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राष्ट्रीयता क्या है? राष्ट्रीयता कैसे तय होती है? राष्ट्रीयता को प्राप्त करने तथा समाप्ति के कौन-कौन से तरीकों हैं? जानिए भारत सरकार के नियम

राष्ट्रीयता क्या है? राष्ट्रीयता कैसे तय होती है? क्या राष्ट्रीयता का अंतर्राष्ट्रीय कानून से प्रभावित होती है? राष्ट्रीयता को प्राप्त करने तथा समाप्ति के कौन-कौन से तरीकों हैं?

इन सभी सवालों के जवाब दे रहें हैं - विधि विशेषज्ञ अधिवक्ता आशुतोष कुमार

What is Nationality? How is it ascertained? what is the importance of nationality under Inter national law? Discuss the modes of acquiring and losing Nationality?

राष्ट्रीयता क्या है? (What is Nationality)

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राष्ट्रीयता वह गुण है जो किसी विशिष्ट जाति या राष्ट्र की सदस्यता से उत्पन्न होता है और जो किसी व्यक्ति की राजनीतिक स्थिति या उसका राज्य और नागरिक के बीच स्थापित निरंतर चलने वाला वैध संबंध है। राष्ट्रीयता के अर्थ के बारे में विभिन्न विद्वानों के मत निम्न प्रकार हैं-

फेन्विक के अनुसार, "राष्ट्रीयता एक ऐसा बंधन है जो व्यक्ति को राज्य के साथ सम्बद्द करके उसे राज्य विशेष का सदस्य बनाता है और उसे राज्य के संरक्षण का अधिकार दिलाता है तथा उसका उत्तरदायित्व होता है कि वह राज्य द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन करें"।

केलसन के अनुसार, "नागरिकता या राष्ट्रीयता एक व्यक्ति की वह स्थिति है जिससे वैध रूप में वह किसी राज्य का सदस्य है और अलंकारिक रूप से उस समुदाय का सदस्य कहा जा सकता है।"

हाइड के अनुसार, "राष्ट्रीयता एक व्यक्ति और राज्य के बीच संबंध को प्रकट करती है जिससे राज्य अनेक आधारों पर यह समझ लेता है कि उस व्यक्ति की निष्ठां उस राज्य के प्रति है"।

स्टार्क के अनुसार, "राष्ट्रीयता व्यक्तियों की सामूहिक रूप से सदस्यता की स्थिति है तथा इसके द्वारा व्यक्तियों के कार्य फैसले तथा नीति का प्रतिनिधित्व राज्य की विधिक धारणा द्वारा होता है"।

राष्ट्रीयता का निर्धारण (Ascertainment of Nationality)

राष्ट्रीयता के नियम राज्य विधि द्वारा निर्धारित होते हैं तथा प्रत्येक राज्य अपने संविधान के अनुसार इस संबंध में प्रावधान कर सकता है। जस्टिस ग्रे के अनुसार "राज्य यह निर्धारित कर सकता है कि किस वर्ग या प्रकार के लोग नागरिकता के अधिकारी होंगे। 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 5 के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति भारतीय नागरिक होगा जो संविधान के लागू होने के समय भारत का आधिवासी था तथा जो या तो 

(क) भारतीय क्षेत्र में जन्मा था, या 

(ख) जिसके माता-पिता भारतीय क्षेत्र में रह रहे थे, या 

(ग) या जो संविधान के लागू होने से पहले खासतौर से कम से कम 5 वर्ष तक भारतीय क्षेत्र में रह रहे हो।

राष्ट्रीयता के निर्धारण का प्रश्न राष्ट विधि के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत जाता है, अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत नहीं। अंतर्राष्ट्रीय संपर्क तथा यातायात बढ़ने के कारण नागरिक राष्ट्रीयता की विधियों में प्राय: विरोध उत्पन्न हो जाता है सन 1930 के हेग के संहिताकरण सम्मेलन ने राष्ट्रीयता के संबंध में बहुत से लेखों को स्वीकार किया है।

उदाहरणार्थ, राष्ट्रीयता की विधियों में अभी समय राष्ट्रीयता के प्रभाव पर संलेख आदि।"

