अंतर धार्मिक विवाह करने के लिए किसकी अनुमति ज़रूरी है? क्या कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है? जानिए प्राविधान

कंपनियां जब अपने प्रोडक्ट मार्केट में लांच करती हैं प्रोडक्ट की लाइफ भी तय होती है। इसके अतिरिक्त सुरक्षा कवच अर्थात एंटीवायरस सॉफ्टवेयर बनाया जाता है जो इसे अवांछित खतरों से बचाता है। कितुं अब जो एंटीवायरस बन रहे हैं वो आज के जमाने के हैं। इस वजह से पुराने खतरों के बारे में इनमें पूर्ण जानकारी नहीं होती है। जिसकी वजह से कई सेंधमार इसकी सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन अगर माइक्रोसॉफ्ट कोई ओएस (आपरेटिंग सिस्टम) प्लेटफार्म बनाता है तो हैकर इसमें आसानी से सेंध नहीं लगा पाते हैं। क्योंकि इसमें एंटीवायरस भी कुछ नहीं कर सकते हैं।
कंपनियों ने अपनी जरूरत के हिसाब से प्लेटफार्म बनाए हैं। इसलिए इतने सारे प्लेटफार्म के लिए एंट्री एंटीवायरस बनाना मुश्किल है। स्मार्ट होम अप्लायंसेज के लिए इंटरनेशनल एक्सपो का आयोजन करने वाली चीन की कंपनियों के जनरल मैनेजर ने कहा कि यह बिल्कुल भी सच नहीं है कि इलेक्ट्रोनिक उत्पादों की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं हो रहा है। स्मार्ट प्रोडक्ट बनाने वाली लगभग सभी कंपनियां पहले उत्पाद को मार्केट में सुरक्षा प्रदान करने वाली नीति का साथ देते हैं लेकिन अभी भी तकनीकी विकास के साथ ऐसी कई समस्याओं से दुनियाभर के उपभोक्ताओं से दो-चार हो रहे हैं। इसके लिए भारत के साथ चीन, अमेरिका और लगभग सभी देशों के तकनीक विशेषज्ञ अपना काम कर रहे हैं।
स्मार्ट डिवाइस की सुरक्षा को लेकर सिर्फ कंपनी पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। जिस तरह से हैकिंग की घटनाएं बढ़ रही है। उसे देखते हुए स्मार्ट डिवाइस के यूजर को भी स्मार्ट बनना चाहिए। यदि साइबर सिक्योरिटी अपडेट आएंगे तो उसमें यह नहीं कहा जा सकता की कितना फयादा होगा। क्योंकि जब एक ओर से हैकिंग के दरवाजे बंद हो जाते हैं तो हैकर कोई ना कोई नया रास्ता ढूंढ ही लेते हैं।
हैकर्स कई वेबसाइटों पर हमेशा एक्टिव रहते हैं और वहीँ से अपने शिकार की तलाश में रहते हैं इसलिए जब कोई लिंक पर क्लिक करता है जो हैकर द्वारा डाला गया होता है तो यूजर को भी पता नहीं चलता उसका डिवाइस हैक हो चुका है। शुरुआत में यह लगता है कि वह हमारे सिस्टम में डाउनलोड है।
क्या करें जब स्मार्टफोन डिवाइस हैक हो जाये और आप किसी अपराध का शिकार हो जाएँ तो इसके बारे में अधिवक्ता आशुतोष कुमार कहते हैं कि डिवाइस साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर बेफिक्र नहीं रह सकते हैं। ज्यादातर मामलों में साइबर सुरक्षा बहुत ज्यादा मजबूत नहीं होती है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स से जुड़े प्रकरण है तो इंटरनेशनल लेवल पर भी साइबर सुरक्षा की मान्यता नहीं है।
आजकल हमारे सामने ऐसी स्मार्ट डिवाइसेज हैं जिनसे जुड़े कई मामले आ रहे हैं जो रोज की लाइफ में होते हैं।जैसे- कभी खाते से पैसे गायब हो जाना, कही चैट या विडियो वायरल हो जाना तो कभी अनधिकृत प्रयोग हो जाना। ऐसे अधिकांश मामले डेटा उपयोग के हैं।
क़ानून के मुताबिक अगर कोई आपका वीडियो आपकी मर्ज़ी के विरुद्ध बनाता है तो आप सर्विस प्रोवाइडर को नोटिस दे सकतें हैं। अदालत से भेजा गये ऑर्डर पर सर्विस प्रोवाइडर को एक्शन लेना होगा। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि आपको किसी भी साइट से वीडियो हटाना है तो आपको अदालत जाना होगा या किसी सरकारी एजेंसी से मदद लेनी होगी। अगर कोर्ट ऑर्डर देता है तो सामान्य तौर पर 7 से 10 दिन में वीडियो डिलीट कर दिया जाता है।
