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सत्यमेव जयते!

14 से 20 वर्ष की लड़कियां हैं इनके निशाने पर!

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कंपनियां जब अपने प्रोडक्ट मार्केट में लांच करती हैं प्रोडक्ट की लाइफ भी तय होती है। इसके अतिरिक्त सुरक्षा कवच अर्थात एंटीवायरस सॉफ्टवेयर बनाया जाता है जो इसे अवांछित खतरों से बचाता है। कितुं अब जो एंटीवायरस बन रहे हैं वो आज के जमाने के हैं। इस वजह से पुराने खतरों के बारे में इनमें पूर्ण जानकारी नहीं होती है। जिसकी वजह से कई सेंधमार इसकी सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन अगर माइक्रोसॉफ्ट कोई ओएस (आपरेटिंग सिस्टम) प्लेटफार्म बनाता है तो हैकर इसमें आसानी से सेंध नहीं लगा पाते हैं। क्योंकि इसमें एंटीवायरस भी कुछ नहीं कर सकते हैं। सुरक्षा के इस प्रश्न पर कई कंपनियां सभी डिवाइस के अलग-अलग प्लेटफार्म पर काम कर रही हैं? कंपनियों ने अपनी जरूरत के हिसाब से प्लेटफार्म बनाए हैं। इसलिए इतने सारे प्लेटफार्म के लिए एंट्री एंटीवायरस बनाना मुश्किल है। स्मार्ट होम अप्लायंसेज के लिए इंटरनेशनल एक्सपो का आयोजन करने वाली चीन की कंपनियों के जनरल मैनेजर ने कहा कि यह बिल्कुल भी सच नहीं है कि इलेक्ट्रोनिक उत्पादों की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं हो रहा है। स्मार्ट प्रोडक्ट बनाने वाली लगभग सभी कंपनियां पहले उत्पाद

किसी खाते से रुपए गायब हो जाएं तो बैंक जिम्मेदार होगा, ग्राहक नहीं : राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग

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राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग हैकर्स किसी के खाते से रुपए गायब कर दें तो बैंक जिम्मेदार होगा, ग्राहक नहीं अगर किसी व्यक्ति के बैंक खाते से किसी हैकर द्वारा या किसी अन्य कारण से पैसे निकाल कर धोखाधड़ी की जाती है। और इसमें ग्राहक की लापरवाही नहीं है। ऐसे मामले में बैंक प्रबंधन जिम्मेदार है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इस संदर्भ में एक अहम फैसला सुनाया है। आयोग के जज सी विश्वनाथ ने क्रेडिट कार्ड की हैकिंग की वजह से एक एनआरआई महिला से हुई धोखाधड़ी के मामले में बैंक प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। आयोग ने एचडीएफसी बैंक द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए आदेश दिया है कि पीड़ित महिला को 6110 अमेरिकी डॉलर तकरीबन 4.46 लाख 12% ब्याज के साथ वापस लौटाए। आयोग ने बैंक प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वह पीड़िता को मानसिक प्रताड़ना के मुआवजे के तौर पर ₹40000 और केस खर्च के ₹5000 भी दे। आयोग के जज सी विश्वनाथ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि बैंक ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाया कि पीड़ित महिला का क्रेडिट कार्ड किसी अन्य ने चोरी कर लिया था। महिला का दावा है कि उसके खाते से पैसे किसी हैकर ने निकाले

ये बात जान लीजिये ताकि आपको बीमा क्लेम के लिए कोर्ट का दरवाज़ा ना खटखटाना पड़े!