राष्ट्रीयता का महत्व (Importance of Nationality)

स्टार्क के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय विधि में राष्ट्रीयता का महत्व निम्न प्रकार है- अर्थात 

  1. राजनयिक प्रतिनिधियों के संरक्षण के अधिकार राष्ट्रीयता के ही परिणाम स्वरुप है। 
  2. यदि कोई राज्य अपनी राष्ट्रीयता वाले किसी व्यक्ति को ऐसे हानिकारक कार्य करने से नहीं रोकता है जिनका प्रभाव दूसरे राज्य पर पड़ता है तो वह राज्य उस व्यक्ति के कार्यों के लिए दूसरे राज्य के प्रति उत्तरदाई होगा। 
  3. सामान्यता राज्य अपनी राष्ट्रीयता वाले व्यक्तियों को लेने से इनकर नहीं करते। 
  4. राष्ट्रीयता से तात्पर्य स्वामी भक्त से भी होता है, अत: राष्ट्रीयता का एक गुण यह भी होता है कि व्यक्ति अपनी राष्ट्रीयता वाले देश में सैनिक सेवा के लिए बाध्य किया जा सकता है। 
  5. किसी राज्य को अपनी राष्ट्रीयता वाले व्यक्ति का प्रत्यर्पण करने से इनकार करने का अधिकार होता है। 
  6. राज्यों के व्यवहार के अनुसार युद्ध के समय शत्रु रुपता राष्ट्रीयता के आधार पर निर्धारित होती है। .
  7. बाह्य प्रादेशिकता के सिद्धांत अनुसार राज्य अपनी राष्ट्रीयता वाले व्यक्ति के ऊपर आपराधिक तथा अन्य मामलों में क्षेत्राधिकार रखते हैं।

राष्ट्रीयता प्राप्त करने के ढंग (Modes of Acquiring Nationality)

ओपनहम के मतानुसार अंतर्राष्ट्रीय विधि के अनुसार राष्ट्रीयता प्राप्त करने के निम्नलिखित 5 ढंग है-

  1. जन्म से -(By Birth) राष्ट्रीयता प्राप्त करने का सर्वप्रथम महत्वपूर्ण ढंग व्यक्ति का जन्म स्थान है। यह भूमि संबंधी नियम अर्थात जन्म का क्षेत्र या स्थान के अनुसार या रक्त संबंधी नियम अर्थात जन्म के समय माता पिता की राष्ट्रीयता के अनुसार अर्थात वंशानुक्रमानुसार या दोनों के अनुसार हो सकती है। कोई व्यक्ति जिस राष्ट्र में जन्म लेता है वह वही की राष्ट्रीयता प्राप्त कर लेता है या जन्म के समय जो उसके माता-पिता की राष्ट्रीयता होती है वही उसे भी प्राप्त हो जाती है। संसार के अधिकांश लोगों को जन्म से ही राष्ट्रीयता प्राप्त होती है। जर्मनी में पैतर्कता को राष्ट्रीयता का प्रतीक माना जाता है। भले ही बच्चा अपने देश में पैदा हुआ हो या विदेश में पिता के राष्ट्रीयता के आधार पर ही उसकी राष्ट्रीयता निर्धारित की जाती है। अर्जेंटीना में नवजात शिशु वही का राष्ट्रीय माना जाता है जिस राज्य के क्षेत्र में उसका जन्म हुआ है। ग्रेट ब्रिटेन और अमेरिका में मिलीजुली पद्धति अपनाई जाती है।
  2. देशीयकरण- (By Naturalization) जब किसी राष्ट्र में रहने वाला कोई विदेशी व्यक्ति उस देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है तो उसे देशीयकरण कहते हैं। कैल्सन के मतानुसार, देशीयकारण किसी राज्य का प्रशासकीय कार्य है। जो किसी विदेशी को नागरिकता प्रदान करता है। परंतु अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत राष्ट्रीयता निश्चित सिद्धांतों के आधार पर ही प्रदान की जा सकती है। ऐसा तभी संभव है जब कि विदेशी व्यक्ति इस आशय का आवेदन करता है। इसके अलावा अन्य कोई देशीयकरण का दावा नहीं कर सकता। देशीयकरण छह प्रकार से होता है- (1) विवाह अर्थात् पत्नी द्वारा पति की राष्ट्रीयता को स्वीकार करना (2) औरसीकारण जिसके द्वारा जारज शिशु अपने पिता की राष्ट्रीयता को प्राप्त करता है। (3) विकल्प (4) स्थाई निवास की प्राप्ति (5) सरकारी पद पर नियुक्ति और (6) राज्य अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देने पर स्वीकृति।
  3. पुनर्गहण द्वारा- (By Resumption) कुछ व्यक्ति चिरकाल तक बाहर रहने या वहां के देशीयकरण के कारण अपनी मौलिक राष्ट्रीयता खो देते हैं, ऐसे व्यक्ति कुछ शर्तों की पूर्ति करने पर अपने देश की नागरिकता पुनः प्राप्त कर सकते हैं।
  4. पराजय द्वारा- (By Subjugation) जब कोई राज्य पराजित हो जाता है तो उस राज्य के सभी नागरिक विजय राज्य की राष्ट्रीयता को प्राप्त कर लेते हैं।
  5. हस्तांतरण द्वारा- (By Cession) जब किसी राष्ट्र  का अन्य किसी राज्य में हस्तांतरण हो जाता है तो जिस राज्य में उस प्रदेश का ह्स्तान्तरण हुआ है उस देश की राष्ट्रीयता हस्तांतरित प्रदेश के व्यक्तियों को प्राप्त हो जाती है।