कानूनन ऐसे मामलों में आईटी एक्ट की धारा 445 के मामले दर्ज होते हैं। इसमें पांच हज़ार तक का जुर्माना है। भारतीय दंड संहिता की धारा 420, और 468 से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा आपका मोबाइल या कंप्यूटर कुछ भी हैक होने पर आप सीधे पुलिस के साइबर सेल में भी जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। पुलिस मामले की शिकायत दर्ज करने के बाद छानबीन करती हैं और जरूरी कानूनी कदम उठाती है।
साइबर क्राइम की जानकारी रखें और इसके अलावा आपको खुद से सतर्क रहना होगा क्योंकि आपकी सावधानी ही सर्वप्रथम आपको बचा सकती है। कानूनी विकल्प द्वितीय स्तर का विकल्प है। इसके पहले आपको स्वयं से अपनी सुरक्षा पर ध्यान देना होगा। अवांछित वेबसाइट, अवांछित लिंक या किसी अनजाने नंबर पर कॉल बैक करने से बचें। किसी प्रकार के अनजाने लिंक पर कभी भी क्लिक ना करें। हो सकता है कि यह आपको एक बड़ी मुसीबत में डाल सकता है या आपको भी अपराधी बना सकता है।
गूगल अथवा किसी अन्य सर्च इंजन पर कभी ऐसी कोई सामग्री सर्च ना करें जिससे आप मुसीबत में पड़ जाए।
जैसे गूगल पर कुछ ऐसी चीजें हैं जिनको सर्च करना प्रतिबंधित है। उदहारण के तौर पर यदि आप पोर्न वेबसाइट सर्च करते हैं तो आप बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं। चाइल्ड पॉर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट को सर्च करते हैं तो यह आपको अपराध की तरफ ले जाएगा। बम बनाने की तकनीक या देशद्रोह के मामले में किसी भी मुद्दे की जानकारी लेना अपराध की तरफ धकेल सकता है। इस प्रकार की सर्च से आप बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं इससे बचने के लिए आपको ऐसी चीजें गूगल पर सर्च नहीं करनी चाहिए।
हैकर का मुख्य टारगेट 14 से 18 वर्ष के लड़के या लड़कियों पर होता है। चूँकि इसी उम्र में पैसा, शोहरत, प्यार, अश्लील विडियो या फ़ोटो आदि को लेकर अधिक चाहत होती है। जानने की जिज्ञासा इन्हें किसी न किसी अनजाने लिंक पर क्लिक। को निशाना बना रहे हैं है कर्ज कि आजकल देखने में एक केस दर्ज होने पर आता है कि सबसे ज्यादा हैकर्स 14 से लेकर 18 वर्ष की आयु के बीच लड़के लड़कियों को और इसके अतिरिक्त बुजुर्गों को अपना निशाना बनाते हैं क्योंकि इन्हीं दोनों उम्र के हैं दोनों उम्र पर डिवाइस का यूज करने में कम सावधानी बरतते हैं जिसके कारण से ऐसी संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
वीडियोगेम लवर्स ज्यादातर इन हैकर्स के निशाने पर रहते हैं। चूँकि वीडियोगेम के लिंक भेज कर इन्हें किसी न किसी ऐसे लिंक पर क्लिक कराया जाता है जो सीधे हैकर के कण्ट्रोल में होता है। इससे वीडियोगेम लवर्स के ऐसे जाल में फसने की संभावना बढ़ जाती हैं। और इसी बात का फायदा उठा कर हैकर इनके खाते से पैसा पूरी तरह साफ कर सकता है। इसके अलावा कंप्यूटर या मोबाईल में सेव निजी फ़ोटो या विडियो को चोरी कर सकता है।
लगभग सभी प्रकार की न्यूज़ वेबसाइट पर वीडियोगेम लिंक, विभिन्न प्रकार के अश्लील ऐड, घर बैठे पैसा कमायें जैसे विज्ञापन देखने को मिल जायेंगे जिससे हैकर को शिकार तक पहुँचने की संभावना बढ़ जाती है। अक्सर लोग ऐसे ऐड पर क्लिक करते ही हैं जिससे व्यक्ति किसी न किसी बड़े साइबर मुसीबत की तरफ बढ़ जाते हैं। यदि न्यूज़ वेबसाइट चाहें तो ऐसे विज्ञापनों को अपनी वेबसाइट पर प्रसारित होने से रोक सकते हैं।
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