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अगर LIC का प्रीमियम पूरा नहीं भरा है और पॉलिसी की अवधि भी खत्म हो गई हो तो क्या क्लेम कर सकते हैं? Life Insurance Corporation of India के बीमा क्लेम के एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी बीमा पालिसी के प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया हो तो इस कारण पॉलिसी की अवधि समाप्त होने पर किया गया दावा माना नहीं जा सकता है। कोर्ट ने साथ ही कहा कि बीमा पॉलिसी की शर्तों की सख्ती से व्याख्या की जानी चाहिए जो सरलता से समझा जा सके मामला जैसलमेर का है  मान लीजिए कि आपने कोई इंश्योरेंस पॉलिसी ली है, लेकिन किसी करणवश आपने प्रीमियम नहीं भरे और उसकी अवधि भी खत्म हो गई तो ऐसे में क्या आप बीमा क्लेम कर सकते हैं? या आपका बीमा का दावा खारिज किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने LIC (Life Insurance ) ऐसे ही एक केस की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी बीमा पालिसी के प्रीमियम का भुगतान नहीं करने के कारण पॉलिसी की अवधि समाप्त होने पर किया गया दावा खारिज किया जा सकता है जिसके लिए अन्य कोई विकल्प नहीं दिया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने साथ ही यह भी कहा कि बीमा पॉलिसी की शर्तों की सख्ती से व

Weekly Roundup : Law news | RBI ने SBI पर लगाया 1 करोड़ का जुर्माना!

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News : 1 आरबीआई (RBI) ने एसबीआई (SBI) और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक पर लगाई पेनल्टी Judicialguru.in  : weekly roundup भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार नियामक अनुपालन में कमियों के लिए देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। वहीं केंद्रीय बैंक ने प्राइवेट बैंक स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक पर भी 1.95 करोड रुपये का जुर्माना लगाया है। रिजर्व बैंक के बयान के मुताबिक स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक निर्धारित समय के अंदर साइबर सुरक्षा घटना की रिपोर्ट करने में विफल रहा है। साथ ही उसने अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन वाली रकम को वापस खाताधारक के खाते में क्रेडिट भी नहीं किया। इसी लापरवाही के मद्देनजर आरबीआई ने बैंक पर यह पेनल्टी लगाई है। ------------------------------------------- News : 2 फ्यूल पर एक्सरसाइज में कटौती होगी  चुनावी माहौल के बीच आखिरकार पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से आम लोगों को कुछ राहत देने की कवायद शुरू हो गई है। पेट्रोलियम व वित्त मंत्री के बीच बातचीत का दौर शुरू हो चुका है कि किस तरह से पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों को कम किया जाए। सूत्रों के अनुसार प

अब चेक बाउंस के मामले में जेल जाना तय है! लेकिन बच भी सकते हैं अगर यह क़ानूनी तरीका अपनाया तो!

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एक चेक बाउंस के मामले में क्या करें और क्या न करें? चेक क्या है? एक चेक एक निर्दिष्ट बैंकर पर आहरित एक्सचेंज का बिल है और केवल मांग पर देय है।  कानूनी तौर पर, जिस व्यक्ति ने चेक जारी किया है, उसे ‘आहर्ता’ कहा जाता है और जिस व्यक्ति के पक्ष में चेक जारी किया जाता है उसे‘अदाकर्ता’ कहा जाता है। चेक लेते समय यह  जांच करें- यह लिखित रूप में होना चाहिए। यह एक बिना शर्त आदेश होना चाहिए। बैंकर को निर्दिष्ट करना है। भुगतान एक निर्दिष्ट व्यक्ति को निर्देशित किया जाना चाहिए। यह मांग पर देय होना चाहिए। यह एक विशिष्ट राशि के लिए होना चाहिए। आहर्ता’ के हस्ताक्षर होना चाहिए। चेक बाउंस / चेक की अस्वीकृति क्या है? एक चेक को अस्वीकृत या बाउंस तब कहा जाता है, जब वह किसी बैंक को भुगतान के लिए प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन किसी कारण या दूसरे अन्य कारणवश भुगतान नहीं किया जाता है। निम्नलिखित में से कुछ कारणों से एक चेक आम तौर पर बाउंस हो जाता है:- हस्ताक्षर मेल मिलान नहीं है चेक में उपरी लेखन किया गया हो तीन महीनों की समाप्ति के बाद चेक प्रस्तुत किया गया था, यानी चेक की समय सीमा समाप्ति के बाद खाता बंद किया ग

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