाओं को न केवल सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हैं बल्कि उन्हें अपनी ससुराल में एक सुरक्षित माहौल प्रदान कराने में सहायक साबित हो रहें है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इसके उपयोग के साथ-साथ दुरूपयोग भी हुआ है। यहाँ तक की कई पीड़ित पुरुषों में आत्महत्या करने तक का प्रयास किया है। कई पीड़ित पुरुष अब इस तरह के पक्षपाती कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। ऐसे में विधि सलाहकार महिलाओं से परेशान पुरुषों को तलाक की प्रक्रिया के माध्यम से अलग होने की सलाह दे रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षों में यह पाया गया कि आईपीसी (IPC) की धारा 498A के दुरुपयोग में वृद्धि हुई है। झूठे 498A के मामले बहुत बढ़ गए हैं। अस्पष्ट रूप से परिभाषित और आसान आपसी तलाक प्रक्रिया के कमी के चलते 498A हिसाब बराबर करने का एक आसान हथियार बन गया है। कोर्ट में अक्सर देखा गया है कि इस कानून के अंतर्गत महिलाओं के साथ किए गए दुर्व्यवहार की सुनवाई तो होती है किन्तु पुरुषों की रक्षा अथवा सुरक्षा स्वीकार नहीं करते हैं जो व्यवस्था में स्पष्ट असमानता को दर्शाता है।
वर्तमान में भारतीय कानून में कई व्यवहारिक खामियाँ हैं जिन्हें पहचानने की आवश्यकता है। ऐसा ही कुछ धारा 498A के मामलें में भी है जिसके सम्बन्ध में कानूनी उपायों का उपयोग कर इसके दुरूपयोग को रोका जा सकता है। धारा 498A के दुरूपयोग से पुरुषों की सुरक्षा के लिए किया जा सकता है। यदि कोई महिला कानून का दुरुपयोग करने का फैसला करती है और व्यक्तिगत लाभ के लिए आपके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने की धमकी देती है।
किसी के झूठे आरोप को साबित करने के लिए पहला कदम है सबूत इकठ्ठा करना। 498A मामले में भी ऐसा है इसलिए अच्छी तरह से सबूत इकठ्ठा करना होगा। जितना संभव हो उतना सबूत इकट्ठा करना शुरू करें
जैसे:-
यदि आपको लगता है कि आपकी पत्नी आप पर या आपके परिवार पर धारा 498A के तहत झूठी FIR करवा सकती है, तो पहले से किसी क्रिमिनल वकील की सहायता से अपने या अपने परिवार के सदस्य की गिरफ्तारी को रोकने के लिए अग्रिम जमानत की अर्जी कोर्ट में कर जमानत प्राप्त करें। अग्रिम जमानत एक सावधानी जमानत की तरह है जब पुलिस आपको या आपके परिवार के सदस्यों को धारा 498A के तहत गिरफ्तार करना चाहेगी तब यह काम आयेगा।
आप CrPC की धारा 438 [1] के तहत धारा 498A के खिलाफ सुरक्षा के लिए अग्रिम जमानत के लिए फाइल कर सकते हैं। इसके लिए आप किसी क्रिमिनल वकील की सहायता लें।
CrPC की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय द्वारा धारा 498A के मामले को रद्द करवा सकते हैं। अदालतें आम तौर पर एक FIR को रद्द करने या कानून की व्यवस्था में हस्तक्षेप करने में अनिच्छुक होती हैं। लेकिन अगर आपके पास पर्याप्त सबूत हैं तो अदालत के पास आपकी पत्नी द्वारा दर्ज की गई झूठी 498A प्राथमिकी को रद्द करने की शक्ति है।
आप अपनी पत्नी के खिलाफ ब्लैकमेल करने या आपके खिलाफ 498A का झूठा मामला दर्ज करने के लिए भी FIR दर्ज करवा सकते हैं। आमतौर पर पुलिस ऐसी FIR नहीं दर्ज़ करती है। लेकिन अगर आप अपने केस को फूलप्रूफ बना कर रखें और सबूत इकठ्ठा कर लें तो काम आसान हो सकता है तो पुलिस आपको अपनी पत्नी के खिलाफ FIR दर्ज करने से मना नहीं कर सकती है।
इसके लिए आप अपनी शिकायत किसी अच्छे फौजदारी वकील से लिखवा लें ताकि पुलिस उसे किसी भी आधार पर खारिज न कर सके। यदि पुलिस आपकी FIR दर्ज करने से इनकार करती है तो आप उस पुलिस अधिकारी के खिलाफ उस पुलिस स्टेशन के अधीक्षक या अन्य अधिकारी के पास लिखित शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
यदि आपकी पत्नी अपने वैवाहिक घर को छोड़कर अपने परिवार के साथ रहने के लिए वापस चली गई है या किसी अन्य पुरुष के साथ चली है तो आप हिंदू विवाह अधिनियम (2) की धारा 9 के तहत अपनी पत्नी के खिलाफ आरसीआर (RCR) यानी वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए मामला दर्ज कर सकते हैं। इस निवेदन में उन सभी नियमों और शर्तों का उल्लेख कर सकते हैं जिनका उसे एक बार फिर से आपके साथ रहना शुरू करने के पर पालन करना होगा।
यदि आप किसी मामले में निःशुल्क क़ानूनी सहायता चाहते हैं या किसी वरिष्ठ अनुभवी वकील से किसी प्रकार की क़ानूनी सलाह लेना चाहतें हैं तो हमसे Facebook, Whatsapp, Sharechat, Telegram, Instagram, YouTube, E-mail या Phone (Phone No: 83184-37152) आदि में से किसी भी प्रकार से संपर्क कर सकतें हैं। सभी सोशल मीडिया का लिंक इसी वेबसाइट पर ऊपर दिया गया है। साथ ही Judicial Guru® चैनल को YouTube पर अभी Subscribe करें। @judicialguru
आप अपनी पत्नी के खिलाफ 498A का झूठा मामला दर्ज करके अपनी छवि खराब करने के लिए मानहानि का मामला भी दायर कर सकते हैं।
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