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सत्यमेव जयते! Join Us on YouTube

Weekly Roundup: कर्ज वापस मांगना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं, जमानत के बाद चार्जशीट होने से दोबारा गिरफ्तारी नहीं,

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News 1 कर्ज वापस मांगना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर (FIR) रद्द कर दी है। कर्मचारी पर एक कर्जदार से कर्ज चुकाने की मांग करने पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि यह कर्मचारी की ड्यूटी का हिस्सा था। यह नहीं कहा जा सकता है कि उसने कर्जदार को जीवन खत्म करने के लिए उकसाया उसका मकसद कर्जदार को आत्महत्या के लिए उकसाने या प्रेरित करने का नहीं था। जस्टिस विनय देशपांडे और जस्टिस अनिल किलोर की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता रोहित नलबाडे फाइनेंस कंपनी का कर्मचारी होने के नाते कर्जदार प्रमोद चौहान से बकाया कर्ज की वसूली करने की कोशिश करके सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रहा था। इस संबंध में 8 अगस्त 2018 को महाराष्ट्र के वाशिम जिले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी।  अभियोजन पक्ष ने हाईकोर्ट को बताया कि चौहान ने एक नया वाहन खरीदने के लिए 6.21 लाख रुपए का कर्ज लिया था। समझौते के मुताबिक इस कर्ज का भुगतान 4 साल में ₹17800 की मासिक किस्तों के जरिए किया जाना था। चौहान जब कर्ज नहीं चुका सके तो उन्होंने आत्महत्...

RTI में कौन सी धारा हमारे काम की है? RTI कैसे काम करता है?

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Right to Information RTI यानि Right to Information हमारे लिए एक मज़बूत हथियार की तरह है, जिससे हम अपने अधिकारों या न्याय के लिए मौजूदा प्रावधानों की सटीक जानकारी प्राप्त कर सकते है। आज RTI हमारी के ज़रूरत बन गया है ऐसे में RTI से कैसे किसी विषय की जानकारी प्राप्त की जा सकती है तह जानना बहुत ज़रूरी हो गया है लेकिन क्या आप जानते है की RTI की कौन सी धारा हमारे काम की है? RTI में कौन सी धारा हमारे काम की है- धारा 61-  आरटीआई का आवेदन लिखने की धारा है धारा 63-  अगर आपका आवेदन गलत विभाग में चला गया है तो वह विभाग इसको 63 धारा के अंतर्गत सही-सही विभाग में 5 दिन के अंदर भेज देगा।  धारा 75-  इस धारा के अनुसार बीपीएल कार्ड वालों को कोई आरटीआई शुल्क नहीं देना होगा।  धारा 76-  इस धारा के अनुसार अगर आरटीआई का जवाब 30 दिन में नहीं आता है तो सूचना नि:शुल्क दी जाएगी।   धारा 18 -अगर कोई अधिकारी जवाब नहीं देता तो उसकी शिकायत सूचना अधिकारी को दी जाए।   धारा 8-  इसके अनुसार वह सूचना आरटीआई में नहीं दी जाएगी जो देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए ख...

राष्ट्रीयता क्या है? राष्ट्रीयता कैसे तय होती है? राष्ट्रीयता को प्राप्त करने तथा समाप्ति के कौन-कौन से तरीकों हैं? जानिए भारत सरकार के नियम

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राष्ट्रीयता क्या है?  राष्ट्रीयता  कैसे तय होती है? क्या राष्ट्रीयता का अंतर्राष्ट्रीय कानून से प्रभावित होती है? राष्ट्रीयता को प्राप्त करने तथा समाप्ति के कौन-कौन से तरीकों हैं? इन सभी सवालों के जवाब दे रहें हैं - विधि विशेषज्ञ अधिवक्ता आशुतोष कुमार What is Nationality? How is it ascertained? what is the importance of nationality under Inter national law? Discuss the modes of acquiring and losing Nationality? राष्ट्रीयता क्या है? (What is Nationality) राष्ट्रीयता वह गुण है जो किसी विशिष्ट जाति या राष्ट्र की सदस्यता से उत्पन्न होता है और जो किसी व्यक्ति की राजनीतिक स्थिति या उसका राज्य और नागरिक के बीच स्थापित निरंतर चलने वाला वैध संबंध है। राष्ट्रीयता के अर्थ के बारे में विभिन्न विद्वानों के मत निम्न प्रकार हैं- फेन्विक के अनुसार , "राष्ट्रीयता एक ऐसा बंधन है जो व्यक्ति को राज्य के साथ सम्बद्द करके उसे राज्य विशेष का सदस्य बनाता है और उसे राज्य के संरक्षण का अधिकार दिलाता है तथा उसका उत्तरदायित्व होता है कि वह राज्य द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन करें"। केलसन के अनुसार...

ये बात जान लीजिये ताकि आपको बीमा क्लेम के लिए कोर्ट का दरवाज़ा ना खटखटाना पड़े!

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अगर LIC का प्रीमियम पूरा नहीं भरा है और पॉलिसी की अवधि भी खत्म हो गई हो तो क्या क्लेम कर सकते हैं? Life Insurance Corporation of India के बीमा क्लेम के एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी बीमा पालिसी के प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया हो तो इस कारण पॉलिसी की अवधि समाप्त होने पर किया गया दावा माना नहीं जा सकता है। कोर्ट ने साथ ही कहा कि बीमा पॉलिसी की शर्तों की सख्ती से व्याख्या की जानी चाहिए जो सरलता से समझा जा सके मामला जैसलमेर का है  मान लीजिए कि आपने कोई इंश्योरेंस पॉलिसी ली है, लेकिन किसी करणवश आपने प्रीमियम नहीं भरे और उसकी अवधि भी खत्म हो गई तो ऐसे में क्या आप बीमा क्लेम कर सकते हैं? या आपका बीमा का दावा खारिज किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने LIC (Life Insurance ) ऐसे ही एक केस की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी बीमा पालिसी के प्रीमियम का भुगतान नहीं करने के कारण पॉलिसी की अवधि समाप्त होने पर किया गया दावा खारिज किया जा सकता है जिसके लिए अन्य कोई विकल्प नहीं दिया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने साथ ही यह भी कहा कि बीमा पॉलिसी की शर्तों की सख्ती ...

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