राष्ट्रीयता के समाप्त होने के ढंग (Modes of Losing Nationality)

ओपनहम के अनुसार राष्ट्रीयता पांच प्रकार से समाप्त हो सकती है।

  1. मुक्ति द्वारा- (By Release) कुछ राष्ट्रों ने इस प्रकार की नागरिक विधि बनाई है जिसके अंतर्गत वह अपने नागरिकों को राष्ट्रीयता से मुक्ति प्राप्त करने की अनुमति प्रदान करते हैं। ऐसी मुक्ति के लिए प्रार्थना करना आवश्यक है। यदि प्रार्थना स्वीकार हो जाती है तो प्रार्थी उस देश की राष्ट्रीयता से मुक्त हो जाता है। उदाहरणार्थ- जर्मनी अपने नागरिकों को राष्ट्रीयता से मुक्त करने की प्रार्थना का अधिकार देते हैं।
  2. अपहरण द्वारा-(By Depriviation) प्राय राज्य की विधि के अंतर्गत यह प्रावधान होता है कि उस राष्ट्र का नागरिक उस राष्ट्र की आज्ञा के बिना दूसरे राष्ट्र में नौकरी कर लेता है तो उसे उसके राष्ट्र की राष्ट्रीयता से वंचित कर दिया जाता है।
  3. समाप्ति द्वारा- (By Expiration) कुछ राष्ट्रों की नागरिक विधि में इस प्रकार का प्रावधान होता है कि यदि कोई व्यक्ति उस देश के बाहर बहुत समय तक रहता है तो उसके नागरिकता स्वता समाप्त हो जाती है।
  4. परित्याग द्वारा- (By Renunciation) जब एक व्यक्ति एक से अधिक राष्ट्रों का नागरिक हो जाता है तब ऐसी अवस्था में उसे चुनना पड़ता है कि वह किस देश का नागरिक रहेगा अतः उसे स्वयं किसी एक देश की नागरिकता का परित्याग करना पड़ता है।
  5. स्थानांपन्न द्वारा- By Substitution) कुछ राज्यों की विधि के अनुसार उनकी प्रजाओं की नागरिकता उनके विदेश में नागरिकता प्राप्त करने के कारण समाप्त हो जाती है। स्थानांपन्न के अनुसार एक राष्ट्र की राष्ट्रीयता के स्थान पर उस व्यक्ति को दूसरे राष्ट्र की राष्ट्रीयता प्राप्त हो जाती है।
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