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ये बात जान लीजिये ताकि आपको बीमा क्लेम के लिए कोर्ट का दरवाज़ा ना खटखटाना पड़े!
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अगर LIC का प्रीमियम पूरा नहीं भरा है और पॉलिसी की अवधि भी खत्म हो गई हो तो क्या क्लेम कर सकते हैं?
Life Insurance Corporation of India के बीमा क्लेम के एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी बीमा पालिसी के प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया हो तो इस कारण पॉलिसी की अवधि समाप्त होने पर किया गया दावा माना नहीं जा सकता है। कोर्ट ने साथ ही कहा कि बीमा पॉलिसी की शर्तों की सख्ती से व्याख्या की जानी चाहिए जो सरलता से समझा जा सके
मामला जैसलमेर का है
मान लीजिए कि आपने कोई इंश्योरेंस पॉलिसी ली है, लेकिन किसी करणवश आपने प्रीमियम नहीं भरे और उसकी अवधि भी खत्म हो गई तो ऐसे में क्या आप बीमा क्लेम कर सकते हैं? या आपका बीमा का दावा खारिज किया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने LIC (Life Insurance ) ऐसे ही एक केस की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की है.
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी बीमा पालिसी के प्रीमियम का भुगतान नहीं करने के कारण पॉलिसी की अवधि समाप्त होने पर किया गया दावा खारिज किया जा सकता है जिसके लिए अन्य कोई विकल्प नहीं दिया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने साथ ही यह भी कहा कि बीमा पॉलिसी की शर्तों की सख्ती से व्याख्या की जानी चाहिए जिससे की आम आदमी आसानी से इसे समझ सके।
शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के एक आदेश को खारिज करते हुए की, जिसमें सड़क दुर्घटना के मामले में अतिरिक्त मुआवजे का आदेश दिया गया था।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि यह एक अच्छी तरह से स्थापित कानूनी व्यवस्था है कि जिस व्यक्ति का बीमा हुआ है उसका बीमा के शर्तों के अधीन विश्वास होने की आवश्यकता होती है।
अदालत ने कहा ‘यह स्पष्ट है कि बीमा पॉलिसी की शर्तों को अच्छी तरह से समझा जाना चाहिए और पॉलिसी की शर्तों की सरल व्याख्या करते हुए अनुबंध को फिर से लिखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है'।
क्या था पूरा मामला?
शीर्ष अदालत (Supreme Court of India) NCDRC के फैसले के खिलाफ दाखिल जीवन बीमा निगम (LIC) की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने राज्य आयोग का आदेश रद्द कर दिया था।
मामले में एक महिला के पति ने भारतीय जीवन बीमा निगम से जीवन सुरक्षा योजना के तहत 3.75 लाख रुपये की जीवन बीमा पॉलिसी ली थी।
इसके बीमा योजना तहत पालिसी धारक की दुर्घटना से मृत्यु होने की स्थिति में एलआईसी द्वारा 3.75 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाना था।
उक्त पॉलिसी के बीमा प्रीमियम का भुगतान प्रत्येक छ: माह में किया जाना था, लेकिन भुगतान में चूक हुई और प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया।
6 मार्च 2012 को, शिकायतकर्ता का पति एक दुर्घटना में घायल हो गया और 21 मार्च, 2012 को उसकी मृत्यु हो गई।
पति की मृत्यु के पश्चात् शिकायतकर्ता ने LIC के समक्ष दावा प्रस्तुत किया और उसे LIC की तरफ से 3.75 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया गया।
हालांकि, 3.75 लाख रुपये के दुर्घटना दावा लाभ की अतिरिक्त राशि नहीं दी गई और इस लाभ से उसे वंचित कर दिया गया। इसलिए, शिकायतकर्ता ने दुर्घटना दावा लाभ के लिए उक्त राशि का अनुरोध करते हुए शिकायत के साथ जिला फोरम का दरवाजा खटखटाया और वाद दयार किया।
जिला फोरम ने महिला की अपील को स्वीकार करते हुए दुर्घटना दावा लाभ के लिए 3.75 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि के भुगतान करने का LIC को निर्देश दिया। लेकिन भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में चुनौती दी गई और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने उस आदेश को रद्द कर दिया जिसे . NCDRC द्वारा पारित किया गया था।
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